शिलप्पादिकारम: Difference between revisions
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Revision as of 11:28, 2 July 2011
- शिलप्पादिकारम को 'तमिल साहित्य' के प्रथम महाकाव्य के रूप में जाना जाता है।
- इसका शाब्दिक अर्थ है - "नूपुर की कहानी"।
- इस महाकाव्य की रचना चेर वंश के शासक 'सेन गुट्टुवन' के भाई 'इलांगो आदिगल' ने लगभग ईसा की दूसरी-तीसरी शताब्दी में की थी।
- 'शिलप्पादिकारम' की सम्पूर्ण कथा नुपूर के चारों ओर घूमती है।
- इस महाकाव्य के नायक और नायिका 'कोवलन' और 'कण्णगी' हैं।
- यह महाकाव्य ‘पुहारक्कांडम’, 'मदरैक्कांडम' और 'वंजिक्कांडम' तीन भागों में विभाजित है।
- इन तीनों भागों में क्रमशः चोल, पाण्ड्य, और चेर राज्यों का वर्णन है।
- इस महाकाव्य में कवि ने तत्कालीन तमिल समाज का सजीव चित्र प्रस्तुत करने के साथ-साथ समाज में प्रचलित नृत्यों, व्यवसायों आदि का भी परिचय दिया है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