कन्याकुमारी शक्तिपीठ: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
 
Line 35: Line 35:
*[http://www.aalayavanimagazine.org/2013/03/sree-bhadrakali-temple-2/ Sree Bhadrakali Temple]
*[http://www.aalayavanimagazine.org/2013/03/sree-bhadrakali-temple-2/ Sree Bhadrakali Temple]
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
{{शक्तिपीठ}}{{तमिलनाडु के पर्यटन स्थल}}
{{शक्तिपीठ}}{{तमिलनाडु के पर्यटन स्थल}}{{तमिलनाडु के धार्मिक स्थल}}
[[Category:शक्तिपीठ]]
[[Category:शक्तिपीठ]]
[[Category:कन्याकुमारी]]
[[Category:कन्याकुमारी]]

Latest revision as of 09:43, 4 October 2016

कन्याकुमारी शक्तिपीठ
वर्णन 'कन्याकुमारी शक्तिपीठ' भारतवर्ष के अज्ञात 108 एवं ज्ञात 51 शक्तिपीठों में से एक है। इसका हिन्दू धर्म में बड़ा ही महत्त्व है।
स्थान कन्याकुमारी , तमिल नाडु
देवी-देवता शक्ति- शर्वाणि या नारायणी तथा भैरव निमिष या स्थाणु
संबंधित लेख शक्तिपीठ, सती, शिव, पार्वती
धार्मिक मान्यता कन्याकुमारी के मंदिर में ही भद्रकाली का मंदिर है। यह कुमारी देवी की सखी हैं। यह मंदिर ही शक्तिपीठ है, जहाँ देवी के देह का पृष्ठभाग[1] का पतन हुआ था।
अन्य नाम कन्यकाश्रम (कण्यकाचक्र), भद्रकाली मंदिर
अन्य जानकारी देवी मंदिर के दक्षिण में मातृतीर्थ, पितृतीर्थ, भीमतीर्थ है। पश्चिम में थोड़ी दूर पर ही स्थाणु तीर्थ है। कन्यकाश्रम मंदिर समुद्रतट पर है।

कन्याकुमारी शक्तिपीठ 51 शक्तिपीठों में से एक है। हिन्दू धर्म के पुराणों के अनुसार जहां-जहां सती के अंग के टुकड़े, धारण किए वस्त्र या आभूषण गिरे, वहां-वहां शक्तिपीठ अस्तित्व में आये। ये अत्यंत पावन तीर्थस्थान कहलाये। ये तीर्थ पूरे भारतीय उपमहाद्वीप पर फैले हुए हैं। देवीपुराण में 51 शक्तिपीठों का वर्णन है।

परिचय

तीन सागरों[2] के संगम-स्थल पर स्थित कन्याकुमारी के मंदिर में ही भद्रकाली का मंदिर है। यह कुमारी देवी की सखी हैं। यह मंदिर ही शक्तिपीठ है, जहाँ देवी के देह का पृष्ठभाग[3] का पतन हुआ था। यहाँ की शाक्ति शर्वाणि या नारायणी तथा भैरव निमिष या स्थाणु[4] हैं। कन्याकुमारी एक अंतरीप तथा भारत की अंतिम दक्षिणी सीमा है, जिसके बारे में कहा जाता है कि यहाँ स्नानार्थी समस्त पापों से मुक्त हो जाता है-

ततस्तीरे समुद्रस्थ कन्यातीर्थमुपस्पृशेत्। तत्रो पस्पृश्य राजेंद्र सर्व पापैः प्रमुच्यते॥[5]

अन्य तीर्थ

देवी मंदिर के दक्षिण में मातृतीर्थ, पितृतीर्थ, भीमतीर्थ है। पश्चिम में थोड़ी दूर पर ही स्थाणु तीर्थ है। कन्यकाश्रम मंदिर समुद्रतट पर है। वहाँ स्नान घाट है,जहाँ गणेश जी का मंदिर है। मान्यता है कि स्नान के बाद गणेश जी का दर्शन करके तब कन्याकुमारी की भावोत्पादक एवं भव्य विग्रह के दर्शन होते हैं। मंदिर में अनेक देव विग्रह हैं। मंदिर से थोड़ी दूर पर पुष्करणी है। समुद्र तट पर एक विचित्र बावली है, जिसका जल मीठा है। इसे माण्डूक तीर्थ कहते हैं। यात्री इसमें भी स्नान करते हैं। समुद्र में थोड़ी दूर आगे विवेकानंद शिला है, जहाँ स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा है। कहते हैं स्वामी जी यहीं बैठकर चिंतन-मनन करते थे।

यातायात

कन्याकुमारी रेल तथा सड़क मार्ग से जुड़ा है। यह त्रिवेंद्रम से 80 किलोमीटर दूर है। यहाँ चेन्नई तथा त्रिवेंद्रम से रेल या बस से भी पहुँचा जा सकता है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. मतांतर से ऊर्ध्वदंत
  2. हिंद महासागर, अरब सागर तथा बंगाल की खाड़ी
  3. मतांतर से ऊर्ध्वदंत
  4. मतांतर से 'संहार'
  5. महाभारत, वन पर्व-85/23
  • पुस्तक- महाशक्तियाँ और उनके 51 शक्तिपीठ | लेखक- गोपालजी गुप्त | पृष्ठ संख्या-84 | प्रकाशक- पुस्तक महल

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख