प्रमोद भगत: Difference between revisions

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*प्रमोद भगत हाजीपुर प्रखंड के शुभई के रहने वाले रामा भगत के पुत्र है। बचपन में पोलियो अटैक के कारण उनका एक पैर खराब हो गया था, जिसके बाद से प्रमोद भगत [[उड़ीसा]] में रहकर लगातार बैडमिंटन का अभ्यास और कड़ी मेहनत कर रहे थे।
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*उनको 50 से ज्यादा राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय अवॉर्ड मिल चुके हैं। वहीं, उड़ीसा सरकार की ओर से भी प्रमोद भगत को विशेष सम्मान दिया जा चुका है। [[भारत सरकार]] ने उन्हें [[पद्म श्री]], [[2022]] से सम्मानित किया है।
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*प्रमोद भगत फाइनल में [[ब्रिटेन]] के डेनियल बेथेल को 21-14, 21-17 से मात देकर पैरालंपिक में भारत की तरफ से मेडल जीतने वाले पहले बैडमिंटन खिलाड़ी बने। पैरालंपिक खेलों में बैडमिंटन को पहली बार शामिल किया गया है।
*फाइनल मुकाबले में प्रमोद भगत ने शानदार फॉर्म जारी रखी और पहले सेट को बेहद आसानी के साथ 21-14 से अपने नाम किया। हालांकि, दूसरे सेट में उनको ब्रिटेन के खिलाड़ी से जबरदस्त टक्कर मिली, लेकिन भारतीय शटलर ने जोरदार कमबैक करते हुए सेट को 21-17 से जीतकर गोल्ड पर कब्जा जमाया।
*फाइनल मुकाबले में प्रमोद भगत ने शानदार फॉर्म जारी रखी और पहले सेट को बेहद आसानी के साथ 21-14 से अपने नाम किया। हालांकि, दूसरे सेट में उनको ब्रिटेन के खिलाड़ी से जबरदस्त टक्कर मिली, लेकिन भारतीय शटलर ने जोरदार कमबैक करते हुए सेट को 21-17 से जीतकर गोल्ड पर कब्जा जमाया।
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Latest revision as of 12:09, 31 May 2022

प्रमोद भगत
पूरा नाम प्रमोद भगत
जन्म 4 जून, 1988
जन्म भूमि उड़ीसा
अभिभावक माता- शीला देवी

पिता- रामा भगत

कर्म भूमि भारत
खेल-क्षेत्र बैडमिंटन (श्रेणी- एसएल-3)
पुरस्कार-उपाधि पद्म श्री, 2022
प्रसिद्धि भारतीय पैरा बैडमिंटन खिलाड़ी
नागरिकता भारतीय
संबंधित लेख ग्रीष्मकालीन पैरालम्पिक, 2020
कोच शिबा प्रसाद दास
अन्य जानकारी पांच वर्ष की उम्र में पोलियो के कारण प्रमोद भगत का बायां पैर विकृत हो गया था। उन्होंने विश्व चैम्पियनशिप में चार गोल्ड समेत 45 इंटरनेशनल मेडल जीते हैं।
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प्रमोद भगत (अंग्रेज़ी: Praveen Bhagat) भारत के पैरा बैडमिंटन खिलाड़ी हैं। ग्रीष्मकालीन पैरालम्पिक, 2020 (टोक्यो पैरालम्पिक) में बैडमिंटन में भारत के हाथ एक साथ दो मेडल लगे हैं। प्रमोद भगत ने एकल के एसएल3 क्लास के फाइनल मुकाबले को जीतकर देश को इस खेल में पहला स्वर्ण पदक दिलाया। वहीं, मनोज सरकार ने इसी कैटेगरी में काँस्य पदक पर कब्जा जमाया।


  • प्रमोद भगत हाजीपुर प्रखंड के शुभई के रहने वाले रामा भगत के पुत्र है। बचपन में पोलियो अटैक के कारण उनका एक पैर खराब हो गया था, जिसके बाद से प्रमोद भगत उड़ीसा में रहकर लगातार बैडमिंटन का अभ्यास और कड़ी मेहनत कर रहे थे।
  • बेहद साधारण परिवार से ताल्लुक रखने वाले प्रमोद भगत तब सुर्खियों में आए, जब 4 सितंबर 2021 जापान के टोक्यो में हुए पैरालंपिक में उन्होंने देश के लिए गोल्ड जीता और देश के साथ ही वैशाली जिले का नाम रोशन किया।
  • उनको 50 से ज्यादा राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय अवॉर्ड मिल चुके हैं। वहीं, उड़ीसा सरकार की ओर से भी प्रमोद भगत को विशेष सम्मान दिया जा चुका है। भारत सरकार ने उन्हें पद्म श्री, 2022 से सम्मानित किया है।
  • प्रमोद भगत फाइनल में ब्रिटेन के डेनियल बेथेल को 21-14, 21-17 से मात देकर पैरालंपिक में भारत की तरफ से मेडल जीतने वाले पहले बैडमिंटन खिलाड़ी बने। पैरालंपिक खेलों में बैडमिंटन को पहली बार शामिल किया गया है।
  • फाइनल मुकाबले में प्रमोद भगत ने शानदार फॉर्म जारी रखी और पहले सेट को बेहद आसानी के साथ 21-14 से अपने नाम किया। हालांकि, दूसरे सेट में उनको ब्रिटेन के खिलाड़ी से जबरदस्त टक्कर मिली, लेकिन भारतीय शटलर ने जोरदार कमबैक करते हुए सेट को 21-17 से जीतकर गोल्ड पर कब्जा जमाया।
  • दूसरी ओर मनोज सरकार ने जापान के डाइसुके फुजिहारा को 22-20, 21-13 से हराया। मनोज का मुकाबला 47 मिनट तक चला। पहला गेम 27 मिनट तक चला। इसमें जापान के फुजिहारा ने मनोज को कड़ी टक्कर दी। दूसरा गेम 19 मिनट तक चला।
  • दुनिया के नंबर एक खिलाड़ी और एशियाई चैम्पियन प्रमोद भगत ने सेमीफाइनल में जापान के दाइसुके फुजीहारा को 36 मिनट में 21-11, 21-16 से हराकर फाइनल में अपनी जगह बनाई थी।
  • पांच वर्ष की उम्र में पोलियो के कारण प्रमोद भगत का बायां पैर विकृत हो गया था। उन्होंने विश्व चैम्पियनशिप में चार गोल्ड समेत 45 इंटरनेशनल मेडल जीते हैं।
  • बीडब्ल्यूएफ विश्व चैम्पियनशिप में पिछले आठ साल में प्रमोद भगतने दो स्वर्ण और एक रजत जीता।
  • साल 2018 पैरा एशियाई खेलों में प्रमोद भगत ने एक रजत और एक काँस्य जीता था।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ


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