आख़िरी कलाम: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
m (Text replacement - " महान " to " महान् ")
 
(6 intermediate revisions by 3 users not shown)
Line 1: Line 1:
'आख़िरी कलाम' ग्रन्थ में [[इस्लाम|इस्लामी]] मान्यता के अनुसार प्रलय का वर्णन है। [[जायसी]] रचित महान ग्रंथ का सर्वप्रथम प्रकाशन फ़ारसी लिपि में हुआ था। इस काव्य में जायसी ने [मसनवी- शैली' के अनुसार ईश्वर- स्तुति की है। अपने [[अवतार]] ग्रहण करने तथा भूकंप एवं सूर्य- ग्रहण का भी उल्लेख किया है। इस के अलावा उन्होंने [[मुहम्मद]] स्तुति, शाहतरत- बादशाह की प्रशस्ति और सैय्यद अशरफ़ की वंदना, जायस नगर का परिचय बड़ी सुंदरता से उल्लेख किया है। जैसा कि जायसी ने अपने काव्य [[अखरावट]] में संसार की सृष्टि के विषय में लिखा था। इस आख़री काव्य में जायसी ने 'आख़री कलाम' नाम के अनुसार संसार के खत्म होने एवं पुनः सारे मानवों को जगाकर उसे अपना दर्शन कराने एवं [[जन्नत]] की भोग विलास के सूपुर्द करने का उल्लेख किया है।
'''आख़िरी कलाम''' [[मलिक मुहम्मद जायसी]] द्वारा रचित [[ग्रंथ]] है। इसमें [[इस्लाम|इस्लामी]] मान्यता के अनुसार प्रलय का वर्णन किया गया है। जायसी रचित इस महान् ग्रंथ का सर्वप्रथम प्रकाशन [[फ़ारसी भाषा|फ़ारसी]] में हुआ था।


{{लेख प्रगति|आधार=आधार1|प्रारम्भिक= |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
*इस काव्य में जायसी ने '[[मसनवी]]' शैली के अनुसार ईश्वर-स्तुति की है।
{{संदर्भ ग्रंथ}}
*इस ग्रंथ में ईश्वर के [[अवतार]] ग्रहण करने तथा [[भूकंप]] एवं [[सूर्य ग्रहण]] का भी उल्लेख किया गया है। इसके अलावा [[मलिक मुहम्मद जायसी|जायसी]] ने [[मुहम्मद]] की स्तुति, शाहतरत- बादशाह की प्रशस्ति और सैय्यद अशरफ़ की वंदना, [[जायस|जायस नगर]] का परिचय बड़ी सुंदरता के साथ किया है।
*जैसा की जायसी ने अपने काव्य '[[अखरावट]]' में संसार की सृष्टि के विषय में लिखा था। इस आख़िरी काव्य में जायसी ने 'आख़िरी कलाम' नाम के अनुसार संसार के समाप्त होने एवं पुनः सारे मानवों को जगाकर उसे अपना दर्शन कराने एवं जन्नत की भोग विलास के सूपुर्द करने का उल्लेख किया है।
 
{{लेख प्रगति|आधार= |प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>
<references/>
==बाहरी कड़ियाँ==
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
{{मलिक मुहम्मद जायसी}}{{भक्ति कालीन साहित्य}}
{{मलिक मुहम्मद जायसी}}{{भक्ति कालीन साहित्य}}
 
[[Category:पद्य साहित्य]][[Category:भक्ति काल]][[Category:भक्ति साहित्य]][[Category:साहित्य कोश]][[Category:मलिक मुहम्मद जायसी]]
[[Category:पद्य_साहित्य]][[Category:भक्ति_काल]][[Category:भक्ति_साहित्य]][[Category:मलिक_मुहम्मद_जायसी]]__INDEX__
__INDEX__

Latest revision as of 14:02, 30 June 2017

आख़िरी कलाम मलिक मुहम्मद जायसी द्वारा रचित ग्रंथ है। इसमें इस्लामी मान्यता के अनुसार प्रलय का वर्णन किया गया है। जायसी रचित इस महान् ग्रंथ का सर्वप्रथम प्रकाशन फ़ारसी में हुआ था।

  • इस काव्य में जायसी ने 'मसनवी' शैली के अनुसार ईश्वर-स्तुति की है।
  • इस ग्रंथ में ईश्वर के अवतार ग्रहण करने तथा भूकंप एवं सूर्य ग्रहण का भी उल्लेख किया गया है। इसके अलावा जायसी ने मुहम्मद की स्तुति, शाहतरत- बादशाह की प्रशस्ति और सैय्यद अशरफ़ की वंदना, जायस नगर का परिचय बड़ी सुंदरता के साथ किया है।
  • जैसा की जायसी ने अपने काव्य 'अखरावट' में संसार की सृष्टि के विषय में लिखा था। इस आख़िरी काव्य में जायसी ने 'आख़िरी कलाम' नाम के अनुसार संसार के समाप्त होने एवं पुनः सारे मानवों को जगाकर उसे अपना दर्शन कराने एवं जन्नत की भोग विलास के सूपुर्द करने का उल्लेख किया है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख