वरकला: Difference between revisions
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
No edit summary |
No edit summary |
||
Line 60: | Line 60: | ||
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | {{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | ||
==चित्र वीथिका== | ==चित्र वीथिका== | ||
{{Panorama | |||
|image=चित्र:Varkala-Panorama.jpg | |||
|height= 300 | |||
|alt=वरकला का समुद्र तट | |||
|caption=वरकला के समुद्र तट का विहंगम दृश्य | |||
}} | |||
<gallery widths=150> | <gallery widths=150> | ||
चित्र:Varkala-Beach.jpg|वरकला का समुद्र तट | चित्र:Varkala-Beach.jpg|वरकला का समुद्र तट |
Revision as of 13:39, 19 October 2014
वरकला
| |||
विवरण | 'वरकला' केरल के शानदार पर्यटनों स्थलों में गिना जाता है। यहाँ के समुद्री तट अपने शांत वातावरण तथा ख़ूबसूरती के लिए काफ़ी प्रसिद्ध हैं। | ||
राज्य | केरल | ||
ज़िला | तिरुवनंतपुरम | ||
भौगोलिक स्थिति | तिरुवनंतपुरम से 51 कि.मी. में उत्तर दिशा में तथा इसी ज़िले के कोल्लम से 37 कि.मी. की दूरी पर दक्षिण में स्थित है। | ||
प्रसिद्धि | समुद्र तटीय शानदार स्थल। | ||
कब जाएँ | दिसंबर से मार्च के बीच। | ||
क्या देखें | 'शिवगिरी मठ', 'मनोरम समुद्र तट', 'जनार्दनस्वामी मंदिर'। | ||
एस.टी.डी. कोड | 0470 | ||
संबंधित लेख | केरल, तिरुवनंतपुरम | क्षेत्रफल | 15.42 कि.मी.2 |
जनसंख्या | 40,048 (2011) | ||
अन्य जानकारी | वरकला तट मसाज के लिए भी काफ़ी मशहूर है। यहां पर काफ़ी अच्छे मसाज केंद्र बने हुए है। यहां की मसाज इतनी बढ़िया होती है कि कोई भी व्यक्ति अपनी साल भर की थकान मिटा सकता है। |
वरकला तिरुवनंतपुरम ज़िला, केरल की बाहरी सीमा पर स्थित है। यह एक शांत तथा नीरव बस्ती है। यहाँ पर्यटकों के आकर्षण के कई महत्त्वपूर्ण स्थल हैं। यहाँ पर्यटकों के आकर्षण के कई स्थल हैं, जैसे- मनोरम समुद्र तट, 2000 वर्ष पुराना विष्णु का एक प्राचीन मंदिर तथा शिवगिरी मठ, जो समुद्र तट से कुछ ही दूरी पर स्थित है।
स्थिति
वरकला तिरुवनंतपुरम शहर से 51 कि.मी. की दूरी पर उत्तर दिशा में तथा इसी ज़िले के कोल्लम से 37 कि.मी. की दूरी पर दक्षिण में स्थित है। त्रिवेन्द्रम से यह 20 कि.मी. की दूरी पर है।
प्राचीन मंदिर
यहाँ समुद्र तट पर एक पहाड़ी के ऊपर जनार्दन विष्णु का एक प्राचीन मंदिर है, जिसके विषय में किंवदंती है कि 16वीं शती में हालैंड के एक दुर्घटनाग्रस्त जलयान चालक ने आपत्ति से छुटकारा मिलने पर इस मंदिर को कृतज्ञतास्वरूप अपने जलयान के घंटे का दान दे दिया था। इस मंदिर के पुरोहित की प्रार्थना से अवरुद्ध वायु चलने लगी और समुद्र में फंसे हुए जलयान की यात्रा संभव हो सकी।[1]
पर्यटन स्थल
यहाँ के समुद्री तट पर एक शांत रिजॉर्ट है, जहाँ खनिज जल का एक सोता है। यह माना जाता है कि इस तट के जल में डुबकी लगाने से शरीर तथा आत्मा की सारी अशुद्धियाँ दूर हो जाती है। इसलिए इसका नाम 'पापनाशम तट' पड़ा है। यहाँ से थोड़ी दूर पर ही एक दो हज़ार वर्ष पुराना 'जनार्दनस्वामी मंदिर' चट्टान पर बना हुआ है। यहाँ से समुद्र तट के मनोहर दृश्यों का आनन्द लिया जा सकता है। इसके निकट ही एक प्रसिद्ध शिवगिरी मठ भी है, जो हिन्दू समाज सुधारक तथा दार्शनिक श्रीनारायण गुरु (1856-1928) द्वारा स्थापित किया गया था। गुरु जी की समाधि के दर्शन के लिए हर साल शिवगिरी तीर्थयात्रा के मौसम, 30 दिसम्बर से 1 जनवरी तक, में बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहाँ आते हैं। नारायण गुरु ने जात-पात में बंटे यहाँ के समाज में 'एक जाति, एक धर्म तथा एक ईश्वर' के मत को चलाया था।
- मान्यताओं के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि वरकला के तट खनिज जल के स्रोत है, इसमें डुबकी लगाने से शरीर की सारी अशुद्धियाँ समाप्त हो जाती हैं और आध्यात्मिक सुकून मिलता है। यही वजह है कि इसका नाम 'पापनाशम तट' रखा गया है।
- इस तट पर नारियल के पेड़ों के बीच कई रिजार्ट व झोपड़ियां बनी हुईं हैं।
- वरकला तट मसाज के लिए भी काफ़ी मशहूर है। यहां पर काफ़ी अच्छे मसाज केंद्र बने हुए है। यहां की मसाज इतनी बढ़िया होती है कि कोई भी व्यक्ति अपनी साल भर की थकान मिटा सकता है। ये बड़ा ही दुर्लभ मसाज है, क्योंकि ये आयुर्वेदिक प्रकिया के द्धारा पारांपरिक तरीकों से होता है। साथ ही हस्तशिल्प अर्थात हाथों से बने गहने यहां काफी मशहूर हैं।
पर्यटक सुविधा
वरकला में पर्यटकों को ठहरने की उत्तम सुविधा उपलब्ध होती हैं। इसके साथ ही यह अपने कई आयुर्वेदिक मसाज केन्द्रों के कारण तेजी से एक लोकप्रिय आरोग्य केंद्र के रूप में भी प्रसिद्ध होता जा रहा है।
कब जाएँ
इस ख़ूबसूरत स्थान पर सबसे अच्छा घूमने का वक्त दिसंबर से मार्च के बीच का रहता है, क्योंकि यहाँ का तापमान गर्म होता है, इसीलिए यहाँ सर्दियों वाले मौसम में काफ़ी खुशनुमा माहौल होता है। पूरे वर्ष वरकला में वर्षा अधिक होती है। खासतौर पर जून से अगस्त में सर्वाधिक बरसात होती है। प्राकृतिक खूबसूरती से सजा हुआ ये तट अपने आप में किसी अजूबे से कम नहीं है।
कैसे पहुँचें
वरकला तिरुवनंतपुरम से 51 कि.मी. उत्तर तथा इसी ज़िले के कोल्लम से 37 कि.मी. दक्षिण में स्थित है। यहाँ का निकटतम रेलवे स्टेशन वरकला है, जो लगभग 3 कि.मी. दूर है। 'तिरुवनंतपुरम अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डा' लगभग 57 कि.मी. की दूरी पर है।
|
|
|
|
|
चित्र वीथिका
-
वरकला का समुद्र तट
-
वरकला तट का एक दृश्य
-
समुद्र में जाल डालते मछुआरे
-
समुद्र की लहरों का सुन्दर दृश्य
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |संकलन: भारतकोश पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 835 |
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख