सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान: Difference between revisions
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Revision as of 08:59, 8 January 2012
सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान
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विवरण | सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान राजस्थान के अलवर शहर में स्थित है। | ||
राज्य | राजस्थान | ||
ज़िला | अलवर | ||
स्थापना | 1958 में भारत सरकार ने इसे वन्यजीव अभयारण्य घोषित किया और 1979 में इसे प्रोजेक्ट टाईगर के अधीन लाया गया। | ||
भौगोलिक स्थिति | उत्तर- 27°19′3″ - पूर्व- 76°26′13″ | ||
मार्ग स्थिति | सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान दिल्ली से लगभग 200 किमी और जयपुर से 107 किमी की दूरी पर स्थित है। | ||
कब जाएँ | जून से अक्तूबर | ||
हवाई अड्डा | जयपुर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा | ||
रेलवे स्टेशन | अलवर जंक्शन | ||
बस अड्डा | जनरल बस अड्डा | ||
यातायात | ऑटो-रिक्शा और टैक्सी | ||
कहाँ ठहरें | होटल, गेस्ट हाउस | ||
एस.टी.डी. कोड | 0144 | ||
ए.टी.एम | लगभग सभी | ||
चित्र:Map-icon.gif | गूगल मानचित्र | ||
संबंधित लेख | बाला क़िला, नीमराना फ़ोर्ट पैलेस, सिटी पैलेस | भाषा | हिन्दी, अंग्रेज़ी और राजस्थानी |
बाहरी कड़ियाँ | सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान की वेबसाइट | ||
अद्यतन | 14:18, 8 जनवरी 2012 (IST)
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सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान राजस्थान (भारत) के अलवर ज़िले में स्थित है। यह भारत के बाघ संरक्षित अभ्यारण्यों में से एक है। यह अभ्यारण्य 1958 ई. में बना था। इसके विकास के लिए 'विश्व वन्यजीव कोष' से भी सहायता प्राप्त हो रही है।
मुख्य बिन्दु
- राजस्थान के अलवर ज़िले में अरावली की पहाड़ियों पर 800 वर्ग किमी के क्षेत्र में फैला सरिस्का मुख्य रूप से वन्य जीव अभयारण्य और टाइगर रिजर्व के लिए प्रसिद्ध है। इसके अलावा इस स्थान का ऐतिहासिक महत्त्व भी है।
- यह दिल्ली से लगभग 200 किमी और जयपुर से 107 किमी की दूरी पर स्थित है।
- सरिस्का में बने मंदिरों के अवशेषों में गौरवशाली अतीत की झलक दिखती है।
- ईसापूर्व 5वीं शताब्दी के धर्मग्रन्थों में इस स्थान का उल्लेख मिलता है।
- कहा जाता है कि पांडवों ने अपने वनवास के दौरान सरिस्का में आश्रय लिया था।
- मध्यकाल में औरंगज़ेब ने अपने भाई को कैद करने के लिए कंकावड़ी क़िले का प्रयोग किया था।
- 8वीं से 12वीं शताब्दी के दौरान यहाँ के अमीरों ने अनेक मंदिरों का निर्माण करवाया।
- 20वीं शताब्दी में महाराजा जयसिंह ने सरिस्का को संरक्षित क्षेत्र बनाने के लिए अभियान चलाया।
- आज़ादी के बाद 1958 में भारत सरकार ने इसे वन्यजीव अभयारण्य घोषित किया और 1979 में इसे प्रोजेक्ट टाईगर के अधीन लाया गया।
- पहाड़ों और जंगलों से घिरा यह अभयारण स्तनधारी जानवरों, पक्षियों, सापों, बाघों और तेंदुओं के लिए ख़ास पहचान रखता है।
- सरिस्का वन्यजीव अभयारण में पूरे साल सैलानियों की भीड़ लगी रहती है।
- यहाँ पर जाने का सबसे अधिक अच्छा समय जून से अक्तूबर तक का है।
- इस दौरान यहाँ पर जंगल के राजा को उसके परिवार के साथ घूमते हुए बड़ी आसानी से देखा जा सकता है।
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टीका-टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख