अजीत सिंह यादव: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
(''''अजीत सिंह यादव''' (अंग्रेज़ी: ''Ajeet Singh Yadav'', जन्म- 5 सितम...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
No edit summary
Line 1: Line 1:
'''अजीत सिंह यादव''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Ajeet Singh Yadav'', जन्म- [[5 सितम्बर]], [[1993]], [[इटावा]], [[उत्तर प्रदेश]]) भाला फेंक के भारतीय पैरा एथलीट हैं। उनका [[परिवार]] अब [[ग्वालियर]], [[मध्य प्रदेश]] में निवास करता है। अपने दोस्त को बचाने में जान की चिंता न करने वाले अजीत सिंह यादव ने अपने कॅरिअर को भी बचाने में कसर नहीं छोड़ी। इसके बाद हुआ भी ऐसा ही। कोच वी.के. डबास और दोस्तों द्वारा उत्साहित करने के बाद वे एथलेटिक्स फील्ड में उतरे। मैदान के लिए समर्पित हो चुके अजीत सिंह यादव ने 3 साल कड़ी मेहनत कर न केवल तीन इंटरनेशनल गोल्ड मेडल जीते, बल्कि टोक्यो पैरालिंपिक के लिए भारतीय टीम में जगह बनाकर लोगों के लिए प्रेरणादायक और प्रदेश के पहले पैरा एथलीट बन गए।
{{सूचना बक्सा खिलाड़ी
|चित्र=Ajeet-Singh-Yadav.jpg
|चित्र का नाम=अजीत सिंह यादव
|पूरा नाम=अजीत सिंह यादव
|अन्य नाम=
|जन्म=[[5 सितम्बर]], [[1993]]
|जन्म भूमि=नागला बिधी, भरथना, [[इटावा]], [[उत्तर प्रदेश]]
|मृत्यु=
|मृत्यु स्थान=
|अभिभावक=
|पति/पत्नी=
|संतान=
|कर्म भूमि=[[भारत]]
|खेल-क्षेत्र=भाला फेंक (जैवलिन थ्रो)
|शिक्षा=
|विद्यालय=
|पुरस्कार-उपाधि=
|प्रसिद्धि=भारतीय पैरा एथलीट
|विशेष योगदान=
|नागरिकता=भारतीय
|संबंधित लेख=
|शीर्षक 1=क़द
|पाठ 1=5 फुट 11 इंच
|शीर्षक 2=
|पाठ 2=
|अन्य जानकारी=अजीत सिंह यादव ने बीजिंग में आयोजित 7वें विश्व पैरा एथलेटिक्स ग्रां प्री में स्वर्ण पदक जीताकर पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा था।
|बाहरी कड़ियाँ=
|अद्यतन={{अद्यतन|13:11, 31 अगस्त 2021 (IST)}}
}}'''अजीत सिंह यादव''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Ajeet Singh Yadav'', जन्म- [[5 सितम्बर]], [[1993]], [[इटावा]], [[उत्तर प्रदेश]]) भाला फेंक के भारतीय पैरा एथलीट हैं। उनका [[परिवार]] अब [[ग्वालियर]], [[मध्य प्रदेश]] में निवास करता है। अपने दोस्त को बचाने में जान की चिंता न करने वाले अजीत सिंह यादव ने अपने कॅरिअर को भी बचाने में कसर नहीं छोड़ी। इसके बाद हुआ भी ऐसा ही। कोच वी.के. डबास और दोस्तों द्वारा उत्साहित करने के बाद वे एथलेटिक्स फील्ड में उतरे। मैदान के लिए समर्पित हो चुके अजीत सिंह यादव ने 3 साल कड़ी मेहनत कर न केवल तीन इंटरनेशनल गोल्ड मेडल जीते, बल्कि टोक्यो पैरालिंपिक के लिए भारतीय टीम में जगह बनाकर लोगों के लिए प्रेरणादायक और प्रदेश के पहले पैरा एथलीट बन गए।
