पी. वी. सिंधु: Difference between revisions

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|पुरस्कार-उपाधि='[[पद्मश्री]]', '[[अर्जुन पुरस्कार]]', रजत पदक (रियो ओलम्पिक 2016), रजत पदक (विश्व बैडमिंटन चैम्पिनयनशिप 2017)
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|नागरिकता=भारतीय
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|संबंधित लेख=[[साइना नेहवाल]], [[पुलेला गोपीचंद]], [[बैडमिंटन]]
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|शीर्षक 1=ऊँचाई
|शीर्षक 1=ओलम्पिक खेल
|पाठ 1=5 फ़ुट 10 इंच
|पाठ 1=रजत - [[2016]], रियो डी जेनेरियो - महिला एकल<br/>
|शीर्षक 2=हाथ प्रयोग
कांस्य - [[2020]], [[टोक्यो]] - महिला एकल
|पाठ 2=दायाँ
|शीर्षक 2=विश्व चैम्पियनशिप
|पाठ 2=स्वर्ण - [[2019]], बासेल - महिला एकल<br/>
रजत - [[2017]], ग्लास्गो - महिला एकल<br/>
रजत - [[2018]], नानजिंग - महिला एकल<br/>
कांस्य - [[2013]], गुहांज़ो - महिला एकल<br/>
कांस्य - [[2014]], कोपेनहेगन - महिला एकल
|शीर्षक 3=उबेर कप
|पाठ 3=कांस्य - [[2014]], [[नई दिल्ली]] - महिला टीम<br/>
कांस्य - [[2016]], कुंशन - महिला टीम
|शीर्षक 4=एशियन गेम्स
|पाठ 4=रजत - [[2018]], जकार्ता - महिला एकल<br/>
कांस्य - [[2014]], इनचिओन - महिला टीम
|शीर्षक 5=एशियन चैम्पियनशिप
|पाठ 5=कांस्य - [[2014]], गिमचिओन - महिला एकल<br/>
कांस्य - [[2022]], मनीला - महिला एकल
|शीर्षक 6=राष्ट्रमंडल खेल
|पाठ 6=स्वर्ण - [[2022]], बर्मिघम - महिला एकल<br/>
रजत - [[2022]], बर्मिघम  - मिश्रित<br/>
रजत - [[2018]], गोल्ड कोस्ट - महिला एकल<br/>
स्वर्ण - [[2018]], गोल्ड कोस्ट - मिश्रित<br/>
कांस्य - [[2014]], ग्लास्गो - महिला एकल
|शीर्षक 7=साउथ एथियन खेल
|पाठ 7=स्वर्ण - [[2016]], गुवाहाटी/शिलांग - महिला टीम<br/>
रजत - [[2016]], गुवाहाटी/शिलांग - महिला एकल
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|अन्य जानकारी=पी. वी. सिंधु [[ओलम्पिक खेल|ओलम्पिक खेलों]] में रजत पदक जीतने वाली [[भारत]] की पहली महिला खिलाड़ी हैं।  
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}}'''पुसरला वेंकट सिंधु''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''P. V. Sindhu'', जन्म- [[5 जुलाई]], [[1995]], [[हैदराबाद]], [[आंध्र प्रदेश]]) [[भारत]] की प्रसिद्ध [[बैडमिंटन]] खिलाड़ी हैं। उन्होंने बर्मिंघम, [[इंग्लैंड]] में आयोजित कॉमनवेल्थ गेम्स, 2022 में देश के लिये स्वर्ण पदक जीता है। इससे पहले वह वर्ष [[2016]] में [[ब्राजील]] में खेले गए रियो ओलम्पिक खेलों में एकल [[बैडमिंटन]] प्रतियोगिता में रजत पदक जीत चुकी हैं। टोक्यो ओलम्पिक, 2020 में पी. वी. सिंधु ने काँस्य पदक जीता था। वह [[ओलम्पिक खेल|ओलम्पिक खेलों]] में रजत तथा काँस्य पदक जीतने वाली भारत की पहली महिला खिलाड़ी हैं। वर्ष [[2012]] में उन्होंने 'बैडमिंटन वर्ल्ड फेडरेशन' की टॉप 20 में जगह बनाई थी। [[10 अगस्त]], [[2013]] में पी. वी. सिंधु ऐसी पहली भारतीय महिला बनीं, जिसने वर्ल्ड चैंपियनशिप में पदक जीता था। वह [[हैदराबाद]] में 'गोपीचंद बैडमिंटन एकेडमी' में ट्रेनिंग लेती हैं और उन्हें 'ओलंपिक स्वर्ण क्वेस्ट' नाम की एक नॉन-प्रोफिट संस्था सपोर्ट करती है।  [[चित्र:PV-Sindhu-Pulela-Gopichand.jpg|thumb|left|सिंधु की बड़ी बहन, [[पुलेला गोपीचंद]], सिंधु की माँ और बच्ची सिंधु]]
'''पुसरला वेंकट सिंधु''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''P. V. Sindhu'', जन्म- [[5 जुलाई]], [[1995]], [[हैदराबाद]], [[आंध्र प्रदेश]]) [[भारत]] की प्रसिद्ध [[बैडमिंटन]] खिलाड़ी हैं। सिंधु ने वर्ष [[2016]] में [[ब्राजील]] में खेले गए रियो ओलम्पिक खेलों में एकल [[बैडमिंटन]] प्रतियोगिता में रजत पदक जीता। साथ ही सिंधु [[ओलम्पिक खेल|ओलम्पिक खेलों]] में रजत पदक जीतने वाली [[भारत]] की पहली महिला खिलाड़ी हैं। पी. वी. सिंधु वर्तमान में भारत की राष्ट्रीय चैम्पियन हैं। वर्ष [[2012]] में उन्होंने 'बैडमिंटन वर्ल्ड फेडरेशन' की टॉप 20 में जगह बनाई थी। [[10 अगस्त]], [[2013]] में पी. वी. सिंधु ऐसी पहली भारतीय महिला बनीं, जिसने वर्ल्ड चैंपियनशिप में मेडल जीता था। पी. वी. सिंधु [[हैदराबाद]] में 'गोपीचंद बैडमिंटन एकेडमी' में ट्रेनिंग लेती हैं और उन्हें 'ओलंपिक गोल्ड क्वेस्ट' नाम की एक नॉन-प्रोफिट संस्था सपोर्ट करती है।  [[चित्र:PV-Sindhu-Pulela-Gopichand.jpg|thumb|left|सिंधु की बड़ी बहन, [[पुलेला गोपीचंद]], सिंधु की माँ और बच्ची सिंधु]]
==परिचय==
==परिचय==
पी. वी. सिंधु का जन्म 5 जुलाई, 1995 को [[हैदराबाद]], [[आंध्र प्रदेश]] में हुआ । इनके पिता का नाम पी. वी. रमण और माता का नाम पी. विजया है। सिंधु के [[माता]]-[[पिता]] दोनों ही पेशेवर वॉलीबॉल खिलाड़ी रह चुके हैं। इनके पिता पी. वी. रमण को बॉलीबॉल के क्षेत्र में उनके उल्लेखनीय कार्य के लिए [[2002]] में [[भारत सरकार]] के प्रतिष्ठित '[[अर्जुन पुरस्कार]]' से सम्मानित किया जा चुका है।  
पी. वी. सिंधु का जन्म 5 जुलाई, 1995 को [[हैदराबाद]], [[आंध्र प्रदेश]] में हुआ । इनके [[पिता]] का नाम पी. वी. रमण और [[माता]] का नाम पी. विजया है। सिंधु के [[माता]]-[[पिता]] दोनों ही पेशेवर वॉलीबॉल खिलाड़ी रह चुके हैं। इनके पिता पी. वी. रमण को बॉलीबॉल के क्षेत्र में उनके उल्लेखनीय कार्य के लिए [[2002]] में [[भारत सरकार]] के प्रतिष्ठित '[[अर्जुन पुरस्कार]]' से सम्मानित किया जा चुका है।  
==बैडमिंटन का चुनाव==
==बैडमिंटन का चुनाव==
माता-पिता दोनों ही पेशेवर वॉलीबॉल खिलाड़ी थे, किन्तु पी. वी. सिंधु ने [[2001]] के 'ऑल इंग्लैंड ओपन बैडमिंटन चैंपियन' बने [[पुलेला गोपीचंद]] से प्रभावित होकर बैडमिंटन को अपना कॅरियर चुना और महज आठ साल की उम्र से बैडमिंटन खेलना शुरू कर दिया। सिंधु ने सबसे पहले सिकंदराबाद में 'इंडियन रेलवे सिग्नल इंजीनियरिंग' और दूर संचार के बैडमिंटन कोर्ट में महबूब अली के मार्गदर्शन में बैडमिंटन की बुनियादी बातों को सीखा। इसके बाद वे पुलेला गोपीचंद के 'गोपीचंद बैडमिंटन अकादमी' में शामिल हो गईं। आगे चलकर मेहदीपट्टनम से इंटर्मेडिएट की परीक्षा उत्तीर्ण की।
