रित्विक भट्टाचार्य: Difference between revisions
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[[1997]] में रित्विक राष्ट्रीय जूनियर चैंपियन रहे। इसके पश्चात् | [[1997]] में रित्विक राष्ट्रीय जूनियर चैंपियन रहे। इसके पश्चात् 1998 में वह 19 वर्ष की आयु में स्कवेश के राष्ट्रीय चैंपियन बने। वर्ष [[2000]], [[2002]] तथा [[2003]] में भी उन्होंने राष्ट्रीय चैंपियनशिप जीतीं। रित्विक ने पीएसए टूर [[1998]] में पहली बार भाग लिया। उनकी सर्वश्रेष्ठ रैंकिंग [[नवम्बर]], 2006 में थी, जब वह विश्व रैंकिंग में 38वें नंबर पर पहुँच गए थे। एक समय उनकी रैंकिंग 51, 60 तथा 122 रही है। [[जनवरी]], [[2005]] में रित्विक ने 6000 डॉलर का आई.सी.एल. चेन्नई ओपन स्कवेश टूर्नामेंट जीता था। इसमें उन्होंने सिद्धार्थ सूडे को हराया था। | ||
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#[[जुलाई]], 2000 में दसवीं एशियाई स्कवेश चैंपियनशिप, हांगकांग में वह भारतीय स्कवेश टीम के कप्तान थे। | #[[जुलाई]], 2000 में दसवीं एशियाई स्कवेश चैंपियनशिप, हांगकांग में वह भारतीय स्कवेश टीम के कप्तान थे। | ||
#[[1997]] में आई.बी.ए. हांगकांग स्कवेश ओपन में वह रनरअप रहे। | #[[1997]] में आई.बी.ए. हांगकांग स्कवेश ओपन में वह रनरअप रहे। | ||
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Latest revision as of 05:45, 14 October 2017
रित्विक भट्टाचार्य
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पूरा नाम | रित्विक भट्टाचार्य |
जन्म | 14 अक्टूबर, 1979 |
जन्म भूमि | वेनेजुएला |
कर्म भूमि | भारत |
खेल-क्षेत्र | स्कवेश |
शिक्षा | पी.एच.डी. |
विद्यालय | ऊटाह विश्वविद्यालय |
पुरस्कार-उपाधि | 'एशियाई जूनियर स्कवेश चैंपियनशिप' (1977), ‘आलराउंडर खिलाड़ी पुरस्कार’ (1996-1997), 'मोस्ट प्रामिजिंग स्पोर्ट्समैन' (1997) |
नागरिकता | भारतीय |
अन्य जानकारी | रित्विक भट्टाचार्य भारत में चार बार राष्ट्रीय चैंपियन रह चुके हैं। उन्होंने 1997 में सेना के सर्वोच्च कमांडर से स्कवेश में श्रेष्ठता का प्रमाणपत्र प्राप्त किया। |
रित्विक भट्टाचार्य (अंग्रेज़ी: Ritwik Bhattacharya, जन्म- 14 अक्टूबर, 1979, वेनेजुएला) भारत के स्कवेश खिलाड़ी हैं। उन्होंने फ़रवरी, 1977 में एशियाई जूनियर स्कवेश चैंपियनशिप में भारत के लिए कांस्य पदक जीता था। वह भारत में चार बार राष्ट्रीय चैंपियन रह चुके हैं। उन्होंने 1997 में सेना के सर्वोच्च कमांडर से स्कवेश में श्रेष्ठता का प्रमाणपत्र प्राप्त किया। 1996-1997 में उन्हें राष्ट्रपति द्वारा सर्वश्रेष्ठ ‘आलराउंडर खिलाड़ी’ का पुरस्कार प्रदान किया गया था। रित्विक को भारत का सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी माना जाता है। वह एकमात्र भारतीय खिलाड़ी हैं, जो पीएसए टूर के लिए खेल रहे हैं।
परिचय
रित्विक भट्टाचार्य का जन्म 14 अक्टूबर, 1979 को वेनेजुएला में हुआ था। उनका 8 वर्ष तक का बचपन वहीं मस्ती करते हुए बीता। वहाँ उन्हें तैराकी करने व बेसबाल खेलने में आनंद आता था। फिर अचानक किस्मत ने पलटा खाया और वह भारत आ गए। तब बहुत छोटे थे और भारत में होने वाली सामान्य चीजों के बारे में अक्सर शिकायत करते थे, जैसे यहाँ पेप्सी क्यों नहीं मिलती? धीरे-धीरे रित्विक ने भारत के अनुसार यहाँ की जीवनचर्या में स्वयं को ढालना शुरू कर दिया। उन्होंने पेप्सी जैसी अनेक चीजों के बिना रहना सीख लिया।[1] वह अपने पिता के साथ एक शहर से दूसरे शहर घूमते रहे। 6 माह इलाहाबाद, एक वर्ष बंगलौर, एक वर्ष दिल्ली में बिताने के बाद वह चेन्नई पहुँच गए। तब तक वह 12 वर्ष के हो चुके थे और इतने समय में 8 स्कूलों में पढ़ाई के साथ ही 4 भाषाएं सीख चुके थे। इसके पश्चात् रित्विक के जीवन में किशोरावस्था के साथ नए बदलाव शुरू हो गए।
शिक्षा
रित्विक भट्टाचार्य ने स्कवेश खेलते हुए अनेक सफलताएँ अर्जित की हैं। उनकी स्कवेश की ट्रेनिंग व शिक्षा अमेरिका से हुई है। उन्होंने ऊटाह विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ कम्प्यूटिंग से पी.एच.डी. की है। वह सॉफ्टवेयर तथा हार्डवेयर के फार्मल तरीकों की पहचान पर अनुसंधान कर रहे हैं। वह अपना मुख्य निवास लंदन में बनाना चाहते हैं ताकि नील हार्वी की कोचिंग से खेल में बेहतर प्रदर्शन कर सकें।
पुरस्कार व सम्मान
रित्विक भट्टाचार्य ने 1996-1997 में ‘सर्वश्रेष्ठ आलराउंडर खिलाड़ी’ का पुरस्कार जीता, जो उन्हें राष्ट्रपति द्वारा प्रदान किया गया। 1997 में 'दिल्ली खेल पत्रकार संघ' द्वारा उन्हें वर्ष का ‘मोस्ट प्रामिजिंग स्पोर्ट्समैन’ का पुरस्कार दिया गया।[1]
राष्ट्रीय चैंपियन
1997 में रित्विक राष्ट्रीय जूनियर चैंपियन रहे। इसके पश्चात् 1998 में वह 19 वर्ष की आयु में स्कवेश के राष्ट्रीय चैंपियन बने। वर्ष 2000, 2002 तथा 2003 में भी उन्होंने राष्ट्रीय चैंपियनशिप जीतीं। रित्विक ने पीएसए टूर 1998 में पहली बार भाग लिया। उनकी सर्वश्रेष्ठ रैंकिंग नवम्बर, 2006 में थी, जब वह विश्व रैंकिंग में 38वें नंबर पर पहुँच गए थे। एक समय उनकी रैंकिंग 51, 60 तथा 122 रही है। जनवरी, 2005 में रित्विक ने 6000 डॉलर का आई.सी.एल. चेन्नई ओपन स्कवेश टूर्नामेंट जीता था। इसमें उन्होंने सिद्धार्थ सूडे को हराया था।
उपलब्धियां
- पुरुषों की स्कवेश राष्ट्रीय चैंपियनशिप में प्रथम रैंकिंग हासिल की है।
- 1998, 2000, 2002 तथा 2003 में वह स्कवेश के चैंपियन रहे।
- अन्तर्राष्ट्रीय पी.एस.ए. टूर में नवम्बर 2000 में उनकी रैंकिंग 122 थी।
- 1 अगस्त से 15 अगस्त, 1998 को होने वाली दसवीं मैन्ज स्कवेश चैंपियनशिप प्रिसंटन (यू.एस.ए.) में वह भारतीय जूनियर टीम के कप्तान थे।
- जुलाई, 2000 में दसवीं एशियाई स्कवेश चैंपियनशिप, हांगकांग में वह भारतीय स्कवेश टीम के कप्तान थे।
- 1997 में आई.बी.ए. हांगकांग स्कवेश ओपन में वह रनरअप रहे।
- 1998 में रित्विक मुम्बई में भारतीय ओपन में विजेता रहे।
- 1998 में एशियाई ग्रांड फाइनल, दिल्ली में उन्होंने विजेता बनकर मुकाबला जीता।
- 2000 में जयपुर में हुए ‘जयपुर ओपन’ में रित्विक विजेता रहे।
- वह भारत के सर्वश्रेष्ठ स्कवेश खिलाड़ी समझे जाते हैं और 6 पी.सी.ए. टूर में भाग ले चुके हैं।[1]
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टीका-टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.0 1.1 1.2 रित्विक भट्टाचार्य का जीवन परिचय (हिन्दी) कैसे और क्या। अभिगमन तिथि: 23 सितम्बर, 2016।
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