अनादिर नदी: Difference between revisions
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'''अनादिर नदी''' [[रूस]] के सुदूर प्राच्य प्रदेश की एक नदी है। यह बंदरअंरीप से दक्षिण के नावारिन अंतरीप तक विस्तृत है। नदी लगभग 250 मील चौड़ी है और बेरिंग सागर का एक भाग है। | '''अनादिर नदी''' [[रूस]] के सुदूर प्राच्य प्रदेश की एक नदी है। यह बंदरअंरीप से दक्षिण के नावारिन अंतरीप तक विस्तृत है। नदी लगभग 250 मील चौड़ी है और बेरिंग सागर का एक भाग है। | ||
*यह नदी कोलाइमा, अनादिर तथा कमचटका पर्वतश्रेणियों के मध्य से लगभग 67° उत्तरी अक्षांश तथा 173° पूर्वी देशांतर से निकली है। यहाँ पर इसे 'इवाश्की' अथवा 'इवाशनों' नाम से पुकारते हैं। आगे चलकर यह चूकची प्रदेश में पहुँचती है तथा पहले दक्षिण पश्चिम की ओर और फिर पूर्व की ओर मुड़कर लगभग 500 मील आगे चलकर अनादिर की खाड़ी में गिरती है। चूकची प्रदेश [[टुण्ड्रा]] के अंचल में है, अत: यहाँ गर्मी में दलदल हो जाता है।<ref name="aa">{{cite web |url= http:// | *यह नदी कोलाइमा, अनादिर तथा कमचटका पर्वतश्रेणियों के मध्य से लगभग 67° उत्तरी अक्षांश तथा 173° पूर्वी देशांतर से निकली है। यहाँ पर इसे 'इवाश्की' अथवा 'इवाशनों' नाम से पुकारते हैं। आगे चलकर यह चूकची प्रदेश में पहुँचती है तथा पहले दक्षिण पश्चिम की ओर और फिर पूर्व की ओर मुड़कर लगभग 500 मील आगे चलकर अनादिर की खाड़ी में गिरती है। चूकची प्रदेश [[टुण्ड्रा]] के अंचल में है, अत: यहाँ गर्मी में दलदल हो जाता है।<ref name="aa">{{cite web |url= http://bharatkhoj.org/india/%E0%A4%85%E0%A4%A8%E0%A4%BE%E0%A4%A6%E0%A4%BF%E0%A4%B0|title= अनादिर नदी|accessmonthday=18 मार्च|accessyear= 2015|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= भारतखोज|language= हिन्दी}}</ref> | ||
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*चूकची जाति के लोग के रेनडियर नामक हिरन पालते हैं और गर्मी के दिनों में इन्हें साथ लेकर समुद्र उपकूल के पास चले जाते हैं। इन स्थानों में रेनडियर के चमड़े का व्यवसाय प्रमुख है। | *चूकची जाति के लोग के रेनडियर नामक हिरन पालते हैं और गर्मी के दिनों में इन्हें साथ लेकर समुद्र उपकूल के पास चले जाते हैं। इन स्थानों में रेनडियर के चमड़े का व्यवसाय प्रमुख है। |
Latest revision as of 12:30, 25 October 2017
अनादिर नदी रूस के सुदूर प्राच्य प्रदेश की एक नदी है। यह बंदरअंरीप से दक्षिण के नावारिन अंतरीप तक विस्तृत है। नदी लगभग 250 मील चौड़ी है और बेरिंग सागर का एक भाग है।
- यह नदी कोलाइमा, अनादिर तथा कमचटका पर्वतश्रेणियों के मध्य से लगभग 67° उत्तरी अक्षांश तथा 173° पूर्वी देशांतर से निकली है। यहाँ पर इसे 'इवाश्की' अथवा 'इवाशनों' नाम से पुकारते हैं। आगे चलकर यह चूकची प्रदेश में पहुँचती है तथा पहले दक्षिण पश्चिम की ओर और फिर पूर्व की ओर मुड़कर लगभग 500 मील आगे चलकर अनादिर की खाड़ी में गिरती है। चूकची प्रदेश टुण्ड्रा के अंचल में है, अत: यहाँ गर्मी में दलदल हो जाता है।[1]
- बेरिंग जलडमरूमध्य के पास एस्किमों जाति के लोग बसते हैं, परन्तु इनके अलावा चूकची जाति के लोग भी यहाँ पाए जाते हैं।
- चूकची जाति के लोग के रेनडियर नामक हिरन पालते हैं और गर्मी के दिनों में इन्हें साथ लेकर समुद्र उपकूल के पास चले जाते हैं। इन स्थानों में रेनडियर के चमड़े का व्यवसाय प्रमुख है।
- यह कहा जाता है कि कमचटका तथा अनादिर खाड़ी के संलग्न प्रदेशों में पाए जाने वाले हिरनों की संख्या सोवियत राज्य के कुल हिरनों की संख्या की आधी है।
- जाड़े के दिनों में अनादिर खाड़ी का पानी जम जाता है, जिसके कारण समुद्री मार्ग पूर्णतया बंद हो जाता है। गर्मी के दिनों में बर्फ के पिघलने से खाड़ियाँ खुल जाती हैं और जहाज़ आयात की भिन्न-भिन्न वस्तुओं को लेकर यहाँ आते हैं तथा हिरन के चमड़े यहाँ से ले जाते हैं।
- चूकची जाति में से कुछ लोग घर बनाकर भी बसते हैं तथा जाड़े के दिनों में शिकार करके और गर्मी के दिनों में मछली पकड़कर जीवन निर्वाह करते हैं। यहाँ पर सामन मछली प्रचुर मात्रा में पाई जाती है। इन लोगों में कुत्ते भारवाही पशु के रूप में काम आते हैं।[1]
- बेरिंग जलडमरूमध्य के पास सोना, चाँदी, जस्ता, सीसा तथा कृष्ण सीस (ग्रैफ़ाइट) की खानें हैं।
- अनादिर नदी की घाटी में तथा अनादिर बंदरगाह के दक्षिण में कोयला भी निकाला जाता है, जो उत्तरी सागर में आने-जाने वाले जहाज़ों के काम में आता है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.0 1.1 अनादिर नदी (हिन्दी) भारतखोज। अभिगमन तिथि: 18 मार्च, 2015।