सुशीला लिकमाबाम: Difference between revisions
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
No edit summary |
No edit summary |
||
(2 intermediate revisions by the same user not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
{{सूचना बक्सा खिलाड़ी | |||
'''सुशीला लिकमाबाम''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Shushila Likmabam'', जन्म- [[1 फ़रवरी]], [[1995]]) [[भारत]] की जूडो खिलाड़ी हैं। ग्रीष्मकालीन ओलम्पिक, 2020 (टोक्यो) में भारत की ओर से जूडो में प्रतिभाग करने वाली | |चित्र=Shushila-Likmabam.jpg | ||
|चित्र का नाम=सुशीला देवी | |||
|पूरा नाम=सुशीला देवी लिकमाबाम | |||
|अन्य नाम= | |||
|जन्म=[[1 फ़रवरी]], [[1995]] | |||
|जन्म भूमि=[[मणिपुर]], [[भारत]] | |||
|मृत्यु= | |||
|मृत्यु स्थान= | |||
|अभिभावक= | |||
|पति/पत्नी= | |||
|संतान= | |||
|कर्म भूमि=[[भारत]] | |||
|खेल-क्षेत्र=जूडो | |||
|शिक्षा= | |||
|विद्यालय= | |||
|पुरस्कार-उपाधि= | |||
|प्रसिद्धि=भारतीय महिला जूडोका | |||
|विशेष योगदान= | |||
|नागरिकता=भारतीय | |||
|संबंधित लेख= | |||
|शीर्षक 1=कॉमनवेल्थ गेम्स | |||
|पाठ 1=बर्मिघम, [[2022]] - 48 कि.ग्रा. भार वर्ग - रजत पदक<br/> | |||
ग्लास्गो, [[2014]] - 48 कि.ग्रा. भार वर्ग - रजत पदक | |||
|शीर्षक 2= | |||
|पाठ 2= | |||
|अन्य जानकारी=सुशीला देवी ने कॉमनवेल्थ गेम्स, 2022 में महिलाओं के 48 कि.ग्रा. वर्ग के सेमीफाइनल में मॉरिशस की प्रिसकिला मोरांड को मात दी। उन्होंने मोरांड को 'इप्पों' के सहारे शिकस्त दी थी। | |||
|बाहरी कड़ियाँ= | |||
|अद्यतन={{अद्यतन|13:12, 4 अगस्त 2022 (IST)}} | |||
}}'''सुशीला देवी लिकमाबाम''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Shushila Devi Likmabam'', जन्म- [[1 फ़रवरी]], [[1995]]) [[भारत]] की महिला जूडो खिलाड़ी हैं। उन्होंने बर्मिघम, [[इंग्लैंड]] में आयोजित राष्ट्रमंडल खेलों (कॉमनवेल्थ गेम्स, 2022) में जूडो में भारत के लिये रजत पदक जीता है। सुशीला देवी ने जूडो स्पर्धा में महिलाओं के 48 कि.ग्रा. भार वर्ग में रजत पदक जीता। भारत की जुडोका सुशीला देवी को फाइनल में दक्षिण अफ्रीका की मिकेला व्हाइटबूई से शिकस्त का सामना करना पड़ा। इससे पहले सुशीला देवी ग्रीष्मकालीन ओलम्पिक, 2020 (टोक्यो) में भारत की ओर से जूडो में प्रतिभाग करने वाली एकमात्र भारतीय महिला जूडो खिलाड़ी रही थीं। | |||
==परिचय== | |||
