नंदभवन, महावन: Difference between revisions
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*नंद हवेली के भीतर ही [[यशोदा|यशोदा मैया]] के कक्ष में भादों माह के [[रोहिणी नक्षत्र]] युक्त [[अष्टमी|अष्टमी तिथि]] को अर्द्धरात्रि के समय स्वयं भगवान श्रीकृष्ण और [[योगमाया]] ने यमज सन्तान के रूप में माँ यशोदा जी के गर्भ से जन्म लिया था। यहाँ योगमाया का दर्शन है। | *नंद हवेली के भीतर ही [[यशोदा|यशोदा मैया]] के कक्ष में भादों माह के [[रोहिणी नक्षत्र]] युक्त [[अष्टमी|अष्टमी तिथि]] को अर्द्धरात्रि के समय स्वयं भगवान श्रीकृष्ण और [[योगमाया]] ने यमज सन्तान के रूप में माँ यशोदा जी के गर्भ से जन्म लिया था। यहाँ योगमाया का दर्शन है। | ||
*श्रीमद्भागवत में भी इसका स्पष्ट वर्णन मिलता है कि महाभाग्यवान [[नंदबाबा]] भी पुत्र के उत्पन्न होने से बड़े आनन्दित हुए। उन्होंने नाड़ीछेद-संस्कार, स्नान आदि के | *श्रीमद्भागवत में भी इसका स्पष्ट वर्णन मिलता है कि महाभाग्यवान [[नंदबाबा]] भी पुत्र के उत्पन्न होने से बड़े आनन्दित हुए। उन्होंने नाड़ीछेद-संस्कार, स्नान आदि के पश्चात् [[ब्राह्मण|ब्राह्मणों]] को बुलाकर जातकर्म आदि संस्कारों को सम्पन्न कराया।<ref>नन्दस्त्वात्मज उत्पन्ने जाताह्वादो महामना:। आहूय विप्रान् वेदज्ञान् स्नात:शुचिरंकृत: ॥ (श्रीमद्भा0 10/5/1</ref> | ||
*श्रीरघुपति उपाध्याय जी कहते हैं कि संसार में जन्म-मरण के भय से भीत कोई श्रुतियों का आश्रय लेते हैं तो कोई स्मृतियों का और कोई [[महाभारत]] का ही सेवन करते हैं तो करें, परन्तु मैं तो उन श्रीनन्दराय जी की वन्दना करता हूँ कि जिनके आंगन में परब्रह्म बालक बनकर खेल रहा है। | *श्रीरघुपति उपाध्याय जी कहते हैं कि संसार में जन्म-मरण के भय से भीत कोई श्रुतियों का आश्रय लेते हैं तो कोई स्मृतियों का और कोई [[महाभारत]] का ही सेवन करते हैं तो करें, परन्तु मैं तो उन श्रीनन्दराय जी की वन्दना करता हूँ कि जिनके आंगन में परब्रह्म बालक बनकर खेल रहा है। | ||
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नंदभवन मथुरा के समीप महावन में स्थित है। यह भवन महावन स्थित नंदबाबा की हवेली के अंदर ही स्थित है।[1]
- ब्रज के समस्त वनों में महावन आयतन में बड़ा होने के कारण ही 'बृहद्वन' भी कहा गया है। यहाँ भगवान श्रीकृष्ण से सम्बंधित कई लीलास्थल दर्शनीय हैं।
- नंद हवेली के भीतर ही यशोदा मैया के कक्ष में भादों माह के रोहिणी नक्षत्र युक्त अष्टमी तिथि को अर्द्धरात्रि के समय स्वयं भगवान श्रीकृष्ण और योगमाया ने यमज सन्तान के रूप में माँ यशोदा जी के गर्भ से जन्म लिया था। यहाँ योगमाया का दर्शन है।
- श्रीमद्भागवत में भी इसका स्पष्ट वर्णन मिलता है कि महाभाग्यवान नंदबाबा भी पुत्र के उत्पन्न होने से बड़े आनन्दित हुए। उन्होंने नाड़ीछेद-संस्कार, स्नान आदि के पश्चात् ब्राह्मणों को बुलाकर जातकर्म आदि संस्कारों को सम्पन्न कराया।[2]
- श्रीरघुपति उपाध्याय जी कहते हैं कि संसार में जन्म-मरण के भय से भीत कोई श्रुतियों का आश्रय लेते हैं तो कोई स्मृतियों का और कोई महाभारत का ही सेवन करते हैं तो करें, परन्तु मैं तो उन श्रीनन्दराय जी की वन्दना करता हूँ कि जिनके आंगन में परब्रह्म बालक बनकर खेल रहा है।
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