कर्णवेल: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
('{{पुनरीक्षण}} कर्णवेल जबलपुर के निकट स्थित है। 11वीं ...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
No edit summary |
||
Line 8: | Line 8: | ||
==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
{{मध्य प्रदेश के ऐतिहासिक स्थान}} | |||
[[Category:मध्य प्रदेश]] | |||
[[Category:मध्य प्रदेश के ऐतिहासिक स्थान]] | |||
[[Category:ऐतिहासिक स्थान कोश]] | [[Category:ऐतिहासिक स्थान कोश]] | ||
[[Category:नया पन्ना]] | [[Category:नया पन्ना]] | ||
__INDEX__ | __INDEX__ |
Revision as of 06:41, 4 July 2011
चित्र:Icon-edit.gif | इस लेख का पुनरीक्षण एवं सम्पादन होना आवश्यक है। आप इसमें सहायता कर सकते हैं। "सुझाव" |
कर्णवेल जबलपुर के निकट स्थित है। 11वीं शती में कलचुरिवंश के शासकों की कर्णवेल में राजधानी थी। कर्णावती को मूलत: कलचुरिनरेश कर्णदेव (1041-1073 ई.) ने अपने पुत्र का राज्याभिषेक करने के पश्चात स्वयं अपने निवास के लिए बसाया था, बाद में कलचुरियों ने कर्णवेल में अपनी राजधानी ही बना ली। कलचुरिनरेशों के आराध्य देव शिव थे और इसी कारण इस नगर में उन्होंने शिव के विशाल मंदिर बनवाए थे। आज भी कर्णवेल के प्राचीन ध्वस्त क़िले के चिह्न दो वर्ग मील के क्षेत्र में दिखाई देते हैं।