माता-पिता दोनों ही पेशेवर वॉलीबॉल खिलाड़ी थे, किन्तु पी. वी. सिंधु ने [[2001]] के 'ऑल इंग्लैंड ओपन बैडमिंटन चैंपियन' बने [[पुलेला गोपीचंद]] से प्रभावित होकर बैडमिंटन को अपना कॅरियर चुना और महज आठ साल की उम्र से बैडमिंटन खेलना शुरू कर दिया। सिंधु ने सबसे पहले सिकंदराबाद में 'इंडियन रेलवे सिग्नल इंजीनियरिंग' और दूर संचार के बैडमिंटन कोर्ट में महबूब अली के मार्गदर्शन में बैडमिंटन की बुनियादी बातों को सीखा। इसके बाद वे पुलेला गोपीचंद के 'गोपीचंद बैडमिंटन अकादमी' में शामिल हो गईं। आगे चलकर मेहदीपट्टनम से इंटर्मेडिएट की परीक्षा उत्तीर्ण की।
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दूसरे गेम में विश्व की नंबर एक शटलर मरीन ने अपनी योग्यता के अनुरूप प्रदर्शन किया और सिंधु को वापसी का कोई मौका नहीं दिया तथा गेम 21-12 से आसानी से जीत लिया। फ़ाइनल के निर्णायक सेट में सिंधु की शुरुआत ख़राब रही थी और वे 2-6 से पिछड़ रही थीं। हालांकि उन्होंने दमदार वापसी की और स्कोर 10-10 से बराबर कर दिया था। दोनों शटलरों के बीच तगड़ा मुकाबला खेला जा रहा था, लेकिन मरीन ने लय हासिल करते हुए ग़ज़ब का प्रदर्शन किया और बढ़त 20-14 की कर ली। सिंधु ने एक अंक और लिया, लेकिन मरीन ने जोरदार स्मैश मारकर मैच व स्वर्ण पदक अपने नाम कर लिया। पी. वी. सिंधु भले ही स्वर्ण नहीं जीत सकीं, किंतु उनका रजत पदक भी काफ़ी अहम है। वे [[ओलम्पिक खेल|ओलम्पिक खेलों]] में [[बैडमिंटन]] में पदक जीतने वाली [[भारत]] की प्रथम तथा सबसे युवा एथलीट हैं। उन्होंने रजक पदक जीतकर इतिहास रच दिया और देश का सम्मान बढ़ाया।
दूसरे गेम में विश्व की नंबर एक शटलर मरीन ने अपनी योग्यता के अनुरूप प्रदर्शन किया और सिंधु को वापसी का कोई मौका नहीं दिया तथा गेम 21-12 से आसानी से जीत लिया। फ़ाइनल के निर्णायक सेट में सिंधु की शुरुआत ख़राब रही थी और वे 2-6 से पिछड़ रही थीं। हालांकि उन्होंने दमदार वापसी की और स्कोर 10-10 से बराबर कर दिया था। दोनों शटलरों के बीच तगड़ा मुकाबला खेला जा रहा था, लेकिन मरीन ने लय हासिल करते हुए ग़ज़ब का प्रदर्शन किया और बढ़त 20-14 की कर ली। सिंधु ने एक अंक और लिया, लेकिन मरीन ने जोरदार स्मैश मारकर मैच व स्वर्ण पदक अपने नाम कर लिया। पी. वी. सिंधु भले ही स्वर्ण नहीं जीत सकीं, किंतु उनका रजत पदक भी काफ़ी अहम है। वे [[ओलम्पिक खेल|ओलम्पिक खेलों]] में [[बैडमिंटन]] में पदक जीतने वाली [[भारत]] की प्रथम तथा सबसे युवा एथलीट हैं। उन्होंने रजक पदक जीतकर इतिहास रच दिया और देश का सम्मान बढ़ाया।
==टोक्यो ओलम्पिक, 2020 में काँस्य पदक==
टोक्यो ओलंपिक, 2020 खेलों में भारतीय शटलर पी.वी. सिंधु ने [[इतिहास]] रच दिया है। सिंधु ने ब्रॉन्ज पदक के लिए खेले गए मुकाबले में [[चीन]] की बिंग जियाओ को सीधे गेम में 21-13, 21-15 से मात दी। सिंधु ने चीन की खिलाड़ी के खिलाफ पहला सेट आसानी के साथ जीता, लेकिन दूसरे सेट में उन्हें जीतने के लिए मशक्कत करनी पड़ी। इस जीत के साथ ही सिंधु [[भारत]] की पहली महिला खिलाड़ी बन गई हैं, जिन्होंने लगातार दो ओलंपिक खेलों में देश के लिए पदक जीता है।
पी.वी. सिंधु ने इससे पहले [[ब्राजील]] के शहर रियो में हुए ओलंपिक खेलों में सिल्वर पदक हासिल किया था, लेकिन वह स्वर्ण लाने से महज एक कदम दूर रह गईं थीं। तब उन्हें फाइनल में स्पेन की कैरोलिना मारिन के खिलाफ हार झेलनी पड़ी थी। पिछले ओलंपिक में भारतीय दल ने सिर्फ दो पदक ही हासिल किए थे। इसमें सिंधु के अलावा [[कुश्ती]] में [[साक्षी मलिक]] ने ब्रॉन्ज पदक कर कब्जा जमाया था। [[बैडमिंटन]] की बात करें तो भारत को बैडमिंटन में ओलंपिक में 3 पदक मिले हैं। [[साइना नेहवाल]] ने लंदन ओलंपिक, 2012 में ब्रॉन्ज पदक जीता था। पी.वी. सिंधु को सेमीफाइनल में चीनी ताइपे की ताइ जू यिंग के खिलाफ 18-21, 12-21 से शिकस्त झेलनी पड़ी थी। सिंधु भले ही स्वर्ण ना जीत पाई हों, पर उन्होंने ब्रॉन्ज पदक जीतकर इतिहास रच दिया।<ref name="pp">{{cite web |url=https://www.livehindustan.com/sports/story-tokyo-olympics-2020-pv-sindhu-creates-history-become-the-first-women-to-win-consecutive-medal-in-olympics-for-india-4281578.html |title=पीवी सिंधु ने रचा इतिहास, ब्रॉन्ज पदक जीतकर भारत की झोली में डाला तीसरा पदक|accessmonthday=02 अगस्त|accessyear=2021 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=livehindustan.com |language=हिंदी}}</ref>
==कॉमनवेल्थ गेम्स, 2022==
[[चित्र:P-V-Sindhu-3.jpg|thumb|left|250px|पी. वी. सिंधु, कॉमनवेल्थ गेम्स, 2022]]
[[भारत]] की स्टार शटलर पी. वी. सिंधु ने कॉमनवेल्थ गेम्स, 2022 के फाइनल में शानदार प्रदर्शन करते हुए स्वर्ण पदक जीता। सिंधु ने महिलाओं के एकल फाइनल मुकाबले में कनाडा की मिशेल ली को हराकर स्वर्ण अपने नाम किया। उन्होंने इस मैच को 21-15, 21-13 से जीता। सिंधु ने इस जीत के साथ ही मिशेल ली से अपना पुराना हिसाब चुकता किया। उन्होंने 8 साल पुराना बदला लिया। पी. वी. सिंधु ने कॉमनवेल्थ गेम्स, 2022 की शुरुआत से ही शानदार प्रदर्शन किया और फाइनल तक का सफर तय किया। उन्होंने स्वर्ण जीतने के साथ ही मिशेल से बदला ले लिया। कनाडा की शटलर मिशेल ने सिंधु को [[2014]] के कॉमनवेल्थ गेम्स के सेमीफाइनल में हराया था। इस वजह से सिंधु सिर्फ कांस्य पदक ही जीत सकी थीं। अब सिंधु ने मिशेल को फाइनल में हराकर स्वर्ण जीता।
पी. वी. सिंधु ने सेमीफाइनल मुकाबले में भी कमाल का खेल दिखाया। वह बहुत ही शानदार फॉर्म में चल रही थीं। सिंधु ने सेमीफाइनल मुकाबले में सिंगापुर की जिया मिन यो को 21-19, 21-17 से हराया था। सिंधु की विश्व की बेहतरीन बैडमिंटन खिलाड़ियों में से एक हैं। उन्होंने पिछले कॉमनवेल्थ गेम्स में रजत पदक जीता था और इस बार उन्होंने अपनी मेहनत से पदक का रंग बदल दिया। सिंधु का कॉमनवेल्थ गेम्स में यह 5वां पदक रहा। उन्होंने स्वर्ण कोस्ट, [[2018]] में मिक्स्ड टीम में भी स्वर्ण जीता था। वहीं सिंगल्स में रजत अपने नाम किया था।
गौरतलब है कि भारत ने कॉमनवेल्थ गेम्स, 2022 में कुल 61 पदक अपने नाम किए। इस दौरान टीम इंडिया ने 22 स्वर्ण पदक जीते। वहीं 16 सिल्वर और 23 कांस्य पदक भी अपने नाम किए। भारत पदक टैली में चौथे स्थान पर रहा। इस मामले में [[ऑस्ट्रेलिया]] पहले स्थान पर रहा। ऑस्ट्रेलिया ने 67 स्वर्ण, 57 सिल्वर और 54 कांस्य पदक जीते।
