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राजकोट नगर [[गुजरात]] राज्य, [[भारत]] में स्थित है। राष्ट्रपिता [[महात्मा गाँधी]] की क्रीड़ास्थली राजकोट, कभी [[सौराष्ट्र]] की राजधानी रहा था। महात्मा गाँधी के पिता करमचंद गाँधी सौराष्ट्र के दीवान थे। यहीं से गाँधी जी ने अपना बचपन संवारा तथा अपनी जिन्दगी के प्रारम्भिक दिन राजकोट की गलियों में ही व्यतीत किये। गाँधी जी ने यहीं से हिन्दुस्तानियों व अंग्रेज़ों के रहन-सहन के अंतर को क़रीब से देखा। मोहनदास करमचंद गाँधी ने उच्च स्कूल तत्कालीन अलफ्रंट हाई स्कूल में अपनी शिक्षा ग्रहण की थी।
राजकोट नगर [[गुजरात]] राज्य, [[भारत]] में स्थित है। राष्ट्रपिता [[महात्मा गाँधी]] की क्रीड़ास्थली राजकोट, कभी [[सौराष्ट्र]] की राजधानी रहा था। महात्मा गाँधी के पिता करमचंद गाँधी सौराष्ट्र के दीवान थे। यहीं से गाँधी जी ने अपना बचपन संवारा तथा अपनी ज़िन्दगी के प्रारम्भिक दिन राजकोट की गलियों में ही व्यतीत किये। गाँधी जी ने यहीं से हिन्दुस्तानियों व अंग्रेज़ों के रहन-सहन के अंतर को क़रीब से देखा। मोहनदास करमचंद गाँधी ने उच्च स्कूल तत्कालीन अलफ्रंट हाई स्कूल में अपनी शिक्षा ग्रहण की थी।


गाँधी जी की इस नगरी में पर्यटकों के लिए काबा गाँधीना देलो (गाँधी जी का निवास स्थान) जिसमें आज बाल मन्दिर स्कूल चल रहा है, राजकुमारी उद्यान, जबूली उद्यान, वारसन संग्रहालय, रामकृष्ण आश्रम, लालपरी झील, अजी डेम, रंजीत विलास पैलेस, सरकारी दुग्ध डेरी आदि दर्शनीय स्थल हैं। राजकोट में मनाया जाने वाला अंतर्राष्ट्रीय पतंग मेला बड़ी संख्या में लोगों को आकर्षित करता है।  
गाँधी जी की इस नगरी में पर्यटकों के लिए काबा गाँधीना देलो (गाँधी जी का निवास स्थान) जिसमें आज बाल मन्दिर स्कूल चल रहा है, राजकुमारी उद्यान, जबूली उद्यान, वारसन संग्रहालय, रामकृष्ण आश्रम, लालपरी झील, अजी डेम, रंजीत विलास पैलेस, सरकारी दुग्ध डेरी आदि दर्शनीय स्थल हैं। राजकोट में मनाया जाने वाला अंतर्राष्ट्रीय पतंग मेला बड़ी संख्या में लोगों को आकर्षित करता है।  
==इतिहास==
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प्राचीन सभ्यता और आज़ादी की लड़ाई से राजकोट का बहुत नजदीकी संबंध रहा है। राजकोट से भारत के राजनीतिक और सांस्कृतिक इतिहास की बहुत सी यादें जुड़ी हुईं हैं। सन 1612 ई. में राजकोट शहर की स्थापना जडेजा वंश के ठाकुर साहब विभाजी जडेजा ने की थी। महात्मा गाँधी ने अहिंसा एवं [[सत्याग्रह आन्दोलन|सत्याग्रह]] का प्रयोग सबसे पहले यहीं किया था।
प्राचीन सभ्यता और आज़ादी की लड़ाई से राजकोट का बहुत नजदीकी संबंध रहा है। राजकोट से भारत के राजनीतिक और सांस्कृतिक इतिहास की बहुत सी यादें जुड़ी हुईं हैं। सन् 1612 ई. में राजकोट शहर की स्थापना जडेजा वंश के ठाकुर साहब विभाजी जडेजा ने की थी। महात्मा गाँधी ने अहिंसा एवं [[सत्याग्रह आन्दोलन|सत्याग्रह]] का प्रयोग सबसे पहले यहीं किया था।
==यातायात और परिवहन==
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राजकोट का सोनी बाज़ार गुजरात में स्थित [[सोना|सोने]] का सबसे बड़ा बाज़ार है। गुजरात में स्थित राजकोट को इंजीनियरिंग एवं वाहन पुर्जों के उत्पादन के लिए जाना जाता है। राजकोट छोटे ट्रैक्टरों के उत्पादन के मामले में भी प्रमुख केंद्र के रूप में उभर रहा है। राजकोट में तक़रीबन 25-30 कंपनियाँ 25 हॉर्सपावर के ब्रांडेड और बिना ब्रांड वाले ट्रैक्टर बना रही हैं। महिंद्रा ऐंड महिंद्रा जैसी कुछ प्रमुख कंपनियाँ भी इस काम में शामिल हैं।
राजकोट का सोनी बाज़ार गुजरात में स्थित [[सोना|सोने]] का सबसे बड़ा बाज़ार है। गुजरात में स्थित राजकोट को इंजीनियरिंग एवं वाहन पुर्जों के उत्पादन के लिए जाना जाता है। राजकोट छोटे ट्रैक्टरों के उत्पादन के मामले में भी प्रमुख केंद्र के रूप में उभर रहा है। राजकोट में तक़रीबन 25-30 कंपनियाँ 25 हॉर्सपावर के ब्रांडेड और बिना ब्रांड वाले ट्रैक्टर बना रही हैं। महिंद्रा ऐंड महिंद्रा जैसी कुछ प्रमुख कंपनियाँ भी इस काम में शामिल हैं।


