कुर्ग: Difference between revisions
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
गोविन्द राम (talk | contribs) No edit summary |
व्यवस्थापन (talk | contribs) m (Text replacement - "पश्चात " to "पश्चात् ") |
||
(One intermediate revision by the same user not shown) | |||
Line 3: | Line 3: | ||
{{tocright}} | {{tocright}} | ||
==प्राकृतिक सुन्दरता== | ==प्राकृतिक सुन्दरता== | ||
कुर्ग के पहाड़, हरे-भरे वन, [[चाय]] और [[कॉफी]] के बाग़ बड़े ही आकर्षक हैं। [[कावेरी नदी]] का उद्गम स्थान कुर्ग अपनी प्राकृतिक | कुर्ग के पहाड़, हरे-भरे वन, [[चाय]] और [[कॉफी]] के बाग़ बड़े ही आकर्षक हैं। [[कावेरी नदी]] का उद्गम स्थान कुर्ग अपनी प्राकृतिक ख़ूबसूरती के अतिरिक्त हाइकिंग, क्रॉस कंट्री और ट्रेल्स के लिए भी मशहूर है। मदिकेरी, जो कि कुर्ग का मुख्यालय है, को दक्षिण का स्कॉटलैंड कहा जाता है। यहाँ की धुंधली पहाड़ियाँ, हरे वन, कॉफी के बाग़ और प्रकृति के ख़ूबसूरत दृश्य मदिकेरी को अविस्मरणीय पर्यटन स्थल बनाते हैं। मदिकेरी और उसके आस-पास बहुत से ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल भी हैं। यह [[मैसूर]] से 125 कि.मी. की दूरी पर पश्चिम में स्थित है और कॉफी के उद्यानों के लिए भी बहुत प्रसिद्ध है।<ref name="mcc">{{cite web |url=http://www.yehhaiindia.net/adventures.php |title=कुर्ग |accessmonthday= 17 अगस्त|accessyear= 2012|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=[[हिन्दी]] }}</ref> | ||
====इतिहास==== | ====इतिहास==== | ||
1600 ईसवी के | 1600 ईसवी के पश्चात् लिंगायत राजाओं ने कुर्ग पर शासन किया और मदिकेरी को अपनी राजधानी बनाया। मदिकेरी में उन्होंने [[मिट्टी]] का क़िला भी बनवाया था। 1785 में [[मैसूर]] के [[टीपू सुल्तान]] की सेना ने इस साम्राज्य पर अधिकार करके यहाँ अपना अधिकार जमा लिया। चार वर्ष बाद कुर्ग ने अंग्रेज़ों की सहायता से आज़ादी पाई, तब यहाँ के राजा वीर राजेन्द्र ने पुर्ननिर्माण का कार्य प्रारम्भ किया। 1834 ई. में अंग्रेज़ों ने इस स्थान पर अपना अधिकार कर लिया और यहाँ के अंतिम शासक पर मुकदमा चलाकर उसे कारागार में डलवा दिया। 'काडगू' कुर्ग का प्राचीन नाम था, जिसे अंग्रेज़ों ने कुर्ग कर दिया था। लेकिन अब फिर से इसका नाम बदलकर 'कोडगु' कर दिया गया है। यहाँ की भाषा कुर्गी है। स्थानीय लोग इसे 'कोडवक्तया कोडवा' कहते हैं। | ||
==मुख्य क्षेत्र== | ==मुख्य क्षेत्र== | ||
मदिकेरी के अलावा कुर्ग के अन्य मुख्य क्षेत्र भी हैं- | मदिकेरी के अलावा कुर्ग के अन्य मुख्य क्षेत्र भी हैं- |
Latest revision as of 07:44, 23 June 2017
