लाला जगत नारायन: Difference between revisions

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==स्वतंत्रता संग्राम में भाग==  
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लाला जगत नारायन अपनी कानून की पढ़ाई को बीच मेंं छोड़ कर [[गांधीजी]] के नेतृत्व वाले [[असहयोग आंदोलन]] में सम्मलित हो गये। [[1921]] से [[1942]] तक जितने भी आंदोलन हुए जगत नारायन ने उनमें सक्रिय भाग लिया। जगत नारायण को आपत्तिजनक सामग्री प्रकाशित करने के आरोप में पांच-छह बार अपनी जमानत गंवानी पड़ी थी। उस समय के प्रमुख नेताओं डॉक्टर सत्यपाल, [[सैफुद्दीन किचलू|डॉक्टर सैफुद्दीन किचलू]] आदि से उनका निकट संबंध था।  
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==मृत्यु==
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Latest revision as of 09:05, 11 March 2024

लाला जगत नारायन
पूरा नाम लाला जगत नारायन
जन्म 31 मई, 1899
जन्म भूमि पंजाब
मृत्यु 9 सितम्बर, 1981
पति/पत्नी शांति देवी
कर्म भूमि भारत
विद्यालय डी. ए. वी. कॉलेज, लाहौर
प्रसिद्धि पत्रकार तथा स्वतंत्रता सेनानी
नागरिकता भारतीय
अन्य जानकारी लाला जगत नारायण जी की अपने जीवन काल में सच्ची देशभक्ति एवं समाज सेवा हेतु सन् 2013 में भारत सरकार के तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने उनके सम्मान में डाक टिकट जारी किया।
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची

लाला जगत नारायन (अंग्रेज़ी: Lala Jagat Narain, जन्म- 31 मई, 1899, पंजाब; मृत्यु- 9 सितम्बर, 1981) प्रसिद्ध पत्रकार तथा हिन्द समाचार समूह के संस्थापक थे। वे कांग्रेस और आर्य समाज के प्रसिद्ध कार्यकर्ता एवं स्वतंत्रता सेनानी थे। लाला जगत नारायन छूआछूत के विरोधी और महिलाओं को पुरुषों के बराबर अधिकार मिलें, इस बात के समर्थक थे। 80 के दशक में जब पूरा पंजाब आतंकी माहौल से सुलग रहा था, उस दौर में भी कलम के सिपाही एवं देश भावना से प्रेरित लाला जी ने अपने बिंदास लेखन से आतंकियों के मंसूबों को उजागर किया और राज्य में शांति कायम करने के भरसक प्रयास किए।

परिचय

कांग्रेस और आर्य समाज के प्रसिद्ध कार्यकर्ता लाला जगत नारायन का जन्म 1899 में पंजाब के गुजरांवाला ज़िले में[1] हुआ था। उन्होंने लाहौर के डी. ए. वी. कॉलेज में शिक्षा पाई। उसी समय वे पंजाब के प्रसिद्ध नेता लाला लाजपत राय के प्रभाव में आए। आर्य समाज के विचारों का भी उनके ऊपर प्रभाव पड़ा। इनके भाई परमानंद ने 'आकाशवाणी' नाम का एक पत्र प्रकाशित किया था। जगत नारायण उस पत्र के संपादक रहे। उन्होंने लाहौर में अपनी प्रेस की स्थापना की, पर उसे सरकार ने जब्त कर लिया। वे इस बात के पक्षधर थे कि भारत की अपनी शिक्षा नीति हो और प्रारंभिक शिक्षा निशुल्क और अनिवार्य होनी चाहिए।[2]

स्वतंत्रता संग्राम में भाग

लाला जगत नारायन अपनी कानून की पढ़ाई को बीच मेंं छोड़ कर गांधीजी के नेतृत्व वाले असहयोग आंदोलन में सम्मलित हो गये। 1921 से 1942 तक जितने भी आंदोलन हुए जगत नारायन ने उनमें सक्रिय भाग लिया। जगत नारायण को आपत्तिजनक सामग्री प्रकाशित करने के आरोप में पांच-छह बार अपनी जमानत भी गंवानी पड़ी थी। उस समय के प्रमुख नेताओं डॉक्टर सत्यपाल, डॉक्टर सैफुद्दीन किचलू आदि से उनका निकट संबंध था।

हिन्द समाचार समूह के संस्थापक

देश के आजाद होने के उपरांत सन् 1948 में लाहौर से पलायन कर लाला जगत नारायन ने जालंधर में 'हिन्द समाचार' नामक उर्दू दैनिक अखबार का शुभारम्भ किया, लेकिन तत्काल समय में उर्दू के अखबार को ज्यादा लोकप्रियता नहीं मिल पाई और सन् 1965 में लाला जी ने 'पंजाब केसरी' दैनिक हिन्दी समाचार पत्र की स्थापना कर डाली, जिसे पहले उत्तर भारत के राज्यों तथा बाद में मध्य एवं पूर्व और पश्चिम राज्यों में भी खूब लोकप्रियता मिली। लाला जी आर्य समाजी विचारधारा में विश्वास रखते थे और वे अपने जीवन काल में हमेशा ही आदर्श परिवार एवं आदर्श समाज स्थापना तथा नैतिक कर्तव्य एवं योगदान के लिए प्रेरणा स्रोत रहे। [[चित्र:Lala-Jagat-Narayan-Stamp.jpg|thumb|left|250px|लाला जगत नारायन पर डाक टिकट]]

सम्मान

स्वतंत्रता सेनानी तथा 'पंजाब केसरी' समाचार पत्र समूह के संस्थापक लाला जगत नारायण जी की अपने जीवन काल में सच्ची देशभक्ति एवं समाज सेवा हेतु सन् 2013 में भारत सरकार के तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने उनके सम्मान में डाक टिकट जारी किया।

मृत्यु

अस्सी के दशक में जब पूरा पंजाब आतंकी माहौल से सुलग रहा था, उस दौर में भी कलम के सिपाही एवं देश भावना से प्रेरित लाला जी ने अपने बिंदास लेखन से आतंकियों के मंसूबों को उजागर किया और राज्य में शांति कायम करने के भरसक प्रयास किए, परन्तु 9 सितम्बर सन् 1981 को इन्हीं आतंकियों ने सच्चे देशभक्त एवं निडर पत्रकार लाला जी की हत्या कर दी।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. अब पाकिस्तान में
  2. भारतीय चरित कोश |लेखक: लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय' |प्रकाशक: शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली |पृष्ठ संख्या: 762 |

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  1. REDIRECTसाँचा:स्वतन्त्रता सेनानी