महानदी: Difference between revisions
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
व्यवस्थापन (talk | contribs) m (Text replace - "महत्व" to "महत्त्व") |
गोविन्द राम (talk | contribs) No edit summary |
||
Line 1: | Line 1: | ||
[[चित्र:Mahanadi-River.jpg|thumb|250px|महानदी, [[उड़ीसा]]]] | [[चित्र:Mahanadi-River.jpg|thumb|250px|महानदी, [[उड़ीसा]]]] | ||
महानदी नदी, मध्य [[भारत]], के मध्य [[छत्तीसगढ़]] राज्य की पहाड़ियों में [[सिहावा]] के पास से उदगम है। | महानदी नदी, मध्य [[भारत]], के मध्य [[छत्तीसगढ़]] राज्य की पहाड़ियों में [[सिहावा]] के पास से उदगम है। '''इस नदी को उड़ीसा का शोक कहा जाता है। जिसका कारण इसकी बाढ़ विभीषिका है।''' [[उड़ीसा]] प्राचीन समय से बाढ़ और सूखे से ग्रसित रहा है। | ||
महानदी नदी का ऊपरी प्रवाह उत्तर की ओर महत्त्वहीन धारा के रूप में होता है और छत्तीसगढ़ मैदान के पूर्वी हिस्से को अपवाहित करता है। बालोदा बाज़ार के नीचे [[शिवनाथ नदी]] के इससे मिलने के बाद यह पूर्व दिशा में मुड़कर [[उड़ीसा]] राज्य में प्रवेश करती है और उत्तर व दक्षिण में स्थित पहाड़ियों को अपवाहित करने वाली धाराओं से मिलकर इसके बहाव में वृद्धि होती है। [[संबलपुर]] में इस नदी पर निर्मित हीराकुंड बाँध के फलस्वरूप 55 किलोमीटर लम्बी कृत्रिम झील का निर्माण हो गया है। इस बाँध में कई पनबिजली संयंत्र हैं। बाँध के बाद महानदी दक्षिण में घुमावदार रास्ते से होते हुए वनाच्छादित महाखड्ड के ज़रिये पूर्वी घाट को पार करती है। पूर्व की ओर मुड़कर यह [[कटक]] के पास [[उड़ीसा]] के मैदान में प्रवेश करती है और कई धाराओं के माध्यम से फ़ाल्स पाइन्ट के पास [[बंगाल की खाड़ी]] में मिल जाती है। | |||
महानदी की कुल लम्बाई 900 किलोमीटर है और इसका अनुमानित अपवाहित क्षेत्र 132,100 वर्ग किलोमीटर है। यह भारतीय उपमहाद्वीप में सर्वाधिक सक्रिय गाद जमा करने वाली नदियों में से एक है। यह नदी सिंचाई की कई नहरों को, विशेषकर कटक के पास, जल प्रदान करती है। इसके एक मुहाने पर स्थित पुरी एक विख्यात तीर्थस्थल है। महानदी को मुख्यत: तीन भागों में विभक्त किया जा सकता है- | महानदी की कुल लम्बाई 900 किलोमीटर है और इसका अनुमानित अपवाहित क्षेत्र 132,100 वर्ग किलोमीटर है। यह भारतीय उपमहाद्वीप में सर्वाधिक सक्रिय गाद जमा करने वाली नदियों में से एक है। यह नदी सिंचाई की कई नहरों को, विशेषकर कटक के पास, जल प्रदान करती है। इसके एक मुहाने पर स्थित पुरी एक विख्यात तीर्थस्थल है। महानदी को मुख्यत: तीन भागों में विभक्त किया जा सकता है- | ||
====ऊपरी महानदी बेसिन==== | ====ऊपरी महानदी बेसिन==== | ||
Line 8: | Line 11: | ||
