Difference between revisions of "तिसट्ठि महारुरिष गुणालंकार"

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*तिसट्ठि महारुरिष गुणालंकार [[जैन साहित्य]] के महाकवि [[पुष्पदंत]] का उपलब्ध ग्रंथ है।   
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तिसट्ठि महारुरिष गुणालंकार [[जैन साहित्य]] के महाकवि [[पुष्पदंत]] का उपलब्ध ग्रंथ है।   
 
*तिसट्ठि महारुरिष गुणालंकार को 'त्रिषष्टि महापुरुष गुणालंकार' भी कहा जाता है।  
 
*तिसट्ठि महारुरिष गुणालंकार को 'त्रिषष्टि महापुरुष गुणालंकार' भी कहा जाता है।  
 
*'''इसी ग्रंथ को महापुराण भी कहा गया है।'''  
 
*'''इसी ग्रंथ को महापुराण भी कहा गया है।'''  
 
*इसके दो खण्ड हैं -  
 
*इसके दो खण्ड हैं -  
;आदि पुराण -  
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;[[आदि पुराण]] -  
 
आदि पुराण में 80 संधियाँ हैं। आदि पुराण में [[ॠषभनाथ तीर्थंकर|प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव]] का चरित्र है।  
 
आदि पुराण में 80 संधियाँ हैं। आदि पुराण में [[ॠषभनाथ तीर्थंकर|प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव]] का चरित्र है।  
 
;उत्तर पुराण -  
 
;उत्तर पुराण -  
उत्तर पुराण में 42 संधियाँ हैं। इसमें तरेसठ महापुरुषों के चरित्र हैं। उत्तर पुराण में बाक़ी 23 [[तीर्थंकर]] तथा उनके समकालीन पुरषों के चरित्र हैं।  
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उत्तर पुराण में 42 संधियाँ हैं। इसमें तरेसठ महापुरुषों के चरित्र हैं। उत्तर पुराण में बाक़ी 23 [[तीर्थंकर]] तथा उनके समकालीन पुरुषों के चरित्र हैं।  
 
*इन दोनों में लगभग 20 हज़ार पद होगें।  
 
*इन दोनों में लगभग 20 हज़ार पद होगें।  
 
*इसके निर्माण में प्रथम [[राष्ट्रकूट वंश]] के [[कृष्ण तृतीय|महाराजाधिराज कृष्णराज (तृतीय)]] के महामात्य भरत की प्रेरणा थी, क्योंकि ग्रंथ की प्रत्येक संधि में भरत का गुणगान है।
 
*इसके निर्माण में प्रथम [[राष्ट्रकूट वंश]] के [[कृष्ण तृतीय|महाराजाधिराज कृष्णराज (तृतीय)]] के महामात्य भरत की प्रेरणा थी, क्योंकि ग्रंथ की प्रत्येक संधि में भरत का गुणगान है।
  
  
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
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==संबंधित लेख==
 
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Latest revision as of 11:13, 3 June 2012

tisatthi maharurish gunalankar jain sahity ke mahakavi pushpadant ka upalabdh granth hai.

  • tisatthi maharurish gunalankar ko 'trishashti mahapurush gunalankar' bhi kaha jata hai.
  • isi granth ko mahapuran bhi kaha gaya hai.
  • isake do khand haian -
adi puran -

adi puran mean 80 sandhiyaan haian. adi puran mean pratham tirthankar rrishabhadev ka charitr hai.

uttar puran -

uttar puran mean 42 sandhiyaan haian. isamean taresath mahapurushoan ke charitr haian. uttar puran mean baqi 23 tirthankar tatha unake samakalin purushoan ke charitr haian.


panne ki pragati avastha
adhar
prarambhik
madhyamik
poornata
shodh

tika tippani aur sandarbh

sanbandhit lekh