चित्तौड़गढ़ क़िला: Difference between revisions
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* परंपरा से प्रसिद्ध है कि इसे चित्रांगद मोरी ने बनवाया था। आठवीं शताब्दी में गुहिलवंशी बापा ने इसे हस्तगत किया। | |||
*कुछ समय तक यह परमारों, सोलंकियों और चौहानों के अधिकार में भी रहा, किंतु सन 1175 ई. के आस पास से [[उदयपुर]] राज्य के राजस्थान में विलय होने तक यह प्राय: गुहिलवंशियों के हाथ में रहा। | |||
* दुर्ग अनेक दर्शनीय और ऐतिहासिक स्थानों से परिपूर्ण है। पाडलपोल के निकट वीर बाघसिंह का स्मारक है। | |||
* महाराणा का प्रतिनिधि बनकर इसने गुजरातियों से युद्ध किया था। भैरवपोल के निकट कल्ला और जैमल क छतरियाँ हैं। रामपोल के पास पत्ता का स्मारक पत्थर है। | |||
* दुर्ग के अंदर जैन कीर्तिस्तंभ, महावीरस्वामी का मंदिर, पद्मिनी के महल, कालिका माई का मंदिर, कुछ प्राचीन बौद्ध स्तूप, समिद्वेश्वर का भव्य प्राचीन मंदिर जिसे राजा भोज परमार ने बनवाया था। | |||
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Revision as of 15:07, 25 April 2011
- चित्तौड़ का विख्यात दुर्ग, राजस्थान में 25.53 अक्षांश और 74.39 देशांतर पर स्थित है।
- यह ज़मीन से लगभग 500 फुट ऊँचाईवाली एक पहाड़ी पर बना हुआ है।
- परंपरा से प्रसिद्ध है कि इसे चित्रांगद मोरी ने बनवाया था। आठवीं शताब्दी में गुहिलवंशी बापा ने इसे हस्तगत किया।
- कुछ समय तक यह परमारों, सोलंकियों और चौहानों के अधिकार में भी रहा, किंतु सन 1175 ई. के आस पास से उदयपुर राज्य के राजस्थान में विलय होने तक यह प्राय: गुहिलवंशियों के हाथ में रहा।
- दुर्ग अनेक दर्शनीय और ऐतिहासिक स्थानों से परिपूर्ण है। पाडलपोल के निकट वीर बाघसिंह का स्मारक है।
- महाराणा का प्रतिनिधि बनकर इसने गुजरातियों से युद्ध किया था। भैरवपोल के निकट कल्ला और जैमल क छतरियाँ हैं। रामपोल के पास पत्ता का स्मारक पत्थर है।
- दुर्ग के अंदर जैन कीर्तिस्तंभ, महावीरस्वामी का मंदिर, पद्मिनी के महल, कालिका माई का मंदिर, कुछ प्राचीन बौद्ध स्तूप, समिद्वेश्वर का भव्य प्राचीन मंदिर जिसे राजा भोज परमार ने बनवाया था।
वीथिका
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चित्तौड़गढ़ क़िला, चित्तौड़गढ़
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चित्तौड़गढ़ क़िला, चित्तौड़गढ़
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
हिन्दी विश्वकोश (खण्ड- 4) पृष्ठ संख्या- 219
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