भारतीय स्टार जूडोका लिकमाबम सुशीला देवी इंफाल के हेइंगांग मायई लीकाई की रहने वाली हैं। सन [[1995]] में जन्मी सुशीला अपने [[माता]]-[[पिता]] के चार बच्चों में दूसरी सबसे बड़ी संतान हैं। शुरुआत से ही सुशीला देवी में एक चैंपियन खिलाड़ी के लक्षण दिखने लगे थे, जहां उन्होंने शानदार प्रदर्शन के साथ कॅरियर की शुरुआत की। राष्ट्रमंडल खेलों के लिए उनके चाचा, लिकमबम दीनीत जो एक अंतरराष्ट्रीय जूडोका रहे हैं, [[दिसंबर]] [[2002]] में सुशीला को खुमान लैम्पक ले गए। जहां उन्होंने अपनी ट्रेनिंग शुरू कर दी। [[2014]] के राष्ट्रमंडल में रजत पदक जीतने के बाद सुशीला देवी एक जाना माना नाम बन गईं। वह [[भारत]] की पहली भारतीय जुडोका बनीं, जिन्होंने टोक्यो ओलंपिक में जगह बनाई।<ref>{{cite web |url= https://www.dnaindia.com/hindi/sports/commonwealth-games/news-who-judoka-sushila-devi-who-won-silver-medal-birmingham-commonwealth-games-2022-4042724|title=जानें कौन है सुशीला देवी, जिन्होंने भारत को दिलाया Commonwealth Games का 7वां पदक|accessmonthday=04 जुलाई|accessyear=2022 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=dnaindia.com |language=हिंदी}}</ref> | |||
==प्रशिक्षण== | |||
सुशीला देवी के बड़े भाई जूडो की ट्रेनिंग करते थे। इसके अलावा उनके चाचा भी जूडो खेलते थे। उन्हें ही देखकर सुशीला ने भी जूडो की ट्रेनिंग शुरू की थी। इसके बाद [[2007]] से [[2010]] तक उन्होंने [[मणिपुर]] स्थित स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया में ट्रेनिंग की। [[2010]] से वह [[पटियाला]] में ट्रेनिंग कर रही थीं।<ref>{{cite web |url= https://www.amarujala.com/sports/commonwealth-games-2022-who-is-shushila-devi-likmabam-won-medal-in-judo-in-birmingham-cwg?pageId=4|title=कौन हैं सुशीला देवी, जिन्होंने जूडो में भारत के लिए रजत पदक जीता|accessmonthday=04 जुलाई|accessyear=2022 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=dnaindia.com |language=हिंदी}}</ref> | |||
====दूर हुई परेशानी==== | |||
सुशीला देवी के [[पिता]] प्राइवेट कंपनी में नौकरी करते हैं। कई बार किसी प्रतियोगिता में हिस्सा लेने के लिए और शहर से बाहर जाने के लिए सुशीला के पास पैसे नहीं होते थे। इतना ही नहीं उन्हें प्रॉपर डाइट भी नहीं मिल पाती थी। हालांकि, साई (SAI) के हॉस्टल में आने के बाद डाइट से जुड़ी परेशानियां दूर हो गईं। इसके साथ ही उन्हें कई स्पॉन्सर से भी समर्थन मिला। [[भारत सरकार]] की ओर से भी सुशीला को स्कॉलरशिप मिलने लगी। इस तरह तैयारियों को लेकर सुशीला की हर तरह की परेशानी दूर हो गई। | |||
==कॉमनवेल्थ गेम्स, 2022 में रजत== | |||
सुशीला देवी और [[विजय कुमार यादव]] ने कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में [[भारत]] को जूडो में मेडल दिलाया। सुशीला देवी ने जुडो स्पर्धा में महिलाओं के 48 कि.ग्रा. वर्ग में सिल्वर मेडल जीता। उनको फाइनल में दक्षिण अफ्रीका की मिकेला व्हाइटबूई से शिकस्त मिली। सुशीला देवी और मिकेला व्हाइटबूई के बीच फाइनल मुकाबला बेहद रोमांचक हुआ। दोनों जुडोकाओं ने एक-दूसरे को हावी हेने का कोई मौका नहीं दिया। आखिरी सीटी बजने तक दोनों के बीच जोरदार भिड़ंत हुई और नियमित समय तक दोनों जुडोकाओं को अंक नहीं मिले। इसके बाद गोल्डन स्कोर पीरियड में मुकाबला गया, जहां [[दक्षिण अफ्रीका]] की मिकेला व्हाइटबूई ने गोल्ड मेडल जीता। उन्होंने सुशीला देवी के कंधे मैट पर टच कराए, जिससे अंक जीतने में सफल रहीं। | |||
