चोपता: Difference between revisions
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*[[विजय दशमी]] के बाद तुंगनाथ मंदिर बंद होते ही चोपता में वीरानी छा जाती है। तुंगनाथ देवता के मक्कूमठ जाने के साथ ही यहाँ के लोग भी अपने-अपने गाँव रवाना हो जाते हैं। लगभग चार महीनों तक बर्फ की चादर ओढ़े समूचा इलाका सन्नाटे में डूबा रहता है। [[बैसाखी]] के बाद तुंगनाथ के कपाट खुलने से कुछ पहले चोपता में रौनक लौट आती है। [[चाय]] की दुकानों पर केतलियों से भाप उठने लगती है और ढाबे सज जाते हैं। सफाई और रंगरोगन के बाद गेस्ट हाउसों के | *[[विजय दशमी]] के बाद तुंगनाथ मंदिर बंद होते ही चोपता में वीरानी छा जाती है। तुंगनाथ देवता के मक्कूमठ जाने के साथ ही यहाँ के लोग भी अपने-अपने गाँव रवाना हो जाते हैं। लगभग चार महीनों तक बर्फ की चादर ओढ़े समूचा इलाका सन्नाटे में डूबा रहता है। [[बैसाखी]] के बाद तुंगनाथ के कपाट खुलने से कुछ पहले चोपता में रौनक लौट आती है। [[चाय]] की दुकानों पर केतलियों से भाप उठने लगती है और ढाबे सज जाते हैं। सफाई और रंगरोगन के बाद गेस्ट हाउसों के दरवाज़े सैलानियों का इंतजार करने लगते हैं।<ref>{{cite web |url=http://travelwithparthiv.blogspot.in/|title=चोपता की सादगी में है जादू|accessmonthday=03 सितम्बर|accessyear= 2013|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=हिन्दी}}</ref> | ||
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इस खूबसूरत स्थल से [[हिमालय]] की [[नंदादेवी चोटी|नंदादेवी]], त्रिशूल एवं चौखम्बा पर्वत श्रृंखला के विहंगम दृश्य दिखते हैं। जब [[सूर्य]] की किरणें हिमालय की चोटियों पर पड़ती हैं तो यहाँ की सुबह | इस खूबसूरत स्थल से [[हिमालय]] की [[नंदादेवी चोटी|नंदादेवी]], त्रिशूल एवं चौखम्बा पर्वत श्रृंखला के विहंगम दृश्य दिखते हैं। जब [[सूर्य]] की किरणें हिमालय की चोटियों पर पड़ती हैं तो यहाँ की सुबह काफ़ी मनोरम लगती है। यहाँ कई यादगार पर्यटन स्थान मौजूद हैं, जो पर्यटकों की यात्रा को यादगार बनाने के लिए पर्याप्त हैं। यह छोटा-सा पहाड़ी स्थान पर्यटन के लिए आकर्षक जगहों से भरपूर है। जहाँ 'केदारनाथ वाइल्ड लाइफ सेंचुरी', [[तुंगनाथ मन्दिर|तुंगनाथ]], चंद्रशिला और देवहरिया ताल आदि प्रमुख पर्यटक स्थान हैं। | ||
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चोपता जाने का सबसे उपयुक्त समय [[मई]] से [[नवम्बर]] तक का है। इस दौरान मौसम ताजगी देने वाला और आसमान साफ होता है। इस अवधि में यहाँ से [[हिमालय]] की चोटियाँ साफ नजर आती हैं। यहाँ सर्दियाँ बहुत ही कंपाने वाली होती हैं, इसलिए इस दौरान यहाँ आने से बचे रहना ज्यादा ठीक रहता है। | चोपता जाने का सबसे उपयुक्त समय [[मई]] से [[नवम्बर]] तक का है। इस दौरान मौसम ताजगी देने वाला और आसमान साफ होता है। इस अवधि में यहाँ से [[हिमालय]] की चोटियाँ साफ नजर आती हैं। यहाँ सर्दियाँ बहुत ही कंपाने वाली होती हैं, इसलिए इस दौरान यहाँ आने से बचे रहना ज्यादा ठीक रहता है। |
