भक्तिरसामृतसिन्धु: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
Line 10: Line 10:


==संबंधित लेख==  
==संबंधित लेख==  
{{रूपगोस्वामी की रचनाएँ}}
{{रूपगोस्वामी की रचनाएँ}}{{भक्ति कालीन साहित्य}}
[[Category:सगुण भक्ति]][[Category:भक्ति साहित्य]]
[[Category:सगुण भक्ति]][[Category:भक्ति साहित्य]]
[[Category:साहित्य_कोश]]
[[Category:साहित्य_कोश]]
__INDEX__
__INDEX__

Revision as of 07:39, 30 July 2011

भक्ति रसामृत सिन्धु और उज्ज्वल नीलमणि रूप गोस्वामी के सर्व प्रभान रस-ग्रन्थ हैं। भक्ति रसामृत सिन्धु की रचना रूप गोस्वामी ने कई वर्षों में की। इसकी रचना में बहुत बड़ा हाथ सनातन गोस्वामी का भी है। इससे सम्बन्धित तत्त्व और सिद्धान्त की रूपरेखा उनके परामर्श से ही तैयार की गयी।[1] इसमें भक्तिरस का जैसा गूढ़, सूक्ष्म, संयत, सर्वागीण, विद्वतापूर्ण और प्रामाणिक विवेचन है, वैसा अन्यत्र कहीं भी नहीं हैं। इसकी प्रामाणिकता और विद्वत्तापूर्ण शैली का पता इस बात से चलता है कि इसमें महाभारत, रामायण, गीता, हरिवंश, श्रीमद्भागवत, अन्य पुराण और उपपुराण, रसशास्त्र काव्य-शास्त्रादि से 372 बार प्रमाण प्रस्तुत किये गये हैं। इसमें भक्ति के स्वरूप, प्रकार, अन्तराय, सोपान, और प्रत्येक सोपान के लक्षणादि का वर्णन कर प्रथम बार उसका सर्वांगीण, वैज्ञानिक निरूपण किया गया है। पुष्पिका के अनुसार इस ग्रन्थ की रचना सन 1549 में हुई है।



पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. सप्त गोस्वामी: पृ. 195


संबंधित लेख