पुण्य: Difference between revisions
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पुण्य को दान<ref>भिक्षुओं को भोजन तथा कपड़े जैसी वस्तुएं या कोई मंदिर या मठ दान करना</ref>, शील<ref>नैतिक प्रबोधन करना</ref> तथा भावना<ref>ध्यान का आचरण</ref> द्वारा प्राप्त किया जा सकता है। पुण्य एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को स्थानांतरित किया जा सकता है। यह [[महायान]] विचारधारा की प्रमुख विशेषता है, जिसमें कि आदर्श [[बौद्ध]] का स्वरूप बोधिसत्व (भावी बुद्ध) का है, जिसने अपने आपको दूसरों की सेवा में समर्पित कर दिया हो तथा अपने कभी भी समाप्त न होने वाले भंडार से दूसरों की भलाई के लिए अपने पुण्यों को दूसरों को सौंप दिया हो। | पुण्य को दान<ref>भिक्षुओं को भोजन तथा कपड़े जैसी वस्तुएं या कोई मंदिर या मठ दान करना</ref>, शील<ref>नैतिक प्रबोधन करना</ref> तथा भावना<ref>ध्यान का आचरण</ref> द्वारा प्राप्त किया जा सकता है। पुण्य एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को स्थानांतरित किया जा सकता है। यह [[महायान]] विचारधारा की प्रमुख विशेषता है, जिसमें कि आदर्श [[बौद्ध]] का स्वरूप बोधिसत्व (भावी बुद्ध) का है, जिसने अपने आपको दूसरों की सेवा में समर्पित कर दिया हो तथा अपने कभी भी समाप्त न होने वाले भंडार से दूसरों की भलाई के लिए अपने पुण्यों को दूसरों को सौंप दिया हो। | ||
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Revision as of 08:41, 20 September 2013
पुण्य एक पालि शब्द है जिसका अर्थ सत्कर्म या अच्छे कर्म से होता है। आमतौर पर यह मठवासी तथा सामान्य बौद्ध द्वारा अच्छे कर्मों के लिए प्रयुक्त होता है, जिससे भविष्य में अच्छा पुनर्जन्म प्राप्त किया जा सके। दक्षिण-पूर्वी एशिया की थेरवादी परंपरा में विशेष रूप से इस अवधारणा पर बल दिया गया है।
महत्त्व
पुण्य को दान[1], शील[2] तथा भावना[3] द्वारा प्राप्त किया जा सकता है। पुण्य एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को स्थानांतरित किया जा सकता है। यह महायान विचारधारा की प्रमुख विशेषता है, जिसमें कि आदर्श बौद्ध का स्वरूप बोधिसत्व (भावी बुद्ध) का है, जिसने अपने आपको दूसरों की सेवा में समर्पित कर दिया हो तथा अपने कभी भी समाप्त न होने वाले भंडार से दूसरों की भलाई के लिए अपने पुण्यों को दूसरों को सौंप दिया हो।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख