उशीरबीज पर्वत

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पांडवों की तीर्थ यात्रा के प्रसंग में उसीरबीज नामक पर्वत का उल्लेख है।

'उशीरबीज मैनाकं गिरिश्वेतं च भारत, समतीतोअसि कौंतेय कालशैलं च पार्थिव'।

[1]

  • वन. 139,2 में गंगा का वर्णन है-

('एषा गंगा सप्तविधा राजते भारतर्षभ')

[2]

इससे जान पड़ता है कि उसीरबीज तथा इसके साथ उल्लिखित अन्य पहाड़, गंगा के उद्गम से लेकर हरिद्वार तक की हिमालय पर्वत श्रेणियों के नाम हैं।

'ततो मरुत्तं नृपर्ति यजंतं सहदैवतैः उशीरबीजमासाद्य ददर्श सतु रावणः'।

  • यहां मरुत नामक नरेश के तप का वर्णन है जो उन्होंने उसीरबीज में देवताओं के साथ किया था।[4][5]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. महा. वन. 139, 1.
  2. वन. 139,2
  3. रामायण-उत्तर 18,2
  4. दे. उसिरगिरि, उसिरध्वज
  5. ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 103 |

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