शेषचलम पहाड़ियाँ: Difference between revisions
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*उत्तर में [[एरमाला पर्वतश्रेणी]] के साथ शेषचलम पहाड़ियों की ऊंचाई भी 400 से 1,370 मीटर तक घटती-बढ़ती हैं। अपर्याप्त वर्षा के कारण इन पहाड़ियों की ढलानों पर बहुत कम जंगल हैं। | *उत्तर में [[एरमाला पर्वतश्रेणी]] के साथ शेषचलम पहाड़ियों की ऊंचाई भी 400 से 1,370 मीटर तक घटती-बढ़ती हैं। अपर्याप्त वर्षा के कारण इन पहाड़ियों की ढलानों पर बहुत कम जंगल हैं। | ||
*पेनेरू की सहायता नदियाँ इस क्षेत्र को अपवाहित करती हैं। ऊबड़-खाबड़ स्थलाकृति, अनुर्वर मिट्टी और अर्द्धशुष्क जलवायु यहाँ कृषि को बाधित करते हैं। | *पेनेरू की सहायता नदियाँ इस क्षेत्र को अपवाहित करती हैं। ऊबड़-खाबड़ स्थलाकृति, अनुर्वर मिट्टी और अर्द्धशुष्क जलवायु यहाँ कृषि को बाधित करते हैं। | ||
*ज्वार, [[मूँगफली]] यहाँ की मुख्य फ़सलें हैं। यहाँ पर ऐस्बेस्टॅस, बैराइट और चूना-पत्थर का खनन होता हैं। हथकरघा, बांस का काम व ईंट निर्माण यहाँ की अन्य महत्त्वपूर्ण आर्थिक गतिविधियां हैं और पूलिवेंडला एकमात्र महत्त्वपूर्ण नगर है। | *[[ज्वार]], [[मूँगफली]] यहाँ की मुख्य फ़सलें हैं। यहाँ पर ऐस्बेस्टॅस, बैराइट और चूना-पत्थर का खनन होता हैं। हथकरघा, बांस का काम व ईंट निर्माण यहाँ की अन्य महत्त्वपूर्ण आर्थिक गतिविधियां हैं और पूलिवेंडला एकमात्र महत्त्वपूर्ण नगर है। | ||
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Revision as of 13:22, 11 August 2011
- शेषचलम पहाड़ियाँ पूर्वी घाट की पर्वत श्रृंखला, दक्षिण आंध्र प्रदेश राज्य के दक्षिण भारत में स्थित है।
- क़ैंब्रियन- पूर्व युग में (लगभग 3.8 अरब से 54 करोड़ वर्ष पूर्व) बनी इन पहाड़ियों में चूना-पत्थर के बीच-बीच में बलुआ पत्थरों और स्लेट जैसी चट्टानों की परतें हैं। ये अत्यंत बिखरी हुई हैं और इनमें अनेक लंबी घाटियाँ हैं।
- ये पहाड़ियाँ पश्चिम और पश्चिमोत्तर में रायलसीमा उच्चभूमि और पूर्वोत्तर में नांदयाल घाटी (कुंदेरू नदी से बनी) से सीमांकित हैं। शेषचलम पहाड़ियाँ लगभग 8,000 वर्ग किमी में फैली हैं और उनका सामान्य विस्तार दक्षिण- दक्षिणपूर्व की तरफ़ है।
- उत्तर में एरमाला पर्वतश्रेणी के साथ शेषचलम पहाड़ियों की ऊंचाई भी 400 से 1,370 मीटर तक घटती-बढ़ती हैं। अपर्याप्त वर्षा के कारण इन पहाड़ियों की ढलानों पर बहुत कम जंगल हैं।
- पेनेरू की सहायता नदियाँ इस क्षेत्र को अपवाहित करती हैं। ऊबड़-खाबड़ स्थलाकृति, अनुर्वर मिट्टी और अर्द्धशुष्क जलवायु यहाँ कृषि को बाधित करते हैं।
- ज्वार, मूँगफली यहाँ की मुख्य फ़सलें हैं। यहाँ पर ऐस्बेस्टॅस, बैराइट और चूना-पत्थर का खनन होता हैं। हथकरघा, बांस का काम व ईंट निर्माण यहाँ की अन्य महत्त्वपूर्ण आर्थिक गतिविधियां हैं और पूलिवेंडला एकमात्र महत्त्वपूर्ण नगर है।
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