मिनी ट्रैक्टर्स मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया के अध्यक्ष और कैप्टन ट्रैक्टर्स प्राइवेट लिमिटेड के निर्देशक राजेश पटेल कहते हैं, 'छोटे ट्रैक्टरों के उत्पादन के मामले में प्रमुख केंद्र बनने की क्षमता राजकोट में है। यहाँ पिछले 12 साल से छोटे ट्रैक्टर बन रहे हैं। कम लागत और उत्पादन के लिए जरूरी चीजों की आसानी से उपलब्धता की वजह से इसमें मदद मिली है।' 'राजकोट छोटे ट्रैक्टरों की जन्मस्थली है।'<ref>{{cite web |url=http://hindi.business-standard.com/storypage.php?autono=31239 |title=राजकोट |accessmonthday=[[31 मार्च]] |accessyear=[[2011]] |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=बिज़नेस स्टैंडर्ड |language=[[हिन्दी]] }}</ref>  
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Latest revision as of 10:43, 2 January 2018

thumb|250px|स्वामीनारायण मन्दिर, राजकोट
Swaminarayan Temple, Rajkot
राजकोट नगर गुजरात राज्य, भारत में स्थित है। राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की क्रीड़ास्थली राजकोट, कभी सौराष्ट्र की राजधानी रहा था। महात्मा गाँधी के पिता करमचंद गाँधी सौराष्ट्र के दीवान थे। यहीं से गाँधी जी ने अपना बचपन संवारा तथा अपनी ज़िन्दगी के प्रारम्भिक दिन राजकोट की गलियों में ही व्यतीत किये। गाँधी जी ने यहीं से हिन्दुस्तानियों व अंग्रेज़ों के रहन-सहन के अंतर को क़रीब से देखा। मोहनदास करमचंद गाँधी ने उच्च स्कूल तत्कालीन अलफ्रंट हाई स्कूल में अपनी शिक्षा ग्रहण की थी।

गाँधी जी की इस नगरी में पर्यटकों के लिए काबा गाँधीना देलो (गाँधी जी का निवास स्थान) जिसमें आज बाल मन्दिर स्कूल चल रहा है, राजकुमारी उद्यान, जबूली उद्यान, वारसन संग्रहालय, रामकृष्ण आश्रम, लालपरी झील, अजी डेम, रंजीत विलास पैलेस, सरकारी दुग्ध डेरी आदि दर्शनीय स्थल हैं। राजकोट में मनाया जाने वाला अंतर्राष्ट्रीय पतंग मेला बड़ी संख्या में लोगों को आकर्षित करता है।

इतिहास

प्राचीन सभ्यता और आज़ादी की लड़ाई से राजकोट का बहुत नजदीकी संबंध रहा है। राजकोट से भारत के राजनीतिक और सांस्कृतिक इतिहास की बहुत सी यादें जुड़ी हुईं हैं। सन् 1612 ई. में राजकोट शहर की स्थापना जडेजा वंश के ठाकुर साहब विभाजी जडेजा ने की थी। महात्मा गाँधी ने अहिंसा एवं सत्याग्रह का प्रयोग सबसे पहले यहीं किया था।

यातायात और परिवहन

हवाई मार्ग

राजकोट हवाई अड्डा देश के अनेक प्रमुख हवाई अड्डों से नियमित उड़ानों द्वारा जुड़ा हुआ है।

रेल मार्ग

thumb|250px|गोंडल मंदिर, राजकोट
Gondal Temple, Rajkot
राजकोट राज्य और देश के अनेक शहरों से रेलमार्ग द्वारा जुड़ा है। राजकोट के लिए अनेक शहरों से नियमित रेलगाड़ियाँ निरंतर चलती रहती हैं।

सड़क मार्ग

राजकोट से और राजकोट के लिए नियमित राज्य परिवहन और निजी बसें चलती रहती हैं। राज्य और अन्य पड़ोसी राज्यों के अनेक शहरों से यह शहर सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है।

उद्योग और व्यापार

राजकोट का सोनी बाज़ार गुजरात में स्थित सोने का सबसे बड़ा बाज़ार है। गुजरात में स्थित राजकोट को इंजीनियरिंग एवं वाहन पुर्जों के उत्पादन के लिए जाना जाता है। राजकोट छोटे ट्रैक्टरों के उत्पादन के मामले में भी प्रमुख केंद्र के रूप में उभर रहा है। राजकोट में तक़रीबन 25-30 कंपनियाँ 25 हॉर्सपावर के ब्रांडेड और बिना ब्रांड वाले ट्रैक्टर बना रही हैं। महिंद्रा ऐंड महिंद्रा जैसी कुछ प्रमुख कंपनियाँ भी इस काम में शामिल हैं।

मिनी ट्रैक्टर्स मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया के अध्यक्ष और कैप्टन ट्रैक्टर्स प्राइवेट लिमिटेड के निर्देशक राजेश पटेल कहते हैं, 'छोटे ट्रैक्टरों के उत्पादन के मामले में प्रमुख केंद्र बनने की क्षमता राजकोट में है। यहाँ पिछले 12 साल से छोटे ट्रैक्टर बन रहे हैं। कम लागत और उत्पादन के लिए ज़रूरी चीज़ों की आसानी से उपलब्धता की वजह से इसमें मदद मिली है।' 'राजकोट छोटे ट्रैक्टरों की जन्मस्थली है।'[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. राजकोट (हिन्दी) बिज़नेस स्टैंडर्ड। अभिगमन तिथि: 31 मार्च, 2011

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