User:रविन्द्र प्रसाद/1: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
No edit summary
No edit summary
Line 78: Line 78:
||[[चित्र:Homi-Jehangir-Bhabha.jpg|right|100px|होमी जहाँगीर भाभा]]'होमी जहाँगीर भाभा' [[भारत]] के प्रमुख वैज्ञानिक थे, जिन्होंने देश के परमाणु उर्जा कार्यक्रम की कल्पना की थी। जब [[होमी जहाँगीर भाभा]] 29 वर्ष के थे, तभी वे उपलब्धियों से भरे 13 वर्ष [[इंग्लैंड]] में बिता चुके थे। भारत के परमाणु ऊर्जा कार्यक्रमों को गति देने का प्रयास इन्हीं को जाता है। सन [[1966]] में डॉ. भाभा के अकस्मात निधन से देश को गहरा आघात पहुँचा। उनके द्वारा डाली गई मज़बूत नींव के कारण ही उनके बाद भी देश में परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम अनवरत विकास के मार्ग पर अग्रसर है। उनके उत्कृष्ट कार्यों के सम्मान स्वरूप तत्कालीन [[प्रधानमंत्री]] [[इंदिरा गाँधी]] ने परमाणु ऊर्जा संस्थान, ट्रॉम्बे (AEET) को डॉ. भाभा के नाम पर 'भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र' नाम दिया था। आज यह अनुसंधान केन्द्र [[भारत]] का गौरव है और विश्व-स्तर पर परमाणु ऊर्जा के विकास में पथ प्रदर्शक हो रहा है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[होमी जहाँगीर भाभा]]
||[[चित्र:Homi-Jehangir-Bhabha.jpg|right|100px|होमी जहाँगीर भाभा]]'होमी जहाँगीर भाभा' [[भारत]] के प्रमुख वैज्ञानिक थे, जिन्होंने देश के परमाणु उर्जा कार्यक्रम की कल्पना की थी। जब [[होमी जहाँगीर भाभा]] 29 वर्ष के थे, तभी वे उपलब्धियों से भरे 13 वर्ष [[इंग्लैंड]] में बिता चुके थे। भारत के परमाणु ऊर्जा कार्यक्रमों को गति देने का प्रयास इन्हीं को जाता है। सन [[1966]] में डॉ. भाभा के अकस्मात निधन से देश को गहरा आघात पहुँचा। उनके द्वारा डाली गई मज़बूत नींव के कारण ही उनके बाद भी देश में परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम अनवरत विकास के मार्ग पर अग्रसर है। उनके उत्कृष्ट कार्यों के सम्मान स्वरूप तत्कालीन [[प्रधानमंत्री]] [[इंदिरा गाँधी]] ने परमाणु ऊर्जा संस्थान, ट्रॉम्बे (AEET) को डॉ. भाभा के नाम पर 'भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र' नाम दिया था। आज यह अनुसंधान केन्द्र [[भारत]] का गौरव है और विश्व-स्तर पर परमाणु ऊर्जा के विकास में पथ प्रदर्शक हो रहा है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[होमी जहाँगीर भाभा]]


{'[[असेम्बली बमकांड]]' की घटना को [[भगत सिंह]] एवं [[बटुकेश्वर दत्त]] ने कब अंजाम दिया?
{'[[असेम्बली बमकांड]]' की घटना में [[भगत सिंह]] के साथ दूसरे क्रांतिकारी कौन थे?
|type="()"}
|type="()"}
+[[8 अप्रैल]], [[1929]]
+[[बटुकेश्वर दत्त]]
-[[10 अप्रैल]], [[1930]]
-[[चंद्रशेखर आज़ाद]]
-[[13 अप्रैल]], [[1919]]
-[[करतार सिंह सराभा]]
-[[7 अप्रैल]], [[1905]]
-[[जतिन्द्रनाथ दास]]
||[[चित्र:Bhagat-Singh.gif|right|100px|भगत सिंह]]भगत सिंह [[भारत]] के अमर शहीद क्रांतिकारियों में गिने जाते हैं। [[अंग्रेज़]] सरकार [[दिल्ली]] की असेंबली में 'पब्लिक सेफ्टी बिल' और 'ट्रेड डिस्प्यूट्स बिल' लाने की तैयारी में थी। ये बहुत ही दमनकारी क़ानून थे और अंग्रेज़ सरकार इन्हें पास करने का फैसला कर चुकी थी। क्रांतिकारियों द्वारा [[8 अप्रैल]], [[1929]] का दिन असेंबली में बम फेंकने के लिए तय हुआ और इस कार्य के लिए [[भगत सिंह]] एवं [[बटुकेश्वर दत्त]] निश्चित हुए। यह भी तय हुआ कि जब [[वायसराय]] 'पब्लिक सेफ्टी बिल' को क़ानून बनाने के लिए प्रस्तुत करे, ठीक उसी समय धमाका किया जाए और ऐसा ही किया भी गया। जैसे ही बिल संबंधी घोषणा की गई तभी भगत सिंह ने बम फेंका।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[भगत सिंह]], [[बटुकेश्वर दत्त]] एवं [[सेंट्रल असेम्बली बमकांड]]
||[[चित्र:Bhagat-Singh.gif|right|100px|भगत सिंह]]'बटुकेश्वर दत्त' [[भारत]] के प्रसिद्ध क्रान्तिकारी थे, जिनका जन्म [[नवम्बर]], [[1908]] में [[कानपुर]] में हुआ था। वे [[सरदार भगतसिंह]] और [[चन्द्रशेखर आज़ाद]] के सम्पर्क में आने के बाद क्रान्तिकारी संगठन ‘हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसियेशन’ के सदस्य बन गए थे। [[बटुकेश्वर दत्त]] ने [[सुखदेव]] और [[राजगुरु]] के साथ भी विभिन्न स्थानों पर काम किया। [[8 अप्रैल]], [[1929]] ई. को भगतसिंह और बटुकेश्वर दत्त ने दर्शक दीर्घा से केन्द्रीय असेम्बली के अन्दर बम फेंककर धमाका किया। बम इस प्रकार रिक्त स्थान पर फेंका गया था कि किसी की भी जान न जाए। बम के साथ ही ‘लाल पर्चे’ की प्रतियाँ भी फेंकी गईं, जिनमें बम फेंकने का क्रान्तिकारियों का उद्देश्य स्पष्ट किया गया था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[भगत सिंह]], [[बटुकेश्वर दत्त]] एवं [[सेंट्रल असेम्बली बमकांड]]
</quiz>
</quiz>
|}
|}
|}
|}
__NOTOC__
__NOTOC__

Revision as of 12:58, 2 November 2013

इतिहास सामान्य ज्ञान

1 हड़प्पा सभ्यता में पक्की मिट्टी की मूर्तियों का निर्माण किस विधि से किया गया है?

एक साँचा पद्धति
दो साँचा पद्धति
चिकोटी पद्धति
जोड़कर

2 'राजतरंगिणी' में 7826 श्लोक हैं, जो तरंगों में संगठित हैं। तरंगों की संख्या कितनी है?

चार
दस
बारह
आठ

3 निम्नलिखित में से किस विदेशी यात्री ने राष्ट्रकूटों के बारे में विवरण दिया है?

सुलेमान
अलमसूदी
मनूची
टॅवरनियर

4 'रसीदी टिकट' निम्नलिखित में से किसकी आत्मकथा है?

अमृता प्रीतम
इस्मत चुग़ताई
सुभद्रा कुमारी चौहान
प्रभा खेतान

5 निम्नलिखित में से कौन 'परमवीर चक्र' पाने वाले प्रथम व्यक्ति थे?

यदुनाथ सिंह
सोमनाथ शर्मा
अब्दुल हमीद
अल्बर्ट एक्का

7 हड़प्पा के नगर और कस्बे किस आकार के विशाल खंडों में विभाजित थे?

वर्गाकार
आयताकार
गोलाकार
अर्द्ध गोलाकार

8 किस क्रांतिकारी ने 'मेरे अंत समय का आश्रय- गीता' नामक कृति की रचना की?

भगत सिंह
अश्विनी कुमार दत्त
भाई परमानंद
मदनमोहन मालवीय

9 'परमाणु ऊर्जा संस्थान', ट्रॉम्बे को डॉ. भाभा के नाम पर 'भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र' नाम किसने दिया।

जवाहरलाल नेहरू
लालबहादुर शास्त्री
इंदिरा गाँधी
सरदार पटेल