सुशीला ने महिलाओं के 48 कि.ग्रा. वर्ग के सेमीफाइनल में मॉरिशस की प्रिसकिला मोरांड को मात दी थी। [[मणिपुर]] की 27 साल की जुडोका ने मोरांड को 'इप्पों' के सहारे शिकस्त दी थी। इप्पों ऐसा दांव है, जहां प्रतियोगी अपने विरोधी को मैट पर दम और गति के साथ गिराता है ताकि विरोधी अपनी पीठ के बल पर गिरे। इप्पों तब भी दिया जाता है जब प्रतियोगी अपने विराधी को पकड़कर नीचे 20 सेकेंड तक गिराए रखे या फिर विरोधी हार मान ले। मणिपुर पुलिस के साथ सब-इंस्पेक्टर सुशीला देवी ने दिन की शुरूआत में मालावी की हैरियत बोनफेस को मात देकर क्वार्टर फाइनल में जगह पक्की की थी। | |||
==ग्लास्गो में रजत== | |||
सुशीला देवी ने ग्लास्गो राष्ट्रमंडल खेल, [[2014]] में भी रजत पदक जीता था। उन्होंने इससे पहले सेमीफाइनल में मॉरीशस की प्रिसिला मोरांड को इप्पोन को शिकस्त देकर अपना पदक पक्का किया था। उन्होंने क्वार्टर फाइनल में मालावी की हैरियट बोनफेस को हराया था। ये भारतीय टीम का सांतवां पदक था। इससे पहले भारत ने सभी छह पदक वेटलिफ्टिंग में जीते। | |||
==उपलब्धियाँ== | |||
*[[2022]] राष्ट्रमंडल खेलों में रजत पदक जीता। | |||
*[[2021]] टोक्यो ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व किया। | |||
*[[2014]] राष्ट्रमंडल खेलों में रजत पदक जीता। | |||
*हांगकांग एशिया ओपन [[2018]] और [[2019]] में रजत पदक जीता। | |||
*ताशकंद ग्रां प्री [[2019]] में 5वां स्थान हासिल किया। | |||
*ज़ाग्रेब ग्रांड प्रिक्स [[2001]] में 5वां स्थान हासिल किया। | |||
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | {{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | ||
Line 16: | Line 56: | ||
[[Category:भारतीय खिलाड़ी]][[Category:महिला खिलाड़ी]][[Category:जूडो]][[Category:जूडो खिलाड़ी]][[Category:ग्रीष्मकालीन ओलम्पिक 2020]][[Category:जीवनी साहित्य]][[Category:प्रसिद्ध व्यक्तित्व]][[Category:चरित कोश]][[Category:प्रसिद्ध व्यक्तित्व कोश]][[Category:खेलकूद कोश]] | [[Category:भारतीय खिलाड़ी]][[Category:महिला खिलाड़ी]][[Category:जूडो]][[Category:जूडो खिलाड़ी]][[Category:ग्रीष्मकालीन ओलम्पिक 2020]][[Category:जीवनी साहित्य]][[Category:प्रसिद्ध व्यक्तित्व]][[Category:चरित कोश]][[Category:प्रसिद्ध व्यक्तित्व कोश]][[Category:खेलकूद कोश]] | ||
__INDEX__ | __INDEX__ | ||
__NOTOC__ |
Latest revision as of 08:53, 4 August 2022