==परिचय==
==परिचय==
उत्तर प्रदेश का एक जिला है इटावा। यहां के भरथना के पास मौजूद नागला बिधी गांव से निकलकर दुनियाभर में अपने परिवार और [[भारत]] का नाम रौशन करने वाले पैरा एथलीट अजीत सिंह यादव उन लोगों के लिए मिसाल हैं, जो अपनी दिव्यांगता को कोसते रहते हैं और आगे नहीं बढ़ते हैं। [[5 सितंबर]] [[1993]] को जन्में अजीत सिंह की जिंदगी में साल [[2017]] तक सब कुछ ठीक-ठाक था।<ref name="pp">{{cite web |url=https://www.indiatimes.com/hindi/sports-news/indian-para-athlete-ajeet-singh-yadav-547704.html |title=अजीत सिंह, दोस्त को बचाते हुए ट्रेन हादसे में हाथ गंवाया|accessmonthday=31 अगस्त|accessyear=2021 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher= indiatimes.com|language=हिंदी}}</ref> वो अब लोगों की तरह जिंदगी बिता रहे थे। इसी दौरान दुर्भाग्य से अपने एक दोस्त की जान बचाते समय वो ट्रेन दुर्घटना का शिकार हो गए। इस हादसे में अजीत सिंह यादव का बायां हाथ बेकार हो गया। लंबे इलाज के बाद उन्हें अधिक से अधिक आराम की ज़रूरत थी, मगर वो घर पर नहीं बैठे। कोच वी.के. डबास के मोटिवेशन के बाद दुर्घटना के लगभग 4 महीने बाद उन्होंने मैदान में वापसी की और [[हरियाणा]] के पंचकुला में पैरा एथलेटिक सीनियर नेशनल 2018 में भाग लिया।
उत्तर प्रदेश का एक जिला है इटावा। यहां के भरथना के पास मौजूद नागला बिधी गांव से निकलकर दुनियाभर में अपने परिवार और [[भारत]] का नाम रौशन करने वाले पैरा एथलीट अजीत सिंह यादव उन लोगों के लिए मिसाल हैं, जो अपनी दिव्यांगता को कोसते रहते हैं और आगे नहीं बढ़ते हैं। [[5 सितंबर]] [[1993]] को जन्में अजीत सिंह की जिंदगी में साल [[2017]] तक सब कुछ ठीक-ठाक था।<ref name="pp">{{cite web |url=https://www.indiatimes.com/hindi/sports-news/indian-para-athlete-ajeet-singh-yadav-547704.html |title=अजीत सिंह, दोस्त को बचाते हुए ट्रेन हादसे में हाथ गंवाया|accessmonthday=31 अगस्त|accessyear=2021 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher= indiatimes.com|language=हिंदी}}</ref> वो अब लोगों की तरह जिंदगी बिता रहे थे। इसी दौरान दुर्भाग्य से अपने एक दोस्त की जान बचाते समय वो ट्रेन दुर्घटना का शिकार हो गए। इस हादसे में अजीत सिंह यादव का बायां हाथ बेकार हो गया। लंबे इलाज के बाद उन्हें अधिक से अधिक आराम की ज़रूरत थी, मगर वो घर पर नहीं बैठे। कोच वी.के. डबास के मोटिवेशन के बाद दुर्घटना के लगभग 4 महीने बाद उन्होंने मैदान में वापसी की और [[हरियाणा]] के पंचकुला में पैरा एथलेटिक सीनियर नेशनल 2018 में भाग लिया।

