दीपिका कुमारी: Difference between revisions

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'''दीपिका कुमारी महतो''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Deepika Kumari Mahato'', जन्म- [[13 जून]], [[1994]]) भारतीय महिला तीरंदाज हैं। बिल्कुल निचले पायदान से निशानेबाजी के खेल में शुरुआत करने वाली दीपिका कुमारी आज अंतरराष्ट्रीय स्तर की शीर्ष खिलाड़ियों में से एक हैं। निशानेबाजी में 'झारखंड की गोल्डन गर्ल' कही जाने वाली दीपिका कुमारी हाल में ही जारी विश्व रैंकिंग में एक बार फिर से शीर्ष पर पहुंच गई हैं। उन्होंने हाल में ही विश्वकप के तीसरे चरण में तीन स्वर्ण पदक अपने नाम किये हैं।
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==परिचय==
==परिचय==
दीपिका कुमारी का जन्म 13 जून, 1994 को रांची में हुआ था। निशाना लगाने का [[खेल]] उन्हें बचपन से ही अपनी ओर आकर्षित करने लगा, क्योंकि उन्हें पेड़ों पर लटके आमों को पत्थर से मारकर गिराने में बड़ा मज़ा आता था। साधारण [[परिवार]] से होने की वजह से शुरुआत में वह बांस के डंडों से धनुष और तीर बनाकर निशाना लगाती थीं। बाद में टाटा तीरंदाज़ी अकादमी में ट्रेनिंग ले रही अपनी चचेरी बहन विद्या कुमारी की मदद से उन्हें सही राह मिल गई।
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==कॅरियर==
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==चैंपियन बनने का सपना==
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==कीर्तिमान==
==कीर्तिमान==

Revision as of 11:20, 1 July 2021

दीपिका कुमारी
पूरा नाम दीपिका कुमारी महतो
जन्म 13 जून, 1994
जन्म भूमि रांची, झारखण्ड
पति/पत्नी अतनु दास
कर्म भूमि भारत
खेल-क्षेत्र तीरंदाज़ी
प्रसिद्धि भारतीय महिला तीरंदाज़
नागरिकता भारतीय
क्लब टाटा आर्चरी अकादमी
टीम इंडियन आर्चरी वूमन टीम
अन्य जानकारी दीपिका कुमारी ने पहली बार लंदन 2012 के ओलंपिक खेलों में हिस्सा लिया था। हालांकि, उनके प्रयास वाले दिन दीपिका के स्वास्थ्य और हवा की स्थिति ने उन्हें शुरुआती दौर में जगह बनाने से रोक दिया था।
अद्यतन‎

दीपिका कुमारी महतो (अंग्रेज़ी: Deepika Kumari Mahato, जन्म- 13 जून, 1994) भारतीय महिला तीरंदाज हैं। बिल्कुल निचले पायदान से निशानेबाजी के खेल में शुरुआत करने वाली दीपिका कुमारी आज अंतरराष्ट्रीय स्तर की शीर्ष खिलाड़ियों में से एक हैं। निशानेबाजी में 'झारखंड की गोल्डन गर्ल' कही जाने वाली दीपिका कुमारी हाल में ही जारी विश्व रैंकिंग में एक बार फिर से शीर्ष पर पहुंच गई हैं। उन्होंने हाल में ही विश्वकप के तीसरे चरण में तीन स्वर्ण पदक अपने नाम किये हैं।

परिचय

दीपिका कुमारी का जन्म 13 जून, 1994 को रांची में हुआ था। निशाना लगाने का खेल उन्हें बचपन से ही अपनी ओर आकर्षित करने लगा, क्योंकि उन्हें पेड़ों पर लटके आमों को पत्थर से मारकर गिराने में बड़ा मज़ा आता था। साधारण परिवार से होने की वजह से शुरुआत में वह बांस के डंडों से धनुष और तीर बनाकर निशाना लगाती थीं। बाद में टाटा तीरंदाज़ी अकादमी में ट्रेनिंग ले रही अपनी चचेरी बहन विद्या कुमारी की मदद से उन्हें सही राह मिल गई।

कॅरियर

अकादमी में अपनी प्रतिभा को निखारने के बाद उन्होंने 2009 में कैडेट विश्व चैंपियनशिप जीती। उसी वर्ष, उन्होंने अमेरिका के ओग्डेन में 11वीं युवा विश्व तीरंदाजी चैंपियनशिप भी जीती। दीपिका कुमारी को बड़ी सफलता 2010 में मिली, यह वर्ष उनके करियर के लिए काफी अहम साबित हुआ और इसने उनकी जिंदगी को बदल दिया। उन्होंने व्यक्तिगत रिकर्व और महिलाओं की रिकर्व टीम स्पर्धा में दो स्वर्ण पदक हासिल किए। उसके दो महीने बाद नवंबर में उन्होंने ग्वांग्झू में 2010 एशियन गेम्स में कांस्य पदक जीतकर अपने शानदार वर्ष को समाप्त किया।