==उल्लेखनीय तथ्य==
==उल्लेखनीय तथ्य==
#पी. वी. सिंधु के [[माता]]-[[पिता]] बॉलीवॉल के खिलाड़ी रह चुके हैं। उनके पिता को बॉलीवॉल में '[[अर्जुन पुरस्कार]]' भी मिल चुका है।
#पी. वी. सिंधु के [[माता]]-[[पिता]] बॉलीवॉल के खिलाड़ी रह चुके हैं। उनके पिता को बॉलीवॉल में '[[अर्जुन पुरस्कार]]' भी मिल चुका है।
#नामचीन बैडमिंटन खिलाड़ी [[पुलेला गोपीचंद]] की पी. वी. सिंधु जबर्दस्त फैन हैं। [[2001]] में जब गोपीचंद ने ऑल इंग्लैंड ओपेन बैडमिंटन चैंपियनशिप जीता तो सिंधु ने भी बैडमिंटन में ही कॅरियर बनाने का फैसला कर लिया था।
#नामचीन बैडमिंटन खिलाड़ी [[पुलेला गोपीचंद]] की पी. वी. सिंधु जबर्दस्त फैन हैं। [[2001]] में जब गोपीचंद ने ऑल इंग्लैंड ओपेन बैडमिंटन चैंपियनशिप जीता तो सिंधु ने भी बैडमिंटन में ही कॅरियर बनाने का फैसला कर लिया था।
#पी. वी. सिंधु ने बैडमिंटन की शुरुआती ट्रेनिंग सिकंदराबाद में महबूब अली से ली और फिर बाद में 'पुलेला गोपीचंद बैडमिंटन एकेडमी' में प्रवेश लिया। गोपीचंद ही सिंधु के कोच हैं।
#पी. वी. सिंधु ने बैडमिंटन की शुरुआती ट्रेनिंग सिकंदराबाद में महबूब अली से ली और फिर बाद में 'पुलेला गोपीचंद बैडमिंटन एकेडमी' में प्रवेश लिया। गोपीचंद ही सिंधु के कोच हैं।
# [[2012]] में ही निंग चाइना मास्टर सुपर सीरीज में लंदन ओलंपिक की गोल्ड मेडलिस्ट ली झूरी को हराकर तहलका मचा दिया।
# [[2012]] में ही निंग चाइना मास्टर सुपर सीरीज में लंदन ओलंपिक की स्वर्ण पदकिस्ट ली झूरी को हराकर तहलका मचा दिया।
#पिछले तीन साल से 21 साल की सिंधु सुबह 4:15 बजे ही उठ जाती हैं और बैडमिंटन की प्रैक्टिस शुरू कर देती हैं। शुरुआत में सिंधू हर दिन घर से 56 किलोमीटर की दूरी तय कर बैडमिंटन कैंप में ट्रेनिंग के लिए जाती थीं।
#पिछले तीन साल से 21 साल की सिंधु सुबह 4:15 बजे ही उठ जाती हैं और बैडमिंटन की प्रैक्टिस शुरू कर देती हैं। शुरुआत में सिंधू हर दिन घर से 56 किलोमीटर की दूरी तय कर बैडमिंटन कैंप में ट्रेनिंग के लिए जाती थीं।
==उपलब्धियाँ==
==उपलब्धियाँ==
* विजेता- कोरिया ओपन सुपर सीरीज़ 2017
[[चित्र:P-V-Sindhu-1.jpg|thumb|200px|पी. वी. सिंधु]]
* विजेता- कोरिया ओपन सुपर सीरीज़ [[2017]]
* रजत पदक- बैडमिंटन विश्व चैंपियनशिप 2017
* रजत पदक- बैडमिंटन विश्व चैंपियनशिप 2017
* विजेता- इंडिया ओपन सुपर सीरीज़ 2017
* विजेता- इंडिया ओपन सुपर सीरीज़ 2017
* विजेता- चाइना ओपन सुपर सीरीज़ 2016
* विजेता- चाइना ओपन सुपर सीरीज़ [[2016]]
* रजत पदक- [[2016]] में [[ओलम्पिक 2016 |रियो ओलम्पिक]] एकल बैडमिंटन।
* रजत पदक- [[2016]] में [[ओलम्पिक 2016 |रियो ओलम्पिक]] एकल बैडमिंटन।
* कांस्य पदक-  [[2009]] में एशियन बैडमिंटन चैंपियनशिप।
* कांस्य पदक-  [[2009]] में एशियन बैडमिंटन चैंपियनशिप।
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====कोरिया ओपन सुपर सीरीज़ जीतने वाली पहली भारतीय शटलर बनीं पी.वी. सिंधु====
====कोरिया ओपन सुपर सीरीज़ जीतने वाली पहली भारतीय शटलर बनीं पी.वी. सिंधु====
; 17 सितंबर, 2017
; 17 सितंबर, 2017
[[भारत]] की बैडमिंटन स्टार वर्ल्ड नंबर-4 पी.वी. सिंधु ने कोरिया ओपन सुपर सीरीज़ पर कब्जा जमा लिया है। रियो ओलंपिक की रजत पदक विजेता सिंधु ने रविवार को फाइनल में वर्ल्ड नंबर-9 जापान की नोजोमी ओकुहारा को एक घंटे 24 मिनट तक चले मुकाबले में 22-20, 21-11, 21-18 से हराया। इसके साथ ही 22 साल की हैदराबादी बाला सिंधु ने न सिर्फ इतिहास रच डाला, बल्कि हमउम्र ओकुहारा से बदला भी ले लिया। इसी जापानी शटलर ने अगस्त में पिछले महीने वर्ल्ड चैंपियनशिप के फाइनल में सिंधु को हराया था। सिंधु कोरिया ओपन पर कब्जा करने वाले पहली भारतीय खिलाड़ी बन गई हैं। 1991 में शुरू हुए इस टूर्नामेंट के 26 साल के इतिहास में इससे पहले किसी भारतीय शटलर को खिताबी सफलता नहीं मिली थी। सिंधु ने साल के 7वें सुपर सीरीज मुकाबले के फाइनल में ओकुहारा से दमदार मुकाबला किया और पहला गेम 22-20 से जीत लिया। दूसरे गेम में ओकुहारा हावी रहीं, सिंधु ने यह गेम 11-21 से गंवाया, लेकिन निर्णायक गेम में सिंधु का संकल्प काम आया और वह जापानी चुनौती ध्वस्त कर चैंपियन बन गईं। अब सिंधु ने अपना बदला पूरा करते हुए न केवल कोरिया ओपन का खिताब जीता, बल्कि ओकुहारा के खिलाफ खेले गए मुकाबलों का आंकड़ा भी 4-4 से बराबर कर लिया। सिंधु का यह तीसरा सुपर सीरीज़ खिताब है। इससे पहले, उन्होंने पिछले साल चाइना ओपन सुपर सीरीज़ प्रीमियर खिताब जीता था उसके बाद इस साल उन्होंने स्पेन की कैरोलीना मारिन को मात देकर इंडिया ओपन का खिताब जीता था।  
[[भारत]] की बैडमिंटन स्टार वर्ल्ड नंबर-4 पी.वी. सिंधु ने कोरिया ओपन सुपर सीरीज़ पर क़ब्ज़ा जमा लिया है। रियो ओलंपिक की रजत पदक विजेता सिंधु ने रविवार को फाइनल में वर्ल्ड नंबर-9 जापान की नोजोमी ओकुहारा को एक घंटे 24 मिनट तक चले मुकाबले में 22-20, 21-11, 21-18 से हराया। इसके साथ ही 22 साल की हैदराबादी बाला सिंधु ने न सिर्फ इतिहास रच डाला, बल्कि हमउम्र ओकुहारा से बदला भी ले लिया। इसी जापानी शटलर ने अगस्त में पिछले महीने वर्ल्ड चैंपियनशिप के फाइनल में सिंधु को हराया था। सिंधु कोरिया ओपन पर क़ब्ज़ा करने वाले पहली भारतीय खिलाड़ी बन गई हैं। [[1991]] में शुरू हुए इस टूर्नामेंट के 26 साल के इतिहास में इससे पहले किसी भारतीय शटलर को खिताबी सफलता नहीं मिली थी। सिंधु ने साल के 7वें सुपर सीरीज मुकाबले के फाइनल में ओकुहारा से दमदार मुकाबला किया और पहला गेम 22-20 से जीत लिया। दूसरे गेम में ओकुहारा हावी रहीं, सिंधु ने यह गेम 11-21 से गंवाया, लेकिन निर्णायक गेम में सिंधु का संकल्प काम आया और वह जापानी चुनौती ध्वस्त कर चैंपियन बन गईं। अब सिंधु ने अपना बदला पूरा करते हुए न केवल कोरिया ओपन का खिताब जीता, बल्कि ओकुहारा के खिलाफ खेले गए मुकाबलों का आंकड़ा भी 4-4 से बराबर कर लिया। सिंधु का यह तीसरा सुपर सीरीज़ खिताब है। इससे पहले, उन्होंने पिछले साल चाइना ओपन सुपर सीरीज़ प्रीमियर खिताब जीता था उसके बाद इस साल उन्होंने स्पेन की कैरोलीना मारिन को मात देकर इंडिया ओपन का खिताब जीता था।  


; विस्तृत समाचार निम्न स्रोतों पर पढ़ें
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* [http://aajtak.intoday.in/sports/story/korea-open-final-pv-sindhu-1-952866.html  आजतक]
* [http://aajtak.intoday.in/sports/story/korea-open-final-pv-sindhu-1-952866.html  आजतक]
* [http://www.amarujala.com/sports/other-sports/pv-sindhu-wins-korea-open-title-with-victory-over-okuhara अमर उजाला]
* [http://www.amarujala.com/sports/other-sports/pv-sindhu-wins-korea-open-title-with-victory-over-okuhara अमर उजाला]
====सिंधु ने बैडमिंटन विश्व चैंपियनशिप में रजत जीता====
====सिंधु ने बैडमिंटन विश्व चैंपियनशिप में रजत जीता====
; 28 अगस्त, 2017  
; 28 अगस्त, 2017  
[[भारत]] की नंबर एक बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधु का विश्वचैंपियनशिप बैडमिंटन 2017 में स्वर्ण पदक जीतने का सपना टूट गया। तीन गेम और तकरीबन 2 घंटे (110 मिनट) तक चले मुकाबले में निजोमी ओकुहारा ने 19-21, 22-20, 20-22 से मात दी। दोनों खिलाड़ियों ने अंत तक हार नहीं मानी। दोनों के बीच एक-एक अंक के लिए आखिर तक लड़ाई चलती रही। आखिरी और निर्णायक सेट में मुकाबला कांटे का रहा। तीसरे सेट के पहले हाफ में सिंधू ने 11-9 से बढ़त बना ली थी लेकिन इसके बाद दोनों ने एक दूसरे को एक-एक अंक के लिए कड़ी मशक्कत करने को मजबूर कर दिया। दोनों के बीच 13-13, 14-14,15-15, 16-16, 17-17, 19-19 और 20-20 की बराबरी हुई। ऐसे में आखिर में सिंधू को सिल्वर मेडल से ही संतोष करना पड़ा। तीनों गेम के पहले हाफ में सिंधू के नाम रहा लेकिन दूसरे हाफ में वो अपनी लय बरकरार नहीं रख पाईं। हर बार दूसरे हाफ में वो जापानी खिलाड़ी से पिछड़ती दिखाई दीं। पहले गेम के पहले हाफ में सिंधू 11-5 से आगे थीं। दूसरे हाफ में ओकुहारा ने शानदार वापसी करते हुए। पहले 14-14 की बराबरी की। इसके बाद लगातार अंक बटोरती रहीं। 19-19 की बराबरी के बाद रियो ओलंपिक की कांस्य पदक विजेता ने लगातार 2 अंक बटोरे और पहला गेम 21-19 से अपने नाम कर 1-0 की बढ़त हासिल कर ली।  
[[भारत]] की नंबर एक बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधु का विश्वचैंपियनशिप बैडमिंटन 2017 में स्वर्ण पदक जीतने का सपना टूट गया। तीन गेम और तकरीबन 2 घंटे (110 मिनट) तक चले मुकाबले में निजोमी ओकुहारा ने 19-21, 22-20, 20-22 से मात दी। दोनों खिलाड़ियों ने अंत तक हार नहीं मानी। दोनों के बीच एक-एक अंक के लिए आखिर तक लड़ाई चलती रही। आखिरी और निर्णायक सेट में मुकाबला कांटे का रहा। तीसरे सेट के पहले हाफ में सिंधू ने 11-9 से बढ़त बना ली थी लेकिन इसके बाद दोनों ने एक दूसरे को एक-एक अंक के लिए कड़ी मशक्कत करने को मजबूर कर दिया। दोनों के बीच 13-13, 14-14,15-15, 16-16, 17-17, 19-19 और 20-20 की बराबरी हुई। ऐसे में आखिर में सिंधू को सिल्वर पदक से ही संतोष करना पड़ा। तीनों गेम के पहले हाफ में सिंधू के नाम रहा लेकिन दूसरे हाफ में वो अपनी लय बरकरार नहीं रख पाईं। हर बार दूसरे हाफ में वो जापानी खिलाड़ी से पिछड़ती दिखाई दीं। पहले गेम के पहले हाफ में सिंधू 11-5 से आगे थीं। दूसरे हाफ में ओकुहारा ने शानदार वापसी करते हुए। पहले 14-14 की बराबरी की। इसके बाद लगातार अंक बटोरती रहीं। 19-19 की बराबरी के बाद रियो ओलंपिक की कांस्य पदक विजेता ने लगातार 2 अंक बटोरे और पहला गेम 21-19 से अपने नाम कर 1-0 की बढ़त हासिल कर ली।  


