तुंगकारण्य

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search

तुंगकारण्य अथवा 'तुंगारण्य' बुंदेलखंड के वेत्रवती (बेतवा) और जंबुल (जामनेर) के संगम का परवर्ती प्रदेश है। इसका क्षेत्रफल लगभग 35 वर्ग मील है। झांसी से यह स्थल लगभग दस-बारह मील दूर है।

'तुंगारण्यमासाद्य ब्रह्मचारी जितेन्द्रिय:, वेदानध्यापयत् तत्र ऋषि: सारस्वत: पुरा। तदरण्यं प्रविष्टस्य तुंगकं राजसत्तम पापं प्रणश्यत्यखिलं स्त्रियो वा पुरुषस्य वा'[1]

  • इसके पश्चात् ही वनपर्व[2] में कालंजर (कालिंजर) का उल्लेख है।
  • पद्मपुराण[3] में भी कालंजर की स्थिति तुंगकारण्य में बताई गई है।
  • हिन्दी के प्रसिद्ध कवि केशवदास ने ओरछा तथा बेतवा की स्थिति तुंगारण्य में कही है-

'नदी बेतवै तीर जंह तीरथ तुंगारण्य, नगर ओड़छो बहुबसै धरनीतल में धन्य। केशव तुंगारण्य में नदी बेवते तीर, नगर ओड़छे बहु बसै पंडित मंडित भीर।'


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |पृष्ठ संख्या: 405 |

  1. वनपर्व 85, 46-53.
  2. वनपर्व 85, 56
  3. पद्मपुराण, आदि. 39, 52-53

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः