अनक्सागोरस: Difference between revisions

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अनक्सागोरस एक यूनानी दार्शनिक जो एशिया-माइनर के क्लॅजोमिनिया नामक स्थान में 500 ई.पू. में पैदा हुआ, किंतु जिसकी ज्ञानपिपासा उसे यूनान खींच लाई। वह प्रसिद्ध यूनानी राजनीतिज्ञ पेरीक्लीज़ तथा कवि यूरिपिदिज़ का अन्यतम मित्र था। कुछ विद्वान उसे सुकरात का शिक्षक बताते हैं, किंतु यह कथन पर्याप्त प्रामाणिक नहीं है।

इयोनिया से दर्शन और प्राकृतिक विज्ञान को यूनान लाने का श्रेय अनक्सागोरस को ही है। वह स्वयं अनक्ज़ामिनस, इमपिदोक्लीज़ तथा यूनानी अणुवादियों से प्रभावित था, अत: उसके दर्शन की प्रमुख विशेषता विश्व की यांत्रिक भौतिकवादी व्याख्या है। उसने इस तत्कालीन यूनानी आस्था का कि सूर्य चंद्रादि देवगण हैं, खंडन कर यह प्रस्थापित किया कि सूर्य एक तप्त लौह द्रव्य एवं चंद्र तारागण पाषाणसमूह हैं जो पृथ्वी की तेज गति के कारण उससे छिटककर दूर जा पड़े हैं। वह इस विचारधारा का भी विरोधी था कि वस्तुएँ 'उत्पन्न' तथा 'विनष्ट' होती हैं। उसके अनुसार प्रत्येक वस्तु प्रागैतिहासिक अति सूक्ष्म द्रव्यों-जिन्हें वह 'बीज' कहता है और जो मूलत: अगणित एवं स्वविभाजित थे-'संयोग' तथा 'विभाजन' का परिणाम है।[1] वस्तुओं की परस्पर भिन्नता 'बीजों' के विभिन्न परिमाण में 'संयोग' के फलस्वरूप है। अनक्सागोरस के अनुसार इन मूल 'बीजों' का ज्ञान तभी संभव है जब उन्हें जटिल संपृक्त समूहों से 'बुद्धि' की क्रिया द्वारा पृथक किया जाय। 'बुद्धि' स्वयं सर्वत्रसम, स्वतंत्र एवं विशुद्ध है। तत्कालीन यूनानी धार्मिक दृष्टिकोण से मतभेद तथा पेराक्जीज़ की मित्रता अनक्सागोरस को महँगी पड़ी। पेराक्लीज़ के प्रतिद्वंद्वियों ने उस पर 'अधार्मिकता' और 'असत्य प्रचार' का आरोप लगाया, जिसके कारण उसे केवल 30 वर्ष की आयु में उसकी मृत्यु हो गई।[2]



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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. सं.ग्रं.-अनक्सागोरस के बिखरे विचारों का संकलन : शोबाक्‌ तथा शोर्न द्वारा (क्रमश: लाइपज़िग, 1827 एवं बॉन, 1829 में); गोमपर्ज़ : ग्रीक थिंकर्स, जिल्द1; विंडलबेंड: हिस्ट्री ऑव फिलॉसफी; बरनेट: ईज़ी ग्रीक फिसॉसफी: स्टेस: क्रिटिकल हिस्ट्री ऑव ग्रीक फिलॉसफी।
  2. हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 1 |प्रकाशक: नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 109,110 |

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