सुशीला लिकमाबाम
| |
पूरा नाम | सुशीला देवी लिकमाबाम |
जन्म | 1 फ़रवरी, 1995 |
जन्म भूमि | मणिपुर, भारत |
कर्म भूमि | भारत |
खेल-क्षेत्र | जूडो |
प्रसिद्धि | भारतीय महिला जूडोका |
नागरिकता | भारतीय |
कॉमनवेल्थ गेम्स | बर्मिघम, 2022 - 48 कि.ग्रा. भार वर्ग - रजत पदक ग्लास्गो, 2014 - 48 कि.ग्रा. भार वर्ग - रजत पदक |
अन्य जानकारी | सुशीला देवी ने कॉमनवेल्थ गेम्स, 2022 में महिलाओं के 48 कि.ग्रा. वर्ग के सेमीफाइनल में मॉरिशस की प्रिसकिला मोरांड को मात दी। उन्होंने मोरांड को 'इप्पों' के सहारे शिकस्त दी थी। |
अद्यतन | 13:12, 4 अगस्त 2022 (IST)
|
सुशीला देवी लिकमाबाम (अंग्रेज़ी: Shushila Devi Likmabam, जन्म- 1 फ़रवरी, 1995) भारत की महिला जूडो खिलाड़ी हैं। उन्होंने बर्मिघम, इंग्लैंड में आयोजित राष्ट्रमंडल खेलों (कॉमनवेल्थ गेम्स, 2022) में जूडो में भारत के लिये रजत पदक जीता है। सुशीला देवी ने जूडो स्पर्धा में महिलाओं के 48 कि.ग्रा. भार वर्ग में रजत पदक जीता। भारत की जुडोका सुशीला देवी को फाइनल में दक्षिण अफ्रीका की मिकेला व्हाइटबूई से शिकस्त का सामना करना पड़ा। इससे पहले सुशीला देवी ग्रीष्मकालीन ओलम्पिक, 2020 (टोक्यो) में भारत की ओर से जूडो में प्रतिभाग करने वाली एकमात्र भारतीय महिला जूडो खिलाड़ी रही थीं।
परिचय
भारतीय स्टार जूडोका लिकमाबम सुशीला देवी इंफाल के हेइंगांग मायई लीकाई की रहने वाली हैं। सन 1995 में जन्मी सुशीला अपने माता-पिता के चार बच्चों में दूसरी सबसे बड़ी संतान हैं। शुरुआत से ही सुशीला देवी में एक चैंपियन खिलाड़ी के लक्षण दिखने लगे थे, जहां उन्होंने शानदार प्रदर्शन के साथ कॅरियर की शुरुआत की। राष्ट्रमंडल खेलों के लिए उनके चाचा, लिकमबम दीनीत जो एक अंतरराष्ट्रीय जूडोका रहे हैं, दिसंबर 2002 में सुशीला को खुमान लैम्पक ले गए। जहां उन्होंने अपनी ट्रेनिंग शुरू कर दी। 2014 के राष्ट्रमंडल में रजत पदक जीतने के बाद सुशीला देवी एक जाना माना नाम बन गईं। वह भारत की पहली भारतीय जुडोका बनीं, जिन्होंने टोक्यो ओलंपिक में जगह बनाई।[1]
प्रशिक्षण
सुशीला देवी के बड़े भाई जूडो की ट्रेनिंग करते थे। इसके अलावा उनके चाचा भी जूडो खेलते थे। उन्हें ही देखकर सुशीला ने भी जूडो की ट्रेनिंग शुरू की थी। इसके बाद 2007 से 2010 तक उन्होंने मणिपुर स्थित स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया में ट्रेनिंग की। 2010 से वह पटियाला में ट्रेनिंग कर रही थीं।[2]
दूर हुई परेशानी
सुशीला देवी के पिता प्राइवेट कंपनी में नौकरी करते हैं। कई बार किसी प्रतियोगिता में हिस्सा लेने के लिए और शहर से बाहर जाने के लिए सुशीला के पास पैसे नहीं होते थे। इतना ही नहीं उन्हें प्रॉपर डाइट भी नहीं मिल पाती थी। हालांकि, साई (SAI) के हॉस्टल में आने के बाद डाइट से जुड़ी परेशानियां दूर हो गईं। इसके साथ ही उन्हें कई स्पॉन्सर से भी समर्थन मिला। भारत सरकार की ओर से भी सुशीला को स्कॉलरशिप मिलने लगी। इस तरह तैयारियों को लेकर सुशीला की हर तरह की परेशानी दूर हो गई।
कॉमनवेल्थ गेम्स, 2022 में रजत
सुशीला देवी और विजय कुमार यादव ने कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में भारत को जूडो में मेडल दिलाया। सुशीला देवी ने जुडो स्पर्धा में महिलाओं के 48 कि.ग्रा. वर्ग में सिल्वर मेडल जीता। उनको फाइनल में दक्षिण अफ्रीका की मिकेला व्हाइटबूई से शिकस्त मिली। सुशीला देवी और मिकेला व्हाइटबूई के बीच फाइनल मुकाबला बेहद रोमांचक हुआ। दोनों जुडोकाओं ने एक-दूसरे को हावी हेने का कोई मौका नहीं दिया। आखिरी सीटी बजने तक दोनों के बीच जोरदार भिड़ंत हुई और नियमित समय तक दोनों जुडोकाओं को अंक नहीं मिले। इसके बाद गोल्डन स्कोर पीरियड में मुकाबला गया, जहां दक्षिण अफ्रीका की मिकेला व्हाइटबूई ने गोल्ड मेडल जीता। उन्होंने सुशीला देवी के कंधे मैट पर टच कराए, जिससे अंक जीतने में सफल रहीं।
सुशीला ने महिलाओं के 48 कि.ग्रा. वर्ग के सेमीफाइनल में मॉरिशस की प्रिसकिला मोरांड को मात दी थी। मणिपुर की 27 साल की जुडोका ने मोरांड को 'इप्पों' के सहारे शिकस्त दी थी। इप्पों ऐसा दांव है, जहां प्रतियोगी अपने विरोधी को मैट पर दम और गति के साथ गिराता है ताकि विरोधी अपनी पीठ के बल पर गिरे। इप्पों तब भी दिया जाता है जब प्रतियोगी अपने विराधी को पकड़कर नीचे 20 सेकेंड तक गिराए रखे या फिर विरोधी हार मान ले। मणिपुर पुलिस के साथ सब-इंस्पेक्टर सुशीला देवी ने दिन की शुरूआत में मालावी की हैरियत बोनफेस को मात देकर क्वार्टर फाइनल में जगह पक्की की थी।
ग्लास्गो में रजत
सुशीला देवी ने ग्लास्गो राष्ट्रमंडल खेल, 2014 में भी रजत पदक जीता था। उन्होंने इससे पहले सेमीफाइनल में मॉरीशस की प्रिसिला मोरांड को इप्पोन को शिकस्त देकर अपना पदक पक्का किया था। उन्होंने क्वार्टर फाइनल में मालावी की हैरियट बोनफेस को हराया था। ये भारतीय टीम का सांतवां पदक था। इससे पहले भारत ने सभी छह पदक वेटलिफ्टिंग में जीते।
उपलब्धियाँ
- 2022 राष्ट्रमंडल खेलों में रजत पदक जीता।
- 2021 टोक्यो ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व किया।
- 2014 राष्ट्रमंडल खेलों में रजत पदक जीता।
- हांगकांग एशिया ओपन 2018 और 2019 में रजत पदक जीता।
- ताशकंद ग्रां प्री 2019 में 5वां स्थान हासिल किया।
- ज़ाग्रेब ग्रांड प्रिक्स 2001 में 5वां स्थान हासिल किया।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ जानें कौन है सुशीला देवी, जिन्होंने भारत को दिलाया Commonwealth Games का 7वां पदक (हिंदी) dnaindia.com। अभिगमन तिथि: 04 जुलाई, 2022।
- ↑ कौन हैं सुशीला देवी, जिन्होंने जूडो में भारत के लिए रजत पदक जीता (हिंदी) dnaindia.com। अभिगमन तिथि: 04 जुलाई, 2022।
संबंधित लेख