विधु (ब्रह्मा): Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
No edit summary |
व्यवस्थापन (talk | contribs) m (Text replacement - "पश्चात " to "पश्चात् ") |
||
(One intermediate revision by the same user not shown) | |||
Line 3: | Line 3: | ||
{{बहुविकल्पी|विधु}} | {{बहुविकल्पी|विधु}} | ||
*त्रिदेव [[ब्रह्मा]] का ही नाम विधु है। | *त्रिदेव [[ब्रह्मा]] का ही नाम विधु है। | ||
*सर्वश्रेष्ठ पौराणिक त्रिदेवों में ब्रह्मा, [[विष्णु]] एवं [[शिव]] की गणना होती है। इनमें ब्रह्मा का नाम पहले आता है, क्योंकि वे विश्व के आद्य | *सर्वश्रेष्ठ पौराणिक त्रिदेवों में ब्रह्मा, [[विष्णु]] एवं [[शिव]] की गणना होती है। इनमें ब्रह्मा का नाम पहले आता है, क्योंकि वे विश्व के आद्य स्रष्टा, [[प्रजापति]], पितामह तथा हिरण्यगर्भ हैं।<br /> | ||
*[[पुराण|पुराणों]] में जो ब्रह्मा का रूप वर्णित मिलता है वह वैदिक प्रजापति के रूप का विकास है। प्रजापति की समस्त वैदिक गाथाएँ ब्रह्मा पर आरोपित कर ली गयी हैं। प्रजापति और उनकी दुहिता की कथा पुराणों में ब्रह्मा और [[सरस्वती देवी|सरस्वती]] के रूप में वर्णित हुई है। | *[[पुराण|पुराणों]] में जो ब्रह्मा का रूप वर्णित मिलता है वह वैदिक प्रजापति के रूप का विकास है। प्रजापति की समस्त वैदिक गाथाएँ ब्रह्मा पर आरोपित कर ली गयी हैं। प्रजापति और उनकी दुहिता की कथा पुराणों में ब्रह्मा और [[सरस्वती देवी|सरस्वती]] के रूप में वर्णित हुई है। | ||
*पुराणों के अनुसार क्षीरसागर में शेषशायी [[विष्णु]] के नाभिकमल से ब्रह्मा की स्वयं उत्पत्ति हुई, इसलिए ये '''स्वयंभू''' कहलाते हैं। | *पुराणों के अनुसार क्षीरसागर में शेषशायी [[विष्णु]] के नाभिकमल से ब्रह्मा की स्वयं उत्पत्ति हुई, इसलिए ये '''स्वयंभू''' कहलाते हैं। | ||
*घोर तपस्या के | *घोर तपस्या के पश्चात् इन्होंने ब्रह्माण्ड की सृष्टि की थी। वास्तव में सृष्टि ही ब्रह्मा का मुख्य कार्य है। | ||
==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
{{हिन्दू देवी देवता और अवतार}} | {{हिन्दू देवी देवता और अवतार}} |
Latest revision as of 07:35, 7 November 2017
- REDIRECTसाँचा:मुख्य
- विधु एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें: विधु
- त्रिदेव ब्रह्मा का ही नाम विधु है।
- सर्वश्रेष्ठ पौराणिक त्रिदेवों में ब्रह्मा, विष्णु एवं शिव की गणना होती है। इनमें ब्रह्मा का नाम पहले आता है, क्योंकि वे विश्व के आद्य स्रष्टा, प्रजापति, पितामह तथा हिरण्यगर्भ हैं।
- पुराणों में जो ब्रह्मा का रूप वर्णित मिलता है वह वैदिक प्रजापति के रूप का विकास है। प्रजापति की समस्त वैदिक गाथाएँ ब्रह्मा पर आरोपित कर ली गयी हैं। प्रजापति और उनकी दुहिता की कथा पुराणों में ब्रह्मा और सरस्वती के रूप में वर्णित हुई है।
- पुराणों के अनुसार क्षीरसागर में शेषशायी विष्णु के नाभिकमल से ब्रह्मा की स्वयं उत्पत्ति हुई, इसलिए ये स्वयंभू कहलाते हैं।
- घोर तपस्या के पश्चात् इन्होंने ब्रह्माण्ड की सृष्टि की थी। वास्तव में सृष्टि ही ब्रह्मा का मुख्य कार्य है।