देवी: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
No edit summary
Line 1: Line 1:
[[चित्र:Durga-Devi.jpg|250px|thumb|[[दुर्गा|देवी दुर्गा]]]]
[[चित्र:Durga-Devi.jpg|250px|thumb|[[दुर्गा|देवी दुर्गा]]]]
'देव' शब्द का स्त्रीलिंग 'देवी' है। [[देवता|देवताओं]] की तरह अनेक देवियों की सत्ता मानी गयी है। शाक्तमत का प्रचार होने पर शक्ति के अनेक रूपों की अभिव्यक्ति देवियों के रूपों में प्रचलित होती चली गयी।
'देव' शब्द का स्त्रीलिंग 'देवी' है। [[देवता|देवताओं]] की तरह अनेक देवियों की सत्ता मानी गयी है। [[शाक्त|शाक्तमत]] का प्रचार होने पर शक्ति के अनेक रूपों की अभिव्यक्ति देवियों के रूपों में प्रचलित होती चली गयी।
==विविध नाम और रूप==
==विविध नाम और रूप==
[[महाभारत]] और [[पुराण|पुराणों]] में देवी के विविध नामों और रूपों का वर्णन पाया जाता है। देवी, महादेवी, [[पार्वती]], हैमवती आदि इसके साधारण नाम हैं। [[शिव]] की शक्ति के रूप में देवी के दो रूप हैं- (1). कोमल और (2). भयंकर। प्राय: दूसरे रूप में ही इसकी अधिक पूजा होती है। कोमल अथवा सौम्य रूप में वह [[उमा]], [[गौरी]], पार्वती, हैमवती, जगन्माता, भवानी आदि नामों से सम्बोधित होती है। भयंकर रूप में इसके नाम हैं- [[दुर्गा]], [[काली]], श्यामा, [[चंडी]], चण्डिका, भैरवी आदि। उग्र रूप की पूजा में ही दुर्गा और भैरवी की उपासना होती है, जिसमें पशुबलि तथा अनेक वामाचार की क्रियाओं का विधान है। दुर्गा के दस हाथ हैं, जिनमें वह शस्त्रास्त्र धारण करती है। वह परमसुन्दरी, स्वर्णवर्ण और सिंह-वाहिनी है। वह महामाया रूप से सम्पूर्ण विश्व को मोहित रखती है।
[[महाभारत]] और [[पुराण|पुराणों]] में देवी के विविध नामों और रूपों का वर्णन पाया जाता है। देवी, महादेवी, [[पार्वती]], हैमवती आदि इसके साधारण नाम हैं। [[शिव]] की शक्ति के रूप में देवी के दो रूप हैं- (1). कोमल और (2). भयंकर। प्राय: दूसरे रूप में ही इसकी अधिक पूजा होती है। कोमल अथवा सौम्य रूप में वह [[उमा]], [[गौरी]], पार्वती, हैमवती, जगन्माता, भवानी आदि नामों से सम्बोधित होती है। भयंकर रूप में इसके नाम हैं- [[दुर्गा]], [[काली]], श्यामा, [[चंडी]], चण्डिका, भैरवी आदि। उग्र रूप की पूजा में ही दुर्गा और भैरवी की उपासना होती है, जिसमें पशुबलि तथा अनेक वामाचार की क्रियाओं का विधान है। दुर्गा के दस हाथ हैं, जिनमें वह शस्त्रास्त्र धारण करती है। वह परमसुन्दरी, स्वर्णवर्ण और सिंह-वाहिनी है। वह महामाया रूप से सम्पूर्ण विश्व को मोहित रखती है।

Revision as of 08:52, 4 March 2016

[[चित्र:Durga-Devi.jpg|250px|thumb|देवी दुर्गा]] 'देव' शब्द का स्त्रीलिंग 'देवी' है। देवताओं की तरह अनेक देवियों की सत्ता मानी गयी है। शाक्तमत का प्रचार होने पर शक्ति के अनेक रूपों की अभिव्यक्ति देवियों के रूपों में प्रचलित होती चली गयी।

विविध नाम और रूप

महाभारत और पुराणों में देवी के विविध नामों और रूपों का वर्णन पाया जाता है। देवी, महादेवी, पार्वती, हैमवती आदि इसके साधारण नाम हैं। शिव की शक्ति के रूप में देवी के दो रूप हैं- (1). कोमल और (2). भयंकर। प्राय: दूसरे रूप में ही इसकी अधिक पूजा होती है। कोमल अथवा सौम्य रूप में वह उमा, गौरी, पार्वती, हैमवती, जगन्माता, भवानी आदि नामों से सम्बोधित होती है। भयंकर रूप में इसके नाम हैं- दुर्गा, काली, श्यामा, चंडी, चण्डिका, भैरवी आदि। उग्र रूप की पूजा में ही दुर्गा और भैरवी की उपासना होती है, जिसमें पशुबलि तथा अनेक वामाचार की क्रियाओं का विधान है। दुर्गा के दस हाथ हैं, जिनमें वह शस्त्रास्त्र धारण करती है। वह परमसुन्दरी, स्वर्णवर्ण और सिंह-वाहिनी है। वह महामाया रूप से सम्पूर्ण विश्व को मोहित रखती है।

  • चण्डीमाहात्म्य के अनुसार इसके निम्नांकित नाम हैं-
  1. दुर्गा
  2. दशभुजा
  3. सिंह-वाहिनी
  4. महिषमर्दिनी
  5. जगद्धात्री
  6. काली
  7. मुक्तकेशी
  8. तारा
  9. छिन्नमस्तका
  10. जगद्गौरी।
  • अपने पति शिव से देवी को अनेक नाम मिले हैं, जैसे- बाभ्रवी, भगवती, ईशानी, ईश्वरी, कालञ्जरी, कपालिनी, कौशिकी, महेश्वरी, मृडा, मृडानी, रुद्राणी, शर्वाणी, शिवा, त्र्यम्बकी आदि।
  • अपने उत्पत्तिस्थानों से भी देवी को नाम मिले हैं- कन्या, कुमारी, अम्बिका, अवरा, अनन्ता, नित्या, आर्या, विजया, ऋद्धि, सती, दक्षिणा, पिंगा, कर्बुरी, भ्रामरी, कोटरी, कर्णमुक्ता, पद्मलांछना, सर्वमंगला, शाकम्भरी, शिवदूती, सिंहस्था।
  • तपस्या करने के कारण इसका नाम अपर्णा तथा कात्यायनी है। उसे भूतनायकी, गणनायकी तथा कामाक्षी या कामाख्या भी कहते हैं।
  • देवी के भयंकर रूपों के और भी अनेक नाम हैं- भद्रकाली, भीमादेवी, चामुंडा, महाकाली, महामारी, महासुरी, मातंगी, राजसी, रक्तदन्ती, आदि।

टीका टिप्पणी और संदर्भ

हिन्दू धर्मकोश |लेखक: डॉ. राजबली पाण्डेय |प्रकाशक: उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, हिन्दी भवन, लखनऊ |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 331 |


संबंधित लेख