दूसरे गेम के पहले हाफ में भी सिंधू ने अच्छी शुरुआत की और 11-9 की बढ़त हासिल कर ली लेकिन इसके बाद ओकुहारा ने शानदार वापसी करते हुए सिंधू को जीत के लिए संघर्ष करने पर मजबूर कर दिया। 20-18 के स्कोर पर सिंधू ने तीन गेम प्वाइंट गंवाए। लेकिन इसके बाद 20-20 की बराबरी पर सिंधू ने शानदार खेल दिखाया। गेम प्वाइंट के लिए आखिर में मैच की सबसे लंबी 73 शॉट्स की रैली हुई जिसे देखकर हर कोई रोमांच से भर गया। और सिंधू ने 22-20 के अंतर से गेम अपने नाम कर 1-1 से बराबरी हासिल कर ली। इसके बाद हार-जीत का फैसला तीसरे और अंतिम गेम में हुआ जहां दोनों खिलाड़ियों ने हार नहीं मानी। यह हाल के दिनों में महिला वर्ग में खेला गया सबसे कड़ा फाइनल मुकाबला था जिसे देखने वाला हर शख्श रोमांच से भर गया। सिंधू का विश्व चैंपियनशिप में ये तीसरा पदक है। इससे पहले वो साल 2013, 2014 में कांस्य पदक जीत चुकी हैं।  
दूसरे गेम के पहले हाफ में भी सिंधू ने अच्छी शुरुआत की और 11-9 की बढ़त हासिल कर ली लेकिन इसके बाद ओकुहारा ने शानदार वापसी करते हुए सिंधू को जीत के लिए संघर्ष करने पर मजबूर कर दिया। 20-18 के स्कोर पर सिंधू ने तीन गेम प्वाइंट गंवाए। लेकिन इसके बाद 20-20 की बराबरी पर सिंधू ने शानदार खेल दिखाया। गेम प्वाइंट के लिए आखिर में मैच की सबसे लंबी 73 शॉट्स की रैली हुई जिसे देखकर हर कोई रोमांच से भर गया। और सिंधू ने 22-20 के अंतर से गेम अपने नाम कर 1-1 से बराबरी हासिल कर ली। इसके बाद हार-जीत का फैसला तीसरे और अंतिम गेम में हुआ जहां दोनों खिलाड़ियों ने हार नहीं मानी। यह हाल के दिनों में महिला वर्ग में खेला गया सबसे कड़ा फाइनल मुकाबला था जिसे देखने वाला हर शख्श रोमांच से भर गया। सिंधू का विश्व चैंपियनशिप में ये तीसरा पदक है। इससे पहले वो साल 2013, 2014 में कांस्य पदक जीत चुकी हैं।  
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*[http://www.amarujala.com/sports/badminton/world-badminton-championship-2017-women-s-singles-final-nizomi-okuhara-beat-pv-sindhu अमर उजाला]
*[http://www.amarujala.com/sports/badminton/world-badminton-championship-2017-women-s-singles-final-nizomi-okuhara-beat-pv-sindhu अमर उजाला]
[[चित्र:PV-Sindhu-China-Open-Series-winner.jpg|thumb|पीवी सिंधु ने चाइना ओपन ख़िताब के साथ]]
[[चित्र:PV-Sindhu-China-Open-Series-winner.jpg|thumb|पीवी सिंधु ने चाइना ओपन ख़िताब के साथ]]
====सिंधु ने जीता चाइना ओपन ख़िताब====
====सिंधु ने जीता चाइना ओपन ख़िताब====
; 20 नवंबर, 2016  
; 20 नवंबर, 2016  
रियो ओलंपिक में सिल्वर मेडल जीतकर देश को गौरवान्वित करने के बाद पीवी सिंधु ने चाइना ओपन सुपर सीरीज के फाइनल में चीन की सुन यू को तीन गेम तक चले मुकाबले में हराकर पहला सुपर सीरीज ख़िताब अपने नाम किया। यह खिताबी जीत उनके लिए इसलिए भी ख़ास है, क्योंकि चाइना ओपन में इससे पहले 25 में से 23 बार चीनी खिलाड़ियों ने ही खिताब पर कब्जा किया था। सिंधु से पहले अब तक भारत की [[साइना नेहवाल]] और मलेशिया की मी चुंग वॉन्ग ही ऐसी गैर-चीनी खिलाड़ी रही हैं, जिन्होंने यह खिताब जीता था। सिंधु ने सुन यू को 21-11, 17-21 और 21-11 से हराया। किसी बड़े टूर्नामेंट में यह लगातार तीसरे साल हुआ है, जब कोई भारतीय महिला बैडमिंटन खिलाड़ी फाइनल खेली है, जबकि इनमें आमतौर पर चीनी खिलाड़ियों का बोलबाला रहता है। साल [[2014]] में साइना नेहवाल ने यह टूर्नामेंट जीता था, लेकिन 2015 में वह रनर अप रहीं थीं। इस प्रकार पीवी सिंधु चाइना ओपन जीतने वाली दूसरी भारतीय खिलाड़ी बन गई हैं।
रियो ओलंपिक में सिल्वर पदक जीतकर देश को गौरवान्वित करने के बाद पीवी सिंधु ने चाइना ओपन सुपर सीरीज के फाइनल में चीन की सुन यू को तीन गेम तक चले मुकाबले में हराकर पहला सुपर सीरीज ख़िताब अपने नाम किया। यह खिताबी जीत उनके लिए इसलिए भी ख़ास है, क्योंकि चाइना ओपन में इससे पहले 25 में से 23 बार चीनी खिलाड़ियों ने ही खिताब पर क़ब्ज़ा किया था। सिंधु से पहले अब तक भारत की [[साइना नेहवाल]] और मलेशिया की मी चुंग वॉन्ग ही ऐसी गैर-चीनी खिलाड़ी रही हैं, जिन्होंने यह खिताब जीता था। सिंधु ने सुन यू को 21-11, 17-21 और 21-11 से हराया। किसी बड़े टूर्नामेंट में यह लगातार तीसरे साल हुआ है, जब कोई भारतीय महिला बैडमिंटन खिलाड़ी फाइनल खेली है, जबकि इनमें आमतौर पर चीनी खिलाड़ियों का बोलबाला रहता है। साल [[2014]] में साइना नेहवाल ने यह टूर्नामेंट जीता था, लेकिन [[2015]] में वह रनर अप रहीं थीं। इस प्रकार पीवी सिंधु चाइना ओपन जीतने वाली दूसरी भारतीय खिलाड़ी बन गई हैं।
; समाचार को विभिन्न स्रोतों पर पढ़ें
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* [http://www.bbc.com/hindi/sport-38042347 बीबीसी हिन्दी]
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*[http://khabar.ndtv.com/news/sports/pv-sindhu-subdues-sun-yu-to-clinch-china-open-her-maiden-super-series-title-1627770 एनडीटीवी]
*[http://khabar.ndtv.com/news/sports/pv-sindhu-subdues-sun-yu-to-clinch-china-open-her-maiden-super-series-title-1627770 एनडीटीवी]
*[http://www.bhaskar.com/news/MP-OTH-MAT-latest-rau-news-045503-1420864-NOR.html दैनिक भास्कर]
*[http://www.bhaskar.com/news/MP-OTH-MAT-latest-rau-news-045503-1420864-NOR.html दैनिक भास्कर]


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Latest revision as of 09:35, 9 August 2022

पी. वी. सिंधु
पूरा नाम पुसरला वेंकट सिंधु
जन्म 5 जुलाई, 1995
जन्म भूमि हैदराबाद, आंध्र प्रदेश
अभिभावक पिता- पी.वी. रमण और माता- पी. विजया
कर्म भूमि भारत
खेल-क्षेत्र बैडमिंटन
पुरस्कार-उपाधि पद्मश्री

अर्जुन पुरस्कार

नागरिकता भारतीय
संबंधित लेख साइना नेहवाल, पुलेला गोपीचंद, बैडमिंटन
ओलम्पिक खेल रजत - 2016, रियो डी जेनेरियो - महिला एकल

कांस्य - 2020, टोक्यो - महिला एकल

विश्व चैम्पियनशिप स्वर्ण - 2019, बासेल - महिला एकल

रजत - 2017, ग्लास्गो - महिला एकल
रजत - 2018, नानजिंग - महिला एकल
कांस्य - 2013, गुहांज़ो - महिला एकल
कांस्य - 2014, कोपेनहेगन - महिला एकल

उबेर कप कांस्य - 2014, नई दिल्ली - महिला टीम

कांस्य - 2016, कुंशन - महिला टीम

एशियन गेम्स रजत - 2018, जकार्ता - महिला एकल

कांस्य - 2014, इनचिओन - महिला टीम

एशियन चैम्पियनशिप कांस्य - 2014, गिमचिओन - महिला एकल

कांस्य - 2022, मनीला - महिला एकल

राष्ट्रमंडल खेल स्वर्ण - 2022, बर्मिघम - महिला एकल

रजत - 2022, बर्मिघम - मिश्रित
रजत - 2018, गोल्ड कोस्ट - महिला एकल
स्वर्ण - 2018, गोल्ड कोस्ट - मिश्रित
कांस्य - 2014, ग्लास्गो - महिला एकल

साउथ एथियन खेल स्वर्ण - 2016, गुवाहाटी/शिलांग - महिला टीम

रजत - 2016, गुवाहाटी/शिलांग - महिला एकल

अन्य जानकारी पी. वी. सिंधु ओलम्पिक खेलों में रजत पदक जीतने वाली भारत की पहली महिला खिलाड़ी हैं।
अद्यतन‎

पुसरला वेंकट सिंधु (अंग्रेज़ी: P. V. Sindhu, जन्म- 5 जुलाई, 1995, हैदराबाद, आंध्र प्रदेश) भारत की प्रसिद्ध बैडमिंटन खिलाड़ी हैं। उन्होंने बर्मिंघम, इंग्लैंड में आयोजित कॉमनवेल्थ गेम्स, 2022 में देश के लिये स्वर्ण पदक जीता है। इससे पहले वह वर्ष 2016 में ब्राजील में खेले गए रियो ओलम्पिक खेलों में एकल बैडमिंटन प्रतियोगिता में रजत पदक जीत चुकी हैं। टोक्यो ओलम्पिक, 2020 में पी. वी. सिंधु ने काँस्य पदक जीता था। वह ओलम्पिक खेलों में रजत तथा काँस्य पदक जीतने वाली भारत की पहली महिला खिलाड़ी हैं। वर्ष 2012 में उन्होंने 'बैडमिंटन वर्ल्ड फेडरेशन' की टॉप 20 में जगह बनाई थी। 10 अगस्त, 2013 में पी. वी. सिंधु ऐसी पहली भारतीय महिला बनीं, जिसने वर्ल्ड चैंपियनशिप में पदक जीता था। वह हैदराबाद में 'गोपीचंद बैडमिंटन एकेडमी' में ट्रेनिंग लेती हैं और उन्हें 'ओलंपिक स्वर्ण क्वेस्ट' नाम की एक नॉन-प्रोफिट संस्था सपोर्ट करती है। [[चित्र:PV-Sindhu-Pulela-Gopichand.jpg|thumb|left|सिंधु की बड़ी बहन, पुलेला गोपीचंद, सिंधु की माँ और बच्ची सिंधु]]

परिचय

पी. वी. सिंधु का जन्म 5 जुलाई, 1995 को हैदराबाद, आंध्र प्रदेश में हुआ । इनके पिता का नाम पी. वी. रमण और माता का नाम पी. विजया है। सिंधु के माता-पिता दोनों ही पेशेवर वॉलीबॉल खिलाड़ी रह चुके हैं। इनके पिता पी. वी. रमण को बॉलीबॉल के क्षेत्र में उनके उल्लेखनीय कार्य के लिए 2002 में भारत सरकार के प्रतिष्ठित 'अर्जुन पुरस्कार' से सम्मानित किया जा चुका है।

बैडमिंटन का चुनाव

माता-पिता दोनों ही पेशेवर वॉलीबॉल खिलाड़ी थे, किन्तु पी. वी. सिंधु ने 2001 के 'ऑल इंग्लैंड ओपन बैडमिंटन चैंपियन' बने पुलेला गोपीचंद से प्रभावित होकर बैडमिंटन को अपना कॅरियर चुना और महज आठ साल की उम्र से बैडमिंटन खेलना शुरू कर दिया। सिंधु ने सबसे पहले सिकंदराबाद में 'इंडियन रेलवे सिग्नल इंजीनियरिंग' और दूर संचार के बैडमिंटन कोर्ट में महबूब अली के मार्गदर्शन में बैडमिंटन की बुनियादी बातों को सीखा। इसके बाद वे पुलेला गोपीचंद के 'गोपीचंद बैडमिंटन अकादमी' में शामिल हो गईं। आगे चलकर मेहदीपट्टनम से इंटर्मेडिएट की परीक्षा उत्तीर्ण की।

ओलम्पिक में रजत पदक

भारत की अग्रणी महिला बैडमिंटन खिलाड़ी पी. वी. सिंधु ने ब्राजील की मेजबानी में खेले गये रियो ओलंपिक खेलों में 18 अगस्त, 2016 को महिला एकल वर्ग के फ़ाइनल में प्रवेश किया था। रियोसेंटर पवेलियन-4 में खेले गए सेमीफ़ाइनल मुकाबले में सिंधु ने छठी वरीयता प्राप्त खिलाड़ी जापान की निजोमी ओकुहारा को सीधे गेमों में 21-19, 21-10 से हराकर फ़ाइनल का टिकट पक्का किया था। सेमीफ़ाइनल में पी. वी. सिंधु ने पहले गेम में जबरदस्त प्रदर्शन किया और 10-6 की बढ़त ले ली। ओकुहारा की लाख कोशिशों के बावजूद भी सिंधु ने उन्हें आगे नहीं निकलने दिया और 27 मिनट में गेम 21-19 से अपने नाम किया। सिंधु ने दूसरे गेम की शुरुआत अच्छी नहीं की और वह 0-3 से पीछे थीं। 10वीं विश्व वरीयता प्राप्त सिंधु ने इसके बाद 5-5 से और 10-10 से बराबरी की। सिंधु ने इसके बाद चौंकाने वाली वापसी की और लगातार 11 अंक हासिल कर 21-10 से सेमीफ़ाइनल जीत लिया। यह गेम 22 मिनट चला।[1]

फ़ाइनल मैच

thumb|250px|रजत पदक के साथ पी. वी. सिंधु फ़ाइनल मैच रियोसेंटर पवेलियन के कोर्ट 1 पर खेला गया। महिला एकल के इस फ़ाइनल मैच में सिंधु को विश्व की नंबर एक शटलर स्पेन की कैरोलिना मरीन से 21-19, 12-21, 15-21 से शिकस्त झेलनी पड़ी। सिंधु ने ख़राब नहीं खेला, लेकिन मरीन ने अपना सर्वश्रेष्ठ देकर स्वर्ण पदक हासिल किया और सिंधु को रजत पदक से ही संतोष करना पड़ा। सिंधु भले ही यह मैच नहीं जीत सकीं, लेकिन उन्होंने करोड़ों भारतीयों का दिल जीता। पहली बार ओलम्पिक खेल रही पी. वी. सिंधु ने फ़ाइनल मैच के दबाव में शानदार प्रदर्शन किया और दिग्गज शटलर को पूरे समय चिंतित रखा। उन्होंने पहले गेम के मध्यकाल तक 6-11 से पिछड़ने के बाद दमदार वापसी की और पहला गेम 21-19 से जीता। सिंधु के पहला गेम जीतने पर कैरोलिना मरीन पूरी तरह हैरान रह गईं। सिंधु ने ग़ज़ब के हाफ स्मैश और ड्रॉप शॉट खेले। उन्होंने मरीन को बैक लाइन पर भेजकर काफ़ी परेशान किया और पहला गेम अपने नाम किया।