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चोपता
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विवरण | 'चोपता' उत्तराखंड में हरियाली और प्राकृतिक दृश्यों से भरपूर एक खूबसूरत पहाड़ी स्थान है। यह पहाड़ी स्थान पर्यटन के लिए आकर्षक जगहों से भरपूर है। |
राज्य | उत्तराखंड |
ज़िला | रुद्रप्रयाग |
भौगोलिक स्थिति | उखीमठ से 37 किलोमीटर दूर समुद्र की सतह से 9515 फीट की ऊंचाई पर। |
प्रसिद्धि | पहाड़ी पर्यटन स्थल |
कब जाएँ | मई से नवम्बर |
हवाई अड्डा | जॉली ग्रांट |
रेलवे स्टेशन | ऋषिकेश |
बस अड्डा | उत्तराखंड परिवहन की बसें ऋषिकेश और दूसरे नजदीकी शहरों से चोपता के लिए नियमित चलती हैं। |
क्या देखें | 'केदारनाथ वाइल्ड लाइफ सेंचुरी', तुंगनाथ, चंद्रशिला और 'देवहरिया ताल'। |
संबंधित लेख | उत्तराखंड, उखीमठ, तुंगनाथ मन्दिर
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अन्य जानकारी | विजय दशमी के बाद तुंगनाथ मन्दिर बंद होते ही चोपता में वीरानी छा जाती है। बैसाखी के बाद तुंगनाथ के कपाट खुलने से कुछ पहले चोपता में रौनक लौट आती है। |
चोपता उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग ज़िले में उखीमठ से 37 किलोमीटर दूर समुद्र की सतह से 9515 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। यह पहाड़ी स्थान एक ऐसी खूबसूरत जगह है, जहाँ पहुँच कर मन को शांति और विश्राम मिलता है। चोपता को गाँव और कस्बे में से किसी भी खाँचे में नहीं डाल सकते। यह सिर्फ एक पड़ाव है, जहाँ केदारनाथ और बदरीनाथ के बीच चलने वाली गाड़ियाँ सुस्ताने के लिए रुकती हैं। यहाँ कोई मकान नहीं है। सड़क के किनारे कुछ ढाबे और चाय की दुकानें हैं। नजदीक ही एक पहाड़ी पर बने टिन की छत वाले कमरे हैं।
पर्यटन स्थल
गढ़वाल क्षेत्र में गोपेर से लगभग 40 किलोमीटर की दूरी पर गोपेर-ऊखीमठ मार्ग पर स्थित चोपता पड़ता है। यह छोटा-सा हिल स्टेशन है, जहाँ की सुंदरता किसी साँचे में कैद तस्वीर जैसी लगती है। यह किसी दूसरी दुनिया यानी धरती पर स्वर्ग जैसा अहसास कराती है। मनोरम दृश्यों वाला यह स्थल भीड़भाड़ से दूर शांति और सुकून दिलाने वाला प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है। समुद्र तल से लगभग 9515 फुट की ऊंचाई पर स्थित चोपता घने जंगलों से घिरा हुआ है।[1]
तुंगनाथ और चंद्रशिला का पदयात्रा स्थल
चोपता में बिजली अब तक नहीं पहुँची है। गेस्ट हाउस के कमरों को रोशन करने के लिए सोलर पैनल लगे हैं। सूरज ठीकठाक निकल गया तो एक इमरजेंसी लाइट चार-पांच घंटों तक जल जाती है। यहाँ रात में कुछ पढ़ने या लिखने की चाह हो तो मोमबत्ती का सहारा लेना पड़ता है। तुंगनाथ और उसके आगे चंद्रशिला के लिए पदयात्रा चोपता से ही शुरू होती है। मगर केदारनाथ, मध्य महेश्वर, तुंगनाथ, कल्पेश्वर और रुद्रनाथ की पंचकेदार यात्रा करने वाले तीर्थ यात्री कम ही होते हैं। अधिकतर तीर्थ यात्री चार धाम की यात्रा करते हैं। वे यमुनोत्री और गंगोत्री के बाद केदारनाथ से सीधे बदरीनाथ के लिए रवाना हो जाते हैं। भीड़भाड़ नहीं होने की वजह से ही गढ़वाल के सबसे सुंदर इलाकों में से एक चोपता की कुदरती खूबसूरती और शांति अब भी बरकरार है। बुरांश और बांज के पेड़ों के बीच से गुजरते हुए कई तरह के पंछियों की आवाजें एक साथ सुनी जा सकती हैं।
- विजय दशमी के बाद तुंगनाथ मंदिर बंद होते ही चोपता में वीरानी छा जाती है। तुंगनाथ देवता के मक्कूमठ जाने के साथ ही यहाँ के लोग भी अपने-अपने गाँव रवाना हो जाते हैं। लगभग चार महीनों तक बर्फ की चादर ओढ़े समूचा इलाका सन्नाटे में डूबा रहता है। बैसाखी के बाद तुंगनाथ के कपाट खुलने से कुछ पहले चोपता में रौनक लौट आती है। चाय की दुकानों पर केतलियों से भाप उठने लगती है और ढाबे सज जाते हैं। सफाई और रंगरोगन के बाद गेस्ट हाउसों के दरवाज़े सैलानियों का इंतजार करने लगते हैं।[2]
क्या देखें
इस खूबसूरत स्थल से हिमालय की नंदादेवी, त्रिशूल एवं चौखम्बा पर्वत श्रृंखला के विहंगम दृश्य दिखते हैं। जब सूर्य की किरणें हिमालय की चोटियों पर पड़ती हैं तो यहाँ की सुबह काफ़ी मनोरम लगती है। यहाँ कई यादगार पर्यटन स्थान मौजूद हैं, जो पर्यटकों की यात्रा को यादगार बनाने के लिए पर्याप्त हैं। यह छोटा-सा पहाड़ी स्थान पर्यटन के लिए आकर्षक जगहों से भरपूर है। जहाँ 'केदारनाथ वाइल्ड लाइफ सेंचुरी', तुंगनाथ, चंद्रशिला और देवहरिया ताल आदि प्रमुख पर्यटक स्थान हैं।
कब जाएँ
चोपता जाने का सबसे उपयुक्त समय मई से नवम्बर तक का है। इस दौरान मौसम ताजगी देने वाला और आसमान साफ होता है। इस अवधि में यहाँ से हिमालय की चोटियाँ साफ नजर आती हैं। यहाँ सर्दियाँ बहुत ही कंपाने वाली होती हैं, इसलिए इस दौरान यहाँ आने से बचे रहना ज्यादा ठीक रहता है।
कैसे पहुँचें
- वायु मार्ग - यहाँ का नजदीकी हवाई अड्डा जॉली ग्रांट है, जो 226 किलोमीटर की दूरी पर है। हवाई अड्डे से कैब, प्राइवेट टैक्सी या बस द्वारा चोपता पहुँचा जा सकता है।
- रेल मार्ग - नजदीकी रेलवे स्टेशन ऋषिकेश है, जो 209 किलोमीटर दूर है। ट्रेन से उतर कर चोपता तक टैक्सी या बस से जाया जा सकता है। ऋषिकेश से चोपता पहुँचने में पाँच घंटे का समय लग जाता है।
- सड़क मार्ग - उत्तराखंड परिवहन की बसें ऋषिकेश और दूसरे नजदीकी शहरों से चोपता के लिए नियमित रूप से मिलती रहती हैं। प्राइवेट जीपें भी चोपता पहुँचने का अच्छा साधन हैं।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.0 1.1 शांति का अहसास कराता है चोपता हिल स्टेशन (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 03 सितम्बर, 2013।
- ↑ चोपता की सादगी में है जादू (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 03 सितम्बर, 2013।
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