अपने आपको एक अच्छे तीरंदाज़ के रूप में स्थापित करने के बाद दीपिका कुमारी ओग्डेन में अपना पहला तीरंदाज़ी विश्व कप खेलने गईं, जहां उन्होंने व्यक्तिगत, टीम और मिश्रित टीम श्रेणियों में तीन रजत पदक जीतने में सफलता हासिल की। उसी वर्ष उन्होंने इटली के ट्यूरिन में अपने पहले विश्व तीरंदाजी चैंपियनशिप इवेंट में हिस्सा लिया और महिला टीम स्पर्धा में बोम्बायला देवी और चेक्रोवोलू स्वुरो के साथ जोड़ी बनाकर सिल्वर मेडल जीता। दीपिका कुमारी ने पहली बार लंदन 2012 के ओलंपिक खेलों में हिस्सा लिया। हालांकि, उनके प्रयास वाले दिन दीपिका के स्वास्थ्य और हवा की स्थिति ने उन्हें शुरुआती दौर में जगह बनाने से रोक दिया और वह ग्रेट ब्रिटेन की एमी ओलिवर से हार गईं। रियो 2016 में दीपिका कुमारी लगातार आगे बढ़ती गईं। उन्होंने क्रमशः 6-4 और 6-2 के प्रभावशाली स्कोर के साथ 64 और 32 के दौर में जगह बनाई। 16 के दौर (राउंड ऑफ-16) में चीनी ताइपे की तान या-टिंग ने उनकी गति पर विराम लगा दिया और 6-0 से इस राउंड को अपने नाम कर लिया।[1]

चैंपियन बनने का सपना

thumb|250px|दीपिका कुमारी बचपन से ही दीपिका तीरंदाज बनना चाहती थीं। हालांकि घर की हालात ठीक न होने की वजह से उनके पिता इसके खिलाफ थे; लेकिन दीपिका की जिद के आगे उन्हें भी हार मनानी पड़ी। बचपन में दीपिका लोहारडंगा में खेलों में भाग लेने चाहती थीं, लेकिन उनके पिता इसके खिलाफ थे। हालांकि बाद में उन्होंने अपने पिता को इसके लिए मना लिया था। आर्थिक हालात ठीक न होने की वजह से उनके पिता अपनी बेटी को खर्चे के लिए सिर्फ दस रुपये ही दे पाए थे। इसके बाद दीपिका ने इस जिला स्तरीय टूर्नामेंट में हिस्सा लिया और उसे जीतकर भी वापस आईं। ये दुनिया की नंबर वन तीरंदाज का पहला टूर्नामेंट था, जहां उन्होंने अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर जीत हासिल की थी।[2]

कीर्तिमान

निशानेबाजी में विश्व कप के तीसरे चरण में तीन स्वर्ण पदक जीतने वाली भारत की स्टार तीरंदाज दीपिका कुमारी सोमवार 28 जून, 2021 को विश्व रैंकिंग में फिर से शीर्ष पर काबिज हो गईं। रांची की रहने वाली इस 27 साल की खिलाड़ी ने पहली बार 2012 में नंबर एक रैंकिंग हासिल की थी। उन्होंने रविवार को रिकर्व की तीन स्पर्धाओं- महिलाओं की व्यक्तिगत, टीम और मिश्रित युगल में स्वर्ण पदक जीते थे। दीपिका कुमारी ने पहले अंकिता भगत और कोमोलिका बारी के साथ मिलकर रिकर्व टीम स्पर्धा में मैक्सिको को 5-1 से हराकर स्वर्ण पदक जीता। इसके बाद मिश्रित टीम स्पर्धा के फाइनल में दीपिका और उनके पति अतनु दास की पांचवीं वरीय जोड़ी ने नीदरलैंड के जेफ वान डेन बर्ग और गैब्रिएला शोलेसर से 0-2 से पिछड़ने के बाद वापसी करते हुए 5-3 से जीत हासिल की। दीपिका कुमारी ने महिला व्यक्तिगत रिकर्व स्पर्धा के फाइनल में रूस की एलिना ओसिपोवा को 6-0 से हराकर एक दिन में स्वर्ण पदकों की हैट्रिक पूरी की।[3]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. [https://olympics.com/hi/athletes/deepika-kumari बायोग्राफी दीपिका कुमारी] (हिंदी) olympics.com। अभिगमन तिथि: 01 जुलाई, 2021।
  2. 10 रुपये से शुरू हुआ था दुनिया की नंबर तीरंदाज बनने का सफर (हिंदी) zeenews.india.com। अभिगमन तिथि: 01 जुलाई, 2021।
  3. वर्ल्ड कप में 3 गोल्ड मेडल जीतकर फिर दुनिया की नंबर-1 आर्चर बनीं दीपिका (हिंदी) aajtak.in। अभिगमन तिथि: 01 जुलाई, 2021।

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