संवत्सर: Difference between revisions
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Latest revision as of 12:21, 28 February 2018
संवत्सर (अंग्रेज़ी: Samvatsara) वर्ष को कहा जाता है। जैसे प्रत्येक माह के नाम होते हैं, उसी तरह प्रत्येक वर्ष के भी अलग-अलग नाम होते हैं। जैसे बारह माह होते हैं, उसी तरह 60 संवत्सर होते हैं। संवत्सर अर्थात बारह महीने का कालविशेष।
प्रकार
संवत्सर उसे कहते हैं, जिसमें सभी महीने पूर्णतः निवास करते हों। भारतीय संवत्सर वैसे तो पांच प्रकार के होते हैं। इनमें से मुख्यतः तीन हैं-
- सावन
- चान्द्र
- सौर
सावन
यह संवत्सर 360 दिनों का होता है। संवत्सर का मोटा सा हिसाब इसी से लगाया जाता है। इसमें एक माह की अवधि पूरे तीस दिन की होती है।
चान्द्र
यह 354 दिनों का होता है। अधिकतर माह इसी संवत्सर द्वारा जाने जाते हैं। यदि मास वृद्धि हो तो इसमें तेरह मास अन्यथा सामान्यत: बारह मास होते हैं। इसमें अंग्रेज़ी हिसाब से महीनों का विवरण नहीं है बल्कि इसका एक माह शुक्ल पक्ष प्रतिपदा से अमावस्या तक या कृष्ण पक्ष प्रतिपदा से पूर्णिमा तक माना जाता है। इसमें प्रथम माह को अमांत और द्वितीय माह को पूर्णिमान्त कहते हैं। दक्षिण भारत में अमांत और पूर्णिमांत माह का ही प्रचलन है। धर्म-कर्म, तीज-त्योहार और लोक-व्यवहार में चान्द्र संवत्सर की ही मान्यता अधिक है।
सौर
यह 365 दिनों का माना गया है। यह सूर्य के मेष संक्रान्ति से आरंभ होकर मेष संक्रांति तक ही चलता है।
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