अजीत जोगी: Difference between revisions
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'''अजीत प्रमोद कुमार जोगी''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Ajit Pramod Kumar Jogi'', जन्म- [[29 अप्रैल]], [[1946]], [[बिलासपुर छत्तीसगढ़|बिलासपुर]]; मृत्यु- [[29 मई]], [[2020]], [[रायपुर]]) [[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस]] के राजनीतिज्ञ व राजनेता थे। वह [[छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री|छत्तीसगढ़ राज्य के मुख्यमंत्री]] बनने वाले प्रथम व्यक्ति थे। अजीत जोगी [[1 नवंबर]], [[2000]] से [[7 दिसंबर]], [[2003]] तक राज्य के मुख्यमंत्री रहे। मैकेनिकल इंजीनियरिंग में गोल्ड मेडलिस्ट होने के बाद वे आईपीएस बने और दो साल बाद आइएएस। लंबे समय तक कलेक्टर जैसे दबदबे वाले पद पर रहने के बाद त्यागपत्र देकर राजनीति में आने वाले जोगी को तेज तर्रार अफसर के साथ ही तुर्क नेता भी माना गया। गंभीर दुर्घटना में पैरों से लाचार होने के बाद भी जोगी जीीवटता के साथ राजनीति के मैदान में डटे रहे। | '''अजीत प्रमोद कुमार जोगी''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Ajit Pramod Kumar Jogi'', जन्म- [[29 अप्रैल]], [[1946]], [[बिलासपुर छत्तीसगढ़|बिलासपुर]]; मृत्यु- [[29 मई]], [[2020]], [[रायपुर]]) [[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस]] के राजनीतिज्ञ व राजनेता थे। वह [[छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री|छत्तीसगढ़ राज्य के मुख्यमंत्री]] बनने वाले प्रथम व्यक्ति थे। अजीत जोगी [[1 नवंबर]], [[2000]] से [[7 दिसंबर]], [[2003]] तक राज्य के मुख्यमंत्री रहे। मैकेनिकल इंजीनियरिंग में गोल्ड मेडलिस्ट होने के बाद वे आईपीएस बने और दो साल बाद आइएएस। लंबे समय तक कलेक्टर जैसे दबदबे वाले पद पर रहने के बाद त्यागपत्र देकर राजनीति में आने वाले जोगी को तेज तर्रार अफसर के साथ ही तुर्क नेता भी माना गया। गंभीर दुर्घटना में पैरों से लाचार होने के बाद भी जोगी जीीवटता के साथ राजनीति के मैदान में डटे रहे। | ||
==परिचय== | |||
भारतीय राजनीति में अजीत जोगी का नाम देश के बड़े नेताओं में शुमार होता है। [[कांग्रेस]] से अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत करने वाले जोगी छत्तीसगढ़ के पहले [[मुख्यमंत्री]] रहे। 29 अप्रैल, 1946 को बिलासपुर के पेंड्रा में जन्मे अजीत प्रमोद कुमार जोगी के दादाजी [[हिंदू धर्म]] के सतनामी समाज से ताल्लुक रखते थे। बाद में उन्होंने [[ईसाई धर्म]] अपना लिया था। अजीत जोगी ने [[भोपाल]] के मौलाना आजाद कॉलेज ऑफ टेक्नोलॉजी से मकैनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और साल [[1968]] में यहां से गोल्ड मेडलिस्ट रहे।<ref name="aa">{{cite web |url=https://khabar.ndtv.com/news/india/ajit-jogi-an-engineer-who-became-ips-ias-and-the-first-chief-minister-of-his-state-2237331 |title=एक इंजीनियर जो IPS-IAS के बाद बना अपने राज्य का पहला मुख्यमंत्री, नाम अजीत जोगी |accessmonthday=30 मई|accessyear=2020 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=khabar.ndtv.com |language=हिंदी}}</ref> | |||
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शिक्षा पूरी करने के बाद अजीत जोगी ने रायपुर के गवर्नमेंट इंजीनियरिंग कॉलेज में लेक्चरर के रूप में सेवाएं दीं। इसके बाद उनका चयन भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के लिए हो गया, बाद में वह भारतीय प्रशासनिक सेवा यानि आईएएस के लिए भी चुन लिए गए। भारतीय प्रशासनिक सेवा के दौरान साल [[1981]] से [[1985]] तक अजीत जोगी [[इंदौर]] के डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर रहे। इसी दौरान अजीत जोगी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और [[मध्य प्रदेश]] के पूर्व सीएम अर्जुन सिंह के संपर्क में आए। जोगी की गिनती अर्जुन सिंह के चहेते अधिकारियों में होती थी, लेकिन जोगी के राजनीतिक जीवन की शुरुआत पूर्व पीएम [[राजीव गांधी]] के संपर्क में आने के बाद हुई। | |||
[[1986]] से [[1987]] के बीच अजीत जोगी को अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी में अनुसूचित जाति/जनजाति कल्याण समिति की जिम्मेदारी दी गई। [[1986]] से लेकर [[1998]] तक अजीत जोगी दो बार के [[राज्य सभा]] सदस्य रहे। [[1998]] में जोगी पहली बार रायगढ़ लोक सभा क्षेत्र से लिए चुने गए। इसी दौरान उन्हें कांग्रेस पार्टी ने राष्ट्रीय प्रवक्ता की जिम्मेदारी भी सौंपी। | |||
==नई जिम्मेदारी== | |||
साल [[2000]] में [[छत्तीसगढ़]] को अलग राज्य घोषित किया गया और अजीत जोगी राज्य के पहले [[मुख्यमंत्री]] बने। ये जिम्मेदारी जोगी ने साल [[2003]] तक संभाली। [[2003]] में राज्य में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी हार गई और राज्य में पहली बार रमन सिंह के नेतृत्व में [[भाजपा]] की सरकार बनी। इन चुनावों में जोगी खुद मरवाही सीट से मैदान में थे और उन्होंने बीजेपी के नंद कुमार साई को 54 हजार से ज्यादा वोटों से हराया। इन चुनावों में [[कांग्रेस]] ने 37 सीटें जीती थी।<ref name="aa"/> | |||
==केंद्र में नहीं मिला मौका== | |||
इसके बाद साल [[2004]] में हुए [[लोकसभा चुनाव]] में अजीत जोगी ने कांग्रेस की तरफ से छत्तीसगढ़ की महासमुंद सीट से चुनाव लड़ा। इस दौरान उनका मुकाबला कांग्रेस से बीजेपी में शामिल हुए वरिष्ठ नेता विद्याचरण शुक्ल से था। जोगी ने विद्याचरण शुक्ल जैसे दिग्गज नेता को हराकर छत्तीसगढ़ की राजनीति में अपना कद सबसे ऊपर कर लिया। इन चुनावों में केंद्र में कांग्रेस गठबंधन की सरकार बनी लेकिन अजीत जोगी को सरकार में कोई बड़ी जिम्मेदारी नहीं दी गई। जोगी अभी भी छत्तीसगढ़ की राजनीति में ही खुद को आजमाना चाहते थे, इसलिए उन्होंने सांसद का अपना कार्यकाल पूरा ना करके वापस विधानसभा चुनाव लड़ने का मन बनाया। | |||
==राजनीति से मोह== | |||
साल [[2008]] में [[छत्तीसगढ़]] विधानसभा चुनाव में जोगी एक बार फिर मरवाही से मैदान में उतरे। इस बार भी राज्य में कांग्रेस की हार हुई लेकिन अजीत जोगी ने बंपर वोटों से चुनाव जीता। अजीत जोगी ने बीजेपी के ध्यान सिंह पोर्ते को 42 से ज्यादा हराया था। इसके बाद [[2009]] में हुए लोकसभा चुनाव में जोगी मैदान में नहीं उतरे। छत्तीसगढ़ बनने के बाद ऐसा पहली बार हुआ, जब अजीत जोगी ने विधानसभा का अपना कार्यकाल पूरा किया। [[2013]] में हुए छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में अजीत जोगी मरवाही विधानसभा सीट से अपने बेटे अमित जोगी को मैदान में उतारा। अमित जोगी ने बीजेपी समीरा पैकरा को 46 से ज्यादा वोटों से हराया था। इसके बाद साल [[2014]] में हुए लोकसभा चुनाव में अजीत जोगी ने महासमुंद लोकसभा सीट से एक बार फिर ताल ठोकी, लेकिन इस बार अजीत जोगी [[नरेंद्र मोदी]] की प्रभाव वाली बीजेपी के चंदूलाल साहू से 1217 वोटों से हार गए। | |||