Revision as of 07:41, 31 August 2021

अजीत सिंह यादव
पूरा नाम अजीत सिंह यादव
जन्म 5 सितम्बर, 1993
जन्म भूमि नागला बिधी, भरथना, इटावा, उत्तर प्रदेश
कर्म भूमि भारत
खेल-क्षेत्र भाला फेंक (जैवलिन थ्रो)
प्रसिद्धि भारतीय पैरा एथलीट
नागरिकता भारतीय
क़द 5 फुट 11 इंच
अन्य जानकारी अजीत सिंह यादव ने बीजिंग में आयोजित 7वें विश्व पैरा एथलेटिक्स ग्रां प्री में स्वर्ण पदक जीताकर पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा था।
अद्यतन‎

अजीत सिंह यादव (अंग्रेज़ी: Ajeet Singh Yadav, जन्म- 5 सितम्बर, 1993, इटावा, उत्तर प्रदेश) भाला फेंक के भारतीय पैरा एथलीट हैं। उनका परिवार अब ग्वालियर, मध्य प्रदेश में निवास करता है। अपने दोस्त को बचाने में जान की चिंता न करने वाले अजीत सिंह यादव ने अपने कॅरिअर को भी बचाने में कसर नहीं छोड़ी। इसके बाद हुआ भी ऐसा ही। कोच वी.के. डबास और दोस्तों द्वारा उत्साहित करने के बाद वे एथलेटिक्स फील्ड में उतरे। मैदान के लिए समर्पित हो चुके अजीत सिंह यादव ने 3 साल कड़ी मेहनत कर न केवल तीन इंटरनेशनल गोल्ड मेडल जीते, बल्कि टोक्यो पैरालिंपिक के लिए भारतीय टीम में जगह बनाकर लोगों के लिए प्रेरणादायक और प्रदेश के पहले पैरा एथलीट बन गए।

परिचय

उत्तर प्रदेश का एक जिला है इटावा। यहां के भरथना के पास मौजूद नागला बिधी गांव से निकलकर दुनियाभर में अपने परिवार और भारत का नाम रौशन करने वाले पैरा एथलीट अजीत सिंह यादव उन लोगों के लिए मिसाल हैं, जो अपनी दिव्यांगता को कोसते रहते हैं और आगे नहीं बढ़ते हैं। 5 सितंबर 1993 को जन्में अजीत सिंह की जिंदगी में साल 2017 तक सब कुछ ठीक-ठाक था।[1] वो अब लोगों की तरह जिंदगी बिता रहे थे। इसी दौरान दुर्भाग्य से अपने एक दोस्त की जान बचाते समय वो ट्रेन दुर्घटना का शिकार हो गए। इस हादसे में अजीत सिंह यादव का बायां हाथ बेकार हो गया। लंबे इलाज के बाद उन्हें अधिक से अधिक आराम की ज़रूरत थी, मगर वो घर पर नहीं बैठे। कोच वी.के. डबास के मोटिवेशन के बाद दुर्घटना के लगभग 4 महीने बाद उन्होंने मैदान में वापसी की और हरियाणा के पंचकुला में पैरा एथलेटिक सीनियर नेशनल 2018 में भाग लिया।

सफलता

साल 2019 में अजीत सिंह यादव को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलने का मौका मिला। उन्होंने बीजिंग (चीन) में आयोजित 7वें विश्व पैरा एथलेटिक्स ग्रां प्री में भाग लिया था। इस प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीताकर उन्होंने पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा। अजीत यही नहीं रुके आगे साल 2019 में उन्होंने दुबई में आयोजित विश्व पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में भारत का प्रतिनिधित्व किया था, जहां उन्हें कांस्य पदक से संतोष करना पड़ा।

टोक्यो पैरालम्पिक हेतु चयन

ग्वालियर के पैरा एथलीट अजीत सिंह यादव ने ग्रीष्मकालीन ओलम्पिक, 2020 (टोक्यो पैरालिंपिक) के लिए क्वालिफाई किया है। वे ऐसा करने वाले मध्य प्रदेश के पहले एथलीट बन गए हैं। नई दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में 29 जून और 30 जून, 2021 को आयोजित चयन ट्रायल में अजीत सिंह यादव ने एफ-46 कैटेगरी में 63.96 मीटर जैवलिन थ्रो कर यह उपलब्धि हासिल की। पैरालिंपिक कमेटी ऑफ इंडिया और साई के संयुक्त तत्वावधान में हुई दो दिवसीय चयन ट्रायल में देवेन्द्र झाझरिया और सुंदर गुर्जर ने भी अच्छा प्रदर्शन कर टोक्यो का टिकट कटाया। जबकि रिंकू हुड्डा खुद को साबित नहीं कर सके।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. अजीत सिंह, दोस्त को बचाते हुए ट्रेन हादसे में हाथ गंवाया (हिंदी) indiatimes.com। अभिगमन तिथि: 31 अगस्त, 2021।

संबंधित लेख