सुशील कुमार पहलवान: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
No edit summary
Line 15: Line 15:
|विद्यालय=[[दिल्ली विश्वविद्यालय]]
|विद्यालय=[[दिल्ली विश्वविद्यालय]]
|पुरस्कार-उपाधि=[[पद्मश्री]], [[अर्जुन पुरस्कार]], [[राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार]]
|पुरस्कार-उपाधि=[[पद्मश्री]], [[अर्जुन पुरस्कार]], [[राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार]]
|प्रसिद्धि=सुशील कुमार विश्व कुश्ती चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने वाले [[भारत]] के पहले पहलवान हैं।
|प्रसिद्धि=लंदन ओलंपिक ([[2012]]) में रजत पदक, बीजिंग ओलंपिक ([[2008]]) में कांस्य पदक। दो ओलम्पिक पदक जीतने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी हैं।  
|विशेष योगदान=
|विशेष योगदान=
|नागरिकता=भारतीय  
|नागरिकता=भारतीय  
Line 27: Line 27:
|अद्यतन={{अद्यतन|18:54, 19 दिसम्बर 2017 (IST)}}
|अद्यतन={{अद्यतन|18:54, 19 दिसम्बर 2017 (IST)}}
}}
}}
'''सुशील कुमार''' एक कुश्ती पहलवान है, जिनका जन्म [[26 मई]], [[1983]] को नजफगढ़ इलाके एक गाँव दापरोला में हुआ था। 'बीजिंग ओलिंपिक' खेलों में देश के लिए 'कांस्य पदक' जीतकर सुशील कुमार 'नज़फगढ़ के नए सुल्तान' बन गए। [[दिल्ली]] के नज़फगढ़ से भारतीय [[क्रिकेट]] को [[वीरेंद्र सहवाग]] जैसा नायाब हीरा मिला लेकिन अब [[दिल्ली]] के सुदूर पश्चिम में बसा यह स्थान पहलवान सुशील कुमार के कारण जाना जाता है।  
'''सुशील कुमार''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Sushil Kumar'') एक कुश्ती पहलवान है, जो [[2012]] के लंदन ओलंपिक में रजत पदक, [[2008]] के बीजिंग ओलंपिक में कांस्य पदक जीतकर लगातार दो ओलम्पिक मुकाबलों में व्यक्तिगत पदक जीतने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी बने। 'बीजिंग ओलिंपिक' खेलों में देश के लिए 'कांस्य पदक' जीतकर सुशील कुमार 'नज़फगढ़ के नए सुल्तान' बन गए। [[दिल्ली]] के नज़फगढ़ से भारतीय [[क्रिकेट]] को [[वीरेंद्र सहवाग]] जैसा नायाब हीरा मिला लेकिन अब [[दिल्ली]] के सुदूर पश्चिम में बसा यह स्थान पहलवान सुशील कुमार के कारण जाना जाता है।  
==परिवार==
==परिवार==
एम.टी.एन.एल. में साधारण नौकरी करने वाले सुशील के पिता 'दीवान सिंह' और माँ 'कमला' अपने बेटे की इस महान् उपलब्धि पर बहुत ही प्रसन्न हैं। दीवानसिंह जी नजफगढ़ के गाँव बापड़ौला से प्रत्येक दिन चार किलो दूध लेकर साइकिल से, तीस किलोमीटर से भी दूर 'छत्रसाल स्टेडियम' पर पहलवानी कर रहे अपने पुत्र सुशील कुमार को इस उम्मीद के साथ पहुँचाते थे कि उनका यह चिराग किसी दिन उनका नाम रोशन करेगा। 'बीजिंग ओलिम्पिक' में 56 साल बाद कुश्ती में 'कांस्य पदक' जीतकर सुशील ने उस दूध का हक अदा कर दिया। सुशील तीन भाइयों के परिवार में सबसे बड़े हैं। वह बचपन से ही कुश्ती के दीवाने थे और प्रारम्भ से ही उनका लक्ष्य ओलिंपिक में मेडल जीतना था।  
सुशील कुमार का जन्म [[26 मई]], [[1983]] को नजफगढ़ इलाके एक गाँव दापरोला में हुआ था।  एम.टी.एन.एल. में साधारण नौकरी करने वाले सुशील के पिता 'दीवान सिंह' और माँ 'कमला' अपने बेटे की इस महान् उपलब्धि पर बहुत ही प्रसन्न हैं। दीवानसिंह जी नजफगढ़ के गाँव बापड़ौला से प्रत्येक दिन चार किलो दूध लेकर साइकिल से, तीस किलोमीटर से भी दूर 'छत्रसाल स्टेडियम' पर पहलवानी कर रहे अपने पुत्र सुशील कुमार को इस उम्मीद के साथ पहुँचाते थे कि उनका यह चिराग किसी दिन उनका नाम रोशन करेगा। 'बीजिंग ओलिम्पिक' में 56 साल बाद कुश्ती में 'कांस्य पदक' जीतकर सुशील ने उस दूध का हक अदा कर दिया। सुशील तीन भाइयों के परिवार में सबसे बड़े हैं। वह बचपन से ही कुश्ती के दीवाने थे और प्रारम्भ से ही उनका लक्ष्य ओलिंपिक में मेडल जीतना था।  
==शिक्षा==
==शिक्षा==
सुशील कुमार ने '[[दिल्ली विश्वविद्यालय]]' से स्नातक परीक्षा उत्तीर्ण की लेकिन वह बचपन से ही '[[सतपाल सिंह|महाबली सतपाल]]' से जुड़ गए थे। महाबली सतपाल ने उनके कौशल को निखारने में अहम भूमिका निभाई है। सुशील, सतपाल पहलवान के शिष्य हैं।
सुशील कुमार ने '[[दिल्ली विश्वविद्यालय]]' से स्नातक परीक्षा उत्तीर्ण की लेकिन वह बचपन से ही '[[सतपाल सिंह|महाबली सतपाल]]' से जुड़ गए थे। महाबली सतपाल ने उनके कौशल को निखारने में अहम भूमिका निभाई है। सुशील, सतपाल पहलवान के शिष्य हैं।

Revision as of 13:31, 19 December 2017

चित्र:Disamb2.jpg सुशील कुमार एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- सुशील कुमार (बहुविकल्पी)
सुशील कुमार पहलवान
पूरा नाम सुशील कुमार पहलवान
जन्म 26 मई, 1983
जन्म भूमि नजफगढ़, दिल्ली
अभिभावक दीवान सिंह और कमला देवी
खेल-क्षेत्र कुश्ती
शिक्षा स्नातक
विद्यालय दिल्ली विश्वविद्यालय
पुरस्कार-उपाधि पद्मश्री, अर्जुन पुरस्कार, राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार
प्रसिद्धि लंदन ओलंपिक (2012) में रजत पदक, बीजिंग ओलंपिक (2008) में कांस्य पदक। दो ओलम्पिक पदक जीतने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी हैं।
नागरिकता भारतीय
ऊँचाई 166 सेमी. (5 फ़ुट 5 इंच)
बाहरी कड़ियाँ सुशील कुमार विश्व कुश्ती चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने वाले भारत के पहले पहलवान हैं।
अद्यतन‎

सुशील कुमार (अंग्रेज़ी: Sushil Kumar) एक कुश्ती पहलवान है, जो 2012 के लंदन ओलंपिक में रजत पदक, 2008 के बीजिंग ओलंपिक में कांस्य पदक जीतकर लगातार दो ओलम्पिक मुकाबलों में व्यक्तिगत पदक जीतने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी बने। 'बीजिंग ओलिंपिक' खेलों में देश के लिए 'कांस्य पदक' जीतकर सुशील कुमार 'नज़फगढ़ के नए सुल्तान' बन गए। दिल्ली के नज़फगढ़ से भारतीय क्रिकेट को वीरेंद्र सहवाग जैसा नायाब हीरा मिला लेकिन अब दिल्ली के सुदूर पश्चिम में बसा यह स्थान पहलवान सुशील कुमार के कारण जाना जाता है।

परिवार

सुशील कुमार का जन्म 26 मई, 1983 को नजफगढ़ इलाके एक गाँव दापरोला में हुआ था। एम.टी.एन.एल. में साधारण नौकरी करने वाले सुशील के पिता 'दीवान सिंह' और माँ 'कमला' अपने बेटे की इस महान् उपलब्धि पर बहुत ही प्रसन्न हैं। दीवानसिंह जी नजफगढ़ के गाँव बापड़ौला से प्रत्येक दिन चार किलो दूध लेकर साइकिल से, तीस किलोमीटर से भी दूर 'छत्रसाल स्टेडियम' पर पहलवानी कर रहे अपने पुत्र सुशील कुमार को इस उम्मीद के साथ पहुँचाते थे कि उनका यह चिराग किसी दिन उनका नाम रोशन करेगा। 'बीजिंग ओलिम्पिक' में 56 साल बाद कुश्ती में 'कांस्य पदक' जीतकर सुशील ने उस दूध का हक अदा कर दिया। सुशील तीन भाइयों के परिवार में सबसे बड़े हैं। वह बचपन से ही कुश्ती के दीवाने थे और प्रारम्भ से ही उनका लक्ष्य ओलिंपिक में मेडल जीतना था।