==नई पार्टी का गठन== | |||
[[2018]] विधानसभा चुनाव में राज्य के पहले [[मुख्यमंत्री]] अजीत जोगी पहली बार कांग्रेस पार्टी से अलग चुनाव लड़े। अजीत जोगी अपनी अलग पार्टी 'जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़' के साथ मैदान में उतरे। राज्य की 90 सीटों में अजीत जोगी की पार्टी 55 सीटों पर चुनाव लड़ी बाकि 35 सीटों पर जेसीसीजे ने बीएसपी को समर्थन किया। अजीत जोगी खुद मरवाही सीट से चुनाव लड़े और जीते थे। वहीं कोटा विधानसभा सीट से उनकी पत्नी रेणु जोगी भी चुनाव जीती थीं। बहू ऋचा जोगी अकलतरा सीट से बीएसपी के टिकट पर मैदान में उतरीं थी और बहुत कम अंतर से हारीं थी। 90 में से 60 सीटों पर बीएसपी जेसीसी गठबंधन ने 7 सीटें जीती थी जिनमें से 5 सीटें जोगी की पार्टी ने जीती थी, वहीं 2 सीटों पर बीएसपी ने जीत दर्ज की थी।<ref name="aa"/> | |||
==शौक और रिकॉर्ड== | ==शौक और रिकॉर्ड== | ||
*अजीत जोगी को घुड़सवारी, ग्लाइडिंग, स्विमिंग, [[योग]], ट्रैकिंग, शिकार करना किताबें पढ़ना और तांत्रिक विज्ञान की जानकारी रखने का शौक था। [[रायपुर]] के इंजीनियरिंग कॉलेज में साल [[1967]]-[[1968]] में वह व्याख्याता रहे। [[1968]] से [[1970]] तक आईपीएस रहे, [[1970]] में आईएएस बने। आजाद हिंदुस्तान में 12 वर्षों तक कलेक्टर रहने का रिकॉर्ड उनके नाम पर दर्ज है। | *अजीत जोगी को घुड़सवारी, ग्लाइडिंग, स्विमिंग, [[योग]], ट्रैकिंग, शिकार करना किताबें पढ़ना और तांत्रिक विज्ञान की जानकारी रखने का शौक था। [[रायपुर]] के इंजीनियरिंग कॉलेज में साल [[1967]]-[[1968]] में वह व्याख्याता रहे। [[1968]] से [[1970]] तक आईपीएस रहे, [[1970]] में आईएएस बने। आजाद हिंदुस्तान में 12 वर्षों तक कलेक्टर रहने का रिकॉर्ड उनके नाम पर दर्ज है। | ||
*अजीत जोगी, अफसर रहने के दौरान कई बार वक्त मिलने पर फिल्में देखा करते थे। [[दिलीप कुमार]] और [[मधुबाला]] उनके पसंदीदा कलाकार रहे। इन कलाकारों के गाने वह अपने साथ रखा करते थे। खाने में उन्हें मुनगा, बड़िया, भाजियां पसंद थीं। | |||
*अजीत जोगी, अफसर रहने के दौरान कई बार वक्त मिलने पर फिल्में देखा करते थे। [[दिलीप कुमार]] और [[मधुबाला]] उनके पसंदीदा कलाकार रहे। इन कलाकारों के गाने वह अपने साथ रखा करते थे। खाने में उन्हें मुनगा, बड़िया, भाजियां पसंद थीं। | |||
*[[2018]] विधानसभा चुनाव में अजीत जोगी की पार्टी जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ ने चुनावी वादे स्टांप पेपर पर दिए। यह पहला मौका था, जब राज्य में किसी नेता ने ऐसा कदम उठाया। अजीत जोगी ने कहा था कि- "हम जो भी वादे करेंगे, वह हर हाल में पूरा करेंगे। यदि एक भी वादे पूरे नहीं होते हैं तो मैं जेल जाने को तैयार हूं।' | *[[2018]] विधानसभा चुनाव में अजीत जोगी की पार्टी जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ ने चुनावी वादे स्टांप पेपर पर दिए। यह पहला मौका था, जब राज्य में किसी नेता ने ऐसा कदम उठाया। अजीत जोगी ने कहा था कि- "हम जो भी वादे करेंगे, वह हर हाल में पूरा करेंगे। यदि एक भी वादे पूरे नहीं होते हैं तो मैं जेल जाने को तैयार हूं।' | ||
