गोकर्णेश्वर महादेव मथुरा: Difference between revisions

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यह मन्दिर मथुरा नगरोपान्त में स्थित है । इसके कमरों से घिरे हुए आंगन के ऊपर अष्टकोण गुम्बदीय छत है । इस आंगन में एक तुलसी (भारत में इस पौधे को ‘तुलसी माँ’ कहा जाता है व इसे पूजा जाता है) का पौधा भी है । इसे बनाने में लखोरी ईंट व चूने का इस्तेमाल किया गया है । उत्कीर्णित जंगले, मुख्य द्वार पर की गई पच्चीकारी, पत्थर से बनीं कमल-पत्तियाँ व गुम्बद पर समर्पित पलस्तर इसके मुख्य आकर्षण हैं ।
यह मन्दिर मथुरा नगरोपान्त में स्थित है । इसके कमरों से घिरे हुए आंगन के ऊपर अष्टकोण गुम्बदीय छत है । इस आंगन में एक तुलसी (भारत में इस पौधे को ‘तुलसी माँ’ कहा जाता है व इसे पूजा जाता है) का पौधा भी है । इसे बनाने में लखोरी ईंट व चूने का इस्तेमाल किया गया है । उत्कीर्णित जंगले, मुख्य द्वार पर की गई पच्चीकारी, पत्थर से बनीं कमल-पत्तियाँ व गुम्बद पर समर्पित पलस्तर इसके मुख्य आकर्षण हैं ।
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Revision as of 12:27, 14 June 2011

[[चित्र:Gokaran-Nath-Mahadeva-Mathura-1.jpg|गोकर्णेश्वर महादेव मन्दिर, मथुरा
Gokarneshwr Mahadev Temple, Mathura|thumb]] मथुरा में यह मन्दिर एक टीले पर बना है, जिसे गोकर्णेश्वर अथवा कैलाश कहते हैं । यह मथुरा का अत्यन्त प्राचीन स्थान है । गोकर्णेश्वर महादेव को उत्तरी सीमा का रक्षक क्षेत्रपाल माना जाता है । मथुरा उत्तर प्रदेश प्रान्त का एक ज़िला है । मथुरा एक ऐतिहासिक एवं धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में प्रसिद्ध है । मथुरा के चारों ओर चार शिव मंदिर हैं- पश्चिम में भूतेश्वर का, पूर्व में पिघलेश्वर का, दक्षिण में रंगेश्वर महादेव का और उत्तर में गोकर्णेश्वर का। चारों दिशाओं में स्थित होने के कारण शिवजी को मथुरा का कोतवाल कहते हैं। यह मन्दिर भगवान गोकरनाथ को समर्पित किया गया है जिनके बारे में कहा जाता है कि उन्होंने ‘गोकर्ण’ अर्थात गाय के कान से जन्म लिया था ।

वास्तु

यह मन्दिर मथुरा नगरोपान्त में स्थित है । इसके कमरों से घिरे हुए आंगन के ऊपर अष्टकोण गुम्बदीय छत है । इस आंगन में एक तुलसी (भारत में इस पौधे को ‘तुलसी माँ’ कहा जाता है व इसे पूजा जाता है) का पौधा भी है । इसे बनाने में लखोरी ईंट व चूने का इस्तेमाल किया गया है । उत्कीर्णित जंगले, मुख्य द्वार पर की गई पच्चीकारी, पत्थर से बनीं कमल-पत्तियाँ व गुम्बद पर समर्पित पलस्तर इसके मुख्य आकर्षण हैं ।

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