हिन्दी सामान्य ज्ञान 35: Difference between revisions
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-वीरगाथा काल | -वीरगाथा काल | ||
-[[भक्तिकाल]] | -[[भक्तिकाल]] | ||
+रीति काल | +[[रीति काल]] | ||
-आधुनिक काल | -[[आधुनिक काल]] | ||
{[[आचार्य रामचन्द्र शुक्ल]] कृत 'हिन्दी साहित्य का इतिहास' की अधिकांश सामग्री पुस्तकाकार प्रकाशन के पूर्व 'हिन्दी शब्द- सागर' की भूमिका में छपी थी। इस भूमिका में उसका शीर्षक था? | {[[आचार्य रामचन्द्र शुक्ल]] कृत 'हिन्दी साहित्य का इतिहास' की अधिकांश सामग्री पुस्तकाकार प्रकाशन के पूर्व 'हिन्दी शब्द- सागर' की भूमिका में छपी थी। इस भूमिका में उसका शीर्षक था? | ||
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{[[अवधी भाषा]] के सर्वाधिक लोकप्रिय महाकाव्य का नाम है? | {[[अवधी भाषा]] के सर्वाधिक लोकप्रिय महाकाव्य का नाम है? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-पद्मावत | -[[पद्मावत]] | ||
-मधुमालती | -[[मधुमालती]] | ||
-मृगावती | -[[मृगावती]] | ||
+[[रामचरितमानस]] | +[[रामचरितमानस]] | ||
|| [[चित्र:Tulsidas.jpg|right|100px|गोस्वामी तुलसीदास]] 'रामचरितमानस' [[तुलसीदास]] की सबसे प्रमुख कृति है। इसकी रचना संवत 1631 ई. की [[रामनवमी]] को [[अयोध्या]] में प्रारम्भ हुई थी किन्तु इसका कुछ अंश [[काशी]] (वाराणसी) में भी निर्मित हुआ था, यह इसके [[किष्किन्धा काण्ड वा. रा.|किष्किन्धा काण्ड]] के प्रारम्भ में आने वाले एक सोरठे से निकलती है, उसमें काशी सेवन का उल्लेख है। इसकी समाप्ति संवत 1633 ई. की मार्गशीर्ष, शुक्ल 5, रविवार को हुई थी किन्तु उक्त तिथि गणना से शुद्ध नहीं ठहरती, इसलिए विश्वसनीय नहीं कही जा सकती। यह रचना [[अवधी भाषा|अवधी बोली]] में लिखी गयी है। इसके मुख्य छन्द चौपाई और दोहा हैं, बीच-बीच में कुछ अन्य प्रकार के भी छन्दों का प्रयोग हुआ है। प्राय: 8 या अधिक अर्द्धलियों के बाद दोहा होता है और इन दोहों के साथ कड़वक संख्या दी गयी है। इस प्रकार के समस्त कड़वकों की संख्या 1074 है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[रामचरितमानस]] | || [[चित्र:Tulsidas.jpg|right|100px|गोस्वामी तुलसीदास]] 'रामचरितमानस' [[तुलसीदास]] की सबसे प्रमुख कृति है। इसकी रचना संवत 1631 ई. की [[रामनवमी]] को [[अयोध्या]] में प्रारम्भ हुई थी किन्तु इसका कुछ अंश [[काशी]] (वाराणसी) में भी निर्मित हुआ था, यह इसके [[किष्किन्धा काण्ड वा. रा.|किष्किन्धा काण्ड]] के प्रारम्भ में आने वाले एक सोरठे से निकलती है, उसमें काशी सेवन का उल्लेख है। इसकी समाप्ति संवत 1633 ई. की मार्गशीर्ष, शुक्ल 5, रविवार को हुई थी किन्तु उक्त तिथि गणना से शुद्ध नहीं ठहरती, इसलिए विश्वसनीय नहीं कही जा सकती। यह रचना [[अवधी भाषा|अवधी बोली]] में लिखी गयी है। इसके मुख्य छन्द चौपाई और दोहा हैं, बीच-बीच में कुछ अन्य प्रकार के भी छन्दों का प्रयोग हुआ है। प्राय: 8 या अधिक अर्द्धलियों के बाद दोहा होता है और इन दोहों के साथ कड़वक संख्या दी गयी है। इस प्रकार के समस्त कड़वकों की संख्या 1074 है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[रामचरितमानस]] | ||
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-जगनिक | -जगनिक | ||
-[[विद्यापति]] | -[[विद्यापति]] | ||
-जयदेव | -[[जयदेव]] | ||
|| चन्दबरदाई का जन्म [[लाहौर]] में हुआ था, वह जाति का राव या भाट था। [[दिल्ली]] और [[अजमेर]] के शासक [[पृथ्वीराज चौहान]] के दरबारी कवि के रूप में इनकी प्रसिद्धि है। बाद में यह अजमेर-दिल्ली के सुविख्यात हिन्दू नरेश पृथ्वीराज का सम्माननीय सखा, राजकवि और सहयोगी हो गया था। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[चन्दबरदाई]] | || चन्दबरदाई का जन्म [[लाहौर]] में हुआ था, वह जाति का राव या भाट था। [[दिल्ली]] और [[अजमेर]] के शासक [[पृथ्वीराज चौहान]] के दरबारी कवि के रूप में इनकी प्रसिद्धि है। बाद में यह अजमेर-दिल्ली के सुविख्यात हिन्दू नरेश पृथ्वीराज का सम्माननीय सखा, राजकवि और सहयोगी हो गया था। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[चन्दबरदाई]] | ||
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-[[ब्रज भाषा|ब्रज]] | -[[ब्रज भाषा|ब्रज]] | ||
+सधुक्कड़ी | +सधुक्कड़ी | ||
-कन्नौजी | -[[कन्नौजी बोली|कन्नौजी]] | ||
-खड़ी बोली | -[[खड़ी बोली]] | ||
{'शिवा बावनी' के रचनाकार हैं- | {'शिवा बावनी' के रचनाकार हैं- | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-पद्माकर | -[[पद्माकर]] | ||
-[[केशवदास]] | -[[केशवदास]] | ||
+[[भूषण]] | +[[भूषण]] |
Revision as of 13:53, 5 September 2013
सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी
राज्यों के सामान्य ज्ञान
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