शिव प्रकाश मिश्रा: Difference between revisions
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'''शिव प्रकाश मिश्रा''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Shiv Prakash Mishra'' | '''शिव प्रकाश मिश्रा''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Shiv Prakash Mishra'') [[भारत]] के टेनिस खिलाड़ी रहे हैं। उन्होंने [[1964]] में डेविस कप में पदार्पण किया। सीलोन (अब [[श्रीलंका]]) और [[पाकिस्तान]] के खिलाफ उन्होंने जीत से शुरुआत की थी। [[टेनिस]] में आजीवन योगदान के लिए उन्हें साल [[2015]] में प्रतिष्ठित '[[ध्यानचंद पुरस्कार]]' से नवाजा गया है। | ||
*मां की हाथ से बुनी स्वेटर और बाटा के जूतों को पहनकर विंबलडन कोर्ट पर कदम रखना और 1964 में इस ग्रैंडस्लेम टूर्नमेंट के लिए क्वॉलिफाइ करने के बाद फ्रेड पैरी का शिव प्रकाश मिश्रा को रैकिट सौंपना जैसी कुछ यादें हैं जो आज भी शिव प्रकाश मिश्रा को रोमांचित कर देती हैं। | |||
*शिव प्रकाश मिश्रा उन दिनों को याद करते हैं, जब खेल के प्रति दीवानगी महत्वपूर्ण होती थी। तब कुछ टूर्नामेंट में वह प्रति प्रदर्शनी मैच पांच पाउंड की रकम पर खेले थे।<ref name="pp">{{cite web |url=https://navbharattimes.indiatimes.com/sports/tennis/shiv-prakash-mishra-share-his-memories-before-getting-dhyanchand-award/articleshow/48670704.cms |title=ध्यानचंद पुरस्कार प्राप्त करने से पहले साझा की अपनी यादें|accessmonthday=13 अक्टूबर|accessyear=2021 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=navbharattimes.indiatimes.com |language=हिंदी}}</ref> | |||
*ग्रैंडस्लेम और डेविस कप में कई वर्षों तक भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले शिव प्रकाश मिश्रा का कहना था कि विंबलडन के पुरुष सिंगल्स के लिए क्वॉलिफाइ करना और दिग्गज फ्रेड पैरी से टेनिस किट हासिल करना उनके करियर का सबसे यादगार क्षण रहा। | |||
मां की हाथ से बुनी स्वेटर और बाटा के जूतों को पहनकर विंबलडन कोर्ट पर कदम रखना और 1964 में इस ग्रैंडस्लेम टूर्नमेंट के लिए क्वॉलिफाइ करने के बाद फ्रेड पैरी का | *उन्होंने कहा, ‘उन दिनों खिलाड़ियों को केवल 100 पाउंड मिला करते थे जबकि आजकल पहले दौर में हारने वाले को 25,000 पाउंड के करीब धनराशि मिल जाती है। हमने बहुत संघर्ष किया। आप विदेश जाते समय अपने साथ आठ डॉलर से ज्यादा नहीं ले जा सकते थे। वहां रहना बहुत मुश्किल होता था। हम पैसे कमाने के लिए प्रदर्शनी मैच खेला करते थे।’ | ||
*शिव प्रकाश मिश्रा ने कहा, ‘विंबलडन के बाद मैं यूएस नैशनल चैंपियनशिप (यूएस ओपन सिंगल्स से पहले) में भी खेला। फोरेस्ट हिल पर घास पर खेलते हुए मैं तीसरे दौर में पहुंचा था। दूसरे दौर में मैंने अर्नेस्टो अगुएरी के खिलाफ पांचवां सेट 14-12 से जीता था लेकिन तीसरे दौर में विक सैक्सास ([[अमेरिका]]) से हार गया था। वे वास्तव में कड़े दिन थे।’<ref name="pp"/> | |||
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उन्होंने कहा, ‘उन दिनों खिलाड़ियों को केवल 100 पाउंड मिला करते थे जबकि आजकल पहले दौर में हारने वाले को 25,000 पाउंड के करीब धनराशि मिल जाती है। हमने बहुत संघर्ष किया। आप विदेश जाते समय अपने साथ आठ डॉलर से ज्यादा नहीं ले जा सकते थे। वहां रहना बहुत मुश्किल होता था। हम पैसे कमाने के लिए प्रदर्शनी मैच खेला करते थे।’ | |||
मिश्रा ने कहा, ‘विंबलडन के बाद मैं यूएस नैशनल चैंपियनशिप (यूएस ओपन सिंगल्स से पहले) में भी खेला। फोरेस्ट हिल पर घास पर खेलते हुए मैं तीसरे दौर में पहुंचा था। दूसरे दौर में मैंने अर्नेस्टो अगुएरी के खिलाफ पांचवां सेट 14-12 से जीता था लेकिन तीसरे दौर में विक सैक्सास (अमेरिका) से हार गया था। वे वास्तव में कड़े दिन थे।’ | |||
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Revision as of 05:53, 13 October 2021
शिव प्रकाश मिश्रा (अंग्रेज़ी: Shiv Prakash Mishra) भारत के टेनिस खिलाड़ी रहे हैं। उन्होंने 1964 में डेविस कप में पदार्पण किया। सीलोन (अब श्रीलंका) और पाकिस्तान के खिलाफ उन्होंने जीत से शुरुआत की थी। टेनिस में आजीवन योगदान के लिए उन्हें साल 2015 में प्रतिष्ठित 'ध्यानचंद पुरस्कार' से नवाजा गया है।
- मां की हाथ से बुनी स्वेटर और बाटा के जूतों को पहनकर विंबलडन कोर्ट पर कदम रखना और 1964 में इस ग्रैंडस्लेम टूर्नमेंट के लिए क्वॉलिफाइ करने के बाद फ्रेड पैरी का शिव प्रकाश मिश्रा को रैकिट सौंपना जैसी कुछ यादें हैं जो आज भी शिव प्रकाश मिश्रा को रोमांचित कर देती हैं।
- शिव प्रकाश मिश्रा उन दिनों को याद करते हैं, जब खेल के प्रति दीवानगी महत्वपूर्ण होती थी। तब कुछ टूर्नामेंट में वह प्रति प्रदर्शनी मैच पांच पाउंड की रकम पर खेले थे।[1]
- ग्रैंडस्लेम और डेविस कप में कई वर्षों तक भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले शिव प्रकाश मिश्रा का कहना था कि विंबलडन के पुरुष सिंगल्स के लिए क्वॉलिफाइ करना और दिग्गज फ्रेड पैरी से टेनिस किट हासिल करना उनके करियर का सबसे यादगार क्षण रहा।
- उन्होंने कहा, ‘उन दिनों खिलाड़ियों को केवल 100 पाउंड मिला करते थे जबकि आजकल पहले दौर में हारने वाले को 25,000 पाउंड के करीब धनराशि मिल जाती है। हमने बहुत संघर्ष किया। आप विदेश जाते समय अपने साथ आठ डॉलर से ज्यादा नहीं ले जा सकते थे। वहां रहना बहुत मुश्किल होता था। हम पैसे कमाने के लिए प्रदर्शनी मैच खेला करते थे।’
- शिव प्रकाश मिश्रा ने कहा, ‘विंबलडन के बाद मैं यूएस नैशनल चैंपियनशिप (यूएस ओपन सिंगल्स से पहले) में भी खेला। फोरेस्ट हिल पर घास पर खेलते हुए मैं तीसरे दौर में पहुंचा था। दूसरे दौर में मैंने अर्नेस्टो अगुएरी के खिलाफ पांचवां सेट 14-12 से जीता था लेकिन तीसरे दौर में विक सैक्सास (अमेरिका) से हार गया था। वे वास्तव में कड़े दिन थे।’[1]
- सन 1964 में शिव प्रकाश मिश्रा ने डेविस कप में पदार्पण किया। उन्होंने सीलोन (अब श्रीलंका) और पाकिस्तान के खिलाफ जीत से शुरुआत की। उन्होंने कहा, ‘मैंने हैदराबाद में पदार्पण किया तथा सिंगल्स और डबल्स दोनों में जीत दर्ज की। इसके बाद लाहौर में मैंने पाकिस्तान के नंबर एक खिलाड़ी को हराया। वे वास्तव में शानदार दिन थे और उन्हें मैं बड़े खुश होकर याद करता हूं।’
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.0 1.1 ध्यानचंद पुरस्कार प्राप्त करने से पहले साझा की अपनी यादें (हिंदी) navbharattimes.indiatimes.com। अभिगमन तिथि: 13 अक्टूबर, 2021।