दूसरे गेम में विश्व की नंबर एक शटलर मरीन ने अपनी योग्यता के अनुरूप प्रदर्शन किया और सिंधु को वापसी का कोई मौका नहीं दिया तथा गेम 21-12 से आसानी से जीत लिया। फ़ाइनल के निर्णायक सेट में सिंधु की शुरुआत ख़राब रही थी और वे 2-6 से पिछड़ रही थीं। हालांकि उन्होंने दमदार वापसी की और स्कोर 10-10 से बराबर कर दिया था। दोनों शटलरों के बीच तगड़ा मुकाबला खेला जा रहा था, लेकिन मरीन ने लय हासिल करते हुए ग़ज़ब का प्रदर्शन किया और बढ़त 20-14 की कर ली। सिंधु ने एक अंक और लिया, लेकिन मरीन ने जोरदार स्मैश मारकर मैच व स्वर्ण पदक अपने नाम कर लिया। पी. वी. सिंधु भले ही स्वर्ण नहीं जीत सकीं, किंतु उनका रजत पदक भी काफ़ी अहम है। वे ओलम्पिक खेलों में बैडमिंटन में पदक जीतने वाली भारत की प्रथम तथा सबसे युवा एथलीट हैं। उन्होंने रजक पदक जीतकर इतिहास रच दिया और देश का सम्मान बढ़ाया।

टोक्यो ओलम्पिक, 2020 में काँस्य पदक

टोक्यो ओलंपिक, 2020 खेलों में भारतीय शटलर पी.वी. सिंधु ने इतिहास रच दिया है। सिंधु ने ब्रॉन्ज पदक के लिए खेले गए मुकाबले में चीन की बिंग जियाओ को सीधे गेम में 21-13, 21-15 से मात दी। सिंधु ने चीन की खिलाड़ी के खिलाफ पहला सेट आसानी के साथ जीता, लेकिन दूसरे सेट में उन्हें जीतने के लिए मशक्कत करनी पड़ी। इस जीत के साथ ही सिंधु भारत की पहली महिला खिलाड़ी बन गई हैं, जिन्होंने लगातार दो ओलंपिक खेलों में देश के लिए पदक जीता है।

पी.वी. सिंधु ने इससे पहले ब्राजील के शहर रियो में हुए ओलंपिक खेलों में सिल्वर पदक हासिल किया था, लेकिन वह स्वर्ण लाने से महज एक कदम दूर रह गईं थीं। तब उन्हें फाइनल में स्पेन की कैरोलिना मारिन के खिलाफ हार झेलनी पड़ी थी। पिछले ओलंपिक में भारतीय दल ने सिर्फ दो पदक ही हासिल किए थे। इसमें सिंधु के अलावा कुश्ती में साक्षी मलिक ने ब्रॉन्ज पदक कर कब्जा जमाया था। बैडमिंटन की बात करें तो भारत को बैडमिंटन में ओलंपिक में 3 पदक मिले हैं। साइना नेहवाल ने लंदन ओलंपिक, 2012 में ब्रॉन्ज पदक जीता था। पी.वी. सिंधु को सेमीफाइनल में चीनी ताइपे की ताइ जू यिंग के खिलाफ 18-21, 12-21 से शिकस्त झेलनी पड़ी थी। सिंधु भले ही स्वर्ण ना जीत पाई हों, पर उन्होंने ब्रॉन्ज पदक जीतकर इतिहास रच दिया।[2]

कॉमनवेल्थ गेम्स, 2022

thumb|left|250px|पी. वी. सिंधु, कॉमनवेल्थ गेम्स, 2022 भारत की स्टार शटलर पी. वी. सिंधु ने कॉमनवेल्थ गेम्स, 2022 के फाइनल में शानदार प्रदर्शन करते हुए स्वर्ण पदक जीता। सिंधु ने महिलाओं के एकल फाइनल मुकाबले में कनाडा की मिशेल ली को हराकर स्वर्ण अपने नाम किया। उन्होंने इस मैच को 21-15, 21-13 से जीता। सिंधु ने इस जीत के साथ ही मिशेल ली से अपना पुराना हिसाब चुकता किया। उन्होंने 8 साल पुराना बदला लिया। पी. वी. सिंधु ने कॉमनवेल्थ गेम्स, 2022 की शुरुआत से ही शानदार प्रदर्शन किया और फाइनल तक का सफर तय किया। उन्होंने स्वर्ण जीतने के साथ ही मिशेल से बदला ले लिया। कनाडा की शटलर मिशेल ने सिंधु को 2014 के कॉमनवेल्थ गेम्स के सेमीफाइनल में हराया था। इस वजह से सिंधु सिर्फ कांस्य पदक ही जीत सकी थीं। अब सिंधु ने मिशेल को फाइनल में हराकर स्वर्ण जीता।

पी. वी. सिंधु ने सेमीफाइनल मुकाबले में भी कमाल का खेल दिखाया। वह बहुत ही शानदार फॉर्म में चल रही थीं। सिंधु ने सेमीफाइनल मुकाबले में सिंगापुर की जिया मिन यो को 21-19, 21-17 से हराया था। सिंधु की विश्व की बेहतरीन बैडमिंटन खिलाड़ियों में से एक हैं। उन्होंने पिछले कॉमनवेल्थ गेम्स में रजत पदक जीता था और इस बार उन्होंने अपनी मेहनत से पदक का रंग बदल दिया। सिंधु का कॉमनवेल्थ गेम्स में यह 5वां पदक रहा। उन्होंने स्वर्ण कोस्ट, 2018 में मिक्स्ड टीम में भी स्वर्ण जीता था। वहीं सिंगल्स में रजत अपने नाम किया था।

गौरतलब है कि भारत ने कॉमनवेल्थ गेम्स, 2022 में कुल 61 पदक अपने नाम किए। इस दौरान टीम इंडिया ने 22 स्वर्ण पदक जीते। वहीं 16 सिल्वर और 23 कांस्य पदक भी अपने नाम किए। भारत पदक टैली में चौथे स्थान पर रहा। इस मामले में ऑस्ट्रेलिया पहले स्थान पर रहा। ऑस्ट्रेलिया ने 67 स्वर्ण, 57 सिल्वर और 54 कांस्य पदक जीते।

उल्लेखनीय तथ्य

  1. पी. वी. सिंधु के माता-पिता बॉलीवॉल के खिलाड़ी रह चुके हैं। उनके पिता को बॉलीवॉल में 'अर्जुन पुरस्कार' भी मिल चुका है।
  2. नामचीन बैडमिंटन खिलाड़ी पुलेला गोपीचंद की पी. वी. सिंधु जबर्दस्त फैन हैं। 2001 में जब गोपीचंद ने ऑल इंग्लैंड ओपेन बैडमिंटन चैंपियनशिप जीता तो सिंधु ने भी बैडमिंटन में ही कॅरियर बनाने का फैसला कर लिया था।
  3. पी. वी. सिंधु ने बैडमिंटन की शुरुआती ट्रेनिंग सिकंदराबाद में महबूब अली से ली और फिर बाद में 'पुलेला गोपीचंद बैडमिंटन एकेडमी' में प्रवेश लिया। गोपीचंद ही सिंधु के कोच हैं।
  4. 2012 में ही निंग चाइना मास्टर सुपर सीरीज में लंदन ओलंपिक की स्वर्ण पदकिस्ट ली झूरी को हराकर तहलका मचा दिया।
  5. पिछले तीन साल से 21 साल की सिंधु सुबह 4:15 बजे ही उठ जाती हैं और बैडमिंटन की प्रैक्टिस शुरू कर देती हैं। शुरुआत में सिंधू हर दिन घर से 56 किलोमीटर की दूरी तय कर बैडमिंटन कैंप में ट्रेनिंग के लिए जाती थीं।

उपलब्धियाँ

thumb|200px|पी. वी. सिंधु

  • विजेता- कोरिया ओपन सुपर सीरीज़ 2017
  • रजत पदक- बैडमिंटन विश्व चैंपियनशिप 2017
  • विजेता- इंडिया ओपन सुपर सीरीज़ 2017
  • विजेता- चाइना ओपन सुपर सीरीज़ 2016
  • रजत पदक- 2016 में रियो ओलम्पिक एकल बैडमिंटन।
  • कांस्य पदक- 2009 में एशियन बैडमिंटन चैंपियनशिप।
  • विजेता- 2010 में ईरान में उन्होंने फेजर इंटरनेशनल बैडमिंटन चैलेंज का खिताब।
  • विजेता- 2012 में एशिया यूथ अंडर-19 चैंपियनशिप खिताब।
  • कांस्य पदक- 2013 में बीडब्ल्यूएफ वर्ल्ड चैंपियनशिप।
  • विजेता- 2013 में मलेशियन ओपेन।
  • कांस्य पदक- 2014 में उबेर कप।[3]

सम्मान और पुरस्कार

समाचार

thumb|कोरिया ओपन ख़िताब के साथ सिंधु

कोरिया ओपन सुपर सीरीज़ जीतने वाली पहली भारतीय शटलर बनीं पी.वी. सिंधु

17 सितंबर, 2017

भारत की बैडमिंटन स्टार वर्ल्ड नंबर-4 पी.वी. सिंधु ने कोरिया ओपन सुपर सीरीज़ पर क़ब्ज़ा जमा लिया है। रियो ओलंपिक की रजत पदक विजेता सिंधु ने रविवार को फाइनल में वर्ल्ड नंबर-9 जापान की नोजोमी ओकुहारा को एक घंटे 24 मिनट तक चले मुकाबले में 22-20, 21-11, 21-18 से हराया। इसके साथ ही 22 साल की हैदराबादी बाला सिंधु ने न सिर्फ इतिहास रच डाला, बल्कि हमउम्र ओकुहारा से बदला भी ले लिया। इसी जापानी शटलर ने अगस्त में पिछले महीने वर्ल्ड चैंपियनशिप के फाइनल में सिंधु को हराया था। सिंधु कोरिया ओपन पर क़ब्ज़ा करने वाले पहली भारतीय खिलाड़ी बन गई हैं। 1991 में शुरू हुए इस टूर्नामेंट के 26 साल के इतिहास में इससे पहले किसी भारतीय शटलर को खिताबी सफलता नहीं मिली थी। सिंधु ने साल के 7वें सुपर सीरीज मुकाबले के फाइनल में ओकुहारा से दमदार मुकाबला किया और पहला गेम 22-20 से जीत लिया। दूसरे गेम में ओकुहारा हावी रहीं, सिंधु ने यह गेम 11-21 से गंवाया, लेकिन निर्णायक गेम में सिंधु का संकल्प काम आया और वह जापानी चुनौती ध्वस्त कर चैंपियन बन गईं। अब सिंधु ने अपना बदला पूरा करते हुए न केवल कोरिया ओपन का खिताब जीता, बल्कि ओकुहारा के खिलाफ खेले गए मुकाबलों का आंकड़ा भी 4-4 से बराबर कर लिया। सिंधु का यह तीसरा सुपर सीरीज़ खिताब है। इससे पहले, उन्होंने पिछले साल चाइना ओपन सुपर सीरीज़ प्रीमियर खिताब जीता था उसके बाद इस साल उन्होंने स्पेन की कैरोलीना मारिन को मात देकर इंडिया ओपन का खिताब जीता था।

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सिंधु ने बैडमिंटन विश्व चैंपियनशिप में रजत जीता

28 अगस्त, 2017

भारत की नंबर एक बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधु का विश्वचैंपियनशिप बैडमिंटन 2017 में स्वर्ण पदक जीतने का सपना टूट गया। तीन गेम और तकरीबन 2 घंटे (110 मिनट) तक चले मुकाबले में निजोमी ओकुहारा ने 19-21, 22-20, 20-22 से मात दी। दोनों खिलाड़ियों ने अंत तक हार नहीं मानी। दोनों के बीच एक-एक अंक के लिए आखिर तक लड़ाई चलती रही। आखिरी और निर्णायक सेट में मुकाबला कांटे का रहा। तीसरे सेट के पहले हाफ में सिंधू ने 11-9 से बढ़त बना ली थी लेकिन इसके बाद दोनों ने एक दूसरे को एक-एक अंक के लिए कड़ी मशक्कत करने को मजबूर कर दिया। दोनों के बीच 13-13, 14-14,15-15, 16-16, 17-17, 19-19 और 20-20 की बराबरी हुई। ऐसे में आखिर में सिंधू को सिल्वर पदक से ही संतोष करना पड़ा। तीनों गेम के पहले हाफ में सिंधू के नाम रहा लेकिन दूसरे हाफ में वो अपनी लय बरकरार नहीं रख पाईं। हर बार दूसरे हाफ में वो जापानी खिलाड़ी से पिछड़ती दिखाई दीं। पहले गेम के पहले हाफ में सिंधू 11-5 से आगे थीं। दूसरे हाफ में ओकुहारा ने शानदार वापसी करते हुए। पहले 14-14 की बराबरी की। इसके बाद लगातार अंक बटोरती रहीं। 19-19 की बराबरी के बाद रियो ओलंपिक की कांस्य पदक विजेता ने लगातार 2 अंक बटोरे और पहला गेम 21-19 से अपने नाम कर 1-0 की बढ़त हासिल कर ली।

दूसरे गेम के पहले हाफ में भी सिंधू ने अच्छी शुरुआत की और 11-9 की बढ़त हासिल कर ली लेकिन इसके बाद ओकुहारा ने शानदार वापसी करते हुए सिंधू को जीत के लिए संघर्ष करने पर मजबूर कर दिया। 20-18 के स्कोर पर सिंधू ने तीन गेम प्वाइंट गंवाए। लेकिन इसके बाद 20-20 की बराबरी पर सिंधू ने शानदार खेल दिखाया। गेम प्वाइंट के लिए आखिर में मैच की सबसे लंबी 73 शॉट्स की रैली हुई जिसे देखकर हर कोई रोमांच से भर गया। और सिंधू ने 22-20 के अंतर से गेम अपने नाम कर 1-1 से बराबरी हासिल कर ली। इसके बाद हार-जीत का फैसला तीसरे और अंतिम गेम में हुआ जहां दोनों खिलाड़ियों ने हार नहीं मानी। यह हाल के दिनों में महिला वर्ग में खेला गया सबसे कड़ा फाइनल मुकाबला था जिसे देखने वाला हर शख्श रोमांच से भर गया। सिंधू का विश्व चैंपियनशिप में ये तीसरा पदक है। इससे पहले वो साल 2013, 2014 में कांस्य पदक जीत चुकी हैं।

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thumb|पीवी सिंधु ने चाइना ओपन ख़िताब के साथ

सिंधु ने जीता चाइना ओपन ख़िताब

20 नवंबर, 2016

रियो ओलंपिक में सिल्वर पदक जीतकर देश को गौरवान्वित करने के बाद पीवी सिंधु ने चाइना ओपन सुपर सीरीज के फाइनल में चीन की सुन यू को तीन गेम तक चले मुकाबले में हराकर पहला सुपर सीरीज ख़िताब अपने नाम किया। यह खिताबी जीत उनके लिए इसलिए भी ख़ास है, क्योंकि चाइना ओपन में इससे पहले 25 में से 23 बार चीनी खिलाड़ियों ने ही खिताब पर क़ब्ज़ा किया था। सिंधु से पहले अब तक भारत की साइना नेहवाल और मलेशिया की मी चुंग वॉन्ग ही ऐसी गैर-चीनी खिलाड़ी रही हैं, जिन्होंने यह खिताब जीता था। सिंधु ने सुन यू को 21-11, 17-21 और 21-11 से हराया। किसी बड़े टूर्नामेंट में यह लगातार तीसरे साल हुआ है, जब कोई भारतीय महिला बैडमिंटन खिलाड़ी फाइनल खेली है, जबकि इनमें आमतौर पर चीनी खिलाड़ियों का बोलबाला रहता है। साल 2014 में साइना नेहवाल ने यह टूर्नामेंट जीता था, लेकिन 2015 में वह रनर अप रहीं थीं। इस प्रकार पीवी सिंधु चाइना ओपन जीतने वाली दूसरी भारतीय खिलाड़ी बन गई हैं।

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टीका-टिप्पणी और संदर्भ

  1. रियो ओलंपिक में पी वी सिंधू का रजत पक्का (हिंदी) आईबीएन खबर। अभिगमन तिथि: 19 अगस्त, 2016।
  2. पीवी सिंधु ने रचा इतिहास, ब्रॉन्ज पदक जीतकर भारत की झोली में डाला तीसरा पदक (हिंदी) livehindustan.com। अभिगमन तिथि: 02 अगस्त, 2021।
  3. पीवी सिंधु से जुड़ी 13 दिलचस्प बातें (हिंदी) pradesh18.com। अभिगमन तिथि: 19 अगस्त, 2016।

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