thumb|कुर्ग कुर्ग या 'कोडगू' कर्नाटक का एक प्रांत और ज़िला है। यह मुख्य पर्वतीय स्थल है, जिसकी समुद्र तल से ऊँचाई लगभग 1525 मीटर है। कुर्ग का प्राचीन नाम 'कोडगू' था, जो कन्नड़ शब्द 'कुडू' (ढलवाँ पहाड़ी) का अपभ्रंश है। क्रोड देश भी कुर्ग का ही एक अन्य प्राचीन नाम है। कुर्ग नाम अंग्रेज़ों का दिया हुआ था, जिसे बदलकर फिर से कोडगू कर दिया गया है। मदिकेरी इसका मुख्यालय है। पश्चिमी घाट पर स्थित पहाड़ों और घाटियों का प्रदेश कुर्ग दक्षिण भारत का प्रमुख पर्यटन स्थल है।
प्राकृतिक सुन्दरता
कुर्ग के पहाड़, हरे-भरे वन, चाय और कॉफी के बाग़ बड़े ही आकर्षक हैं। कावेरी नदी का उद्गम स्थान कुर्ग अपनी प्राकृतिक ख़ूबसूरती के अतिरिक्त हाइकिंग, क्रॉस कंट्री और ट्रेल्स के लिए भी मशहूर है। मदिकेरी, जो कि कुर्ग का मुख्यालय है, को दक्षिण का स्कॉटलैंड कहा जाता है। यहाँ की धुंधली पहाड़ियाँ, हरे वन, कॉफी के बाग़ और प्रकृति के ख़ूबसूरत दृश्य मदिकेरी को अविस्मरणीय पर्यटन स्थल बनाते हैं। मदिकेरी और उसके आस-पास बहुत से ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल भी हैं। यह मैसूर से 125 कि.मी. की दूरी पर पश्चिम में स्थित है और कॉफी के उद्यानों के लिए भी बहुत प्रसिद्ध है।[1]
इतिहास
1600 ईसवी के पश्चात् लिंगायत राजाओं ने कुर्ग पर शासन किया और मदिकेरी को अपनी राजधानी बनाया। मदिकेरी में उन्होंने मिट्टी का क़िला भी बनवाया था। 1785 में मैसूर के टीपू सुल्तान की सेना ने इस साम्राज्य पर अधिकार करके यहाँ अपना अधिकार जमा लिया। चार वर्ष बाद कुर्ग ने अंग्रेज़ों की सहायता से आज़ादी पाई, तब यहाँ के राजा वीर राजेन्द्र ने पुर्ननिर्माण का कार्य प्रारम्भ किया। 1834 ई. में अंग्रेज़ों ने इस स्थान पर अपना अधिकार कर लिया और यहाँ के अंतिम शासक पर मुकदमा चलाकर उसे कारागार में डलवा दिया। 'काडगू' कुर्ग का प्राचीन नाम था, जिसे अंग्रेज़ों ने कुर्ग कर दिया था। लेकिन अब फिर से इसका नाम बदलकर 'कोडगु' कर दिया गया है। यहाँ की भाषा कुर्गी है। स्थानीय लोग इसे 'कोडवक्तया कोडवा' कहते हैं।
मुख्य क्षेत्र
मदिकेरी के अलावा कुर्ग के अन्य मुख्य क्षेत्र भी हैं-
- विराजपेट
- सोमवारपेट
- कुशलनगर
यहाँ के निवासियों में एक अलग तरह की खुशमिज़ाज़ी है, जो कुदरत के क़रीब रहने वाले हर इंसान में दिखाई देती हैं। दक्षिण भारत के दूसरे इलाकों से कुर्ग हर मायने में अलग है। कुर्गी लोग आमतौर पर गोरे, आकर्षक और अच्छी कद-काठी वाले होते हैं। इन लोगों की वेशभूषा भी प्राय: अलग-अलग होती है। कुर्गी पुरुष काले रंग का एक विशेष प्रकार का परिधान पहनते हैं, जिसे स्थानीय भाषा में 'कुप्या' कहा जाता है।[1]
|
|
|
|
|