विश्‍वनाथ मंदिर उत्तरकाशी: Difference between revisions

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*प्राचीन विश्‍वनाथ मंदिर भगवान [[शिव]] को समर्पित है।  
प्राचीन विश्‍वनाथ मंदिर भगवान [[शिव]] को समर्पित है। [[उत्तरकाशी]] को प्राचीन समय में विश्वनाथ की नगरी कहा जाता था।  
*[[उत्तरकाशी]] को प्राचीन समय में विश्वनाथ की नगरी कहा जाता था।  
*कालांतर में इसे उत्तरकाशी कहा जाने लगा।  
*कालांतर में इसे उत्तरकाशी कहा जाने लगा।  
*केदारखंड और [[पुराण|पुराणों]] में उत्तरकाशी के लिए 'बाडाहाट' शब्द का प्रयोग किया गया है।  
*केदारखंड और [[पुराण|पुराणों]] में उत्तरकाशी के लिए 'बाडाहाट' शब्द का प्रयोग किया गया है।  
*केदारखंड में ही बाडाहाट में विश्वनाथ मंदिर का उल्लेख मिलता है।  
*केदारखंड में ही बाडाहाट में विश्वनाथ मंदिर का उल्लेख मिलता है।  
*पुराणों में इसे 'सौम्य काशी' भी कहा गया है।  
*[[पुराण|पुराणों]] में इसे 'सौम्य काशी' भी कहा गया है।  
*पौराणिक कथाओं के अनुसार उत्तरकाशी में ही राजा [[भागीरथ]] ने तपस्या की थी और उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर [[ब्रह्मा]] जी ने उन्हें वरदान दिया था कि भगवान शिव धरती पर आ रही गंगा को धारण कर लेंगे। तब से यह नगरी विश्वनाथ की नगरी कही जाने लगी और कालांतर में इसे उत्तरकाशी कहा जाने लगा।  
*पौराणिक कथाओं के अनुसार उत्तरकाशी में ही राजा [[भागीरथ]] ने तपस्या की थी और उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर [[ब्रह्मा]] जी ने उन्हें वरदान दिया था कि भगवान शिव धरती पर आ रही गंगा को धारण कर लेंगे। तब से यह नगरी विश्वनाथ की नगरी कही जाने लगी और कालांतर में इसे उत्तरकाशी कहा जाने लगा।  
*यह मंदिर उत्तरकाशी के बस स्‍टैण्‍ड से 300 मीटर की दूरी पर स्थित है।  
*यह मंदिर उत्तरकाशी के बस स्‍टैण्‍ड से 300 मीटर की दूरी पर स्थित है।  
*कहा जाता है कि इस मंदिर की स्‍थापना [[परशुराम]] जी द्वारा की गई थी तथा महारानी कांति ने 1857 ई.में इस मंदिर की मरम्‍मत करवाई।  
*कहा जाता है कि इस मंदिर की स्‍थापना [[परशुराम]] जी द्वारा की गई थी तथा महारानी कांति ने 1857 ई.में इस मंदिर की मरम्‍मत करवाई।  
*महारानी कांति सुदर्शन शाह की पत्‍नी थीं।  
*महारानी कांति सुदर्शन शाह की पत्‍नी थीं।  
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*इस मंदिर में एक [[शिवलिंग]] स्‍थापित है।  
 
 
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Latest revision as of 13:29, 7 October 2013

प्राचीन विश्‍वनाथ मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। उत्तरकाशी को प्राचीन समय में विश्वनाथ की नगरी कहा जाता था।

  • कालांतर में इसे उत्तरकाशी कहा जाने लगा।
  • केदारखंड और पुराणों में उत्तरकाशी के लिए 'बाडाहाट' शब्द का प्रयोग किया गया है।
  • केदारखंड में ही बाडाहाट में विश्वनाथ मंदिर का उल्लेख मिलता है।
  • पुराणों में इसे 'सौम्य काशी' भी कहा गया है।
  • पौराणिक कथाओं के अनुसार उत्तरकाशी में ही राजा भागीरथ ने तपस्या की थी और उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी ने उन्हें वरदान दिया था कि भगवान शिव धरती पर आ रही गंगा को धारण कर लेंगे। तब से यह नगरी विश्वनाथ की नगरी कही जाने लगी और कालांतर में इसे उत्तरकाशी कहा जाने लगा।
  • यह मंदिर उत्तरकाशी के बस स्‍टैण्‍ड से 300 मीटर की दूरी पर स्थित है।
  • कहा जाता है कि इस मंदिर की स्‍थापना परशुराम जी द्वारा की गई थी तथा महारानी कांति ने 1857 ई.में इस मंदिर की मरम्‍मत करवाई।
  • महारानी कांति सुदर्शन शाह की पत्‍नी थीं।
  • इस मंदिर में एक शिवलिंग स्‍थापित है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख