जुगलकिशोर जी का मन्दिर वृन्दावन: Difference between revisions
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[[ग्राउस]] ने मन्दिर का जीर्णोद्धार कराया था। नगरपालिका ने ऊपर के कमरे को एक रुपया मासिक किराये पर उठा दिया था जिससे कि कोई उस पर अनाधिकार न कर ले और उस की सफ़ाई होती रहे। कुछ ही दिनों बाद नये कलक्टर के आते ही इसका | [[ग्राउस]] ने मन्दिर का जीर्णोद्धार कराया था। नगरपालिका ने ऊपर के कमरे को एक रुपया मासिक किराये पर उठा दिया था जिससे कि कोई उस पर अनाधिकार न कर ले और उस की सफ़ाई होती रहे। कुछ ही दिनों बाद नये कलक्टर के आते ही इसका दुरुपयोग होने लगा और यह पशु घर बन गया था। | ||
Revision as of 10:26, 5 July 2017
जुगलकिशोर जी का मन्दिर वृन्दावन
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विवरण | जुगलकिशोर जी का मन्दिर एक वैष्णव संप्रदाय का मन्दिर है। |
राज्य | उत्तर प्रदेश |
नगर | वृन्दावन |
निर्माता | नानकरन |
निर्माण | सन् 1627 ई. |
प्रसिद्धि | उत्तरी भारत की स्थापत्य कला के उत्कृष्टतम इमारतों में से एक |
संबंधित लेख | गोविन्द देव मन्दिर, गोपीनाथ मन्दिर और मदन मोहन मन्दिर |
शासन काल | मुग़ल (जहाँगीर) |
अन्य जानकारी | ग्राउस ने मन्दिर का जीर्णोद्धार कराया था। नगरपालिका ने ऊपर के कमरे को एक रुपया मासिक किराये पर उठा दिया था जिससे कि कोई उस पर अनाधिकार न कर ले और उस की सफ़ाई होती रहे। |
अद्यतन | 13:35, 17 जुलाई 2012 (IST)
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जुगलकिशोर जी का मन्दिर उत्तर प्रदेश राज्य में मथुरा ज़िले के वृन्दावन नगर में स्थित एक वैष्णव संप्रदाय का मन्दिर है। यह मन्दिर गोविन्ददेव, मदनमोहन और गोपीनाथ मन्दिर की ही शृंखला में यह चौथा है।
निर्माण
जुगलकिशोर जी का मन्दिर, केशी घाट के पास स्थित है। इसका निर्माण जहाँगीर के समय में सन् 1627 ई. में हुआ था। इसका निर्माणकर्त्ता नानकरन था। यह चौहान ठाकुर था। परन्तु यह भी असंभव नहीं है कि वह गोपीनाथ मन्दिर के निर्माता रायसिल का बड़ा भाई रहा हो। इसका जगमोहन दूसरे मन्दिरों के जगमोहन की अपेक्षा कुछ बड़ा है जो 25 वर्गफीट का है, द्वार पूर्व को है। किन्तु उत्तर और दक्षिण में भी छोटे-छोटे द्वार हैं। गर्भग्रह नष्ट हो चुका था।
जीर्णोद्धार
[[चित्र:Jugal Kishor-Temple-2.jpg|thumb|200px|left|जुगलकिशोर मन्दिर, वृन्दावन]] ग्राउस ने मन्दिर का जीर्णोद्धार कराया था। नगरपालिका ने ऊपर के कमरे को एक रुपया मासिक किराये पर उठा दिया था जिससे कि कोई उस पर अनाधिकार न कर ले और उस की सफ़ाई होती रहे। कुछ ही दिनों बाद नये कलक्टर के आते ही इसका दुरुपयोग होने लगा और यह पशु घर बन गया था।
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