ऊपरी सिंधु घाटी: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
No edit summary
Line 1: Line 1:
ऊपरी सिंधु घाटी की एक सुपरिभाषित भौगोलिक विशेषता है, जो भूगर्भीय संरचना की प्रवृत्ति के अनुसार है। यह [[तिब्बत]] की सीमा से पश्चिम की ओर आगे बढ़ते हुए [[पाकिस्तान|पाकिस्तानी]] भू—भाग में उस बिन्दु तक जाती है, जहाँ विशाल [[नंगा पर्वत]] का चक्कर काटकर दक्षिण की ओर इसके आरपार कटे महाखड्ड की ओर जाती है। ऊपरी भागों में यह नदी दोनों तरफ़ बजरी की सीढ़ीनुमा संरचनाओं से घिरी है।  
ऊपरी सिंधु घाटी की एक सुपरिभाषित भौगोलिक विशेषता है, जो भूगर्भीय संरचना की प्रवृत्ति के अनुसार है। यह [[तिब्बत]] की सीमा से पश्चिम की ओर आगे बढ़ते हुए [[पाकिस्तान|पाकिस्तानी]] भू—भाग में उस बिन्दु तक जाती है, जहाँ विशाल [[नंगा पर्वत]] का चक्कर काटकर दक्षिण की ओर इसके आरपार कटे महाखड्ड की ओर जाती है। ऊपरी भागों में यह नदी दोनों तरफ़ बजरी की सीढ़ीनुमा संरचनाओं से घिरी है।  
प्रत्येक सहायक नदी मुख्य घाटी में बाहर निकलते हुए एक जलोढ़ पंख बनाती है। [[लेह]] नगर इसी प्रकार के एक जलोढ़ पंख पर स्थित है और समुद्री सतह से 3,500 मीटर की ऊँचाई पर है।  
प्रत्येक सहायक नदी मुख्य घाटी में बाहर निकलते हुए एक जलोढ़ पंख बनाती है। [[लेह]] नगर इसी प्रकार के एक जलोढ़ पंख पर स्थित है और समुद्री सतह से 3,500 मीटर की ऊँचाई पर है।  


यहाँ की जलवायु की विशेषताएँ हैं-  
यहाँ की जलवायु की विशेषताएँ हैं-  
#वर्षा का लगभग न होना,
#[[वर्षा]] का लगभग न होना
#[[सूर्य]] की किरणों का तीखापन और
#[[सूर्य]] की किरणों का तीखापन  
#तापमान के दैनिक व वार्षिक अंतरों में उतार—चढ़ाव।
#[[तापमान]] के दैनिक व वार्षिक अंतरों में उतार—चढ़ाव।
*यहाँ पर जीवन आसपास के पर्वतों से पिघले हुए पानी पर निर्भर है।  
*यहाँ पर जीवन आसपास के [[पर्वत|पर्वतों]] से पिघले हुए पानी पर निर्भर है।  
*यहाँ की वनस्पति पहाड़ी (आल्पीय, यानी वृक्षों के उगने की सीमारेखा के ऊपर की वनस्पति) है, जो पतली परत वाली मिट्टी पर उगती है।  
*यहाँ की वनस्पति पहाड़ी<ref>आल्पीय, यानी वृक्षों के उगने की सीमारेखा के ऊपर की वनस्पति)</ref> है, जो पतली परत वाली [[मिट्टी]] पर उगती है।  
 


{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक=|पूर्णता=|शोध=}}
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक=|पूर्णता=|शोध=}}

Revision as of 09:49, 4 November 2011

ऊपरी सिंधु घाटी की एक सुपरिभाषित भौगोलिक विशेषता है, जो भूगर्भीय संरचना की प्रवृत्ति के अनुसार है। यह तिब्बत की सीमा से पश्चिम की ओर आगे बढ़ते हुए पाकिस्तानी भू—भाग में उस बिन्दु तक जाती है, जहाँ विशाल नंगा पर्वत का चक्कर काटकर दक्षिण की ओर इसके आरपार कटे महाखड्ड की ओर जाती है। ऊपरी भागों में यह नदी दोनों तरफ़ बजरी की सीढ़ीनुमा संरचनाओं से घिरी है।

प्रत्येक सहायक नदी मुख्य घाटी में बाहर निकलते हुए एक जलोढ़ पंख बनाती है। लेह नगर इसी प्रकार के एक जलोढ़ पंख पर स्थित है और समुद्री सतह से 3,500 मीटर की ऊँचाई पर है।

यहाँ की जलवायु की विशेषताएँ हैं-

  1. वर्षा का लगभग न होना
  2. सूर्य की किरणों का तीखापन
  3. तापमान के दैनिक व वार्षिक अंतरों में उतार—चढ़ाव।
  • यहाँ पर जीवन आसपास के पर्वतों से पिघले हुए पानी पर निर्भर है।
  • यहाँ की वनस्पति पहाड़ी[1] है, जो पतली परत वाली मिट्टी पर उगती है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

संबंधित लेख

  1. आल्पीय, यानी वृक्षों के उगने की सीमारेखा के ऊपर की वनस्पति)