हिन्दी सामान्य ज्ञान 12: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
कात्या सिंह (talk | contribs) No edit summary |
No edit summary |
||
Line 45: | Line 45: | ||
|| [[चित्र:RamChandraShukla.jpg|100px|right|रामचन्द्र शुक्ल]]रामचन्द्र शुक्ल जी का जन्म [[बस्ती ज़िला|बस्ती ज़िले]] के अगोना नामक गाँव में सन् 1884 ई. में हुआ था। सन् 1888 ई. में वे अपने पिता के साथ राठ हमीरपुर गये तथा वहीं पर विद्याध्ययन प्रारम्भ किया। सन् 1892 ई. में उनके पिता की नियुक्ति मिर्ज़ापुर में सदर क़ानूनगो के रूप में हो गई और वे पिता के साथ [[मिर्ज़ापुर]] आ गये। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[रामचन्द्र शुक्ल]] | || [[चित्र:RamChandraShukla.jpg|100px|right|रामचन्द्र शुक्ल]]रामचन्द्र शुक्ल जी का जन्म [[बस्ती ज़िला|बस्ती ज़िले]] के अगोना नामक गाँव में सन् 1884 ई. में हुआ था। सन् 1888 ई. में वे अपने पिता के साथ राठ हमीरपुर गये तथा वहीं पर विद्याध्ययन प्रारम्भ किया। सन् 1892 ई. में उनके पिता की नियुक्ति मिर्ज़ापुर में सदर क़ानूनगो के रूप में हो गई और वे पिता के साथ [[मिर्ज़ापुर]] आ गये। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[रामचन्द्र शुक्ल]] | ||
{[[भक्तिकाल]] का एक कवि अवतारवाद और मूर्तिपूजा का विरोधी है. इसके बावज़ूद वह [[हिन्दू धर्म|हिन्दुओं]] के जन्म-मृत्यु सम्बन्धी सिद्धांत को मानता है, ऐसा रचनाकार है? | {[[भक्तिकाल]] का एक [[कवि]] '[[अवतारवाद]]' और मूर्तिपूजा का विरोधी है. इसके बावज़ूद वह [[हिन्दू धर्म|हिन्दुओं]] के जन्म-मृत्यु सम्बन्धी सिद्धांत को मानता है, ऐसा रचनाकार है? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-[[जायसी]] | -[[जायसी]] | ||
Line 51: | Line 51: | ||
-[[तुलसीदास]] | -[[तुलसीदास]] | ||
-[[कुम्भनदास]] | -[[कुम्भनदास]] | ||
||[[चित्र:Kabirdas.jpg|right|100px|कबीर]]'कबीर' का जन्म 1440 ई. में [[वाराणसी]] में हुआ था। ये सुल्तान [[सिकन्दरशाह लोदी]] के समकालीन थे। सूरत गोपाल इनका मुख्य शिष्य था। मध्यकालीन संतों में [[कबीरदास]] का साहित्यिक एवं ऐतिहासिक योगदान निःसन्देह अविस्मरणीय है। एक महान समाज सुधारक के रूप में उन्होंने समाज में व्याप्त हर तरह की बुराइयों के ख़िलाफ़ संघर्ष किया, जिनमें उन्हे काफ़ी हद तक सफलता भी मिली। कबीर ने [[राम]], रहीम, हजरत, अल्लाह, आदि को एक ही ईश्वर के अनेक रूप माना। उन्होंने जाति प्रथा, धार्मिक कर्मकाण्ड, बाहरी आडम्बर, मूर्तिपूजा, जप-तप, [[अवतारवाद]] आदि का घोर विरोध करते हुए '[[एकेश्वरवाद]]' में आस्था एवं निराकार ब्रह्मा की उपासना को महत्व दिया। कबीर ने ईश्वर प्राप्ति हेतु शुद्ध प्रेम, पवित्रता एवं निर्मल [[हृदय]] की आवश्यकता बताई।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कबीर]] | |||
{प्रथम सूफ़ी प्रेमाख्यानक काव्य के रचयिता हैं- | {प्रथम सूफ़ी प्रेमाख्यानक काव्य के रचयिता हैं- |
Revision as of 12:43, 6 August 2013
सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी
राज्यों के सामान्य ज्ञान
- REDIRECTसाँचा:नीलाइस विषय से संबंधित लेख पढ़ें:-
- REDIRECTसाँचा:नीला बन्द भाषा प्रांगण, हिन्दी भाषा
पन्ने पर जाएँ
|
पन्ने पर जाएँ
सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी
राज्यों के सामान्य ज्ञान