इसके अंतर्गत दुर्ग, मध्य रायपुर और बिलासपुर ज़िले का कुछ भाग सम्मिलित है। यह सम्पूर्ण क्षेत्र महानदी की प्रमुख सहायक शिवनाथ नदी का जलग्रहण क्षेत्र है, जिसमें उत्तरी-पश्चिमी एवं दक्षिणी सीमान्त उच्च भूमि से निकलने वाली सभी सहायक नदियाँ एवं नाले आकर मिलते हैं। शिवनाथ नदी रायपुर ज़िले में शिवरीनारायण से ऊपर किरौन्जी नामक स्थान में पश्चिम से आकर महानदी में मिलती है। [[जमुनिया नदी|जमुनिया]] तथा [[खोरसी नदी]] दक्षिण से आकर मिलती हैं। | इसके अंतर्गत दुर्ग, मध्य रायपुर और बिलासपुर ज़िले का कुछ भाग सम्मिलित है। यह सम्पूर्ण क्षेत्र महानदी की प्रमुख सहायक शिवनाथ नदी का जलग्रहण क्षेत्र है, जिसमें उत्तरी-पश्चिमी एवं दक्षिणी सीमान्त उच्च भूमि से निकलने वाली सभी सहायक नदियाँ एवं नाले आकर मिलते हैं। शिवनाथ नदी रायपुर ज़िले में शिवरीनारायण से ऊपर किरौन्जी नामक स्थान में पश्चिम से आकर महानदी में मिलती है। [[जमुनिया नदी|जमुनिया]] तथा [[खोरसी नदी]] दक्षिण से आकर मिलती हैं। | ||
====निचला महानदी बेसिन==== | ====निचला महानदी बेसिन==== | ||
इसके अंतर्गत बिलासपुर, रायपुर तथा रायगढ़ ज़िले आते हैं। शिवनाथ महानदी के संगम स्थल से महानदी एक तीव्र मोड़ लेकर बिलासपुर और रायपुर ज़िलों के मध्य तथा रायगढ़ और सारंगगढ़ तहसील के मध्य एक प्राकृतिक सीमा बनाती है, जो पूर्वी ढलान की ओर प्रवाहित [[मध्य प्रदेश]] से बाहर निकल जाती है। इस क्षेत्र में इसके उत्तर की ओर हसदो, माँड एवं ईब नदियाँ तथा दक्षिण की ओर से जोंक एवं सुरंगी आकर मिलती हैं। रायपुर ज़िले में नदी की लम्बाई 192 किलोमीटर तथा प्रवाह क्षेत्र 8,550 वर्ग किलोमीटर है। | इसके अंतर्गत बिलासपुर, [[रायपुर]] तथा रायगढ़ ज़िले आते हैं। शिवनाथ महानदी के संगम स्थल से महानदी एक तीव्र मोड़ लेकर बिलासपुर और रायपुर ज़िलों के मध्य तथा रायगढ़ और सारंगगढ़ तहसील के मध्य एक प्राकृतिक सीमा बनाती है, जो पूर्वी ढलान की ओर प्रवाहित [[मध्य प्रदेश]] से बाहर निकल जाती है। इस क्षेत्र में इसके उत्तर की ओर हसदो, माँड एवं ईब नदियाँ तथा दक्षिण की ओर से जोंक एवं सुरंगी आकर मिलती हैं। रायपुर ज़िले में नदी की लम्बाई 192 किलोमीटर तथा प्रवाह क्षेत्र 8,550 वर्ग किलोमीटर है। | ||
{{लेख प्रगति | {{लेख प्रगति | ||
|आधार= | |आधार= |
Revision as of 05:57, 12 September 2011
[[चित्र:Mahanadi-River.jpg|thumb|250px|महानदी, उड़ीसा]] महानदी नदी, मध्य भारत, के मध्य छत्तीसगढ़ राज्य की पहाड़ियों में सिहावा के पास से उदगम है। इस नदी को उड़ीसा का शोक कहा जाता है। जिसका कारण इसकी बाढ़ विभीषिका है। उड़ीसा प्राचीन समय से बाढ़ और सूखे से ग्रसित रहा है।
महानदी नदी का ऊपरी प्रवाह उत्तर की ओर महत्त्वहीन धारा के रूप में होता है और छत्तीसगढ़ मैदान के पूर्वी हिस्से को अपवाहित करता है। बालोदा बाज़ार के नीचे शिवनाथ नदी के इससे मिलने के बाद यह पूर्व दिशा में मुड़कर उड़ीसा राज्य में प्रवेश करती है और उत्तर व दक्षिण में स्थित पहाड़ियों को अपवाहित करने वाली धाराओं से मिलकर इसके बहाव में वृद्धि होती है। संबलपुर में इस नदी पर निर्मित हीराकुंड बाँध के फलस्वरूप 55 किलोमीटर लम्बी कृत्रिम झील का निर्माण हो गया है। इस बाँध में कई पनबिजली संयंत्र हैं। बाँध के बाद महानदी दक्षिण में घुमावदार रास्ते से होते हुए वनाच्छादित महाखड्ड के ज़रिये पूर्वी घाट को पार करती है। पूर्व की ओर मुड़कर यह कटक के पास उड़ीसा के मैदान में प्रवेश करती है और कई धाराओं के माध्यम से फ़ाल्स पाइन्ट के पास बंगाल की खाड़ी में मिल जाती है।
महानदी की कुल लम्बाई 900 किलोमीटर है और इसका अनुमानित अपवाहित क्षेत्र 132,100 वर्ग किलोमीटर है। यह भारतीय उपमहाद्वीप में सर्वाधिक सक्रिय गाद जमा करने वाली नदियों में से एक है। यह नदी सिंचाई की कई नहरों को, विशेषकर कटक के पास, जल प्रदान करती है। इसके एक मुहाने पर स्थित पुरी एक विख्यात तीर्थस्थल है। महानदी को मुख्यत: तीन भागों में विभक्त किया जा सकता है-
ऊपरी महानदी बेसिन
इसका अधिकांश भाग बस्तर तथा रायपुर में है। सिहावा पर्वत से निकलकर एक संकरी घाटी से होती हुई उत्तर-पश्चिम की ओर लगभग 50 किलोमीटर दूरी तक प्रवाहित होकर बस्तर में कांकेर के निकट स्थित पानीडोंगरी पहाड़ियों तक पहुँचता है। यहाँ यह पूर्व की ओर हो जाती है। यहाँ पर पैरी एवं तेल नदी ज़िले के दक्षिणी भाग का जल एकत्र कर महानदी में डालती हैं। बस्तर से नदी की लम्बाई 64 किलोमीटर तथा प्रवाह क्षेत्र 2,640 वर्ग किलोमीटर है।
मध्य महानदी बेसिन
[[चित्र:Mahanadi.jpg|250px|thumb|महानदी, उड़ीसा]] इसके अंतर्गत दुर्ग, मध्य रायपुर और बिलासपुर ज़िले का कुछ भाग सम्मिलित है। यह सम्पूर्ण क्षेत्र महानदी की प्रमुख सहायक शिवनाथ नदी का जलग्रहण क्षेत्र है, जिसमें उत्तरी-पश्चिमी एवं दक्षिणी सीमान्त उच्च भूमि से निकलने वाली सभी सहायक नदियाँ एवं नाले आकर मिलते हैं। शिवनाथ नदी रायपुर ज़िले में शिवरीनारायण से ऊपर किरौन्जी नामक स्थान में पश्चिम से आकर महानदी में मिलती है। जमुनिया तथा खोरसी नदी दक्षिण से आकर मिलती हैं।
निचला महानदी बेसिन
इसके अंतर्गत बिलासपुर, रायपुर तथा रायगढ़ ज़िले आते हैं। शिवनाथ महानदी के संगम स्थल से महानदी एक तीव्र मोड़ लेकर बिलासपुर और रायपुर ज़िलों के मध्य तथा रायगढ़ और सारंगगढ़ तहसील के मध्य एक प्राकृतिक सीमा बनाती है, जो पूर्वी ढलान की ओर प्रवाहित मध्य प्रदेश से बाहर निकल जाती है। इस क्षेत्र में इसके उत्तर की ओर हसदो, माँड एवं ईब नदियाँ तथा दक्षिण की ओर से जोंक एवं सुरंगी आकर मिलती हैं। रायपुर ज़िले में नदी की लम्बाई 192 किलोमीटर तथा प्रवाह क्षेत्र 8,550 वर्ग किलोमीटर है।
|
|
|
|
|
संबंधित लेख