माउंट एवरेस्ट: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
Line 14: Line 14:
====<u>जल निकास</u>====
====<u>जल निकास</u>====
पर्वत की जल निकास प्रणाली शिखर से दक्षिण-पश्चिम, उत्तर तथा पूर्व की तरफ़ उन्मुख है। खुंबू हिमनद पिघलकर [[नेपाल]] की लोबुज्या (लोबुचे) नदी में परिवर्तित हो जाता है, जो आगे दूध [[कोसी नदी]] में समाहित होने से पहले दक्षिण-पश्चिम में इम्जा नदी कहलाती है। [[तिब्बत]] में रोंग-चू नदी पुमोरी और रोंगबक हिमनदों से निकलती है तथा कर्माचु नदी कांशशुंग हिमनद से निकलती है। रोंग-चू और दूध कोसी नदी की घाटियाँ क्रमश: शिखर के लिए उत्तरी तथा दक्षिणी सम्पर्क मार्ग बनाती हैं।
पर्वत की जल निकास प्रणाली शिखर से दक्षिण-पश्चिम, उत्तर तथा पूर्व की तरफ़ उन्मुख है। खुंबू हिमनद पिघलकर [[नेपाल]] की लोबुज्या (लोबुचे) नदी में परिवर्तित हो जाता है, जो आगे दूध [[कोसी नदी]] में समाहित होने से पहले दक्षिण-पश्चिम में इम्जा नदी कहलाती है। [[तिब्बत]] में रोंग-चू नदी पुमोरी और रोंगबक हिमनदों से निकलती है तथा कर्माचु नदी कांशशुंग हिमनद से निकलती है। रोंग-चू और दूध कोसी नदी की घाटियाँ क्रमश: शिखर के लिए उत्तरी तथा दक्षिणी सम्पर्क मार्ग बनाती हैं।
===<u>अध्ययन एवं खोज</u>===
==अध्ययन एवं खोज==
माउण्ट एवरेस्ट स्थानीय लोगों के लिए पूजनीय है। इसके तिब्बती व नेपाली नामों का अर्थ '''विश्व की मातृदेवी''' है। 1852 में [[भारत]] सरकार द्वारा कराए गए एक सर्वेक्षण से इस तथ्य को स्थापित किये जाने तक इसे पृथ्वी की सतह पर सर्वोच्च शिखर के रूप में मान्यता नहीं मिली थी। पहले यह शिखर '''पीक XV''' के नाम से जाना जाता था, किन्तु 1865 में इसे 1830-1843 के बीच भारत के सर्वेयर जनरल रहे अंग्रेज़ सर जॉर्ज एवरेस्ट के नाम पर माउण्ट एवरेस्ट का नाम दिया गया। [[गुरुत्वाकर्षण]] परिवर्तनों तथा [[प्रकाश]] [[अपवर्तन]] के कारण बदलते बर्फ़ के स्तर की वजह से शिखर की सही ऊँचाई अक्सर एक विवाद का विषय बनी। वर्तमान में मान्य 8,848 मीटर<ref>आंशिक कम या ज़्यादा की गुंज़ाइश के साथ</ref> की ऊँचाई 1952 से 1954 के बीच सर्वे ऑफ़ इंडिया द्वारा स्थापित की गई।
माउण्ट एवरेस्ट स्थानीय लोगों के लिए पूजनीय है। इसके तिब्बती व नेपाली नामों का अर्थ '''विश्व की मातृदेवी''' है। 1852 में [[भारत]] सरकार द्वारा कराए गए एक सर्वेक्षण से इस तथ्य को स्थापित किये जाने तक इसे पृथ्वी की सतह पर सर्वोच्च शिखर के रूप में मान्यता नहीं मिली थी। पहले यह शिखर '''पीक XV''' के नाम से जाना जाता था, किन्तु 1865 में इसे 1830-1843 के बीच भारत के सर्वेयर जनरल रहे अंग्रेज़ सर जॉर्ज एवरेस्ट के नाम पर माउण्ट एवरेस्ट का नाम दिया गया। [[गुरुत्वाकर्षण]] परिवर्तनों तथा [[प्रकाश]] [[अपवर्तन]] के कारण बदलते बर्फ़ के स्तर की वजह से शिखर की सही ऊँचाई अक्सर एक विवाद का विषय बनी। वर्तमान में मान्य 8,848 मीटर<ref>आंशिक कम या ज़्यादा की गुंज़ाइश के साथ</ref> की ऊँचाई 1952 से 1954 के बीच सर्वे ऑफ़ इंडिया द्वारा स्थापित की गई।


Line 33: Line 33:
|शोध=
|शोध=
}}
}}
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>
<references/>

Revision as of 07:28, 13 December 2010

माउंट एवरेस्ट एशिया में नेपाल और चीन (तिब्बत) की सीमा पर स्थित वृहद हिमालय पर्वत श्रृंखला का सर्वोच्च शिखर है। यह पृथ्वी का सर्वोच्च स्थल है। माउंट एवरेस्ट को तिब्बती में चोमोलुंग्मा, चीनी भाषा (रोमनीकृत) में चु-मु-लांग-मा-फेंग, (पिनयिन) कोमोलांग्मा फेंग, नेपाली में सागरमाथा कहते है।

भौतिक विशेषताएँ

हिमालय के दक्षिण-पूर्व, पूर्वोत्तर तथा पश्चिम के तीन बंजर कटक ऊपर उठाते हुए दो शिखरों का निर्माण करते हैं; पहला 8,848 मीटर (एवरेस्ट) और दूसरा 8,748 मीटर (साउथ पीक) ऊँचा शिखर है। इस पर्वत को इसके पूर्वोत्तर पक्ष से, जो तिब्बत के पठार से 3,600 मीटर ऊपर उठता है, सीधे देखा जा सकता है। इससे कुछ मोटे शिखर चांगत्से (उत्तर, 7,560 मीटर), खूंबुत्से (पश्चिमोत्तर, 6,655 मीटर), नुपत्से (दक्षिण-पश्चिम, 7,861 मीटर) तथा ल्होत्से (दक्षिण, 8,501 मीटर) हैं, जो इसके आधार के चारों ओर ऊपर उठते हुए एवरेस्ट को नेपाल की तरफ से आँख से ओझल कर देते हैं।

मार्ग स्थिति

एवरेस्ट शिखर की ओर जाने वाले मार्ग का दो-तिहाई भाग पृथ्वी के वायुमंडल के उस हिस्से में है, जहाँ ऑक्सीजन का स्तर कम है। ऊपरी ढलानों पर ऑक्सीजन की कमी, तेज़ हवाओं तथा अत्यधिक ठंड के कारण किसी प्रकार का वानस्पतिक या प्राणी जीवन सम्भव नहीं है। ग्रीष्मकालीन मानसून (मई से सितम्बर) के दौरान हिमपात होता है। पर्वत के किनारे मुख्य कटक द्वारा एक-दूसरे से अलग हैं। पर्वत की ढलानों पर आधार तक बर्फ़ की चादर बिछी रहती है। शिखर चट्टानों की तरह कठोर बर्फ़ से बना है और उसके ऊपर बर्फ़ की जो परतें जमी हैं, उनकी ऊँचाई वर्ष भर में 1.5 से 2 मीटर तक बढ़ती-घटती रहती है। शिखर की ऊँचाई सितम्बर में सबसे ज़्यादा तथा मई में पश्चिमोत्तर से बहकर आने वाली जाड़े की तेज़ हवा के कारण घटकर सबसे कम रह जाती हैं।

हिमनद

माउंण्ट एवरेस्ट के आसपास बहने वाले प्रमुख स्वतंत्र हिमनद (ग्लेशियर) हैं-

  • पूर्व में कांगशुंग
  • पूर्व, मुख्य तथा पश्चिम रोंगबक हिमनद (उत्तर व पश्चिमोत्तर)
  • पुमोरी हिमनद (पश्चिमोत्तर)
  • खुंबू हिमनद (पश्चिम तथा दक्षिण)
  • ल्होत्से-नुपत्से कटक
  • एवरेस्ट के बीच की बर्फ़ की घाटी पश्चिमी क्वम।

जल निकास

पर्वत की जल निकास प्रणाली शिखर से दक्षिण-पश्चिम, उत्तर तथा पूर्व की तरफ़ उन्मुख है। खुंबू हिमनद पिघलकर नेपाल की लोबुज्या (लोबुचे) नदी में परिवर्तित हो जाता है, जो आगे दूध कोसी नदी में समाहित होने से पहले दक्षिण-पश्चिम में इम्जा नदी कहलाती है। तिब्बत में रोंग-चू नदी पुमोरी और रोंगबक हिमनदों से निकलती है तथा कर्माचु नदी कांशशुंग हिमनद से निकलती है। रोंग-चू और दूध कोसी नदी की घाटियाँ क्रमश: शिखर के लिए उत्तरी तथा दक्षिणी सम्पर्क मार्ग बनाती हैं।

अध्ययन एवं खोज

माउण्ट एवरेस्ट स्थानीय लोगों के लिए पूजनीय है। इसके तिब्बती व नेपाली नामों का अर्थ विश्व की मातृदेवी है। 1852 में भारत सरकार द्वारा कराए गए एक सर्वेक्षण से इस तथ्य को स्थापित किये जाने तक इसे पृथ्वी की सतह पर सर्वोच्च शिखर के रूप में मान्यता नहीं मिली थी। पहले यह शिखर पीक XV के नाम से जाना जाता था, किन्तु 1865 में इसे 1830-1843 के बीच भारत के सर्वेयर जनरल रहे अंग्रेज़ सर जॉर्ज एवरेस्ट के नाम पर माउण्ट एवरेस्ट का नाम दिया गया। गुरुत्वाकर्षण परिवर्तनों तथा प्रकाश अपवर्तन के कारण बदलते बर्फ़ के स्तर की वजह से शिखर की सही ऊँचाई अक्सर एक विवाद का विषय बनी। वर्तमान में मान्य 8,848 मीटर[1] की ऊँचाई 1952 से 1954 के बीच सर्वे ऑफ़ इंडिया द्वारा स्थापित की गई।

शिखर पर विजय

एवरेस्ट शिखर पर विजय के प्रयास 1920 में तिब्बत की तरफ़ के रास्ते के खुलने के बाद शुरू हुए। पूर्वोत्तर कग़ार की तरफ़ से शिखर पर पहुँचने के लगातार सात प्रयास (1921-38) और दक्षिण-पूर्वी कग़ार की तरफ़ से तीन प्रयास (1951-52) ठंडी-शुष्क तेज़ हवाओं, बीहड़ क्षेत्र तथा अत्यधिक ऊँचाई के कारण विफल रहे।

अन्तत: 1953 में रॉयल जिओग्रैफ़िकल सोसाइटी तथा अल्पाइन क्लब की जौएण्ट हिमालयन कमिटी के प्रयासों से एवरेस्ट पर विजय प्राप्त कर ली गई। इस जीत में पर्वतारोहियों ने खुली तथा बन्द सर्किट ऑक्सीजन प्रणाली, बाहरी वातावरण से अप्रभावित रहने वाले विशेष प्रकार के जूते व पोशाक और छोटे रेडियो उपकरणों का प्रयोग किया था। पर्वतारोहियों के द्वारा इस अभियान मार्ग में आठ शिविर स्थापित किये गए तथा यह मार्ग खुंबू हिमप्रपात व हिमनद, वेस्ट सी. डब्ल्यू. एम. और ल्होत्से से होते हुए 8,000 मीटर की ऊँचाई पर चट्टानी शिखर साउथ कोल तक पहुँचता था। यहाँ से 29 मई 1953 को न्यूज़ीलैण्ड के एडमंड हिलेरी (बाद में सर एडमंड) तथा नेपाल के तेन­ज़िंग नोरगे दक्षिण-पूर्वी कग़ार से बढ़ते हुए दक्षिणी शिखर और फिर चोटी तक पहुँचे।

एवरेस्ट अभियान

अमेरिका का पहला सफल एवरेस्ट अभियान 1963 में हुआ। इस दल के जेम्स डब्ल्यू व्हिटेकर तथा नेपाल के नावांग गोंबू शिखर पर सबसे पहले (1 मई) पहुँचे। चार पर्वतारोही इस चोटी पर 22 मई को पहुँचे, जिनमें थॉमस एफ़. हॉर्नबिन तथा विलियम एफ़. अनसोल्ड एवरेस्ट पर उस पश्चिमी पर्वतश्रेणी के रास्ते चढ़े, जहाँ से पहले कोई भी नहीं चढ़ पाया था। यह जोड़ी साउथ कोल की तरफ़ से नीचे उतरी और विपरीत रास्तों का इस्तेमाल करने वाली पहली पर्वतारोही जोड़ी बनी। इसके बाद तो विभिन्न देशों द्वारा संचालित कई अभियान दल एवरेस्ट पर पहुँच चुके हैं। जापानी दल की ताबेई जुनको तथा नेपाल की अंग त्सेरिंग शिखर पर पहुँचने वाली (16 मई, 1975) पहली महिलाएँ थीं। दो ब्रिटिश पर्वतारोही 25 सितम्बर, 1975 को पहली बार दक्षिण-पश्चिम दिशा से तथा दो जापानी उत्तरी दीवार की तरफ़ से शिखर पर पहुँचे (11 मई, 1980)।

पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. आंशिक कम या ज़्यादा की गुंज़ाइश के साथ

संबंधित लेख