दिव: Difference between revisions
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*1535 ई. में [[मुग़ल]] बादशाह [[हुमायूँ]] ने गुजरात पर विजय प्राप्त कर ली थी। | *1535 ई. में [[मुग़ल]] बादशाह [[हुमायूँ]] ने गुजरात पर विजय प्राप्त कर ली थी। | ||
*उस समय गुजरात का सुल्तान बहादुरशाह (1523-1537 ई.) था। | *उस समय गुजरात का सुल्तान [[बहादुर शाह (गुजरात का सुल्तान)|बहादुरशाह]] (1523-1537 ई.) था। | ||
*हुमायूँ से पराजित होने के बाद बहादुरशाह ने भागकर [[मालवा]] में शरण ली और पुर्तग़ालियों से मदद मांगी। | *हुमायूँ से पराजित होने के बाद बहादुरशाह ने भागकर [[मालवा]] में शरण ली और पुर्तग़ालियों से मदद मांगी। | ||
*पुर्तग़ालियों ने इस अवसर का लाभ उठाया और 1535 ई. में दिव पर अधिकार कर लिया। | *पुर्तग़ालियों ने इस अवसर का लाभ उठाया और 1535 ई. में दिव पर अधिकार कर लिया। |
Latest revision as of 12:46, 4 January 2012
दिव गुजरात के समुद्रतट पर एक महत्त्वपूर्ण व्यापारिक केन्द्र और बन्दरगाह था। पुर्तग़ालियों के अधिकार से मुक्त होने के बाद यह 1961 ई. में स्वतंत्र भारत में सम्मिलित कर लिया गया।
- 1535 ई. में मुग़ल बादशाह हुमायूँ ने गुजरात पर विजय प्राप्त कर ली थी।
- उस समय गुजरात का सुल्तान बहादुरशाह (1523-1537 ई.) था।
- हुमायूँ से पराजित होने के बाद बहादुरशाह ने भागकर मालवा में शरण ली और पुर्तग़ालियों से मदद मांगी।
- पुर्तग़ालियों ने इस अवसर का लाभ उठाया और 1535 ई. में दिव पर अधिकार कर लिया।
- दिव पर पुर्तग़ालियों का अधिकार 400 वर्षों से भी अधिक समय तक बना रहा।
- भारत की आज़ादी के बाद 1961 ई. में दिव स्वाधीन भारतीय गणराज्य में सम्मिलित कर लिया गया।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
भारतीय इतिहास कोश |लेखक: सच्चिदानन्द भट्टाचार्य |प्रकाशक: उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान |पृष्ठ संख्या: 207 |