शिक्षा

सुशील कुमार ने 'दिल्ली विश्वविद्यालय' से स्नातक परीक्षा उत्तीर्ण की लेकिन वह बचपन से ही 'महाबली सतपाल' से जुड़ गए थे। महाबली सतपाल ने उनके कौशल को निखारने में अहम भूमिका निभाई है। सुशील, सतपाल पहलवान के शिष्य हैं।

विश्व कुश्ती चैम्पियन

सुशील कुमार विश्व कुश्ती चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने वाले भारत के पहले पहलवान हैं। बीजिंग ओलम्पिक में कुश्ती में कांस्य पदक जीतने वाले सुशील कुमार ने 12 सितंबर, 2010 को मॉस्को में विश्व कुश्ती चैम्पियनशिप में फ़्रीस्टाइल में 66 किग्रा वर्ग में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास बनाया। विश्व कुश्ती में भारत ने रजत व कांस्य पदक पूर्व वर्षों में यद्यपि जीता है, स्वर्ण पदक जीतने वाले वह भारत के पहले पहलवान है। सुशील से पूर्व भारत के रमेश कुमार ने सितंबर 2009 में डेनमार्क में हर्निंग में विश्व कुश्ती चैम्पियनशिप में कांस्य पदक तथा विशंभर सिंह ने 1967 में विश्व कुश्ती चैम्पियनशिप में रजत पदक जीता था। भारतीय रेलवे में कार्यरत सुशील कुमार को उनकी इस उपलब्धि के लिए 10 लाख रुपये का पुरस्कार रेलवे ने दिया है। मॉस्को में स्वर्ण पदक हासिल करने के लिये सुशील कुमार ने रूस के एलन गोगाएव को फ़ाइनल में पराजित किया। इससे पूर्व सेमीफ़ाइनल में अजरबैजान के पहलवान को तथा उससे पहले के मुक़ाबलों में यूनान, जर्मनी व मंगोलिया के पहलवानों को सुशील कुमार ने पराजित किया था। thumb|250px|left|सुशील कुमार
Sushil Kumar

उपलब्धियाँ

  • रेलवे के कर्मचारी सुशील ने 2006 में 'दोहा एशियाई खेलों' में 'कांस्य पदक' जीतकर अपनी प्रतिभा का परिचय दिया था।
  • दिल्ली के छत्रसाल स्टेडियम में रोज़ाना सुबह पांच बजे से कुश्ती के दांवपेच सीखने वाले अर्जुन पुरस्कार विजेता सुशील ने अगले ही साल मई 2007 में 'सीनियर एशियाई चैम्पियनशिप' में 'रजत पदक' जीता।
  • कनाडा में आयोजित 'राष्ट्रमंडल कुश्ती प्रतियोगिता' में 'स्वर्ण पदक' हासिल किया।
  • भारत की पारंपरिक गुरु-शिष्य परंपरा की बानगी पेश करते हुए ओलंपिक कांस्य पदक विजेता पहलवान सुशील कुमार ने अपना पदक गुरु महाबली सतपाल को समर्पित कर दिया।
  • अजरबेजान में हुई विश्व कुश्ती चैम्पियनशिप में सुशील हालाँकि आठवें स्थान पर पिछड़ गए थे, लेकिन उन्होंने यहीं से 'बीजिंग ओलिम्पिक खेलों' के लिए क्वाल‍िफाई कर लिया था।
  • बीजिंग ओलिम्पिक 2008 में कांस्य पदक जीतकर पहले भारतीय पहलवान बने।
  • ओलिम्पिक खेलों के लिए पटियाला के 'राष्ट्रीय क्रीड़ा संस्थान' में विदेशी कोच से ट्रेनिंग लेने वाले सुशील ने इस साल कोरिया में आयोजित 'सीनियर एशिया कुश्ती चैम्पियनशिप' में काँस्य पदक जीता था।
  • लंदन ओलिम्पिक 2012 में रजत पदक जीतकर ओलम्पिक में दो पदक जीतने वाले पहले भारतीय बने।
  • जोहानसबर्ग में आयोजित राष्ट्रमंडल कुश्ती चैंपियनशिप 2017 में स्वर्ण पदक जीतकर 3 साल बाद अंतरराष्ट्रीय मंच पर शानदार अंदाज में वापसी की।

पुरस्कार


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख