कामन पोडिगई: Difference between revisions
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Latest revision as of 08:29, 3 March 2015
कामन पोडिगई
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विवरण | 'कामन पोडिगई' तमिलनाडु में मनाई जाने वाली होली का ही एक नाम है। |
राज्य | तमिलनाडु |
अन्य नाम | 'कमान पंदिगाई', 'कमाविलास', 'काम-दहन' |
समर्पित देव | कामदेव |
संबंधित लेख | होली, होलिका, होलिका दहन, शिव |
तमिलनाडु में होली के त्योहार को कामन पोडिगई / कमान पंदिगाई / कमाविलास / काम-दहन के रूप में मनाया जाता है। यह त्योहार कामदेव को समर्पित होता है।
किंवदन्ती
प्राचीन काल में देवी सती (भगवान शंकर की पत्नी) की मृत्यु के बाद शिव काफ़ी व्यथित हो गए थे। इसके साथ ही वे ध्यान में चले गए। उधर पर्वत सम्राट की पुत्री (पार्वती) भी शंकर भगवान से विवाह करने के लिए तपस्या कर रही थी। देवताओं ने भगवान शंकर की निद्रा को तोड़ने के लिए कामदेव का सहारा लिया। कामदेव ने अपने कामबाण से शंकर पर वार किया। भगवान ने गुस्से में अपनी तपस्या को बीच में छोड़कर कामदेव को देखा। शंकर भगवान को बहुत गुस्सा आया कि कामदेव ने उनकी तपस्या में विघ्न डाला है, इसलिए उन्होंने अपने तीसरे नेत्र से कामदेव को भस्म कर दिया।
अब कामदेव का तीर तो अपना काम कर ही चुका था, सो पार्वती को शंकर भगवान पति के रूप में प्राप्त हुए। उधर कामदेव की पत्नी रति ने विलाप किया और शंकर भगवान से कामदेव को जीवित करने की गुहार की। ईश्वर प्रसन्न हुए और उन्होंने कामदेव को पुनर्जीवित कर दिया। यह दिन होली का दिन होता है। आज भी रति के विलाप को लोक संगीत के रूप में गाया जाता है और चंदन की लकड़ी को अग्निदान किया जाता है ताकि कामदेव को भस्म होने में पीड़ा ना हो। साथ ही बाद में कामदेव के जीवित होने की खुशी में रंगों का त्योहार मनाया जाता है।
- REDIRECTसाँचा:इन्हें भी देखें
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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