==पुस्तक== | ==पुस्तक== |
Revision as of 04:58, 30 May 2020
अजीत जोगी
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पूरा नाम | अजीत प्रमोद कुमार जोगी |
जन्म | 29 अप्रैल, 1946 |
जन्म भूमि | बिलासपुर, मध्य प्रदेश (अब छत्तीसगढ़) |
पति/पत्नी | डॉ. रेणु जोगी |
संतान | अमित जोगी |
नागरिकता | भारतीय |
पार्टी | जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |
पद | छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री |
कार्य काल | 1 नवंबर, 2000 से 7 दिसंबर, 2003 तक |
शिक्षा | इंजीनियरिंग |
अन्य जानकारी | अजीत जोगी ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद पहले भारतीय पुलिस सेवा और फिर भारतीय प्रशासनिक की नौकरी भी की है। |
अद्यतन | 18:11, 28 अप्रॅल 2018 (IST)
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अजीत प्रमोद कुमार जोगी (अंग्रेज़ी: Ajit Pramod Kumar Jogi, जन्म- 29 अप्रैल, 1946, बिलासपुर; मृत्यु- 29 मई, 2020, रायपुर) भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के राजनीतिज्ञ व राजनेता थे। वह छत्तीसगढ़ राज्य के मुख्यमंत्री बनने वाले प्रथम व्यक्ति थे। अजीत जोगी 1 नवंबर, 2000 से 7 दिसंबर, 2003 तक राज्य के मुख्यमंत्री रहे। मैकेनिकल इंजीनियरिंग में गोल्ड मेडलिस्ट होने के बाद वे आईपीएस बने और दो साल बाद आइएएस। लंबे समय तक कलेक्टर जैसे दबदबे वाले पद पर रहने के बाद त्यागपत्र देकर राजनीति में आने वाले जोगी को तेज तर्रार अफसर के साथ ही तुर्क नेता भी माना गया। गंभीर दुर्घटना में पैरों से लाचार होने के बाद भी जोगी जीीवटता के साथ राजनीति के मैदान में डटे रहे।
परिचय
भारतीय राजनीति में अजीत जोगी का नाम देश के बड़े नेताओं में शुमार होता है। कांग्रेस से अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत करने वाले जोगी छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री रहे। 29 अप्रैल, 1946 को बिलासपुर के पेंड्रा में जन्मे अजीत प्रमोद कुमार जोगी के दादाजी हिंदू धर्म के सतनामी समाज से ताल्लुक रखते थे। बाद में उन्होंने ईसाई धर्म अपना लिया था। अजीत जोगी ने भोपाल के मौलाना आजाद कॉलेज ऑफ टेक्नोलॉजी से मकैनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और साल 1968 में यहां से गोल्ड मेडलिस्ट रहे।[1]
अर्जुन सिंह के ख़ास
शिक्षा पूरी करने के बाद अजीत जोगी ने रायपुर के गवर्नमेंट इंजीनियरिंग कॉलेज में लेक्चरर के रूप में सेवाएं दीं। इसके बाद उनका चयन भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के लिए हो गया, बाद में वह भारतीय प्रशासनिक सेवा यानि आईएएस के लिए भी चुन लिए गए। भारतीय प्रशासनिक सेवा के दौरान साल 1981 से 1985 तक अजीत जोगी इंदौर के डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर रहे। इसी दौरान अजीत जोगी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम अर्जुन सिंह के संपर्क में आए। जोगी की गिनती अर्जुन सिंह के चहेते अधिकारियों में होती थी, लेकिन जोगी के राजनीतिक जीवन की शुरुआत पूर्व पीएम राजीव गांधी के संपर्क में आने के बाद हुई।
