आरती साहा: Difference between revisions
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'''आरती साहा''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Arati Saha'', जन्म- [[24 सितम्बर]], [[1940]], [[कोलकाता]]; मृत्यु- [[23 अगस्त]], [[1994]]) [[भारत]] की प्रसिद्ध महिला तैराक थीं। वे भारत तथा [[एशिया]] की ऐसी पहली महिला तैराक थीं, जिसने इंग्लिश चैनल तैरकर पार किया था। आरती साहा ने यह करनामा वर्ष [[29 सितम्बर]], [[1959]] में कर दिखाया था और [[1960]] में उन्हें '[[पद्मश्री]]' से सम्मानित किया गया था। आरती साहा 'पद्मश्री' प्राप्त करने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी थीं। उनको "हिंदुस्तानी जलपरी" कहा जाता है। | '''आरती साहा''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Arati Saha'', जन्म- [[24 सितम्बर]], [[1940]], [[कोलकाता]]; मृत्यु- [[23 अगस्त]], [[1994]]) [[भारत]] की प्रसिद्ध महिला तैराक थीं। वे भारत तथा [[एशिया]] की ऐसी पहली महिला तैराक थीं, जिसने इंग्लिश चैनल तैरकर पार किया था। आरती साहा ने यह करनामा वर्ष [[29 सितम्बर]], [[1959]] में कर दिखाया था और [[1960]] में उन्हें '[[पद्मश्री]]' से सम्मानित किया गया था। आरती साहा 'पद्मश्री' प्राप्त करने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी थीं। उनको "हिंदुस्तानी जलपरी" कहा जाता है। | ||
==परिचय== | ==परिचय== | ||
आरती साहा का जन्म 24 सितम्बर, सन 1940 को [[कोलकाता]], [[पश्चिम बंगाल]] में हुआ था। उनका सम्बंध एक साधारण बंगाली हिन्दू परिवार से था। उनका पूरा नाम आरती साहा गुप्ता है। उनके पिता का नाम पंचुगोपाल साहा था। आरती अपने पिता की तीन संतानों में दूसरी और दो बहनों में बड़ी थीं। उनके पिता सशस्त्र बल में एक साधारण कर्मचारी थे। जब आरती ढाई साल की थीं, तभी उनकी माता का देहान्त हो गया। उनके बड़े भाई छोटी बहन भारती को मामा के यहाँ रखा गया, जबकि आरती अपनी दादी के पास रहीं। | {{main|आरती साहा का परिचय}} | ||
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आरती साहा की तैराकी प्रतिभा को सचिन नाग ने पहचाना और उसे तराशने का काम शुरू किया। साल [[1949]] में आरती ने अखिल भारतीय रिकॉर्ड सहित राज्य स्तरीय तैराकी प्रतियोगिताओं को जीता। उन्होंने साल [[1952]] में हेलसिंकी ओलंपिक में भी भाग लिया।<ref>{{cite web |url= http://azabgazab.com/2017/01/10-intresting-facts-about-swimmer-arti-saha-gupta-in-hindi/|title=तैराक आरती साहा से जुड़ी 10 रोचक बातें |accessmonthday=24 जून |accessyear= 2017|last= |first= |authorlink= |format= |publisher=azabgazab.com |language=हिन्दी }}</ref> | आरती साहा की तैराकी प्रतिभा को सचिन नाग ने पहचाना और उसे तराशने का काम शुरू किया। साल [[1949]] में आरती ने अखिल भारतीय रिकॉर्ड सहित राज्य स्तरीय तैराकी प्रतियोगिताओं को जीता। उन्होंने साल [[1952]] में हेलसिंकी ओलंपिक में भी भाग लिया।<ref>{{cite web |url= http://azabgazab.com/2017/01/10-intresting-facts-about-swimmer-arti-saha-gupta-in-hindi/|title=तैराक आरती साहा से जुड़ी 10 रोचक बातें |accessmonthday=24 जून |accessyear= 2017|last= |first= |authorlink= |format= |publisher=azabgazab.com |language=हिन्दी }}</ref> | ||
