श्री श्रीवत्स गोस्वामी: Difference between revisions
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Revision as of 12:43, 5 July 2021
श्री श्रीवत्स गोस्वामी
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पूरा नाम | श्री श्रीवत्स गोस्वामी |
जन्म | 27 अक्टूबर, 1950 |
जन्म भूमि | मथुरा, उत्तर प्रदेश |
कर्म भूमि | भारत |
शिक्षा | दर्शनशास्त्र में स्नातकोत्तर |
विद्यालय | काशी हिंदू विश्वविद्यालय |
प्रसिद्धि | वैष्णव आचार्य |
नागरिकता | भारतीय |
अन्य जानकारी | ब्रज संस्कृति की बहुआयामी प्रस्तुतियों के लिये आचार्य श्रीवत्स गोस्वामी जी ने 2009 में दिल्ली में ‘ब्रजमहोत्सव’ तथा 2011 में जयपुर में ‘आनंदमहोत्सव’ आयोजित किये थे। |
अद्यतन | 18:13, 5 जुलाई 2021 (IST)
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श्री श्रीवत्स गोस्वामी (अंग्रेज़ी: Shri Shrivatsa Goswami, जन्म- 27 अक्टूबर, 1950, मथुरा, उत्तर प्रदेश[1]) वैष्णव विद्वानों और ब्रज क्षेत्र के कलाकारों के एक प्रतिष्ठित परिवार से हैं। उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से दर्शनशास्त्र में मास्टर डिग्री हासिल की है और बीएचयू में दर्शनशास्त्र और धर्म पढ़ाया है। वर्तमान में श्रीवत्स गोस्वामी यूके स्थित 'भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद', 'इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र' तथा धर्म और संरक्षण के गठबंधन सहित विभिन्न विद्वान निकायों से जुड़े हुए हैं। वे वृंदावन में श्री चैतन्य प्रेम संस्थान के निदेशक हैं।
परिचय
आचार्य श्री श्रीवत्स गोस्वामी वृन्दावन स्थित विख्यात श्रीराधारमण मंदिर के विशिष्टविद्वत एवं आध्यात्मिक परिवार से सम्बंधित हैं। साथ ही वे हिंदू विशेषत: वैष्णव परम्परा की विश्वविख्यात विभूति हैं। काशी हिंदू विश्वविद्यालय से दर्शनशास्त्र में स्नातकोत्तर शिक्षा प्राप्त करने के उपरांत आपने स्वनामधन्य दार्शनिक प्रो. टी. आर. वी. मूर्ति से लम्बे समय तक विभिन्न शास्त्रों का गहन अध्ययन किया।
श्री गोस्वामीजी हार्वर्ड एवं हाइडलबर्ग विश्वविद्यालय में ‘आमंत्रित विद्वान’ के रूप में नियुक्त हुए। धर्म, दर्शन एवं संस्कृति विषयक सम्मेलन में विश्व के अनेकानेक विश्वविद्यालयों ने आपको आमंत्रित किया है। रासलीला, वैष्णव परम्परा, राधातत्व आदि विषयों पर आपकी कृतियाँ प्रिंसटन, बर्कले आदि विश्वविद्यालयों प्रकाशनों में छपी हैं। ‘सैलीब्रेटिंग कृष्ण’ आपकी चर्चित पुस्तक है।
कार्यक्षेत्र
जगदगुरु श्रीपुरुषोत्तम गोस्वामीजी की प्रेरणा से संस्थापित श्रीचैतन्य प्रेम संस्थान के श्रीवत्स गोस्वामी संस्थापक निदेशक हैं, जो ब्रज संस्कृति के संरक्षण एवं संवर्धन हेतु एक अग्रणी संस्था है, जिसका सांस्कृतिक एवं शैक्षिक दोनों दिशाओं में एक अप्रतिम योगदान है। विगत तीन दशकों से श्रीवत्स गोस्वामी ‘ब्रजप्रकल्प’ के निदेशक हैं। श्रीचैतन्य प्रेम संस्थान एवं राष्ट्रीय कला केंद्र, नई दिल्ली के सह-तत्वावधान में इस दीर्घकालीन बहुविध शोध प्रकल्प में ब्रज की संस्कृति और इतिहास पर 10 ग्रंथ प्रकाशित हो चुके हैं।
अन्य अनेक प्रतिबद्धताओं के मध्य आचार्य श्रीवत्स गोस्वामी ने विश्वभर में विभिन्न धर्मों में सौहार्द पनपाने हेतु समर्पित हैं। गोस्वामी जी का आग्रह धर्म और पर्यावरण संरक्षण की भागीदारी के प्रति है। रिलीजन फ़ॉर पीस, वर्ल्ड काउंसिल ऑफ़ चर्चेज, यूनिवर्सल पीस फ़ेडरेशन, इंटर रिलीजियस फ़ेडरेशन फ़ॉर वर्ल्डपीस, एलाइजा इंस्टीट्यूट जैसी शांति एवं पर्यावरणपरक सस्थाओं के आप सक्रिय सदस्य हैं।
विशेष आमंत्रण
- केंटबरी के आर्कविशप तथा विश्वबैंक के प्रेसीडेंट द्वारा श्री श्रीवत्स गोस्वामी को लेम्बेपैलेस, लंदन में सम्पन्न ऐतिहासिक बैठक में हिंदू परम्परा का प्रतिनिधित्व करने हेतु आमंत्रित किया गया था।
- वर्ष 2000 में ऑक्सफ़ोर्ड विश्वविद्यालय में हिबर्ट ट्रस्ट द्वारा आयोजित कारपेंटर शताब्दी स्मारक व्याख्यान आपने दिया था।
- 2006 में अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश ने दिल्ली प्रवास के समय आपसे विशेष मंत्रणा की थी।
- 2007 में वियना, ऑस्ट्रिया में इंटर एक्शन काउंसिल द्वारा 40 से अधिक शासनाध्यक्षों के सम्मेलन में धर्म विषयक स्रोत पुरुष के रूप में आपको आमंत्रित किया गया था।
- 2009 में अमेरिकन एकेडमी ऑफ़ रिलीजन के शताब्दी समारोह में आप एक मुख्य वक्ता थे।
- 2011 में असीसी प्रार्थना की रजत जयंती पर पोप बैनेडिक्ट-16 ने आपको हिन्दू प्रतिनिधी के रूप में प्रमुख व्याख्यान देने हेतु वैटिकन बुलाया था।
- 2012 में संयुक्त राष्ट्र महासभा के ‘अंतर्धार्मिक समन्वय सप्ताह’ में आप एक प्रमुख वक्ता थे।
- 2014 में बाली में संस्कृतियों के समंवय सम्बंधी संयुक्त राष्ट्र संघ की महत्त्वपूर्ण मंत्रणा में विशेषज्ञ के रूप में आपने भाग लिया था।
- भारत के राष्ट्रपति ने आपको संस्कृति एवं कला के केंद्र में संगीत नाटक अकादमी, नई दिल्ली का समग्र-विद्वता पुरस्कार प्रदान किया था।
मुख्य योगदान
ब्रज संस्कृति की बहुआयामी प्रस्तुतियों के लिये आचार्य जी ने 2009 में दिल्ली में ‘ब्रजमहोत्सव’ तथा 2011 में जयपुर में ‘आनंदमहोत्सव’ आयोजित किये थे। जिनमें परिचर्चाओं, व्याख्यानों, प्रदर्शनियों, संगीत, नृत्य एवं नाट्य की प्रस्तुतियों के माध्यम से भारतीय संस्कृति को अंतरराष्ट्रीय रूप से प्रतिष्ठित किया गया।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ Shri Shrivatsa Goswami (हिंदी) rfp.org। अभिगमन तिथि: 05 जुलाई, 2021।