1986 से 1987 के बीच अजीत जोगी को अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी में अनुसूचित जाति/जनजाति कल्याण समिति की जिम्मेदारी दी गई। 1986 से लेकर 1998 तक अजीत जोगी दो बार के राज्य सभा सदस्य रहे। 1998 में जोगी पहली बार रायगढ़ लोक सभा क्षेत्र से लिए चुने गए। इसी दौरान उन्हें कांग्रेस पार्टी ने राष्ट्रीय प्रवक्ता की जिम्मेदारी भी सौंपी।
नई जिम्मेदारी
साल 2000 में छत्तीसगढ़ को अलग राज्य घोषित किया गया और अजीत जोगी राज्य के पहले मुख्यमंत्री बने। ये जिम्मेदारी जोगी ने साल 2003 तक संभाली। 2003 में राज्य में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी हार गई और राज्य में पहली बार रमन सिंह के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बनी। इन चुनावों में जोगी खुद मरवाही सीट से मैदान में थे और उन्होंने बीजेपी के नंद कुमार साई को 54 हजार से ज्यादा वोटों से हराया। इन चुनावों में कांग्रेस ने 37 सीटें जीती थी।[1]
केंद्र में नहीं मिला मौका
इसके बाद साल 2004 में हुए लोकसभा चुनाव में अजीत जोगी ने कांग्रेस की तरफ से छत्तीसगढ़ की महासमुंद सीट से चुनाव लड़ा। इस दौरान उनका मुकाबला कांग्रेस से बीजेपी में शामिल हुए वरिष्ठ नेता विद्याचरण शुक्ल से था। जोगी ने विद्याचरण शुक्ल जैसे दिग्गज नेता को हराकर छत्तीसगढ़ की राजनीति में अपना कद सबसे ऊपर कर लिया। इन चुनावों में केंद्र में कांग्रेस गठबंधन की सरकार बनी लेकिन अजीत जोगी को सरकार में कोई बड़ी जिम्मेदारी नहीं दी गई। जोगी अभी भी छत्तीसगढ़ की राजनीति में ही खुद को आजमाना चाहते थे, इसलिए उन्होंने सांसद का अपना कार्यकाल पूरा ना करके वापस विधानसभा चुनाव लड़ने का मन बनाया।
राजनीति से मोह
साल 2008 में छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में जोगी एक बार फिर मरवाही से मैदान में उतरे। इस बार भी राज्य में कांग्रेस की हार हुई लेकिन अजीत जोगी ने बंपर वोटों से चुनाव जीता। अजीत जोगी ने बीजेपी के ध्यान सिंह पोर्ते को 42 से ज्यादा हराया था। इसके बाद 2009 में हुए लोकसभा चुनाव में जोगी मैदान में नहीं उतरे। छत्तीसगढ़ बनने के बाद ऐसा पहली बार हुआ, जब अजीत जोगी ने विधानसभा का अपना कार्यकाल पूरा किया। 2013 में हुए छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में अजीत जोगी मरवाही विधानसभा सीट से अपने बेटे अमित जोगी को मैदान में उतारा। अमित जोगी ने बीजेपी समीरा पैकरा को 46 से ज्यादा वोटों से हराया था। इसके बाद साल 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में अजीत जोगी ने महासमुंद लोकसभा सीट से एक बार फिर ताल ठोकी, लेकिन इस बार अजीत जोगी नरेंद्र मोदी की प्रभाव वाली बीजेपी के चंदूलाल साहू से 1217 वोटों से हार गए।
नई पार्टी का गठन
2018 विधानसभा चुनाव में राज्य के पहले मुख्यमंत्री अजीत जोगी पहली बार कांग्रेस पार्टी से अलग चुनाव लड़े। अजीत जोगी अपनी अलग पार्टी 'जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़' के साथ मैदान में उतरे। राज्य की 90 सीटों में अजीत जोगी की पार्टी 55 सीटों पर चुनाव लड़ी बाकि 35 सीटों पर जेसीसीजे ने बीएसपी को समर्थन किया। अजीत जोगी खुद मरवाही सीट से चुनाव लड़े और जीते थे। वहीं कोटा विधानसभा सीट से उनकी पत्नी रेणु जोगी भी चुनाव जीती थीं। बहू ऋचा जोगी अकलतरा सीट से बीएसपी के टिकट पर मैदान में उतरीं थी और बहुत कम अंतर से हारीं थी। 90 में से 60 सीटों पर बीएसपी जेसीसी गठबंधन ने 7 सीटें जीती थी जिनमें से 5 सीटें जोगी की पार्टी ने जीती थी, वहीं 2 सीटों पर बीएसपी ने जीत दर्ज की थी।[1]
शौक और रिकॉर्ड
- अजीत जोगी को घुड़सवारी, ग्लाइडिंग, स्विमिंग, योग, ट्रैकिंग, शिकार करना किताबें पढ़ना और तांत्रिक विज्ञान की जानकारी रखने का शौक था। रायपुर के इंजीनियरिंग कॉलेज में साल 1967-1968 में वह व्याख्याता रहे। 1968 से 1970 तक आईपीएस रहे, 1970 में आईएएस बने। आजाद हिंदुस्तान में 12 वर्षों तक कलेक्टर रहने का रिकॉर्ड उनके नाम पर दर्ज है।
- अजीत जोगी, अफसर रहने के दौरान कई बार वक्त मिलने पर फिल्में देखा करते थे। दिलीप कुमार और मधुबाला उनके पसंदीदा कलाकार रहे। इन कलाकारों के गाने वह अपने साथ रखा करते थे। खाने में उन्हें मुनगा, बड़िया, भाजियां पसंद थीं।
- 2018 विधानसभा चुनाव में अजीत जोगी की पार्टी जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ ने चुनावी वादे स्टांप पेपर पर दिए। यह पहला मौका था, जब राज्य में किसी नेता ने ऐसा कदम उठाया। अजीत जोगी ने कहा था कि- "हम जो भी वादे करेंगे, वह हर हाल में पूरा करेंगे। यदि एक भी वादे पूरे नहीं होते हैं तो मैं जेल जाने को तैयार हूं।'
पुस्तक
अजीत जोगी के जीवन पर लिखी पुस्तक 'अजीत जोगी: अनकही कहानी" में कई अहम बातों का जिक्र है। इस किताब को अजीत जोगी की पत्नी डॉ. रेणु जोगी ने लिखा।नेत्र चिकित्सक से विधायक तक का सफर तय करने वाली रेणु जोगी कहती हैं कि अपने 40 वर्ष के वैवाहिक जीवन के उतार-चढ़ाव आदि के सफर को उन्होंने इस पुस्तक में समाहित करने का प्रयास किया है। अजीत जोगी के प्रशासनिक अनुभव (कलेक्टर के रूप में) व राजनीतिक क्षमता का भी जिक्र है। पुस्तक में झीरम घाटी नरसंहार, जग्गी हत्याकांड, जर्सी गाय प्रकरण, जूदेव प्रकरण, जाति प्रकरण व जकांछ स्थापना आदि का जिक्र है।
मृत्यु
अजीत जोगी निधन 29 मई, 2020 को हुआ। उन्हें दिल का दौरा पड़ा था, जिसके बाद उन्हें रायपुर के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां दोपहर के समय उनका निधन हो गया। 9 मई को गंगा इमली (जंगली फल) खाने के दौरान फल का बीज उनके गले में अटक गया था। इस दौरान उन्हें दिल का दौरा पड़ा और वह कोमा में चले गए। उन्हें 9 मई को ही अस्पताल में भर्ती करा दिया गया था। इसके बाद से ही उनकी स्थिति गंभीर बनी हुई थी और उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.0 1.1 1.2 एक इंजीनियर जो IPS-IAS के बाद बना अपने राज्य का पहला मुख्यमंत्री, नाम अजीत जोगी (हिंदी) khabar.ndtv.com। अभिगमन तिथि: 30 मई, 2020।
बाहरी कड़ियाँ
- नहीं रहे छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री अजीत जोगी, 74 साल की उम्र में निधन
- पहले IPS फिर IAS होते हुए छत्तीसगढ़ के CM तक, जानें क्यों कांग्रेस से बागी हुए थे अजीत जोगी?
- अजीत जोगी की जिंदगी से जुड़े 10 किस्से
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