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आरती साहा
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पूरा नाम | आरती साहा गुप्ता |
जन्म | 24 सितम्बर, 1940 |
जन्म भूमि | कोलकाता |
मृत्यु | 23 अगस्त, 1994 |
मृत्यु स्थान | कोलकाता, पश्चिम बंगाल |
अभिभावक | पिता- पंचुगोपाल साहा |
कर्म भूमि | भारत |
खेल-क्षेत्र | तैराकी |
पुरस्कार-उपाधि | 'पद्मश्री' (1960) |
प्रसिद्धि | तैराक |
नागरिकता | भारतीय |
संबंधित लेख | मिहिर सेन |
अन्य जानकारी | आरती साहा ने ही डॉली नजीर का रिकॉर्ड भी तोड़ने का कारनामा किया था। उन्होंने 1951 में बंगाल स्टेट मीट में 100 मीटर ब्रेस्टस्ट्रोक में डॉली नजीर का रिकॉर्ड तोड़ते हुए 37.6 सेकंड का समय लिया था। |
आरती साहा (अंग्रेज़ी: Arati Saha, जन्म- 24 सितम्बर, 1940, कोलकाता; मृत्यु- 23 अगस्त, 1994) भारत की प्रसिद्ध महिला तैराक थीं। वे भारत तथा एशिया की ऐसी पहली महिला तैराक थीं, जिसने इंग्लिश चैनल तैरकर पार किया था। आरती साहा ने यह करनामा वर्ष 29 सितम्बर, 1959 में कर दिखाया था और 1960 में उन्हें 'पद्मश्री' से सम्मानित किया गया था। आरती साहा 'पद्मश्री' प्राप्त करने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी थीं। उनको "हिंदुस्तानी जलपरी" कहा जाता है।
परिचय
- REDIRECTसाँचा:मुख्य
आरती साहा का जन्म 24 सितम्बर, सन 1940 को कोलकाता, पश्चिम बंगाल में हुआ था। उनका सम्बंध एक साधारण बंगाली हिन्दू परिवार से था। उनका पूरा नाम आरती साहा गुप्ता है। उनके पिता का नाम पंचुगोपाल साहा था। आरती अपने पिता की तीन संतानों में दूसरी और दो बहनों में बड़ी थीं। उनके पिता सशस्त्र बल में एक साधारण कर्मचारी थे। जब आरती ढाई साल की थीं, तभी उनकी माता का देहान्त हो गया। उनके बड़े भाई छोटी बहन भारती को मामा के यहाँ रखा गया, जबकि आरती अपनी दादी के पास रहीं।
कॅरियर
- REDIRECTसाँचा:मुख्य
आरती साहा की तैराकी प्रतिभा को सचिन नाग ने पहचाना और उसे तराशने का काम शुरू किया। साल 1949 में आरती ने अखिल भारतीय रिकॉर्ड सहित राज्य स्तरीय तैराकी प्रतियोगिताओं को जीता। उन्होंने साल 1952 में हेलसिंकी ओलंपिक में भी भाग लिया।[1]
पुरस्कार व सम्मान
- 1960 में आरती साहा को 'पद्मश्री' से सम्मानित किया गया। 'पद्मश्री' प्राप्त करने वाली वे पहली भारतीय महिला खिलाडी थीं।
- भारतीय डाक ने भी उनके जीवन से महिलाओं को प्रेरित करने के लिए 1998 में एक डाक टिकट जारी किया था।
मृत्यु
आरती साहा का निधन 23 अगस्त, 1994 को पश्चिम बंगाल में हुआ। उनकी मौत की वजह पीलिया को माना जाता है, लेकिन मौत से पहले वे अपने जीवन को अपनी उपलब्धियों से अमर बना चुकी थीं।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ तैराक आरती साहा से जुड़ी 10 रोचक बातें (हिन्दी) azabgazab.com। अभिगमन तिथि: 24 जून, 2017।
बाहरी कड़ियाँ
- क्या आप जानते है देश की जलपरी आरती साहा को
- आरती साहा इंग्लिश चैनल को पार करने वाली प्रथम एशियाई
- 63 साल पहले इंग्लिश चैनल पार करने वाली पहली एशियाई बनीं थी आरती