आख़िरी कलाम: Difference between revisions

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'''आख़िरी कलाम''' ग्रन्थ में [[इस्लाम|इस्लामी]] मान्यता के अनुसार प्रलय का वर्णन है। [[मलिक मुहम्मद जायसी|जायसी]] रचित महान ग्रंथ का सर्वप्रथम प्रकाशन [[फ़ारसी भाषा|फ़ारसी]] लिपि में हुआ था। इस काव्य में जायसी ने 'मसनवी- शैली' के अनुसार ईश्वर- स्तुति की है। अपने [[अवतार]] ग्रहण करने तथा [[भूकंप]] एवं [[सूर्य ग्रहण]] का भी उल्लेख किया है। इस के अलावा उन्होंने [[मुहम्मद]] स्तुति, शाहतरत- बादशाह की प्रशस्ति और सैय्यद अशरफ़ की वंदना, [[जायस|जायस नगर]] का परिचय बड़ी सुंदरता से उल्लेख किया है। जैसा कि जायसी ने अपने काव्य [[अखरावट]] में संसार की सृष्टि के विषय में लिखा था। इस आख़िरी काव्य में जायसी ने 'आख़िरी कलाम' नाम के अनुसार संसार के खत्म होने एवं पुनः सारे मानवों को जगाकर उसे अपना दर्शन कराने एवं जन्नत की भोग विलास के सूपुर्द करने का उल्लेख किया है।
'''आख़िरी कलाम''' [[मलिक मुहम्मद जायसी]] द्वारा रचित [[ग्रंथ]] है। इसमें [[इस्लाम|इस्लामी]] मान्यता के अनुसार प्रलय का वर्णन किया गया है। जायसी रचित इस महान् ग्रंथ का सर्वप्रथम प्रकाशन [[फ़ारसी भाषा|फ़ारसी]] में हुआ था।
 
*इस काव्य में जायसी ने '[[मसनवी]]' शैली के अनुसार ईश्वर-स्तुति की है।
*इस ग्रंथ में ईश्वर के [[अवतार]] ग्रहण करने तथा [[भूकंप]] एवं [[सूर्य ग्रहण]] का भी उल्लेख किया गया है। इसके अलावा [[मलिक मुहम्मद जायसी|जायसी]] ने [[मुहम्मद]] की स्तुति, शाहतरत- बादशाह की प्रशस्ति और सैय्यद अशरफ़ की वंदना, [[जायस|जायस नगर]] का परिचय बड़ी सुंदरता के साथ किया है।
*जैसा की जायसी ने अपने काव्य '[[अखरावट]]' में संसार की सृष्टि के विषय में लिखा था। इस आख़िरी काव्य में जायसी ने 'आख़िरी कलाम' नाम के अनुसार संसार के समाप्त होने एवं पुनः सारे मानवों को जगाकर उसे अपना दर्शन कराने एवं जन्नत की भोग विलास के सूपुर्द करने का उल्लेख किया है।


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Latest revision as of 14:02, 30 June 2017

आख़िरी कलाम मलिक मुहम्मद जायसी द्वारा रचित ग्रंथ है। इसमें इस्लामी मान्यता के अनुसार प्रलय का वर्णन किया गया है। जायसी रचित इस महान् ग्रंथ का सर्वप्रथम प्रकाशन फ़ारसी में हुआ था।

  • इस काव्य में जायसी ने 'मसनवी' शैली के अनुसार ईश्वर-स्तुति की है।
  • इस ग्रंथ में ईश्वर के अवतार ग्रहण करने तथा भूकंप एवं सूर्य ग्रहण का भी उल्लेख किया गया है। इसके अलावा जायसी ने मुहम्मद की स्तुति, शाहतरत- बादशाह की प्रशस्ति और सैय्यद अशरफ़ की वंदना, जायस नगर का परिचय बड़ी सुंदरता के साथ किया है।
  • जैसा की जायसी ने अपने काव्य 'अखरावट' में संसार की सृष्टि के विषय में लिखा था। इस आख़िरी काव्य में जायसी ने 'आख़िरी कलाम' नाम के अनुसार संसार के समाप्त होने एवं पुनः सारे मानवों को जगाकर उसे अपना दर्शन कराने एवं जन्नत की भोग विलास के सूपुर्द करने का उल्लेख किया है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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